मेरा विद्यार्थी जीवन महात्मा गांधी

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मेरा विद्यार्थी जीवन महात्मा गांधी mera vidyarthi jeevan question answer मेरा विद्यार्थी जीवन पाठ का सारांश मेरा विद्यार्थी जीवन पाठ के प्रश्न उत्तर

मेरा विद्यार्थी जीवन महात्मा गांधी

मेरा विद्यार्थी जीवन महात्मा गांधी mera vidyarthi jeevan question answer मेरा विद्यार्थी जीवन पाठ का सारांश मेरा विद्यार्थी जीवन पाठ के प्रश्न उत्तर मेरा विद्यार्थी जीवन पाठ के शब्दार्थ 

      

मेरा विद्यार्थी जीवन पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ या संस्मरण मेरा विद्यार्थी जीवन , महात्मा गाँधी जी के द्वारा लिखित है ⃒ वास्तव में देखा जाए तो गाँधी जी का जीवन-दर्शन शिक्षा भण्डार है ⃒ सत्य और अहिंसा का बीजारोपण गाँधी जी के जीवन में बाल्यकाल से ही हो गया था ⃒ गाँधी जी दूसरों को भी वही सलाह देते थे, जिसे वो खुद भी अपने जीवन में लागू करते थे ⃒ अपने इस संस्मरण के माध्यम से गाँधी जी कहते हैं कि हाई स्कूल के दौरान मैं मुर्ख की श्रेणी में नहीं आता था और शिक्षकों का सम्मान हमेशा किया करता था ⃒ प्रत्येक वर्ष माँ-बाप को विद्यार्थियों की पढ़ाई तथा स्कूल में उनके व्यवहार के संबंध में प्रमाण-पत्र भेजे जाते, जिसमें मेरी किसी भी दिन शिकायत नहीं की गई ⃒ यहाँ तक कि पढ़ाई के दौरान इनाम के साथ-साथ छात्रवृतियां भी मैंने हासिल की ⃒ 

मेरा विद्यार्थी जीवन महात्मा गांधी
गाँधी जी कहते हैं कि मुझे यह अच्छी तरह से याद है कि मैं अपने को बहुत योग्य नहीं समझता था ⃒ इनाम अथवा छात्रवृत्ति मिलती तो मुझे आश्चर्य होता, परन्तु अपने आचरण का मुझे बहुत ख्याल रहता था ⃒ मुझे याद है कि एक बार मैं पिटा भी था ⃒ मुझे इस बात का तो दुःख न हुआ कि पिटा, परन्तु इस बात का बहुत दुःख हुआ कि मैं इस दंड का पात्र समझा गया ⃒ गाँधी जी कहते हैं कि मैं उस वक़्त फूट-फूटकर रोया था ⃒ दरअसल, यह घटना पहली या दूसरी कक्षा की है ⃒ उस समय हमारे हेडमास्टर दोरावजी एदलजी गीमी हुआ करते थे ⃒ वे विद्यार्थियों से प्रेम करते थे, क्योंकि वे नियमों का पालन करवाते, विधिपूर्वक काम करते और काम लेते तथा पढ़ाई अच्छी कराते ⃒ वे बड़े कक्षा के बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के खेल-कूद का भी प्रावधान किया करते थे ⃒ जैसे कसरत करवाते थे, क्रिकेट खेलवाते थे, फुटबॉल खेल्वाते थे इत्यादि ⃒ गाँधी जी कहते हैं कि कसरत, खेल-कूद में मेरा ध्यान नहीं जाता था ⃒ पर आगे जाकर मैंने समझा कि व्यायाम अर्थात शारीरिक शिक्षा के लिए भी विद्या अध्ययन में उतना ही स्थान होना चाहिए, जितना मानसिक शिक्षा का है ⃒ 

गाँधी जी कहते हैं कि एक बार शनिवार के दिन सुबह स्कूल था ⃒ शाम को चार बजे कसरत में जाना था ⃒ मेरे पास घड़ी न थी ⃒ आसमान में बादल छा रहे थे ⃒ इस कारण मुझे समय का पता न चला ⃒ जब तक कसरत के लिए पहुँचता, तब तक तो सब लोग चले गये थे ⃒ जब दूसरे दिन गीमी साहब ने हाजिरी देखी तो मुझे गैरहाजिर पाया ⃒ जब मुझसे कारण पूछा गया तो मैंने सब कुछ सही-सही बता दिया ⃒ उन्होंने मेरी बातों को झूठ मानकर मुझपर जुर्माना लगा दिया ⃒ मुझे इस बात से बहुत दुःख हुआ कि मुझे झूठा समझा गया ⃒ कुछ दिन बाद कसरत से छुट्टी मिल गई ⃒ पिता जी की चिट्ठी जब हेडमास्टर को मिली कि मैं अपनी सेवा-शुश्रूषा के लिए स्कूल के बाद इसे अपने पास चाहता हूँ, तब जाकर उससे छुटकारा मिला ⃒ 

