भारतीय संस्कृति का अनुपम उपहार योग पर निबंध

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भारतीय संस्कृति का अनुपम उपहार योग पर निबंध योग भारतीय संस्कृति का एक ऐसा उपहार है जिससे सारा विश्व लाभान्वित हो रहा है योग भारतीय संस्कृति का गौरव ह

भारतीय संस्कृति का अनुपम उपहार योग पर निबंध


योग भारतीय संस्कृति का एक ऐसा उपहार है जिससे सारा विश्व लाभान्वित हो रहा है। योग द्वारा शरीर मन और आत्मा तीनों को ही नियंत्रित कर विकास के पथ पर आगे बढ़ा जा सकता है। शारीरिक और मानसिक दोनों को अनुशासित कर तनाव विचिंत्य को प्रबंधित करने में योग एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही भिन्न-भिन्न प्रकार के आसनों द्वारा शरीर को सुंदर, सुडौल व सौष्ठव बनाने के साथ ही कई बीमारियों पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है और रोगमुक्त लंबा व सुखी जीवन जिया जा सकता है।
 

योग का इतिहास

भारतीय संस्कृति अनेक अनमोल रत्नों से सुसज्जित है, जिनमें से योग एक अमूल्य उपहार है। हजारों वर्षों से यह विद्या भारत की आध्यात्मिक और शारीरिक समृद्धि का आधार रही है। योग केवल व्यायाम या आसन नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक सम्पूर्ण कला है।

योग का उद्भव सिंधु घाटी सभ्यता से भी पहले का माना जाता है। वेदों, उपनिषदों और पुराणों में योग का उल्लेख मिलता है। ऋषि-मुनियों ने योग को विकसित कर मानव जीवन को स्वस्थ, सुखी और समृद्ध बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।

योग क्या है किसे कहते हैं 

भारतीय संस्कृति का अनुपम उपहार योग पर निबंध
सच ही कहा गया है-पहला सुख निरोगी काया ।धर्मग्रन्थों में कहा गया है- "कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेत् शतं समाः।" अर्थात् कर्मशील रहते हुए सौ वर्ष जीने की अभिलाषा करनी चाहिए। शरीर कर्मशील रहे उसके लिए स्वस्थ रहना आवश्यक है तथा स्वस्थ रहने के लिए योगाभ्यास सर्वश्रेष्ठ साधन है।
 
योग सही तरीके से जीने का विज्ञान है अर्थात् शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का साधन योग है । नियमित योगाभ्यास करने से मानव आंतरिक शांति को प्राप्त कर पूरे दिन सक्रिय बना रह सकता है। योग करने के कारण मानव का शरीर लचीला बनता है जिससे रक्त संचार पूरे शरीर में अच्छी तरह से होता है जो कि शरीर के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण है। आजकल के प्रदूषित व तनावपूर्ण जीवन को सुखमय बनाने हेतु योग एक वरदान के रूप में मानव जीवन को प्राप्त हुआ है जिसका समुचित उपयोग कर वह अपने व अपने आसपास के जनजीवन को भी प्रेरित कर सकता है। योग के विभिन्न आसन जैसे-शीर्षासन, भुजंगासन, सर्वागासन, धनुरासन, पद्मासन, सुखासन ये ऐसे आसन हैं जिन्हें नियमित रूप से करने पर बहुत अधिक लाभ पाये जा सकते हैं।
 

योग से शरीर व मन कैसे स्वस्थ रहता है

योगासन से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास होता है। प्राणायाम से शरीर के अन्दर शुद्ध वायु फेफड़ों में जाती है जिससे व्यक्ति की जीवन शक्ति का विकास होता है। प्राणायाम से नाड़ियाँ शुद्ध होती हैं। मन शान्त और एकाग्र रहता है। रक्त का आवागमन नियमित रूप से होता है। प्राणायाम से जुकाम, खाँसी, दमा, तपेदिक जैसे रोग नहीं होते हैं।
 

