जल यात्रा Jal Yatra class 8 chapter 3 CBSE Hindi explanation

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जल यात्रा - अमृतलाल बेगड़


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जल यात्रा पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ या निबंध जल-यात्रा , अमृतलाल बेगड़ जी के द्वारा लिखित है। इस निबंध में लेखक अमृतलाल बेगड़ जी पानी के महत्त्व पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है। पानी का अपना कोई रंग नहीं होता और न ही इसका अपना कोई आकार है। गतिहीन है, पर गतिमान होने पर तीव्र वेग धारण करता है और उन्मत्त शक्ति तथा अपार उर्जा का स्रोत बन जाता है। कभी पानी जीवनदायिनी वर्षा के रूप में वरदान बनकर आता है, तो कभी विनाशकारी बाढ़ का रूप धारण कर जल-तांडव भी मचाता है।

वास्तविक तौर पर देखा जाए तो जिस पृथ्वी (ग्रह) पर मनुष्य निवास करता है, उसपर पानी का आधिपत्य है। इसका सही अंदाज़ा किसी लंबी समुद्री-यात्रा पर निकलने से होता है, जहाँ पानी का अनंत विस्तार है। यदि समुद्र अपना खारापन दूर करके हमें साफ़ पानी न भेजे तो जीवन समाप्त हो जाएगा। वह आज भी हमारा पालन-पोषण करता है। ऐसा नहीं है कि समुद्र (मंथन) से एक ही बार अमृत निकला था। अमृत हर बार निकलता है और वर्षा के रूप में पूरी धरती पर बरसता है। सूर्य की गर्मी से तपकर समुद्र का पानी भाप बनता है। यही भाप बादल बनते हैं। फिर ये बादल मानसून की हवाओं का सहारा लेकर ऊँचे पहाड़ों व घने जंगलों तक पहुँचते हैं तो वहाँ की ठंडक पाकर ठहर जाते हैं। पहाड़ और वन मानो कहते हैं – धरती, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और मनुष्य कब से तुम्हारा बात जोह रहे हैं। ऊँची अटारी पर से नीचे उतरो, वायु में से पुनः द्रव बनो, पानी बनकर तप्त धरा को तृप्त करो, प्लावित करो, धन-धान्य से पूर्ण करो, नवजीवन का संचार करो। पहले छोटी-छोटी बुन्द्नियाँ, फिर मूसलाधार वृष्टि। मेघ झकोर-झकोरकर बरसने लगते हैं। 

वर्षा यानी विराट नाट्य-प्रस्तुति। पहला अंक खेला जाता है समुद्र में, दूसरा आकाश के मंच पर और तीसरा धरती पर ! वर्षा का फ़लक कितना विशाल है – पहले असीम आकाश, फिर अतल सागर और अंत में विस्तृत धरती। लाखों वर्ग किलोमीटर तक फैला मंच। कितने घनिष्ठ हैं आकाश और पृथ्वी के बीच के बंधन ! 

जल यात्रा Jal Yatra class 8 chapter 3 CBSE Hindi explanation
अमृतलाल बेगड़
पानी का चंचल रूप है नदी। यह वह जीवन-रेखा है जो अपने कछार में बसे लोगों को जीवनदायी जल प्रदान करती है। नदी के कारण कृषि संभव हुई। जो शिकारी था, वह किसान बन गया। उसे शिकार की भागदौड़ से मुक्ति मिली। वह एक जगह घर बसाकर कला, धर्म, अध्यात्म, विज्ञान और साहित्य की ओर अग्रसर हो सका। मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ आया। हज़ारों वर्षों से मनुष्य नदी की ओर खींचता चला आया है। संसार की सभी प्रमुख संस्कृतियों का जन्म नदियों की कोख से हुआ है। भारतीय संस्कृति गंगा नदी की देन है। अंत में नदी समुद्र से जा मिलती है। पानी जहाँ से चला था, वापस वहीं पहुँच गया। नदी कभी न समाप्त होनेवाली एक निरंतर रचना है। एक ऐसी शक्ति जो नित्य पुनर्जीवित होती रहती है। 

