युवा पीढ़ी में असंतोष पर निबंध | Essay on Young Discontent in Hindi

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युवा पीढ़ी में असन्तोष पर निबंध युवा पीढ़ी में असन्तोष पर निबंध निबंध हिंदी में Discontent among the Youth in hindi yuva pidhi me asantosh nibandh

युवा पीढ़ी में असंतोष पर निबंध 


युवा पीढ़ी में असन्तोष पर निबंध युवा पीढ़ी में असन्तोष पर निबंध निबंध हिंदी में Essay on Discontent among the Youth in hindi yuva pidhi me asantosh nibandh yuva asantosh nibandh in hindi essay writing in hindi about New Generation - यौवन का सम्बन्ध विशिष्ट आयु वर्ग से ही नहीं हैं। यौवन एक भावात्मक एवं मानसिक अवस्था का नाम भी है। यौवन में मनुष्य में सर्वाधिक उर्जा होती है। यह जीवन का वह समय है जब कि मनुष्य ऊँचे आदर्शों और कठिन लक्ष्यों की ओर अग्रसर होता है। यह वह समय है जबकि मनुष्य समुद्रों को छान डालना चाहता है ,पर्वतों को लांघ जाना चाहता है और सितारों को धरती पर उतार लाना चाहता है। यौवन नाम है प्रेम का ,साहस का ,संकल्प का ,शक्ति का और आकाशचारी कल्पनाओं का। युवक भावात्मक दृष्टि से अधिक संवेदनशील होता है इसीलिए अपने वातावरण का उस पर अधिक प्रभाव पड़ता है। किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसकी युवा शक्ति पर निर्भर करता है। 

युवा पीढ़ी में असंतोष के कारण

युवा पीढ़ी में असंतोष पर निबंध | Essay on Young Discontent in Hindi
युवा असंतोष राष्ट्र के लिए हितकर है अथवा अहितकर इस पर विचार करना आवश्यक है। युवक असंतुष्ट होता है जब उसके सपने साकार नहीं होते हैं। जब उसकी शक्ति को उपयोगी कार्यों में लगने का अवसर नहीं मिलता। जब युवक अपने चारों ओर भ्रष्टाचार और धोखा धड़ी को देखता है। जब युवक अपने चारों ओर निर्धनता ,अशिक्षा तथा भुखमरी को देखता है तो असंतुष्ट होता है। युवकों के असंतोष का एक मुख्य कारण आदर्श और यथार्थ का अंतर भी होता है। पुस्तकों में धर्म शास्त्रों में आदर्श की बात की जाती है परन्तु समाज में उसे चारों ओर दुराचार एवं पाखण्ड दर्शन होते हैं। युवकों के असंतोष का एक कारण नेताओं की कथनी और करनी में अंतर भी है। एक ओर तप नेता लोग जनता को संयम और मितव्ययी का पाठ पढ़ाते हैं दूसरी ओर स्वयं विशालकाय बंगलों में रहते हैं ,लम्बी लम्बी कारों में घूमते हैं ,निजी विमानों में यात्रा करते हैं और मँहगी शराबें पीते हैं ,यह सब कुछ देखकर युवकों में असंतोष की भावना पैदा होती है। युवकों के असंतोष का मुख्य कारण शिक्षा प्रणाली भी है। जिस शिक्षा प्रणाली से केवल बेकार पैदा होते हैं या द्वितीय ,त्रितीय श्रेणी के बाबू ,उसके प्रति असंतुष्ट होना स्वाभाविक है। हमारी शिक्षा युवकों को आत्म निर्भर नहीं बनाती है। वर्षों के कठोर परिश्रम से प्राप्त डिग्री का भिखापात्र लेकर घूमने वाले युवक जब समाज में अपमान के सिवा कुछ नहीं पाते हैं तो उनमें स्वाभाविक रूप से असंतोष जन्म लेता है। 

युवक अन्याय को सहन नहीं कर सकता है। जहाँ कहीं उसे अन्याय होता दिखाई पड़ता है वह वहीँ पर संघर्ष का बिगुल बजा देता है। आरक्षण के विषय पर युवा आक्रोश का भयंकर रूप दिखाई पड़ा। अनेक युवकों ने अग्नि स्नान किया और अपने प्राणों की आहुति दी। युवकों को लगा कि उनसे भविष्य के सपने छीने जा रहे हैं ,उनके उन्नति के अवसर कम किये जा रहे हैं। नेताओं ने इस शर्मनाक स्थिति से भी लाभ उठाया और युवकों को गुमराह किया। 

युवा असंतोष को दूर करने के उपाय

स्वाधीनता प्राप्ति से पूर्व विदेशी शासन के अन्याय एवं अत्याचारों का विरोध युवकों ने किया था। लाखों युवकों ने आज़ादी के महायज्ञ में अपने प्राणों की समिधा डाली थी। यदि वे युवक संतुष्ट रहते तो शायद आजादी की लड़ाई अधूरी रह जाती। असंतोष ने ही युवकों की स्वाधीनता संग्राम में कूदने की शक्ति दी थी। युवा असंतोष का कारण सामाजिक रूढ़ियों ,राजनितिक स्वार्थ ,धार्मिक कट्टरता ,आर्थिक विषमता एवं अन्यायपूर्ण राजनितिक व्यवस्था है। युवा असंतोष तो राष्ट्र के जीवित होने का चिह्न है। जिस देश के युवक संतुष्ट होकर रंग रलियों में डूब जाते हैं ,उस राष्ट्र का भविष्य अंधकारमय होता जाता है। युवा असंतोष तो नदी की बाढ़ के सामान है जिससे यदि ठीक से प्रयोग किया जाए तो वह सैकड़ों घरों को अपने साथ बहा कर ले जाती है। युवा असंतोष को यदि उचित दिशा दी जाए तो उसे राष्ट्र के निर्माण में लगाया जा सकता है। युवक त्याग कर सकते हैं और खतरे उठा सकते हैं। भगत सिंह ,आजाद ,राजगुरु ,सुखदेव ,अशफाक़उल्ला और राम प्रसाद बिस्मिल असंतुष्ट युवक थे। उन्होंने अंग्रेजी शासन के प्रति अपने असंतोष को क्रांति का सिंघनाद करके प्रदर्शित किया। असंतोष तो यौवन का प्रमाण है। 

युवा असंतोष को अभिव्यक्त होना का यदि अवसर न मिले तो बिस्फोट होता है। असंतोष को यदि गलत दिशा दे दी जाए तो राष्ट्र के घातक हो सकता है। आज भारतवर्ष में आतंकवादी ,पृथकतावादी गतिविधियों के पीछे असंतुष्ट युवक ही है जिन्हें राजनीतिज्ञों ने गलत रास्ते पर डाल दिया है। असंतुष्ट युवक पथ भ्रष्ट हो कर समाज विरोधी गतिविधियों में लीन हो सकते हैं या फिर नशों के शिकार भी हो सकते हैं ,असंतुष्ट युवक देश से पलायन कर विदेशों में जाकर बस सकते हैं। असंतोष के कारण प्रतिभा का पलायन संभव है। 

युवा असंतोष न केवल स्वाभाविक है बल्कि राष्ट्रहित में आवश्यक भी है। 

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