द्वंद्व का अंत | हिंदी कहानी

SHARE:

द्वंद्व का अंत हिंदी कहानी आदर्श और शृंखला दोनों एक दूसरे के साथ दांपत्य जीवन में खुशी-खुशी सुख से रहने लगे। द्वंद्व का समापन हो गया था

द्वंद्व का अंत
(भाग दो – द्वंद्व जारी है)


जैसे-जैसे समय बदलता गया, आदर्श का मन शीतल-भावनाओं से विरक्त होकर पारिवारिक कर्तव्यों की तरफ बढ़ने लगा। उसे अब धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि शीतल जैसी लड़की के लिए अपनी जिंदगी और समय बर्बाद करने का कोई औचित्य नहीं है। इसी बीच उसकी नौकरी एक सरकारी कंपनी में लग गई। वह बीती हुई सभी बातों को छोड़कर जीवन के मजे लेने लगा। इसी बीच उसने गाँव में सबसे बड़ा घर बनाकर और एक कीमती कार खरीदकर अपने बचपन के सपने को पूरा किया । इससे गाँव में उसकी और उसके परिवार की साख और भी बढ़ गई।

गृह-प्रवेश होते ही घर वालों ने उसकी शादी की बात शुरु कर दिया। अब आदर्श का मन इन्हीं खयालों में रहने लगा कि जल्दी एक सुशील , शिक्षित, संस्कारी और खानदानी लड़की से, उसकी शादी हो जाए जिससे वह शीतल को हमेशा के लिए मन से निकाल सके।

अभी घरवालों ने लड़की देखना या कहें दुल्हन तलाशना शुरु किया ही था कि आदर्श की कंपनी ने उसका तबादला जामनगर कर दिया। बार-बार लड़की देखने के लिए वहाँ से घर आना आदर्श को भारी पड़ रहा था, जिससे संबंध तय करने में बाधा आने लगी । हर बार के बुलावे पर वह घर आ नहीं पाता था और लड़की वाले आदर्श की सुविधानुसार लड़की दिखाने में असमर्थ हो रहे थे । उधर घरवाले भी परेशान हो रहे कि घर के पास रहते ही शादी कर दिया होता, तो सही रहता। नए जगह में उसको खाने पीने की जो दिक्कत आ रही थी, वह तो कम से कम बच जाती।
 
द्वंद्व का अंत | हिंदी कहानी
घर वालों को जैसे ही किसी लड़की वालों का समाचार आता , वे उसे तुरंत आदर्श को भेज देते और आदर्श लड़की के बारे में जानकर निश्चित करता कि आगे बढ़ना है या नहीं । कुछ सही लगे तो फोटो मँगवाने की बात होती । फोटो के आने पर आदर्श तय करता कि लड़की देखनी है या नहीं। देखनी हो तो समय निश्चित कर अपनी छुट्टी का जुगाड़ कर आदर्श घर पर बताता । उसी प्रकार से लड़की वालों को खबर दी जाती । यदि सहमति बनी तो तयशुदा दिन आदर्श घर पहुँचता , लड़की देखता और सोच कर बताने की कहकर वापस आ जाता । जो थोड़ा बहुत समय घर पर मिलता था उसमें वह अपने घर के सदस्यों से इस बारे में चर्चा कर लेता, पर निर्णय जामनगर आकर ही देने की बात करता।

इसी शृंखला में घर वालों ने एक लड़की का बायो-डाटा भेजा । संयोगवश उस लड़की का नाम भी शृंखला ही था । बायो-डाटा देखकर ही शृंखला आदर्श को भा गई। उसने घरवालों से फोटो मंगवाने की फरमाइश कर डाला। कुछ दिनों में फोटो भी आ गई । लड़की फोटो में भी आदर्श को अच्छी लगी किंतु पूर्ण संतुष्टि नहीं हुई। समय पाने के लिए आदर्श ने घर वालों से छुट्टी नहीं मिलने की बहाना बनाया और पंद्रह दिनों का समय माँगा। उसकी सोच थी कि इन पंद्रह दिनों में कोई और बायो-डाटा नहीं आया तो वह शृंखला को देख आएगा।
 
