खच्चर और आदमी कहानी का सारांश प्रश्न उत्तर

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खच्चर और आदमी कहानी यशपाल आदमी और खच्चर hindi vitaan वितान हिंदी पाठमाला 8 YASHPAL Class 8 CBSE कहानी का सारांश प्रश्न उत्तर शब्दार्थ

खच्चर और आदमी कहानी - यशपाल 


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खच्चर और आदमी कहानी का सारांश 

प्रस्तुत पाठ या कहानी आदमी और खच्चर , लेखक यशपाल द्वारा लिखित है। इस रोमांचकारी कहानी के माध्यम से 12 हज़ार फुट ऊँचाई पर 16 दिन तक फँसी रही एक सर्वे टीम और खच्चरों पर क्या कुछ बीती, उसका वर्णन किया गया है। जीवट की पहचान उस कठिन परिस्थितियों में होती है, जहाँ कई दिनों तक धूप का दर्शन न हो। जहाँ धरती पर चारों ओर मोटी बर्फ़ बिछी हो। ईंधन भी पास न हो और खाना भी गरम करना मुश्किल जान पड़े। आदमी के प्राण आग की चिंगारी और लौ के लिए तरसते हों। 

लेखक कहते हैं कि लाहौल घाटी की दुर्घटना है, अप्रत्याशित या मौसम के अनुमान की रिपोर्ट के विरुद्ध भयंकर हिमपात घाटी के ऊपरी हिस्से में होने कारण हमलोग फँस गए। समुद्र तल से पाँच-छ: हज़ार फुट की ऊँचाई पर मनाली स्थित है, जहाँ से चौबीस घंटे में होनेवाले मौसम की सूचना ब्रॉडकास्ट की जाती है। हमें बारह हज़ार फुट की ऊँचाई पर चट्टानें फोड़कर विश्लेषण के लिए नमूने लेने थे और हमारा कूच का पड़ाव दस हज़ार फुट पर था। हालाँकि हमारा जो लक्ष्य था, वहाँ तक रास्ता पाँच मील से अधिक न था। हमेशा बर्फ़ से ढकी रहनेवाली चौदह हज़ार फुट ऊँची एक धार को ही लाँघना था। हमारा विचार था कि धार के पार मैदान में सात-आठ दिन से अधिक नहीं ठहरना पड़ेगा। 

खच्चर और आदमी कहानी का सारांश प्रश्न उत्तर
ग्रुप लीडर ने तड़के कुछ अँधेरा रहते नाश्ता दिलवा दिया। यंत्र, राशन और तंबू, छह खच्चरों पर लदवा दिए और हम दस शेरपाओं को साथ ले, पौ फटते-फटते चल पड़े। हमने धार का संकरा दर्रा साढ़े ग्यारह बजे पार कर लिया। मौसम फोरकास्ट ने उत्तर-पश्चिम में आसमान बिलकुल साफ़ रहने का आश्वासन दिया था। लेकिन हम दर्रे से मैदान में उतरे ही थे कि उत्तर-पश्चिम की ओर से घने, काले बादल उमड़ने लगे। बादलों ने हमें इतना ही अवसर दिया कि हम मैदान के किनारे ऊँचा स्थान देखकर तंबू लगा लें। हमारे तंबू लग ही पाए थे कि भयंकर कड़क से ओले बरसने लगे। हमें आशंका हुई, ओले यदि धार के उस ओर न गिरे होंगे तो भी पीछे आते शेरपाओं और खच्चरों के लिए दर्रा लाँघना और मैदान तक उतरना दुस्साध्य हो गया होगा। सूर्यास्त के घंटेभर बाद हमने जमा हुआ पैराफीन जलाकर राशन गरम किया और खाकर सर्दी से बचने के लिए रजाई के थैलों में घुस गए। भूखे खच्चर अपने तंबू में हिनहिनाकर चारा माँग रहे थे। उनके तंबू में कुछ गर्मी कर सकने के लिए तेल और स्टोव भी नहीं थे। आकाश में अब भी बर्फ़ानी बादल अटे हुए थे। ऐसी स्थिति में क्या आशा होती कि शेरपाओं का मुखिया दाना और ईंधन लेकर आ पाएगा। लगातार तीसरी रात भी बर्फ़ पड़ी और सुबह भी बादल छाए रहे। सर्दी से कनपटियों में दर्द जान पड़ रहा था। खच्चरों की हिनहिनाहट सुनाई नहीं पड़ रही थी। उनकी गर्दनें लटक गईं थीं। वास्तव में, अधिक सर्दी में शारीरिक शक्ति के लिए अधिक ख़ुराक और कैलोरिज़ चाहिए होती है। खच्चर बेचारे, कड़े परिश्रम के बाद से बिलकुल निराहार थे। अचानक उस समय खच्चरों के तंबू से विचित्र समाचार मिला कि एक खच्चर भूख से व्याकुल होकर दूसरे खच्चरों को काटने के लिए झपट रहा था और उसने अपने समीप के खच्चर का कान तोड़कर खा लिया था। हमारी अपेक्षा खच्चरों की जान बहुमूल्य थी और हम सबके आठ दिन के राशन से एक खच्चर का पेट एक बार भी न भरता। 