योग की अनिवार्यता

शरीर के स्वस्थ रहने पर ही मस्तिष्क स्वस्थ रहता है और मस्तिष्क से ही शरीर की सारी क्रियाएँ संपन्न होती हैं। योग के द्वारा ही हम शरीर को व मस्तिष्क को स्वस्थ व तनाव मुक्त रख सकते हैं। हमारे शरीर की कार्य क्षमता भी योग द्वारा ही बढ़ती है अतः योग हमारे जीवन के लिए अनिवार्य है।
 
मानव जीवन में योग का महत्त्वपूर्ण स्थान है। शरीर स्वस्थ व हल्का प्रतीत होता है। शरीर की सभी इन्द्रियाँ सुचारू रूप से काम करती हैं और मन प्रफुल्लित रहता है। इन्हीं गुणों से युक्त व्यक्ति ही देश और समाज का हित कर सकता है। बाबा रामदेव ने पतंजलि योग संस्थान के माध्यम से योग दर्शन की अनिवार्यता को भारत में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में स्थापित किया है। 'योग भगाए रोग' इस कथन को बाबा रामदेव ने अपने अभियान के माध्यम से प्रत्यक्ष चरितार्थ कर दिखाया है। आज हज़ारों व्यक्ति योगाभ्यास के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। भले ही कुछ ईर्ष्यालु और निहित स्वार्थ वाले लोग उनकी आलोचना करते रहे, लेकिन उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य के अभियान को एक विश्वसनीय दिशा प्रदान की है, अतः प्रत्येक व्यक्ति के लिए योग अनिवार्य है।
 

योग की प्रमुख क्रियाएँ

जैसे-आसन, प्राणायाम, ध्यान आदि की चिकित्सा जगत में स्वास्थ्य सुधार, कुछ रोगों के उपचार, शारीरिक मुद्रा सुधार तथा तनावों को कम करने में प्रयोग किया जा रहा है।योग की प्रमुख क्रियाएँ पद्मासन, पश्चिमोक्रानासन, सर्वांगासन, धनुरासन, शवासन, सूर्यनमस्कार आदि हैं।
 
शीर्षासन से शीर्ष की ओर रक्त प्रवाह समुचित होने से दिमाग सुचारू और प्रभावी ढंग से कार्य करता है वहीं भुजंगासन व धनुरासन से पीठ से संबंधित बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। पद्मासन की स्थिति में बेठने पर रीढ की हड्डी स्वतः ही सीधी अवस्था में आ जाती है जिससे हमारी रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है और कमर दर्द की शिकायत से निजात पायी जा सकती है। सुखासन की स्थिति में बैठकर भोजन करने पर भोजन सही तरीके से चयापचय की स्थिति में आ जाता है जिससे पेट संबंधित बीमारियाँ नहीं होतीं।अतः योग एक ऐसी कला है जिससे मानव जीवन सुखी व समृद्ध बन सकता है और आत्मोन्ति के मार्ग पर अग्रसर होते हुए अपने जीवन को सफल बना सकता है।
 

योग से मिलने वाले लाभ

योगासन से शरीर की हड्डियाँ, मस्तिष्क, यकृत, गुर्दे आदि शारीरिक अंग स्वस्थ तथा क्रियाशील बनते हैं। शरीर का रक्त संचार ठीक बना रहता है तथा स्मरण शक्ति बढ़ती है। शरीर का मोटापा दूर करने में योगासन बहुत उपयोगी होता है। 

उपसंहार 

आज यह प्रमाणित हो चुका है कि योग के माध्यम से असाध्य रोगों पर भी नियन्त्रण किया जा सकता है, अतः अस्पताल बढ़ाने को आतुर सरकार और अर्थलोलुप लोग, स्वास्थ्य रक्षा में योग की भूमिका को स्वीकार करें और उसे लोगों की दिनचर्या में उचित स्थान दिलाएँ, यह आज की महती आवश्यकता है। औषधियाँ कभी स्वास्थ्य का विकल्प नहीं हो सकतीं।

योग भारतीय संस्कृति का गौरव है। यह विद्या हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाती है। योग को अपनाकर हम न केवल अपना जीवन बेहतर बना सकते हैं, बल्कि पूरे विश्व को भी एक स्वस्थ और खुशहाल स्थान बना सकते हैं।

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