नादान उम्र के बच्चे समझते नहीं माता पिता की भाषा

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नादान उम्र के बच्चे समझते नहीं माता पिता की भाषा मां पिता पुत्र पुत्री भाई बहन इसके बाद कोई नहीं रक्त सम्बन्ध जब इनके बीच होती अनबन तब बहुत ज्याद

नादान उम्र के बच्चे समझते नहीं माता पिता की भाषा


मां पिता पुत्र पुत्री भाई बहन 
इसके बाद कोई नहीं रक्त सम्बन्ध  
जब इनके बीच होती अनबन 
तब बहुत ज्यादा दुखी होता मन!

ये रक्त रिश्ते ऐसे होते 
जो अमूमन कभी नहीं शत्रु होते
अगर इनमें लड़ाई झगड़ा होते 
तो जरूर कोई दूसरे शामिल होते!

इन छः जैविक रिश्तों के इर्द-गिर्द 
जुड़े होते सारे बने बनाए गए रिश्ते 
बनाए गए रिश्ते रिश्तेदारी निभाने में
नकारात्मक तो नहीं,पर उदासीन होते!

मां पिता पुत्र पुत्री बहन भाई की क्षति से 
मानव जितना अधिक शोक संतप्त मर्माहत होता 
उतना दुःख धर्म माता-पिता, धर्म पुत्र-पुत्री,
धर्म बहन-भाई की क्षति से कदापि नहीं होता!

ऐसे में अपने रक्त रिश्ते के प्रति वफा करने
या वफादार होने से सब रिश्ते की वफाई होती!
 
अकसर नादान उम्र के बच्चे 
समझते नहीं मां पिता की भाषा!

नादान उम्र के बच्चे समझते नहीं माता पिता की भाषा
नादान उम्र के बच्चे समझते 
हमउम्र साथियों के सलाह मशविरे 
कम उम्र के संगी साथी बिनपेंदी लोटा होते
बेसिरपैर सलाह देते फौरी तौर पर 
जिससे सुकुमार मन पर होता तुरंत असर!

ऐसा कि मां पिता के सारे शिक्षा संस्कार 
हो जाते बेअसर काफूर कोसो दूर 
कम उम्र के बच्चे आकर्षित होते सुन्दरता पर!
 
कोई चाहे तो बच्चे की निगाह से 
बिना गुण दोष जाने परखे जीव जगत की
निरपेक्ष सुन्दरता तय कर ले सकते!

सांप बिल्ली कुत्ते सुन्दर जीवों में से एक होते 
जिसे बच्चे छूना पकड़ना हासिल करना चाहते 
मगर ये विषैले जानलेवा विषाणु युक्त होते!
 
बच्चों को ऐसे जीवों के सम्बन्ध में प्रथम ज्ञान 
कोई गुरु उस्ताद गुरुकुल मदरसा नहीं देता 
हमउम्र साथी ऐसे प्राथमिक ज्ञान से वाकिफ नहीं होता
ऐसे में मां-पिता से अच्छा कोई ज्ञान नहीं दे सकता 
मां पिता से उमदा कहीं कोई नहीं पाठशाला मदरसा! 

वो सारी पढ़ाई जो स्कूल कालेज में पढ़ाई नहीं जाती 
वो सारी जानकारी मां पिता द्वारा उचित समय में दी जाती!


कोई सलाहकार तो दुष्परिणाम के बाद सलाह देता
सर्पसत्र यज्ञ करने, बिल्ली कुत्ते का वंश उच्छेद करने 
मगर कोई माता-पिता कभी ऐसा विचार नहीं देते!

मां पिता निज वंश की भलाई के लिए
पराए वंश को उजाड़ना नहीं सिखाते, 
शत्रु स्वभाव के जीव से परहेज करना सिखाते!
 
अकसर नादान उम्र के बच्चे 
मां पिता के विचार से असहमत होते 
उनसे अपनी असहमति पर सहमति चाहते!
 
ऐसे में लिए गए निर्णय से 
बच्चों के भविष्य पर बुरा असर पड़ता 
कच्ची उम्र के निर्णय का कच्चापन 
बचपन नहीं परिपक्व उम्र में पता चलता 
तबतक सबकुछ बिगड़ चुका होता!

मानव जीवन का अनुभव कहता 
कि मां पिता के निर्णय से संतान की भलाई होती 
मां पिता से बड़ा शुभचिंतक कोई नहीं जग में होते!



- विनय कुमार विनायक 

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