हमारे पास आज उतना ही पानी है, जितना हज़ार साल पहले था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उसकी माँग बेतहाशा बढ़ गई है। आज़ादी के समय हमारी आबादी 25 करोड़ से कुछ अधिक थी, पर आज एक अरब का आँकड़ा पार कर चुकी है। बाँध हमारी मज़बूरी है। हज़ारों वर्षों से मनुष्य पानी का संग्रह करता आया है – कुओं, तालाबों और बावड़ियों के रूप में। बाँध उसी श्रृंखला में नई कड़ी है। आर्द्रता, कुहरा, बिजली, ओस सभी पानी के विभिन्न रूप हैं। प्रायः सभी देश अपनी नदियों के पानी का भरपूर उपयोग करना चाहते हैं। आज संसार में जटिल से जटिल और ख़तरनाक से ख़तरनाक रासायनिक पदार्थ पैदा हो रहे हैं। इन्हें इधर-उधर फेंक देने या नदियों में बहा देने के घातक परिणाम होंगे। बड़े शहर भी अपना मल नदियों में छोड़ देते हैं। हम नदियों में लगातार ज़हर घोल रहे हैं। किसानों द्वारा जिन कीट-नाशकों का छिड़काव खेतों में किया जाता है, कहीं न कहीं वे भी नदियों तक पहुँचते हैं, जिनमें कुछ ज़हरीले रसायन बरसों बाद भी प्रभावहीन नहीं होते। नदी में घुले रसायन कॉलरा, टाइफाइड और दस्त जैसी बीमारियाँ फैलाते हैं। एक ओर हम अपनी धरती को विकृत कर रहे हैं, पर्यावरण को क्षति पहुँचा रहे हैं और नदियों को विषाक्त कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अन्य देशों के लोग धरती का चेहरा बदल रहे हैं। वे जंगल उगा रहे हैं, नदियों को साफ़ कर रहे हैं और रेगिस्तानों में पानी ला रहे हैं। क्या हम यह नहीं कर सकते ? आखिर इस धरती पर हम मेहमान ही तो हैं। हमारे आगमन के समय यह जैसी थी, अगर जाते समय कुछ और अच्छी न बना सकें, तो कम से कम ख़राब करके तो न जाएँ... ।।    



जल यात्रा पाठ के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न-1- सजीव कलाकृतियाँ किसे कहा गया है और क्यों ? 
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बादलों को सजीव कलाकृतियाँ कहा गया है, क्योंकि बादल ही धरती को हरियाली और शीतलता देकर जीवन प्रदान करते हैं।   

प्रश्न-2- नदी में घुले रसायन कौन-कौन से रोग फैलाते हैं ? 
उत्तर- नदी में घुले रसायन कॉलरा, टाइफाइड, दस्त इत्यादि रोग फैलाते हैं।  

प्रश्न-3- ‘पहले के लोगों के लिए इससे बड़ा वरदान भला और क्या हो सकता था ?’ – इस पंक्ति में किस वरदान की बात की जा रही है ? तथा वह वरदान कैसे साबित होती है ?  
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, इस पंक्ति में नदी के मातृक रूप की बात की जा रही है। नदी के तटीय क्षेत्र में रहने पर वह वरदान साबित होती है।    

प्रश्न-4- समुद्र अपने खारेपन को कैसे दूर करता है ? 
उत्तर- वास्तव में देखा जाए तो जब सूर्य की गर्मी से समुद्र का पानी गरम होता है तो उससे भाप बनती है। भाप बनते ही पानी का खारापन दूर हो जाता है। यही भाप बादल का रूप लेते हैं और इसके बाद वर्षा होती है। अतः इस प्रकार समुद्र अपने खारेपन को दूर करता है।      

प्रश्न-5- बादलों का निर्माण कैसे होता है ? 
उत्तर- सूर्य का गर्म प्रकाश जब समुद्र के पानी पर पड़ता है तो वह पानी भाप के रूप में बदलकर ऊपर आकाश में जाकर बादल के रूप में परिवर्तित हो जाता है।  

