श्री माड़भूषि रंगराज अयंगर जी का आत्म परिचय व लेखन चर्चा

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श्री माड़भूषि रंगराज अयंगर जी का आत्म परिचय व लेखन चर्चा मेरी रचनाओं और प्रकाशनों के बारे में मेरे लेखन की प्रक्रिया का आरंभ 13 वर्ष की किशोरावस्था

मेरी रचनाओं और प्रकाशनों के बारे में


मेरे लेखन की प्रक्रिया का आरंभ 13 वर्ष की किशोरावस्था में अपनी अनुजा के लिए लिखी एक रचना से हुआ। उस रचना को मिली सराहना से मेरा मनोबल बढ़ा और मैं अपनी भावनाओं को लिखित रूप में अभिव्यक्त करने लगा। यह अभिव्यक्ति कभी कविताओं तो कभी कहानियों और लेखों के माध्यमों से होती रही। अपने सामाजिक पारिवारिक और कार्यालयीन जीवन के अनुभवों को मैंने संस्मरणों के रूप में कागज पर उतारा। समय-समय पर ये रचनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं में और समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहीं। इन सभी रचनाओं को संकलित और सुरक्षित रखने के उद्देश्य से मैंने लक्ष्मीरंगम नामक हिंदी ब्लॉग बनाया और वहाँ पर इन्हें प्रकाशित करता गया। वहाँ भी पाठकों से मुझे बहुत अच्छी प्रतिक्रियाएँ मिलीं।
 
अनुशासनिक बंधनों की वजह से नौकरी के दौरान प्रकाशन की तरफ ध्यान नहीं दिया जा सका । सेवानिवृत्त होने के बाद मैंने अपनी रचनाओं को पुस्तकों के रूप में लाने का विचार किया । 2016 में मेरी पहली पुस्तक साकार रूप में सामने आई, जिसका नाम है दशा और दिशा। यह पुस्तक मेरी कविताओं, कहानियों और लेखों का मिला-जुला संग्रह है। मानव मन के मनोभाव, बदलते समाज पर प्रतिक्रिया, विचारों के मंथन से उपजे लेख एवं व्यंग्य रचनाओं को आप इसमें पाएँगे। इसमें समाहित लेख ‘हिंदी: दशा और दिशा’ पाठकों द्वारा बहुत अधिक पसंद किया गया है। यह लेख विभिन्न पत्रिकाओं और समाचार पत्रों  में प्रकाशित हो चुका है। यह पुस्तक प्रकाशक ऑनलाइन गाथा, द एंडलेस टेल - लखनऊ पर बेस्ट सेलर ऑफ ईयर 2016 और ऑल टाइम बेस्ट सेलर भी घोषित हुई। प्रकाशक ने पुस्तक पर इस आशय का लोगो भी लगाकर दिया है। दशा और दिशा पर पाठकों के सुझाव और प्रतिक्रियाओं से मेरी दूसरी पुस्तक मन दर्पण का स्वरूप निर्धारण करने में बहुत मदद मिली और मई 2017 में मेरी यह कृति भी प्रकाशित होकर पाठकों तक पहुंची । कविता प्रेमियों के लिए इस पुस्तक में विविधरंगी कविताओं का संग्रह है। अधिकतर कविताएँ मुक्त छंद एवं भावप्रवण हैं। पर्यावरण, परिवार, जीवन – दर्शन और प्रकृति के अलावा देश तथा समाज का वातावरण, अपनी मानसिकता और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति, आदि इन कविताओं के विषय बने। इस पुस्तक में छिटपुट गद्य रचनाओं को भी रखा गया है जो संस्मरण, कहानी एवं लेख के स्वरूप में हैं।
 