खच्चरों के तंबू के एक शेरपा ने आकर बताया कि खच्चरों की स्थिति ख़तरनाक तथा दयनीय हो गई है तो हम लोग विस्मय से देखने के लिए गए। शेरपा की बात बिलकुल सही थी। मांसाहारी बन जानेवाला खच्चर गिर जानेवाले खच्चर (जिसका कान काट लिया गया था) को खाने की कोशिश कर रहा था। सोचा, जो खच्चर गिर पड़ा है उसे तो बचाना मुश्किल है, परन्तु अगर दूसरा खच्चर उससे अपना पेट भर सकता है तो भर ले। अंततः छठे दिन धूप निकल आई, लेकिन दर्रा बर्फ़ से भर जाने के कारण अलंघ्य हो चुका था। आठवें दिन से शेष खच्चर गिरने लगे। माँसाहार अपना लेनेवाला खच्चर उनसे निर्वाह करता रहा। खच्चरों के शरीर भूख से सूख गए थे, उनमें माँस ही कितना था !

लेखक कहते हैं कि हम लोगों ने ग्रुप लीडर के सामने प्रस्ताव रखा – संभव है कूच-पड़ाव में लोगों ने हमें समाप्त मानकर हमारी खोज व्यर्थ समझ ली हो। यहाँ खच्चरों की तरह भूखे मर जाने से बेहतर है कि हम लोगों में से दो आदमी दर्रे के समीप नीचे स्थान से धार लांघने का यत्न करें और उस ओर समाचार दें। वह स्थान सवा तीन मील से दूर न होगा। यदि हम लोग तीन घंटे में धार के उस पार न हो सके तो लौट आएँगे। लेकिन ग्रुप लीडर ने प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। उन्होंने यह काम शेरपा लोगों को सौंपने को कहा। ग्यारहवें दिन नया संकट खड़ा हो गया। मांसाहारी खच्चर मुर्दा खच्चरों को समाप्त कर चुका था। वह अब आदमियों पर झपट रहा था। तभी शेरपाओं ने कहा कि उसे गोली मार दी जाए, अन्यथा वह आदमियों को गिराकर खा जाएगा। परन्तु, ग्रुप लीडर ने खच्चर को गोली मारने की अनुमति न देकर आदेश दिया कि – इसके चारों सुमों में बंधन डाल दिए जाएँ। अभी तीन-चार दिन मरेगा नहीं। धूप रही तो इसे दो दिन बाद घास मिल जाएगी। धूप दो दिन ख़ूब अच्छी पड़ी। मैदान में जगह-जगह घास प्रकट हो गई। खच्चर को घास की ओर छोड़ दिया गया। 

सोलहवें दिन हम लोगों ने ग्यारह बजे ही धार की ओर दूरबीनों लगा लीं। दर्रा अब भी अलंघ्य था। हम लोग उसके समीप धार पर नीचे स्थान की ओर ही देख रहे थे। ग्रुप लीडर ने निराशा प्रकट करते हुए कहा कि – उन लोगों ने अनुमान कर लिया है कि हम बर्फ़ में दब चुके हैं। उस खच्चर समाप्त कर खाने के उद्देश्य से वह रिवाल्वर लेने तंबू के अंदर गया और हमें धार की रीड़ पर, दर्रे के पास दो शेरपा दिखाई दे गए। इस तरह वह खच्चर बच गया... ।।     


खच्चर और आदमी कहानी के प्रश्न उत्तर

प्रश्नोत्तर 
प्रश्न-1- लेखक लाहौल घाटी किसलिए गए थे ? 
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बारह हज़ार फुट की ऊँचाई पर चट्टानें फोड़कर विश्लेषण के लिए नमूने लेने लेखक लाहौल घाटी गए थे।    

प्रश्न-2- मेट कौन था ? 
उत्तर- वास्तव में, मेट खोजी दल के साथ जा रहे शेरपाओं का मुखिया था।  
      
प्रश्न-3- लोगों ने अपना खाना खच्चरों को क्यों नहीं खिला दिया ? 
उत्तर- देखा जाए तो उस दल के पास कई दिनों के भोजन के लिए जो खाने योग्य सामग्री थी वह किसी भी एक खच्चर के लिए एक वक़्त के भोजन के लिए भी पूरी नहीं हो पाती, इसलिए लोगों ने अपना खाना खच्चरों को नहीं खिलाया।  

प्रश्न-4- कूच-पड़ाव के लोगों ने क्या सलाह दी ? 
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कूच-पड़ाव के लोगों ने यह सलाह दी कि खच्चरों के लिए कूच-पड़ाव से घास-दाना ढोकर ले जाना व्यर्थ है, वह तो ऊपर भी काफ़ी मात्र में मिल जाएगा।         