प्रश्न-6- नदियों के विषाक्त होने के क्या-क्या कारण हैं ? 
उत्तर- नदियों के विषाक्त होने के कारण हैं – कल-कारखानों द्वारा ज़हरीली रासायनिक पदार्थों का पानी में बहा देना तथा शहरों द्वारा गंदगी नदी में बहा देना। इसके अतिरिक्त किसानों द्वारा अपने खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव करने से भी नदियाँ दूषित हो रही हैं।     

प्रश्न-7- पानी का चंचल रूप है नदी – कहने के पीछे लेखक का क्या भाव रहा होगा ? 
उत्तर- ‘पानी का चंचल रूप है नदी’ – कहने के पीछे लेखक का भाव रहा होगा कि वे हमेशा नियंत्रित होकर नहीं बहतीं, कभी-कभार अस्थिर भी हो जाया करती हैं।     

व्याकरण-बोध 
प्रश्न-8- नीचे लिखे विकल्पों में विशेषण-विशेष्य (जोड़ों) पर निशान लगाइए।  
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 

वह किसी लंबी समुद्री-यात्रा पर निकल जाए। 
उत्तर- लंबी समुद्री-यात्रा 

निराकार भाप ऊपर जाकर साकार बादल में ढल जाती है। 
उत्तर- निराकार भाप 

ऊँचे पहाड़ों या घने जंगलों तक मानसून पहुँचता है। 
उत्तर- घने जंगलों  

ऊँची अटारी पर से नीचे उतरो। 
उत्तर- ऊँची अटारी 

प्रश्न-9- वाक्यों को कोष्ठक में दिए निर्देश के अनुसार बदलिए - 
उत्तर-निम्नलिखित उत्तर है - 

हम प्रदूषण फैलाकर अपनी धरती को विकृत कर रहे हैं। (संयुक्त वाक्य) 
उत्तर- हम प्रदूषण फैला रहे हैं, इसलिए धरती विकृत हो रही है।  

नदियों को साफ़ कर रहे हैं और रेगिस्तानों में पानी ला रहे हैं। (सरल वाक्य)
उत्तर- नदियों को साफ़ करके रेगिस्तानों में पानी ला रहे हैं।  

वह एक ऐसे ग्रह पर निवास करता है, जिसपर पानी का आधिपत्य है। (सरल वाक्य)
उत्तर- हम पानी के आधिपत्य वाले ग्रह पर निवास करते हैं। 
 
हवा कितनी स्वच्छ और मादक लग रही है ! (मिश्रित वाक्य) 
उत्तर- हवा जितनी स्वच्छ लग रही है, उतनी मादक लग रही है। 
 
जैसे ही घने जंगलों तक मानसून पहुँचता है, वैसे ही वह ठंडक पाकर ठहर जाता है। (संयुक्त वाक्य)  
उत्तर- घने जंगलों तक मानसून पहुँचता है परन्तु वह ठंडक पाकर ठहर जाता है।  


जल यात्रा पाठ के शब्दार्थ 

अनंत – जिसका अंत न हो 
उजागर – प्रकट 
तथ्य – यथार्थ, सच्ची बात
आधिपत्य – प्रभुत्व, कब्ज़ा 
द्रव – तरल पदार्थ 
बाट – प्रतीक्षा, राह देखना 
तप्त – तपा हुआ 
तृप्त – संतुष्ट 
उत्सर्ग – अलग करना, छोड़ना 
बुन्द्नियाँ – बूँदे 
मादक – नशीला 
फ़लक – आकाश 
कछार – नदी के किनारे की तर और नीचे ज़मीन 
मातृक – माता संबंधी 
सामंजस्य – संगति बैठाना, मेल 
अवशिष्ट – बचा हुआ, बाकी 
रणभेरी – युद्ध के समय बजाया जानेवाला वाद्य।  


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