हिंदी भाषा से मुझे विशेष प्रेम एवं लगाव रहा है। हिंदी से संबंधित कुछ भी नया सीखने को मैं हमेशा तत्पर रहता हूँ। अतः मैंने हिंदी भाषा संबंधी अपने विचार और विविध माध्यम से प्राप्त ज्ञान को भी लेखों के रूप में संकलित किया। इसके परिणाम स्वरूप मेरी तीसरी पुस्तक हिंदी प्रवाह और परिवेश बनकर तैयार हुई,  जिसका प्रकाशन 2018 में हुआ। मेरे विचार में यह पुस्तक हिंदी भाषा के शिक्षकों, विद्यार्थियों और सीखने के उत्सुक जनों को अवश्य ही उपयोगी सिद्ध होगी। हिंदी भाषा संबंधी मेरे अनुभवों का एक और संग्रह मेरी सातवीं पुस्तक के रूप में, वर्ष 2022 में प्रकाशित हुआ। ‘हिंदी भाषा (सुझाव और विमर्श)’ शीर्षक से मेरी यह पुस्तक राजभाषा हिंदी के अनेक पहलुओं को उजागर करती है। हिंदी का उच्चारण, हिंदी की वर्तनी में परिवर्तन, हिंदी बोलना-पढ़ना-लिखना, व्यवहारिक हिंदी, हिंदी दिवस की सार्थकता आदि विषयों पर अनेक लेख इसमें समाहित किए गए हैं, जिसमें हल्की-फुल्की चर्चा से लेकर हिंदी के गूढ़ गंभीर स्वरुप को भी छूने का प्रयास किया है। यह पुस्तक भी हिंदी सीखने - सिखाने में उपयोगी हो, जो मैंने सीखा वह अन्यों के भी काम आ सके, इस बात की पूरी कोशिश इन लेखो में की गई है।

हिंदी भाषा संबंधी इन दो पुस्तकों के बीच मेरी तीन और पुस्तकें –  ‘अंतस के मोती’,  ‘गुलदस्ता’ और ‘ओस की बूँदें’ क्रमशः वर्ष 2019, 2020 और 2021 में प्रकाशित हुईं। 

‘अंतस के मोती’ पूर्णतः गद्य रचनाओं का संग्रह है। इसमें रोचक और प्रेरक कहानियों के साथ चंद लेख भी जोड़े गए हैं। इन रचनाओं का कथानक आसपास के वातावरण एवं घटनाओं से प्रेरित है, इसीलिए पाठक बड़ी सहजता से इन कहानियों से स्वयं को जोड़ लेता है इसे ही मैं एक पुस्तक की सफलता मानता हूँ। इस पुस्तक में मेरी अनुजा माडभूषि उमा की दो कहानियों एवं एक लेख को भी शामिल किया गया है। 

मेरी पाँचवी पुस्तक ‘गुलदस्ता’ को आप विभिन्न विषयों पर मेरे द्वारा लिखे गए समसामयिक एवं अन्य लेखों का गुलदस्ता मान सकते हैं। अपनी पुस्तकों के प्रकाशन के सफर में आई हुई अड़चनें, मिले हुए खट्टे-मीठे अनुभव, प्रूफ्र रीडिंग का कार्य आदि पर कई लेख इसमें मिलेंगे। नवोदय लेखकों को पुस्तक प्रकाशन के वक्त यह बहुत काम आएँगे, ऐसा मुझे विश्वास है। ‘संप्रेषण और संवाद’, ‘अनुवाद’ आदि अन्य लेखों को भी पाठकों की काफी सराहना मिली। 

श्री माड़भूषि रंगराज अयंगर जी का आत्म परिचय व लेखन चर्चा
मेरी छठी पुस्तक ‘ओस की बूँदें’ शीर्षक से प्रकाशित है। यह साझा काव्य संग्रह है, जिसमें मेरे साथ मुंबई की हिंदी शिक्षिका और ब्लॉगर श्रीमती मीना शर्मा ने अपनी कविताओं को प्रस्तुत किया है। कविता प्रेमियों के मानस को यह पुस्तक ओस की बूँदों की तरह ही शीतल, निर्मल और प्रफुल्लित कर पाए, यह इस संकलन का उद्देश्य रहा। इसमें प्रेम प्रकृति जीवन दर्शन और रिश्तो की वे कविताएँ हैं जो मेरे हृदय के करीब हैं। 

