हिन्दी एक समृद्ध भाषा है हिंदी भाषा के मधुर सपनों को सकार करके उनके मन में हिंदी के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना जागृत कर सकते हैं स्वतंत्र भारत
हमारी हिन्दी
हिन्दी एक समृद्ध भाषा है - बड़े गर्व के साथ इस बार भी हम सब 74 वां हिन्दी दिवस मनाने जा रहे है! संविधान सभा द्वारा इसे 14 सितंबर सन् 1949 को अंगीकार कर लिया गया ! सिर्फ अंगीकार ही नहीं किया गया बल्कि इसके प्रचार-प्रसार के लिए भी अनुच्छेदों को बनाया गया इसके लिए भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि हम सब इसके प्रचार प्रसार में एक अहम भूमिका निभायें,आज भारत तकनीकी की ऊंचाइयों को छू रहा है सिर्फ छू ही नही रहा है बल्कि जीवन के प्रत्येक छोटे बड़े कार्यों में योगदान दे रहा है !
'हिंदी' शब्द फारसी भाषा का दिया हुआ शब्द है इसे भाषा बनने में कई शताब्दियों तक संघर्ष करना पड़ा है आज जो हमारे सामने साफ-सुथरी खड़ी बोली (हिंदी) है इसे आधुनिकता में अभिव्यक्ति का माध्यम बनने में कई भाषाओं से गुजरना पड़ा है नामकरण भले ही किसी भाषा के द्वारा हुआ हो लेकिन यह हमारी आत्मा से जुड़ा है हमारे आजादी से जुड़ा हुआ है !
भारत पर जब तक विदेशी शासन व्यवस्था बनी रही तब तक हिंदी उपेक्षित रही इसे दबाया और कुचला गया विदेशी राजनीतिक पारियों में कभी भी यह फल- फूल नहीं पाई लेकिन कब तक ? नदी की धारा को कब तक रोका जा सकता है। राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बाद हिंदी ने अपना रास्ता बना ही लिया फिर भी इसे सहारे की जरूरत थी देश के आजादी के बाद भी उसे अन्य भाषाओं के समकक्ष नहीं रखा गया !
बड़े-बड़े नेताओं भाषा वैज्ञानिकों ने इसे स्वतंत्र भारत का राष्ट्रभाषा बनाने के लिए संघर्ष किया तो कुछ लोग क्षेत्रीयता के मोह में फंसकर हिन्दी के प्रति उदासीन रहे फिर भी इतनी डांवाडोल के बाद इसे सन् 1949 ईस्वी में राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ!
आज अंग्रेजी का उच्च स्थान है
अब इसे कहां तक पहुंचाना है हम भारतीयों को सोचना है अंग्रेजी जिस तरह सभी भाषाओं में उच्च स्थान पर आसीन है इसमें लोगों का आकर्षण है यही मोह हमारे देश में भी फैला हुआ है पता नहीं क्यों? कुछ उच्च सोसाइटी में,कंपनियों में,फैक्ट्रियों में इसे रोजगार का साधन और बोलना उच्च शिक्षित और शान समझा जाता है ! हिंदी बोलना उनके यहां गवांरु और पिछड़ेपन होने जैसा है कोई भाषा खराब नही होती और न ही उसे जानना और बोलना!
बुरा तो तब होता है जब भाषाई आधार पर किसी को आंकने का प्रयास किया जाता है हिंदी की सुप्रसिद्ध छायावादी कवियत्री महादेवी वर्मा ने कहा था- "किसी दूसरी भाषा को जानना गर्व की बात है लेकिन दूसरी भाषा को अपनी भाषा की राष्ट्रीयता देना शर्म की बात है!"
हिंदी दिवस सिर्फ एक तारीख नही और न ही हमें इसे तारीख भर याद करना चाहिए बल्कि इसके संघर्षों को आत्मसात करके इसे अपने भावी पीढ़ियों के साथ इसको समृद्ध करने कि हमें अथक कोशिश करते रहना चाहिए!
हिंदी भाषा की समृद्धि
आज हमारा हिंदी साहित्य,हमारे विज्ञान,हमारे बोर्ड हमारे समितियां, हमारे सम्मेलन इस कार्य में निरंतर प्रयासरत है खुशी इस बात की है कि जिस तरह आज विज्ञान के क्षेत्र में तमाम यंत्र,गैजेट जैसे टी.वी इलक्ट्रोनिक मशीन, कम्प्यूटर,मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप,टैबलेट,साफ्टवेयर,आदि का आविष्कार हो रहा है और उसे चलाने के लिए हिंदी भाषा को अधिकारिक तौर को रखा जा रहा है इससे आम जनता को सहूलियत के साथ साथ हम अपनी भाषा को और अधिक तीव्रगामी बना रहे हैं इसका हर माध्यम से उपयोग करके हम इसके समृद्धि को और भी समृद्ध कर रहे है!
बच्चों को हिंदी में कहानियों,कविताओं,निबंधों,गीतों के माध्यम से हम हिंदी भाषा के मधुर सपनों को सकार करके उनके मन में हिंदी के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना जागृत कर सकते हैं तथा उन्हें अपने इतिहास के कला संस्कृति के द्वारा गौरवान्वित करा सकते है यह प्रत्येक नागरिक का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष कर्तव्य है! चाहे वह माता-पिता हो,भाई-बंधु हो,सगे-संबंधी हो,चाहे कोई संस्था हो,समाचार पत्र, पत्र-पत्रिका,बेवसाइट हो,स्कूल-कालेज,अध्यापक हो!या एक आम आदमी हो,हमें इसकी सेवा निरंतर करते रहना चाहिए!
'जय हिन्दी' 'जय भारत'!!!
-राहुलदेव गौतम
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