अभी हफ्ता भर ही हुआ था कि सरकार ने कोरोना के कारण लॉक-डाउन की घोषणा कर दी। आदर्श का सारा बना-बनाया प्लान चौपट हो गया । आदर्श फिर उदास होता गया। कई महीनों तक तो वह घर भी नहीं जा पाया । लड़की देखने की बात तो धरी की धरी रह गई। इस बीच उसके मन में तरह -तरह के एहसास होने लगे। अपने सपनों की रानी को लिए वह अब तड़प की स्थिति की ओर बढ़ने लगा था। दिल के किसी कोने में यह डर भी सता रहा था कि इस बीच कहीं शृंखला का रिश्ता कहीं तय हो गया तो वह उससे वंचित रह जाएगा। हालाँकि वह शृंखला से पूरी तरह तसल्ली नहीं कर सका था, पर उसे पता नहीं क्यों कहीं न कहीं दिल के कोने में एक आस थी कि मुलाकात में उसकी रही सही समस्या का भी निदान हो जाएगा। उसका शृंखला की तरफ झुकाव उसे भी महसूस होने लगा था।

समय अपनी रफ्तार पर था । वह दिन  भी आया जब सरकार ने लॉक-डाउन पर छूट देना शुरु किया । आदर्श को घर जाने का मौका मिला। आदर्श इस माहौल में लड़की देखने को तैयार नहीं था , पर घर वाले चाहते थे कि मौका न गँवाया जाए और आदर्श कम से कम शृंखला को देख आए । घर वालों के दबाव में और अपने अंदर की आतुरता के कारण अंततः आदर्श एक दिन तय करके शृंखला को देखने उसके घर पहुँचा ।  शृंखला पर नजर पड़ते ही उसकी आधी समस्याएँ दूर हो गई और बात करने पर पूरी तरह से आश्वस्त हो गया।

घर वालों से बात करके आदर्श ने शृंखला से शादी के लिए अपनी सहमति जता दिया। घर वालों से बात शृंखला के घर तक पहुँची । आदर्श को वापस जामनगर भी जाना था । इसलिए कुछ ही दिनों में ही शृंखला के घरवाले भी आदर्श के घर आए। पूरे परिवार से मिले। घर-द्वार देखा और दोनों परिवारों ने आपसी और लड़का - लड़की की पसंद से रिश्तेदारी के बंधन में बँध जाने का निर्णय लिया। सामाजिक व धार्मिक परिपाटियों के तहत देव उठनी एकादशी का इंतजार करना पड़ा।

देव उठनी एकादशी के आते ही दोनों परिवारों ने मिलकर आदर्श के जनम दिन को ही  नारियल फोड़ने के लिए निश्चित किया।

नारियल फोड़ने की इस तिथि को तय करने के पीछे आदर्श का भी बड़ा हाथ था। पिछले कुछ सालों से अपने जन्मदिन को भी आदर्श कुछ अनमना सा रहने लगा था । उसकी जन्मदिन की खुशी में शीतल से उसी दिन बिछड़ने का भी गम शामिल हो जाता था । इसीलिए वह इस दिन की यादों में अपनी नई खुशी को शामिल करके, पुराने गम को हमेशा के लिए भुला देना चाहता था । 27 तारीख  आदर्श का जन्मदिन था और शायद इसीलिए 27 को आदर्श शुभ भी मानता था । इसी के साथ उसकी कड़वी यादों के दिन को खुशनुमा बनाना चाहता था। उस समय तक यह राज केवल आदर्श को ही पता था। उसने अपने जनम दिन के एहसासों को खुशी में तबदील करने का ठोस तरीका ढूंढ लिया था।

तयशुदा दिन शृंखला के घर पर नारियल फूटा और दोनों परिवार  एक होने का निश्चय कर गए। दोनों परिवारों में खुशी की लहर चल पड़ी । उनकी खुशी का ठिकाना ही न था। शृंखला ने जन्मदिन के अवसर पर आदर्श को बहुत सारे तोहफे भेजे जिसमें एक घड़ी प्रमुख थी।