प्रकाशन के क्रम में मेरी आठवीं पुस्तक है – बिखरे सुमन। इसे मेरी पहली पुस्तक दशा और दिशा का पुनःप्रकाशन माना जा सकता है। इसमें कुछ अतिरिक्त रचनाएँ भी शामिल हैं।

नवीं पुस्तक अंग्रेजी में है। 4 एम : मिनी मेटर्स मेटर मोर (4M Mini matters Matter More) छोटी-छोटी कहानियों के रूप में मेरी अनुभवों का खुलासा है। यह सामाजिक, पारिवारिक और कार्यालयीन अनुभवों का समावेश है।

इस पुस्तक को काङी सराहना मिली। पुणे की फ्लेम (Flame University, Pune) विश्वविद्यालय नें इस पुस्तक को एम बी ए (MBA – HR – final year)  अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए इंडस्ट्रियल रिलेशंस विषय की पुस्तक रूप में चुन लिया गया है। एक सत्र 2023-24 में छात्र इस पुस्तक को पढ़ चुके हैं। उनके प्रेजेंटेशन्स को पुस्तक रूप देने की कोशिश हो रही है।

पुस्तक हिंदी भाषा – सुझाव व विमर्श स्कूली छात्रों व शिक्षकों के बीच बहुत प्रचलित हुई है। विबिन्न कारयालयों में कर्मचारियों को और उनके बच्चों को यह पुस्तक बाँटी गई है। हिंदी के विभिन्न प्रतियोगिताओँ में भी इस पुस्तक को पुरस्कार स्वरूप दिया गया है।

पुस्तक के विषय में विश्वविद्यालयीन मानव संसाधन विभाग के विभागाध्यक्ष का संदेश भी प्रेषित है। 


जन्म 13 अक्तूबर, 1955 को आँध्रप्रदेश के जिला पश्चिम गोदावरी के एक छोटे से गाँव पेंटापाडु में हुआ। दादाजी और पिताजी की नौकरीवश बचपन बिलासपुर , छत्तीसगढ़ में बीता। फलस्वरूप शालेय पढाई , बी एस सी और अभियाँत्रिकी की शिक्षा भी बिलासपुर में ही हुई। बाद में नौकरी के दौरान दिल्ली से प्रबंधन में डिप्लोमा किया।

शालेय शिक्षा के दौरान 13 वर्ष की उम्र (सन् 1968) में पहली कविता ‘ताजमहल’ लिखी गई, जिसे मेरी अनुजा ने स्टेज पर पढ़ा और उसे बहुत सराहना मिली । यही सराहना धीरे-धीरे मेरी अन्य रचनाओं का कारण बनीं। घर पर पिताजी को साहित्य का शौक था। शायद उसी का असर है कि मुझे साहित्य में रुचि हुई।

वर्ष 1982 में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में नौकरी शुरू हुई। उस दौरान कार्यालय की विभिन्न गृह पत्रिकाओं में मेरी कविता प्रकाशित होती रही। इसके अलावा नागपूर और राजकोट में रेल्वे की गृह पत्रिकाओं में भी मेरी कविताओं का प्रकाशन हुआ। नराकास (नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति) राजकोट, वड़ोदरा और नागपुर की पत्रिकाओं में भी मेरी रचनाएं प्रकाशित हुईं। गुजरात के समाचार पत्र और वाराणसी के एक प्रकाशन से भी मेरी रचना प्रकाशित हो चुकी है।

साहित्यिक शिक्षा के रूप में हिंदी साहित्य विषय के साथ हायरसेकंडरी परीक्षा मात्र ही मेरी हिंदी की उच्चतम शिक्षा है। दक्षिण भारतीय मूल का होने की वजह से किसी ने मुझे हिंदी में प्रवीण नहीं माना । हर जगह मैं अहिंदी भाषी ही माना गया।  इसीलिए पाठकों का इतना आदर मुझे जरूरत से बेहद ज्यादा महसूस होता है।
अनुशासनिक बंधनों की वजह से नौकरी के दौरान पुस्तक प्रकाशन की ओर ध्यान नहीं गया। वर्ष 2015 में इंडियन ऑयल से सेवानिवृत्ति के बाद प्रकाशन की पुरजोर सोच आई।  अब तक मेरी निम्न पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