गाँधी जी कहते हैं कि मुझमें एक कमियां और थी कि मैं सुलेख नहीं लिख पाया, क्योंकि मैं इसे बचपन में जरूरी नहीं समझता था ⃒ खासकर, इस बात का एहसास मुझे तब हुआ, जब दक्षिण अफ्रीका में, जहाँ वकीलों के और दक्षिण अफ्रीका में जन्में और पढ़े युवकों के मोती के दाने की तरह अक्षर देखे, तो मैं बहुत लजाया और पछताया था ⃒ वे कहते हैं कि संस्कृत मुझे रेखागणित से भी अधिक मुश्किल मालूम पड़ती थी ⃒ संस्कृत वर्ग और फ़ारसी वर्ग में प्रतिस्पर्धा भी रहती थी ⃒ दूसरे विद्यार्थी लोग कहते थे कि फारसी बहुत सरल है और मौलवी साहब भी भले आदमी हैं, विद्यार्थी जितना याद करता है, उतने पर ही वह निभा लेते हैं ⃒ गाँधी जी कहते हैं कि अब तो मैं यह मानता हूँ कि भारतवर्ष के उच्च शिक्षण-क्रम में मातृभाषा के उपरान्त राष्ट्रभाषा हिंदी, संस्कृत, फ़ारसी, अरबी और अंग्रेजी के लिए भी स्थान होना चाहिए ⃒ वे कहते हैं कि मैं अच्छी तरह इस बात को अनुभव कर रहा हूँ कि बचपन में पड़े शुभ-अशुभ संस्कार बड़े गहरे हो जाते हैं और इसलिए यह बात अब मुझे बहुत खल रही है कि लड़कपन में कितने ही अच्छे ग्रंथों का श्रवण-पठन न हो पाया... ⃒ ⃒      


मेरा विद्यार्थी जीवन पाठ के प्रश्न उत्तर

प्रश्न-1 – ‘छात्रवृत्ति मिलने के पीछे भाग्य का हाथ रहा’ , गाँधी जी ऐसा क्यों मानते हैं ?  

उत्तर- गाँधी जी ऐसा इसलिए मानते हैं, क्योंकि वे छात्रवृत्तियाँ सभी लड़कों के लिए नहीं था और उस वक़्त कक्षा में सौराष्ट्र प्रान्त के विद्यार्थी बहुत कम होते थे ⃒ 

प्रश्न-2 – हेडमास्टर ने गाँधी जी को दंड क्यों दिया ?  

उत्तर- गाँधी जी को शाम को चार बजे व्यायाम की कक्षा के लिए जाना था, लेकिन मौसम साफ़ न होने के कारण गाँधी जी को समय का पता नहीं चला और वे विद्यालय नहीं पहुँच सके ⃒ इसलिए हेडमास्टर ने उन्हें दंड दिया ⃒ 

प्रश्न-3 – गाँधी जी को व्यायाम से छूट क्यों मिली ? 

उत्तर- जब गाँधी जी के पिता ने हेडमास्टर को चिट्ठी लिखकर बताया कि वे अपनी सेवा के लिए स्कूल के बाद गाँधी जी को अपने पास देखना चाहते हैं, तब गाँधी जी को व्यायाम से छूट मिल गई ⃒ 

प्रश्न-4 – उन्हें स्कूल में किस चीज़ की शिक्षा नहीं मिली ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, गाँधी जी को स्कूल में धर्म की शिक्षा नहीं मिली थी ? 

प्रश्न-5 – गाँधी जी के हेडमास्टर का नाम क्या था ? 

उत्तर- गाँधी जी के हेडमास्टर का नाम ‘दोरावजी एदलजी गीमी’ था ⃒  

प्रश्न-6 – विद्यार्थी जीवन में गाँधी जी के खेलों में भाग न लेने का प्रमुख कारण क्या था ? 

उत्तर- विद्यार्थी जीवन में गाँधी जी के खेलों में भाग न लेने का प्रमुख कारण यह था कि वे शारीरिक शिक्षा की अपेक्षा मानसिक शिक्षा पर ज्यादा बल देते थे ⃒ 


मेरा विद्यार्थी जीवन पाठ के शब्दार्थ 

अवहेलना – अनादर, ध्यान न देना 
सुगमता – सरलता, सहजता 
उलाहना – शिकायत 
अभिप्राय – तात्पर्य, मतलब 
आत्मज्ञान – अपने बारे में ज्ञान 
उदासीन – ध्यान न देना 
छात्रवृत्ति – वजीफा 
आचरण – चरित्र, चाल-चलन 
लजाना – शर्माना 
कसरत – व्यायाम, योग 
संस्मरण – याद, स्मृति

COMMENTS

Leave a Reply: 1
  1. उन्होंने अपने प्रधानाचार्य के किन गुणों का उल्लेख किया ?

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