दोनों परिवारों ने मिलकर प्रमुखों के सान्निध्य में मई में शादी की तारीख तय कर दिया । शुभ मुहूर्त देखकर बड़ों ने जनवरी में उनकी सगाई भी कर दिया। अब क्या था, वे एक दूजे के होने ही वाले थे। अब देर रात तक और समय - बे - समय उनकी बातचीत होती रहती थी। आश्चर्य की बात यह हुई कि एरेंज्ड-मेरेज उनके दैनंदिन वार्तालाप से लव मेरेज में बदलती जा रही थी। अक्सर प्यार के बाद जोड़े प्रणय-बंधन में बँधने की सोचते हैं किंतु यहां शादी तय होकर सगाई के बाद उनका प्यार पनपने लगा था । इससे दोनों में आपसी लगाव दिन दूना - रात चौगुना बढ़ने लगा और दोनों में शादी की आतुरता होने लगी। एक-एक दिन दोनों पर भारी पड़ रहा था। वे अलगाव के दिनों को कम करना चाह रहे थे जबकि मिलन तो होना अभी बाकी था।

अब जाकर आदर्श को पूरी तरह विश्वास हो गया कि जो भी होता है अच्छे के लिए होता है। अब तक जिस शीतल के छोड़ने पर वह भगवान को कोसता था , अब उसी घटना के लिए वह भगवान को धन्यवाद देने लगा। शीतल के छोड़ने पर ही उसे शृंखला मिली थी वरना वह तो इससे वंचित ही रह जाता।

अब दोनों परिवारों में शादी की तैयारियाँ जोरों पर थी। आदर्श घर का बड़ा बच्चा था इसलिए भी परिवार के लिए यह एक खास आयोजन था। उधर श्रृंखला के घरवाले भी धूमधाम से शादी करने की तैयारी में थे । किंतु किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।  कोरोना ने फिर अपना सर उठाया। लॉक-डाउन वापस आ धमका। कोरोना के डर से लॉक-डाउन के दौरान किसी भी आयोजन में 15-20 से ज्यादा लोगों के शामिल रहने की अनुमति नहीं थी। आयोजन को सादा ही रखना था किसी तरह की पार्टी या नाच गाना (डिस्को जॉकी) किसी की भी अनुमति नहीं थी। दोनों परिवारों में मायूसी छा गई कि अब आयोजन कैसे करें ?  खासकर आदर्श के घरवाले ज्यादा दुखी थे क्योंकि यह उनके घर की पहली शादी थी।

शादी धूमधाम से करने की तमन्ना धूमिल हो रही थी । कोरोना था कि घटने का नाम ही नहीं ले रहा था जिससे कि सरकारी बंदिशें हटें। हालातों से सामंजस्य बनाते हुए आदर्श ने लग्न की तिथि को आगे बढ़ाने- बदलने का प्रस्ताव रखा लेकिन बुजुर्गों ने यह कहकर मना कर दिया कि लग्न को बदलना अशुभ होता है।
 
उधर हर दिन आदर्श और शृंखला इसी बात की चर्चा करते कि किस परिवार में क्या सोचा जा रहा है ? तैयारियाँ किस तरह चल रही हैं । किन-किन रिश्तेदारों को सीमित अतिथियों में शामिल किया जा रहा है.. वगैरह-वगैरह। दोनों का दिल दुखित होता पर मन मारकर एक दूसरे को अपना दुखड़ा सुनाते हुए, आँसू बहाते । उनको लगता था कि यह सब उनके साथ ही क्यों हो रहा है ? उसके इस दुखी मन में फिर से भगवान के होने न होने का विचार आने लगा।

होनी ने उन्हें इतने पर भी नहीं बख्शा। दोनों परिवारों का एक-एक सदस्य कोरोना की चपेट में आ गया। अब हालातों से मजबूर दोनों परिवारों ने सम्मिलित निर्णय लिया कि अब तो लग्न को आगे बढ़ाना ही होगा। अभी के लिए मुहूर्त टल गया। इसी के साथ आदर्श और शृंखला का इंतजार और बढ़ गया। उनमें नई तारीख की जिज्ञासा होने लगी और शादी की आतुरता चरम पर पहुँचने लगी।

