उपन्यास कैसे लिखा जाता है | How to write a Hindi Novel

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कैसे उपन्यास लिखें उपन्यास लिखने का तरीका उपन्यासकार के लिए उपन्यास उपन्यासों की बाढ़ सी आ गयी है जो केवल पैसा कमाने की दृष्टि से ही लिखे जाते है।

उपन्यास कैसे लिखा जाता है ?


कैसे उपन्यास लिखें उपन्यास लिखने का तरीका - उपन्यासकार के लिए उपन्यास से सम्बंधित सभी सामग्री इस विश्व में प्राप्य है लेकिन उन सभी प्राप्य सामग्रियों को एकत्र कर ऐसे दशा में प्रवाहित करना जिससे कि समाज एवं राष्ट्र का कल्याण हो सके ,कुछ ही व्यक्तियों के वश का काम है। उपन्यासकार में सबसे बड़ी विशेषता तो यह होनी चाहिए कि उपन्यास रचना से पूर्व वह उन परिस्थितियों का जिनका कि अपने उपन्यास में वर्णन करना चाहता है ,भली प्रकार समाज में रहकर अवलोकन कर ले। व्यावाहारिकता से शून्य लेखकों के प्रयास साहित्य के लिए बोझ होने के अतिरिक्त और कुछ नहीं। जो कुछ भी वह समाज में देखे उसी का अपनी लेखनी द्वारा सुन्दर चित्रण प्रस्तुत कर दें। लेकिन ऐसा करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कहीं उस वर्णन में बेकार की बातें और अश्लीलता का समावेश न हो जाए। उसकी लेखनी में सच्चाई एवं पवित्रता का पूर्ण समावेश होना चाहिए। इन सबसे महत्वपूर्ण विषय समाज एवं राष्ट्र कल्याण सर्वोपरि रहे और यही उसका उद्देश्य होना चाहिए। 


उपन्यास लिखने का तरीका

उपन्यास कैसे लिखा जाता है ?
उपन्यासकार को वास्तविकता से मुख नहीं मोड़ना चाहिए। आज के युग में समाज एवं देश की वास्तविक स्थिति का चित्रण करने की अत्यधिक आवश्यकता अनुभव हुई है। देश में कांग्रेसी सरकार बनी ,पंचायत राज्य कानून बने ,सहकारी खेती आदि भिन्न भिन्न पहलू है लेकिन वस्तु स्थिति कैसे यह बात हम केवल उपन्यासों के माध्यम से जान सकते हैं। सच्चे उपन्यासकार का परम कर्तव्य है कि स्वार्थी व्यक्तियों को जिन्होंने राष्ट्र एवं समाज को ताक पर रख दिया है ,अपनी संयमित वाणी से उद्बुद्ध करे। कोरा आदर्शवाद उपन्यास के लिए उचित नहीं है। उसमें यथार्थ का भी पूरा मिश्रण होना चाहिए। प्रेमचंद जी को आज विश्व उपन्यासकार इसीलिए माना जाता है क्योंकि आपने अपने उपन्यासों में यथार्थदर्श का सच्चा सामंजस्य स्थापित किया है। 

उपन्यासकार का दृष्टिकोण 

आजकल कुछ ऐसे उपन्यासों की बाढ़ सी आ गयी है जो केवल पैसा कमाने की दृष्टि से ही लिखे जाते है। वास्तव में ऐसे उपन्यासकार समाज का कोई भी कल्याण नहीं कर सकते है किन्तु इसका अभिप्राय यह नहीं है कि सभी इसी श्रेणी में आते हैं। आज के अधिकांश उपन्यासकारों में एक बात की सबसे बड़ी कमी है कि वे पक्के समाज सेवी नहीं होते हैं। इसी कारण उन्हें पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं होती है। समाज सेवी ही सच्चा उपन्यासकार हो सकता है। प्रेमचंद के उपन्यासों का यदि कोई महत्व था तो सर्वप्रथम यह है कि वे समाज की वास्तविक स्थिति का दिग्दर्शन कराकर समाज की सच्ची सेवा करना तथा करवाना दोनों ही चाहते थे। 

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