पहली पुस्तक - दशा और दिशा (विविध रचनाएँ)
ISBN 978-93-85818-63-9, 
प्रकाशन – अप्रेल 2016
प्रकाशक – ऑनलाइन गाथा , लखनऊ।
यह पुस्तक उनके प्रकाशन की ऑल टाइम बेस्ट सेलर हुई।

दूसरी पुस्तक -  मन दर्पण (कविता )
ISBN 978-81-933482-3-9, 
प्रकाशन –  मई 2017
प्रकाशक – बुक बजूका पब्लिकेशन, कानपुर।

तीसरी पुस्तक -  हिंदी प्रवाह और परिवेश (हिंदी भाषा संबंधी लेख)
ISBN 978-93-87905-24-5, 
प्रकाशन –  मई 2018
प्रकाशक – इविंस पब्लिकेशन, बिलासपुर।

चौथी पुस्तक – अंतस के मोती (बहन उमा के साथ कहानी और लेखों का संकलन)
ISBN 978-93-88855-77-8
प्रकाशन –  मई 2019
प्रकाशक – इविंस पब्लिकेशन, बिलासपुर।

पाँचवीं पुस्तक – गुलदस्ता (समसामयिक लेख)
ISBN 978-81-946894-0-9 
प्रकाशन –  अगस्त 2020
प्रकाशक – बुक बजूका पब्लिकेशन, कानपुर।

छठी पुस्तक – ओस की बूंदें (श्रीमती मीना शर्मा जी के साथ साझा कविता संग्रह)
ISBN 978-93-5446-105-7
प्रकाशन – अप्रेल 2021
प्रकाशक – इविंस पब्लिकेशन, बिलासपुर।

सातवीं पुस्तक – हिंदी भाषा (सुझाव और विमर्श) – हिंदी पर विशेष लेख
ISBN 978-93-5515-225-1
प्रकाशन जुलाई 2022
प्रकाशक  बुकरिवर, लखनऊ।
यह पुस्तक हिंदी विद्यार्थियों व शिक्षकों को खूब भायी। 

आठवीं पुस्तक – 4M Mini Matters Matter more 
ISBN  978-93-5673-381-7
प्रकाशन  अप्रेल 2023.
प्रकाशक – इविंस पब्लिकेशन, बिलासपुर।
इसे फ्लेम यूनिवर्सिटी, पुणें ने सत्र 2023-2024 मे / से एम बी ए के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के इंडस्ट्रियल रिलेशन्स विषय के पठन के लिए चुन लिया है। एक सत्र पूरा हो चुका है।

ऩौवीं पुस्तक – बिखरे सुमन 
ISBN – 978-93- 90719-34-1
प्रकाशन  मई 2023. 
प्रकाशन – इन्स्टा पब्लिशिंग, बिलासपुर.
यह पहली पुस्तक दशा और दिशा का पुनःक्रकाशन है। इसमें कुछ और रचनाएँ जोड़ी गई हैं।

इसमें से पहली पुस्तक दशा और दिशा प्रकाशक के पास ऑल टाइम बेस्ट सेलर हुई और अँग्रेजी पुस्तक 4M Mini Matters Matter More को फ्लेम यूनिवर्सिटी पुणे ने सत्र 2023-24 में / से  इंडस्ट्रियल रिलेशन्स विषय पढ़ाने के लिए चुना है। 

इनके अलावा श्री क्षेत्रपाल शर्मा जी, अलीगढ़ की पुस्तक ‘मेरे बीस गीत‘ को ऑनलाइन गाथा, लखनऊ से नवंबर 2016 में और श्रीमती मीना शर्मा जी, मंबई की पुस्तक ‘अब ना रुकूँगी ‘ को बुक बजूका प्रकाशन, कानपुर से जुलाई 2018 में और “तब गुलमोहर खिलता है” को बुकरिवर, लखनऊ से 2021 में प्रकाशित करने करवाने का पूरा भार सँभाला है। श्री अजय चौधरी की हिंदी कविता / शायरी की पुस्तक “दिल की कलम से“ और श्री मनु साईतेज रेड्डी की तेलुगु भाषा की एक नॉवल  “चेति लो चंद्रुडु” के प्रूफ रीडिंग व संपादन का विशेष कार्य भी पूरा किया है।

