आधुनिक भारत की समस्याएं पर निबंध | Aadhunik Bharat Ki Samasya

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आधुनिक भारत की समस्याएं पर निबंध 


धुनिक भारत की समस्याएं पर निबंध आधुनिक भारत की समस्याएं आधुनिक भारत की समस्या पर निबंध इन हिंदी - स्वर्ग में नंदन कानन में विचरण करते वाले देवताओं को किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। कहा जाता है कि वहाँ पर एक कल्प तरु है जोकि उनकी हर इच्छा को पूरा करता है। देवताओं का जीवन निश्चय ही चुनौती रहित एवं नीरस होगा। जिस जीवन में किसी प्रकार की समस्या नहीं है ,चुनौती नहीं ,संघर्ष नहीं वह जीवन जीने के योग्य नहीं है। समस्याएँ मनुष्य को संघर्ष की प्रेरणा देती है।

जनसंख्या वृद्धि की समस्या

आधुनिक भारत की समस्याएं पर निबंध | Aadhunik Bharat Ki Samasya
भारत एक विशाल देश है इसीलिए इसकी समस्याएँ भी बड़ी है।  स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी समस्या जनसँख्या वृद्धि की है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें उत्पादन की गति निरंतर बढ़ी है। सन १९४७ में तीस करोड़ के लगभग भारत की जनसँख्या थी और आज १३५ करोड़ को पार कर चुकी है। बढ़ती जनसँख्या अपने साथ निर्धनता ,बेकारी तथा सामाजिक उथल - पुथल को लेकर आती है। हमारी पञ्चवर्षीय योजनायें से मिलने वाले लाभ बढ़ती भीड़ के जंगल में खो रहे हैं। हमारी हरित क्रांति एवं श्वेत क्रांति की गंगा शिव की जटाओं की तरह घनी आबादी में भटक कर रह गयी हैं। हमारे ज्ञान - विज्ञान की उपलब्धि बढ़ती जनसँख्या सम्मुख नग्न होती जा रही है। एक समय ऐसा आ सकता है कि जबकि हमारे पास रहने और पेट पालने के लिए पर्याप्त भूमि न रहे। घटते जंगल और बढ़ते हुए शहर प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं। जनसँख्या वृद्धि को रोके बिना भारत की प्रगति संभव नहीं है। 

भारत में भ्रष्टाचार की समस्या

भारत की दूसरी बड़ी समस्या भ्रष्टाचार की है। अपने पद ,धन अथवा शक्ति का दुरुपयोग भ्रष्टाचार कहलाता है। हमारे देश में जीवन मूल्यों में गिरावट आई है और हर व्यक्ति सब कुछ अपने तक सिमित कर लेना चाहता है। देश के नेताओं पर राष्ट्र के विकास की जिम्मेदारी है परन्तु वे अपने कुनबों के विकास पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। राष्ट्रीय हितों की अपेक्षा पार्टी की हित अथवा वैयतिक हित अधिमान पा रहे हैं। मौका मिलने पर राष्ट्र की सुरक्षा एवं प्रभुता का सौदा करने से भी राजनितिक नहीं चूकते हैं। भारत की न्यायपालिका पर से विश्वास उठता जा रहा है। भ्रष्ट न्यायधीशों के मामले भी सामने आने लगे हैं। धर्म स्थल राजनीति और व्यभिचार के अड्डे बनते जा रहे हैं। चोर - बाजारी ,काला बाजारी और स्मगलिंग का धंधा चमक रहा है। नौकरशाही में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। भ्रष्टाचार के नीचे आम आदमी दम तोड़ रहा है। कार्यालयों में फाइलें एक मेज़ से दूसरी मेज़ तक नहीं सरकती जब तक घूस न दी जाए। मंहगाई बढ़ रही है क्योंकि भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। बेकारी की समस्या भयंकर रूप धारण कर रही है। इस देश के युवक काम के अभाव में या तो नशों का शिकार हो रहे हैं या समाज विरोधी गतिविधियों में लग रहे हैं। 

आतंकवाद की समस्या

आधुनिक भारत की एक बड़ी समस्या ,राष्ट्रीय एकता को मिलने वाली चुनौती भी है। आज आतंकवाद अनेक रूपों में पनप रहा है। कहीं पर अल्फ़ा तो कहीं जी.एन.एल.ऍफ़ , कहीं पर कश्मीरी आतंकवादी तो कहीं खालिस्तान आतंकवादी तोड़ - फोड़ और हत्याओं में लगे हैं। आन्ध्र में और मणिपुर ,त्रिपुरा में नक्सलवादी अभी भी हत्याएं कर रहे हैं। प्रांतवाद का जहर फ़ैल रहा है। कावेरी जल विवाद को लेकर कर्णाटक और तमिलनाडु में जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण ही था। पंजाब के पानी का बंटवारा भी पंजाब समस्या का मुख्य कारण है। 

पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव

आधुनिक भारत संक्रमण के युग से गुजर रहा है। भारत में पश्चिमी विचारों की आँधी चल रही है। हम अपने राष्ट्रीय जीवन मूल्यों को भूल पश्चिम की नक़ल कर रहे हैं। रातों रात धनी बन जाने के होड़ में आदर्शों की हत्या की जा रही है। यहाँ के डॉक्टर ,इंजिनियर एवं वैज्ञानिक विदेशों में नौकरियों ढूंढ रहे हैं जबकि देश को उनकी आवश्यकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का शिकंजा कसता जा रहा है और हमारी आत्म निर्भरता कम होती जा रही है। मानसिक गुलामी के साथ साथ आर्थिक गुलामी का खतरा भी बढ़ गया है। 

नेतृत्व का संकट

हमारे देश में नेतृत्व का संकट है। नेताओं से लोगों का विश्वास उठ रहा है। राजनीति का तेज़ी से अपराधीकरण हो रहा है। चोर - लुटेरे ,स्मगलर और हत्यारे चुनाव जीत रहे हैं। चुनावों में पैसे की भूमिका निर्णायक हो चली है। बूथों पर कब्ज़ा एवं हिंसा के बल पर वोट खींचने की राजनीति चल रही है। प्रजातंत्र में विश्वास समाप्त हो रहा है। आवश्यकता है कि हम एक बार पुनः अपने को राष्ट्र सेवा में अर्पित करें और सोचें कि - 

हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी 
आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी

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