प्रश्न-5- ‘चाँदी के विराट थाल-सा’ का क्या अर्थ था ?  
उत्तर- ‘चाँदी के विराट थाल-सा’ का यह अर्थ है कि – हर तरफ़ धवल बर्फ़ से ढका गोलाकार स्थान।      

प्रश्न-6- मांसाहारी खच्चर समस्या क्यों बन गया था ? 
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, माँसाहारी खच्चर समाया इसलिए बन गया था, क्योंकि वह अपनी भूख मिटाने के लिए पहले तो अपने साथी खच्चरों पर हमले करके उन्हें खा चुका था, उसके पश्चात् अपनी भूख मिटाने के लिए दल के आदमियों पर झपटने लगा था।    

प्रश्न-7- ग्रुप लीडर ने किस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और क्यों ? 
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, ग्रुप लीडर ने माँसाहारी बन चुके खच्चर को गोली मारने के प्रस्ताव को इसलिए स्वीकार नहीं किया, क्योंकि वह चाहता था कि अगर राशन समाप्त हो जाने के बाद भी यहाँ रुकना पड़ा तो वह दल के लोगों के लिए भोजन का काम आ जाएगा।  

प्रश्न-8- राशन कम था और मौसम ख़राब – इसका समाधान कैसे निकाला गया ?  
उत्तर- इसका समाधान कुछ इस प्रकार निकाला गया – अपेक्षित भूख से कम खाना शुरू कर दिया गया। एक समय की कॉफ़ी बनाना बंद कर दिया गया, ताकि जितने दिन की योजना बनाकर आए थे उससे अधिक दिनों तक रुकना पड़े तो बचाया हुआ सामग्री कुछ दिन और चल सके।      


व्याकरण-बोध...  
प्रश्न-9- नीचे लिखे शब्दों में गण, लोग, दल या जन लगाकर बहुवचन बनाएँ-

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 
अध्यापक – अध्यापकगण 
पक्षी – पक्षीदल 
देव – देवगण 
प्रजा – प्रजाजन 
विद्वान – विद्वान लोग 
पाठक – पाठकगण 
बालक – बालकगण 
अकाली – अकालीदल 
 
प्रश्न-10- नीचे लिखे सामासिक शब्दों के उचित विग्रह कीजिए -  
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 
आजन्म – जीवनभर 
हाथों-हाथ – एक हाथ से दूसरे हाथ 
यथाशीघ्र – जितना शीघ्र हो सके 
यथासंभव – जितना संभव हो सके 
बीचो-बीच – बीच ही बीच में 
बेमतलब – बिना मतलब के 
  
प्रश्न-11- विलोम लिखिए -  
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 
अलंघ्य – लंघ्य 
निराहार – आहार  
निर्बलता – सबलता 
अनुकूल – प्रतिकूल 

प्रश्न-12– पर्यायवाची लिखिए - 
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 
समुद्र – सागर 
किनारा – तट 
बादल – वारिद 
प्रकाश – उजाला 
 
प्रश्न-13- सम्श्रुतिभिन्नार्थक शब्दों से वाक्य बनाइए - 
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 
परिमाण – पृथ्वी का सही-सही परिमाण निकालकर बताओ।    
परिणाम – परीक्षा परिणाम कल आ जाएँगे।  

प्रश्न-14- उपसर्ग-मूल शब्द अलग कीजिए – 
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 
दुस्साध्य – दुस् + साधन 
प्रलोभन – प्र + लोभन 
दुर्लंघ्य – दुर् + लंघ्य 
अप्रत्याशित – अ + प्रत्याशित 

प्रश्न-15- प्रत्यय-मूल शब्द अलग कीजिए – 
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 
पौष्टिक – पुष्ट + इक 
निर्बलता – निर् + बल + ता 
उत्साहित – उत् + साह + इत 
हिनहिनाहट – हिनहिन + आहट 
 

खच्चर और आदमी कहानी के शब्दार्थ

कूच – एक जगह से दूसरी जगह जाना 
दर्रा – दो पहाड़ों के बीच से होकर जानेवाला तंग रास्ता या घाटी 
अप्रत्याशित – जिसकी आशा न रही हो, नाउम्मीद होना 
आयुध – युद्ध का साधन, हथियार 
पौष्टिक – शक्तिवर्धक 
विकट – कठिन, मुश्किल 
प्रलोभन – लालच 
शेरपा – नेपाली पहाड़ी मज़दूर 
बर्मा मशीन – गहरे सूराख करने वाला मशीन 
मेट – शेरपाओं का मुखिया 
संकरा – तंग, संकीर्ण 
विरल – जो घनी न हो, फैली हुई 
विद्रूप – कटाक्ष, आक्षेप, ताना 
अलंघ्य – जिसे लांघा या पार न किया जा सके 
निर्वाह – निबाहना, गुज़ारा 
यातना – पीड़ा, अत्यधिक कष्ट।
 

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