हिन्दी जनमानस की भाषा हिन्दी का प्रयोग प्रतिदिन किया जा रहा हो ,सर्वाधिक लोगों द्वारा व्यवहार में लाई जा रही हो तब भी हिन्दी को एक दिवस तक कैसे सीमित
हिन्दी दिवस का चिन्तन
14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी l यह वह समय था जब आज़ादी की जंग में हिन्दी एक संपर्क और क्रांतिकारी भाषा के रूप में अस्तित्व में आई थींl उत्तर से दक्षिण पूरब से पश्चिम हिन्दी भाषा ही प्रभावी हुयी थीं l स्वतंत्रता आन्दोलन में हिन्दी जनसम्पर्क द्वारा भारत संघ को एक सूत्र में पिरोया था l सन 1918 में दक्षिण भारत प्रचार सभा की स्थापना हिन्दी की लोकप्रियता का ही प्रमाण है l सी पी रामास्वामी अय्यर, टी आर वेंकटराम शास्त्री , एन सुन्दर अय्यर ने हिन्दी के प्रचार प्रसार में योगदान दिया l 1922 में मोटूरी सत्यनारायण की सहायता से नेल्लूर में आंध्र शाखा खोली गयी 1932 में केरल और 1935 में कर्नाटक में शाखाएँ खोली गयी l 1922 में हिन्दी का प्रचार बढ़ने पर स्वतंत्र प्रेस खोला गया ,यह हिन्दी की दक्षिण भारत में बढती लोकप्रियता थीं l
हिंदी भाषा की लोकप्रियता
यही कारण था कि गाँधी जी ने सन 1918 में इंदौर में हिन्दी साहित्य सम्मलेन में ही हिन्दी को जनमानस की भाषा कहकर हिन्दी के राजभाषा होने का संकेत दिया था l आगे चलकर 14 सितम्बर 1949 को भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय 1 की धरा 343(1 ) में हिन्दी को संघ की राजभाषा और लिपि देवनागरी को स्वीकृत किया गया l इसके साथ ही धारा 344 में राष्ट्रपति द्वारा राजभाषा आयोग एवं समिति के गठन, अनुच्छेद 345, 346 347 में प्रादेशिक भाषाओं सम्बन्धी प्रावधान रखें गए l अनुच्छेद 348 में उच्चतम न्यायालय , उच्च न्यायालयों , संसद और विधान मंडलों में प्रस्तुत विधेयकों की भाषा अनुच्छेद 349 में भाषा सम्बन्धी विधियाँ , 350 में मातृभाषा एवं भाषायी अल्पसंख्यकों का प्रावधान तथा अनुच्छेद 351 में सरकार के कर्तव्यों एवं दायित्वों का उल्लेख किया गया l
सन 1955 में माननीय राष्ट्रपति द्वारा श्री बाल गंगाधर खेर की अध्यक्षता में किया गया l इसमें हिन्दी के विकास के लिए 20 सूत्रीय कार्यक्रम बनायाl इसका उद्देश्य था कि प्रशिक्षण और निरीक्षण के द्वारा धीरे- धीरे अंग्रेजी का स्थान हिन्दी भाषा ले l सालों बीते परन्तु राजभाषा हिन्दी की दशा में कोई सुधार नहीं हो पाया l सन 1976 में राजभाषा अधिनियम ने राज्यों को उनके प्रयोग के आधार पर क,ख, और ग क्षेत्र में विभाजित करके नियमन कर दायित्व दिया l
हिंदी हमारी राजभाषा
भारतीय संविधान 26 जनवरी सन 1950 को लागू हो गया था l राजभाषा के सभी प्रावधानों के होने पर भी हिन्दी को राजभाषा बनाना चुनौतीपूर्ण थाl इस समय दक्षिण प्रदेशों में हिन्दी को सरकारी कामकाज की भाषा बनाना संभव नहीं था अतः 15 वर्षों ( सन 1965 ) तक राजकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा की छूट दी गयी l यह अवधि निरंतर बढती गयी और दक्षिण राज्यों ने हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार नहीं किया l सरकारी प्रशिक्षण , संगोष्ठियों , चिंतन शिविरों का कुल परिणाम यही है कि आज भी केन्द्रीय संस्थानों को छोड़कर हिन्दी का अनुप्रयोग जस का तस है l जब हिन्दी की बात उठती है तो क्षेत्रीय भाषा और अस्मिता के नाम पर राजनीति होने लगती है l इस प्रकार हिन्दी का जनाधार और समर्थन एक बहस बनकर रहा जाता है l विधायी शक्तियों के साथ- साथ सहयोगी इच्छा शक्ति के अभाव में राजभाषा को लागू किया जा रहा है l हिन्दी-दिवस मनाने की यह परम्परा अब प्रश्नों के साथ आने लगी हैl आखिर कब तक हम यूँ ही हिन्दी के दिवस को महज औपचारिकता से बाँधकर रखेंगेl
हिंदी रोजगार की भाषा बनें
प्रश्न यह भी है कि जब हिन्दी का प्रयोग प्रतिदिन किया जा रहा हो ,सर्वाधिक लोगों द्वारा व्यवहार में लाई जा रही हो तब भी हिन्दी को एक दिवस तक कैसे सीमित किया जा सकता है l हिन्दी दिवस पर इस बात को लेकर भी चिंतन हो कि हिन्दी रोजगार की भाषा बनेंl आज के अंग्रेजी प्रधान समय में हिन्दी स्वयं को सामानांतर प्रक्रिया के साथ न चलकर स्वतंत्र स्वरूप के साथ चलें l चिंतन इस बात का है कि हिन्दी केन्द्रीय कार्यालयों के अतिरिक्त क्षेत्रीय कार्यालयों में भी स्थान पाएँ l जब यह प्रश्न उत्तरित होंगे तभी गाँधी जी के अनुसार हिन्दी जनमानस की भाषा बन पाएगी l
जय हिन्द , जय हिन्दी l
- डॉ० सुशील कुमार
सम्प्रति प्रवक्ता, केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक 02 , जालंधर छावनी .
COMMENTS