इन पुस्तकों के साथ-साथ मेरी रचनाएँ मेरे ब्लॉग

www.pratilipi.com , www.shabd.in & www.hindikunj.com पर देखी जा सकती हैं। 

www.hindikunj.com ने मेरे लिए एक विशेष पृष्ठ बनाया है।  
इसे https://www.hindikunj.com/p/mr.html पर देखा जा सकता है।

मातृभाषा तेलुगु है और साथ ही साथ हिंदी, बंगाली, असमिया, पंजाबी, गुजराती और अंग्रेजी   ठीक-ठाक बोल-पढ़-लिख लेता हूँ। टूटी-फूटी तामिल कन्नड़ और मराठी भी आती है। विशेष रुचि के कारण , लेखन हिंदी में ही होता है। वैसे साहित्य में रुचि के कारण किसी भी भाषा के साहित्य को पढ़ने का शौक रखता हूँ। मेरी आठवीं पुस्तक  अंग्रेजी में है।

पुस्तक अंतस के मोती का तेलृगु में अनुवाद हो रहा है. शायद 2025 के अंत तक प्रकाशित हो। अभी केरम पर एक पुस्तक पूरी होने को है जो मई 2024 तक प्रकाशित होगी। एक पुस्तक 4 M 2 शायद अगस्त 2024 तक प्रकाशित होगी।

नौकरी – महाराष्ट्र ( पेपर मिल) ,
हरियाणा ( इंडियन ऑयल), असम, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात  
अंत में फिर छत्तीसगढ़ से सेवानिवृत्त।

ज्यादातर समय – 1957 से 1979 तक लगातार, फिर 1991 से 2008 तक लगातार और फिर 2011 से 2015 तक छत्तीसगढ़ में। 

लेखन के अलावा कैरम मेरा दूसरा शौक है। इसमें मैंने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी अंपायरिंग किया है।

अन्य व्यक्तिगत शौक – 

पुराने हिंदी, तेलुगु व बंगाली फिल्मी गाने सुनना.
हिंदी की पुस्तकें पढ़ना.
बेडमिंटन , टी टी और लॉन टेनिस - देखना.


माड़भूषि रंगराज अयंगर /  Madabhushi Rangraj Iyengar
(एम आर अयंगर) / (M. R. Iyengar)
संपर्क : मो. 8462021340 : 9179315428
ई मेल        laxmirangam@gmail.com
पता  -      म.नं 1-20-381
    वेंकट साइ नगर,
               वेस्ट वेंकटापुरम,
    पोस्ट तिरुमलगिरि 500015
    सिकंदराबाद, तेलंगाना।

पेशा 1980 से 1982 तक बल्हारपुर इंडस्ट्रीस, बल्हारशाह ( महाराष्ट्र) में.
1982 से प्रस्तुतः इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में कार्यरत, 
सेवा निवृत्ति - अक्तूबर 2015 में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन पाइपलाइन डिविडन, कोरबा छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ निर्माण प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त )

स्थाई निवास 
म. संख्या - 1-20-381, वॆकटसाई नगर,
वेस्ट वेंकटापुरम, रोड  नं 18, तीसरा चौरस्ता
(किरण फंक्शन हॉल के पास)
पोस्ट - तिरुमलगिरी, पिन कोड 500015, 
सिकंदराबाद. तेलंगाना , भारत

COMMENTS

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  1. आपका हिंदी साहित्य के प्रति यह अगाध प्रेम और समर्पण जिसके हम सभी साक्षी हैं निरंतर हमें प्रेरित करता रहता है। हिंदी साहित्य जगत में आपका ये अमूल्य योगदान हिंदी विद्वानों के द्वारा सदैव स्मरण किया जाता रहेगा।

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