आदर्श अपने विवाह में बार-बार हो रहे रुकावटों से खिन्न था । उधर शृंखला का भी करीब वही हाल था किंतु वह आदर्श को समझाती कि नियति उनकी परीक्षा ले रही है। उन्हें हिम्मत से काम लेना है। दांपत्य जीवन के सही शुरुआत से पहले ही वे परस्पर दुख-सुख के भागी होने लगे थे।

जब समय अनुकूल हुआ तो बुजुर्गों ने दूसरा लग्न देखा तय किया , अब 27 जून। आदर्श और शृंखला  दोनों के मन में खुशी की लहर उठी , लड्डू फूटे । एक संशय भी घर कर गया था कि न जाने सरकार कितने अतिथियों की अनुमति देगी। अब हर कोई चाह रहा था कि जो भी हों, जितने भी बंधन हों, इस लग्न पर शादी हो ही जानी चाहिए। इसी निर्णय के साथ पुनः तैयारियाँ की गई। सरकारी आदेशानुसार सीमित अतिथियों की उपस्थिति में धूम-धाम से आदर्श और शृंखला की शादी संपन्न हुई।
 
अब आदर्श की दुविधा का भी पूर्ण समाधान हो चुका था । जन्मदिन के बीच कड़वाहट का वह बीज भी निकल चुका था और उसकी जगह खुशी ने ले ली थी। अब आदर्श के मन में द्वंद्व जैसी कोई स्थिति नहीं थी। वर्षों से चली आ रही आदर्श के द्वंद्व का अंत हो गया।

आदर्श और शृंखला दोनों एक दूसरे के साथ दांपत्य जीवन में खुशी-खुशी सुख से रहने लगे। द्वंद्व का समापन हो गया था।

कहानी के पहले भाग को यहाँ से पढ़ें 


एम.आर.अयंगर.8462021340,7780116592,वेंकटापुरम,सिकंदराबाद,तेलंगाना-500015  laxmirangam@gmail.com

COMMENTS

Leave a Reply: 2
  1. पहला भाग भी मैंने पढ़ा है। दूसरे भाग में भी पाठक की उत्सुकता को अंत तक बरकरार रखने में आप सफल हुए हैं। सीधी सरल भाषा और तारतम्यता के कारण कहानी कहीं से भी बोर नहीं होने देती।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार मीना जी - अपना प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने को लिए।

      हटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,4,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,6,कविता,1466,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,32,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,34,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,75,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,198,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,138,प्रयोजनमूलक हिंदी,37,प्रेमचंद,45,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,13,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,7,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,56,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,32,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,43,समसामयिक हिंदी लेख,260,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,19,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,85,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,415,हिंदी लेख,527,हिंदी व्यंग्य लेख,13,हिंदी समाचार,179,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,10,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,407,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,674,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,44,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,21,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,45,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: द्वंद्व का अंत | हिंदी कहानी
द्वंद्व का अंत | हिंदी कहानी
द्वंद्व का अंत हिंदी कहानी आदर्श और शृंखला दोनों एक दूसरे के साथ दांपत्य जीवन में खुशी-खुशी सुख से रहने लगे। द्वंद्व का समापन हो गया था
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEheqz6dKyaUHlEEjZbHIp200GgVrvFk6dQFQFd0983TS9wUXKF_1T4Ulc4ZYPhSTg8h1bgO_kCVdqLuYtpvYEUNXzO42Ce6LLjRLauVRuM958HNAYCb85HnoWr2fTBSacEafKv8wkG21HZwplmgKaxGk070dKZgSUA-Q2tKnQEph9yo1m8OJjg62L26Ponf/w256-h320/dwand-ka-ant.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEheqz6dKyaUHlEEjZbHIp200GgVrvFk6dQFQFd0983TS9wUXKF_1T4Ulc4ZYPhSTg8h1bgO_kCVdqLuYtpvYEUNXzO42Ce6LLjRLauVRuM958HNAYCb85HnoWr2fTBSacEafKv8wkG21HZwplmgKaxGk070dKZgSUA-Q2tKnQEph9yo1m8OJjg62L26Ponf/s72-w256-c-h320/dwand-ka-ant.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2023/07/dwand-ka-ant-hindi-kahani.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2023/07/dwand-ka-ant-hindi-kahani.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका