मालव प्रेम एकांकी का सारांश प्रश्न उत्तर

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मालव प्रेम एकांकी का सारांश

प्रस्तुत पाठ या एकांकी  मालव-प्रेम , लेखक हरिकृष्ण प्रेमी जी के द्वारा रचित है।इस एकांकी के माध्यम से लेखक ने देश प्रेम की भावना को दर्शाया है। लेखक के अनुसार देश की प्रत्येक चीज़ें, विशेषता, धन-संपदा, लोग आदि सभी के बारे में वस्तुस्थिति से अवगत रहना ही सच्चा प्रेम है। यहाँ तक कि मातृभूमि की रक्षा और कल्याण के लिए मालव-कन्या विजया अपने व्यक्तिगत प्रेम का भी बलिदान कर देती है। इस एकांकी में देश की गुलामी को इंसानियत का सबसे बड़ा पतन बताया गया है।एकांकी में जो पात्र हैं, उनके नाम हैं – जयदेव (मालवगण का सेनापति), विजया (जयदेव की कुमारी बहन), श्रीपाल (विजय का प्रेमी), स्थान (मालव देश), काल (विक्रमी संवत् के 25 वर्ष पूर्व)।

इस एकांकी के अनुसार, रात के वक़्त, चंबल नदी के तट पर एक शिला पर बैठी विजया गा रही है। उसकी आयु 16-17 वर्ष के लगभग है। वह दिखने में सुंदर है, शरीर से सुगठित, लंबा और अत्यधिक आकर्षक है। विजया गाना गा रही होती है, तभी श्रीपाल वहाँ आकर विजया को संबोधित करता है। वह कहता है – तुम मेरे जीवन की प्रेरणा हो, स्फूर्ति हो। तुम्हारी स्मृति मेरे रक्त को गति देती है। तुम्हें पाने की इच्छा करना मेरे जीवन का जीवन है – लेकिन तुम्हें पा लेना मेरे जीवन की मृत्यु है। तुम्हारा भाई जयदेव ! उसे अपने कूल का अभिमान है। मैं एक साधारण किसान का पुत्र हूँ और तुम भारत की सुप्रसिद्ध मालव जाति की कन्या हो। आकाश की तारिका की ओर पृथ्वी पर पैर रखकर चलने वाला प्राणी कैसे हाथ बढ़ा सकता है ? तत्पश्चात, विजया जवाब में कहती है – यदि वह तारिका आकाश से उतरकर तुम्हारी गोद में आ गिरे तो ?  विजया के इस प्रस्ताव को नकारते हुए श्रीपाल कहता है – मैं उसे स्वीकार नहीं करूंगा, मैं कृपा कृपा का दान नहीं चाहता। इसके बाद श्रीपाल प्रणाम करते हुए विजया के पास से चला जाता है। विजया श्रीपाल को आखरी क्षण तक निहारती रहती है, जब तक श्रीपाल उसकी नजरों से ओझल नहीं हो जाता है।


मालव प्रेम एकांकी का सारांश प्रश्न उत्तर
सहसा विजया के कंधे पर जयदेव (विजय का भाई और मालवगण का सेनापति) हाथ रखता है तो वह चौंक जाती है। इसके बाद दोनों भाई-बहनों के बीच बातें होती है। चूँकि जयदेव श्रीपाल को पसंद नहीं करता है और उसकी बहन उससे प्रेम करती है। इसलिए जब विजया ने अपने प्रेम के बारे में जयदेव को बताया तो जयदेव आक्रोशित हो उठा और बोलने लगा अब मालवा-भूमि को श्रीपाल का मस्तक चाहिए। तभी जयदेव की बात सुनकर विजया बोल उठी – तुम लोगों का वंशाभिमान अपने देश के लिए शत्रु उत्पन्न कर रहा है। तुमने श्रीपाल का अपमान किया है और निराशा उसे शत्रु के पास खींच ले गई है। क्या जो जाती सैनिक नहीं है, वह मनुष्य कहलाने के लायक नहीं ? कार्य-विभाजन ऊँच-नीच की दीवार क्यों खड़ी करे ?  कुछ देर पश्चात् जयदेव वहाँ पर से चला जाता है और विजया पुनः वही गीत गुनगुनाने लगती है। तभी वहाँ पर आता है और विजया को संबोधित करते हुए कहता है – मैंने अपना निश्चय बदल दिया है, मैं तुम्हें अपने साथ ले जाना चाहता हूँ। लेकिन अब विजया का इरादा श्रीपाल के विपरीत हो चुका था। उसने श्रीपाल से कह दिया कि मुझे तुम्हारा मोह छोड़ना होगा। जब श्रीपाल ने वजह जानना चाहा तो विजया ने कहा – हम बचपन में एक साथ खेले हैं, अब जीवन का अंतिम खेल भी तुम्हारे साथ खेल लेना चाहती हूँ। बोलो, खेलोगे श्रीपाल ?  दोनों एक-दूसरे की बातों से सहमत हो जाते हैं।


विजया, श्रीपाल के दोनों हाथ खूब कसकर बाँध देती है और कहती है कि आगे का खेल अब मेरे भैया खेलेंगे। तत्पश्चात, जयदेव का प्रवेश होता है। विजया के इस छल वाला रूप को देखकर श्रीपाल आश्चर्य से भर जाता है। तभी विजया, श्रीपाल से कहती है कि मुझे इस बात का अभिमान है कि अपने प्रियतम को मैंने देशद्रोह से बचा लिया है। (गले से हार उतारकर पहनाती हुई) प्रियतम, मैं अपने अपराध के लिए क्षमा चाहती हूँ। यह मेरे प्रेम का अंतिम प्रमाण है। आज हमारा स्वयंवर है। आज मालव जाति की परंपरा के विरुद्ध कृषक कुमार श्रीपाल को मैं वरमाला पहनाती हूँ। मैं तुम्हारी हूँ और तुम्हारी ही रहूंगी। इसके बाद विजया, श्रीपाल के चरणों की धूल को अपना अमूल्य निधि समझकर उसके चरणों को स्पर्श करती है......




मालव प्रेम एकांकी के प्रश्न उत्तर


बहुवैकल्पिक प्रश्न 


प्रश्न-1 – विजया के भाई का नाम क्या है ? 

उत्तर- जयदेव 


प्रश्न-2 – किसकी आयु लगभग 25 वर्ष है ? 

उत्तर- मालव 


प्रश्न-3 – ‘तुम्हें पा लेना मेरे जीवन की मृत्यु है’ – किसने कहा ? 

उत्तर- विजया 


प्रश्न-4 – किसे अपने कुल का अभिमान है ? 

उत्तर- जयदेव 


प्रश्न-5 – इनमें से खेती का काम कौन करता है ? 

उत्तर- श्रीपाल 


प्रश्नोत्तर 


प्रश्न-1 – जयदेव कौन है ? 

उत्तर- जयदेव मालवगण का सेनापति है। 


प्रश्न-2 – विजया का प्रेमी कौन है ? उसका संक्षिप्त परिचय दीजिए।  

उत्तर- विजया का प्रेमी श्रीपाल है। श्रीपाल एक साधारण किसान का पुत्र है


प्रश्न-3 – जयदेव मालव भूमि के लिए क्या चाहता है ? 

उत्तर- जयदेव मालव भूमि के लिए श्रीपाल का मस्तक चाहता है। 


प्रश्न-4 – विजया और श्रीपाल के मध्य कैसा संबंध है ? क्या वे दोनों उस कसौटी पर खरे उतरते हैं ? 

उत्तर- विजया और श्रीपाल के मध्य प्रेम का संबंध है। दोनों पूरी आत्मीयता से एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। परन्तु, दोनों का प्रेम अधुरा रह जाता है। क्योंकि विजया अपने प्रियतम श्रीपाल को देशद्रोह से बचाने के लिए अपने प्रेम की कुर्बानी दे दी। 


प्रश्न-5 –  जयदेव को अपनी जाति पर गर्व का अनुभव क्यों होता है ?  

उत्तर- जयदेव को अपनी जाति पर गर्व का अनुभव इसलिए होता है, क्योंकि उसकी जाति ने सदा भारत का अंगरक्षक बनकर आततायियों को देश में आने से रोका है। सिकंदर महान की विश्वविजयी यूनानी सेना को हजारों प्राणों की बाजी लगाकर वापस लौट जाने को बाध्य किया है


प्रश्न-6 – एकांकी के अंत में विजया अपने प्रेम का अंतिम प्रमाण क्या देती है ? 

उत्तर- एकांकी के अंत में विजया अपने प्रेम का अंतिम प्रमाण यह देती है कि अपने गले से हार उतारकर श्रीपाल को पहनाती हुई दृढ़तापूर्वक कहती है कि आज हमारा स्वयंवर है। आज मालव जाति की परंपरा के विरुद्ध कृषक कुमार श्रीपाल को मैं वरमाला पहनाती हूँ। मैं तुम्हारी हूँ और तुम्हारी ही रहूंगी।  


प्रश्न-7 – विजया श्रीपाल के हाथ क्यों बाँध देती है ? 

उत्तर- विजया श्रीपाल के हाथ इसलिए बाँध देती है, ताकि श्रीपाल किसी देशद्रोह से साफ़ बच जाए। 



भाषा संरचना 


प्रश्न-1 – निम्नलिखित के समस्त पद बनाओ – 

उत्तर- 

  • कुल का भूषण – कुलभूषण 

  • दिन और रात – दिन-रात 

  • किसान का पुत्र – किसानपुत्र 

  • पाप और पुण्य – पाप-पुण्य 


प्रश्न-2 – विलोम शब्द लिखो – 

उत्तर- 

  • पराधीनता – स्वाधीनता 

  • उचित – अनुचित 

  • कायरता – निडरता 

  • अपमान – सम्मान 

  • निश्चय – अनिश्चय 

  • हिंसा – अहिंसा 

  • विजय – पराजय 

  • शत्रु – मित्र 


प्रश्न-3 – वाक्य बनाओ – 

उत्तर- 

  • यौवन – यौवन काल में लोगों का मन स्थिर नहीं होता है। 

  • मार्ग – मनुष्य को सदा सत्य मार्ग पर चलना चाहिए। 

  • अपमान – हमें किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। 

  • हाथ बाँधना – मजबूरियों ने उसके हाथ बाँध दिए हैं

  • साहस – विपरीत परिस्थितियों में हमेशा साहस से काम लेना चाहिए। 


प्रश्न-4 – बताओ किसने कहा और किससे कहा ? 

उत्तर- 

  • तुम अपनी सीमा के बाहर जाते हो। 

विजया ने श्रीपाल से कहा  

  • जिस अधिकार से चाँद तुम्हें इस समय देख रहा है। 

श्रीपाल ने विजया से कहा। ⃒ 

  • तुम मुझसे युद्ध करोगी। 

जयदेव ने विजया से कहा । ⃒ 

  • एक श्रीपाल का मस्तक लेकर देश की रक्षा नहीं कर सकोगे ।

विजया ने जयदेव से कहा ।

  • मुझे तुम्हारा मोह छोड़ना होगा ।  

विजया ने श्रीपाल से कहा ।  




मालव प्रेम एकांकी हरिकृष्ण प्रेमी के शब्दार्थ 


  • दंड – सजा 

  • पराधीनता – गुलामी 

  • पतन – गिरावट 

  • विसर्जित – बहाया हुआ 

  • अवकाश – फुर्सत 

  • निकट – पास, नजदीक 

  • स्वप्न – सपना, ख्वाब 

  • उत्तरीय – दुपट्टा, ओढ़नी 

  • स्मृति – याद 

  • स्वीकार – मंज़ूर 

  • सृष्टि – संसार 

  • विक्षिप्त – पागल 

  • प्रवाहित – बहाया हुआ 

  • नयन – आँख, नेत्र 

  • श्वास – साँस 

  • कंठ – गला 

  • स्फूर्ति – फुर्ती, तेजी 

  • वेग – गति 

  • कायरता – भीरुपन, डरपोकपन 

  • चिरंतन – पुराने समय से चला आने वाला 

  • तीक्ष्ण – तीखा 

  • उद्दाम – जिसे दबाया न जा सके, बंधनहीन 

  • अपरिमित – असीम 

  • हतबुद्धि – मुर्ख, जिसकी बुद्धि काम न करे 

  • रज – धूल  ।  


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