स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मित्र को पत्र | Letter on Independence Day

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letter on Independence Day letter to your friend about celebrated Independence Day in college स्वतंत्रता दिवस के महत्व को बताते हुए अपने मित्र को पत्र

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मित्र को पत्र 
15 August Par Mitra Ko Patra 




१२५, विकासनगर 
लखनऊ - ७५ 
दिनांकः ०२/०६/२०२२  

प्रिय राजेश ,
कैसे हो ? आशा करता हूँ कि तुम सभी लोग आनंदपूर्वक होगे। बहुत समय से तुमने अपना कोई समाचार नहीं दिया। समय समय पर पत्र लिखते रहा करो ताकि एक दूसरे की कुशलता के प्रति आश्वस्त रह सकें।

मुझे आशा है कि तुम्हारा अध्ययन सुचारू रूप से चल रहा होगा। मित्र ! इधर कुछ महीनों से मैंने स्वयं में बहुत बदलाव महसूस किया है। मैं जिन कामों को करने से कतराता था ,वही काम अब मुझे अच्छे लगते हैं। इधर कुछ महीनों पूर्व मैंने स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित एक भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया तथा स्वतंत्रता दिवस के महत्व पर अपने विचार प्रकट किये। मैं उसी समय तुम्हे ये बताना चाहता था ,किन्तु न बता सका। आज तुम्हारी बहुत याद आ रही थी तथा ये बात भी याद आ गयी कि जो भाषण देने से मैं कतराता था ,उसी भाषण प्रतियोगिता में मैंने हिस्सा भी लिया और प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया। उसके बारे में मैं विस्तार से लिख रहा हूँ।

बात गत १५ अगस्त की है। विद्यालय से वापस आकर मैं परेड देखने अपने पिताजी के साथ गया। वहाँ पहुँचकर देखा तो परेड तो समाप्त को चुकी है पर कई विद्यालयों ने मिलकर स्वतंत्रता दिवस पर एक प्रतियोगिता आयोजित की थी। मेरे मन में भी विचार आया कि मैं इस प्रतियोगिता में हिस्सा लूँ। मैं अचानक मंच पर पहुँच गया और अपना नाम प्रतियोगिता की लिस्ट में दर्ज करवाया। जब मुझे भाषा देने का मौका मिला ,बिना मौका गवाएँ वहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मैंने कहा - 'देशभक्तों के बलिदान एवं त्याग से हमारा देश स्वतंत्र हुआ। हम सबके लिए इसका बड़ा महत्व है। यह पर्व वीरों की स्मृति का पर्व है ,यह उनके बलिदान की याद दिलाता है। इसी दिन को देखने के लिए सुभाषचंद्र बोस भारत से भागकर विदेश में आज़ाद हिन्द फौज बनायीं थी और दिल्ली चलो का नारा लगाया था। इसी दिन के लिए गाँधी जी ,नेहरु ,भगत सिंह ,चंद्रशेखर आज़ाद आदि देशभक्तों ने अनेक कष्ट झेले और जेल की यातनाएँ सही। यह पर्व हमको सजग करता है कि देश के लिए हमें हर तरह का बलिदान करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। " इतना बोलकर मैं मंच ने नीचे उतरा ,तब स्वतः भीतर से एक ऐसे सुख का अनुभव कर रहा था ,जिसे मैंने कभी अनुभव नहीं किया। 

घर पर सभी बड़ों का अभिवादन। मिंकू और स्नेह को ढेर सारा स्नेह ! 

तुम्हारा परम मित्र 
रजनीश सिंह 

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