सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जीवन परिचय

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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जीवन परिचय


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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की साहित्यिक विशेषताएँ 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जीवन परिचय
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना जी ,नयी कविता के कवियों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन्होंने लोकजीवन से ही अपनी विषय सामग्री उठाई है। वे मानते थे कि साहित्य केवल नगरों की विषयवस्तु नहीं है। उसका महत्व प्रत्येक जन के लिए है। इसीलिए उन्होंने सामान्य जन की पीड़ा को ,उनकी विसंगतियों को और उनके शोषण को आवाज दी है। उनका साहित्य यथार्थ पर आधारित है। सहजता में उनका गहरा विश्वास है। सर्वेश्वर जी का काव्य क्षेत्र और व्यक्तित्व अत्यंत व्यापक है। उनमें मस्तीभरी धुन पर सहज प्रेम के गीत गाने की जितनी सामर्थ्य है ,उतनी ही संत्रास और संक्रांति की उलझी हुई संवेदना को व्यक्त करने की भी है। विरह की गहन व्यथा को अद्भुत संयम के साथ कविता में उतारने की जितनी क्षमता है ,उतनी ही युग की विषमताओं पर चुभते हुए व्यंग करने की भी। उनमें जितनी अनास्था और पराजय है उससे कहीं अधिक आस्था और विजय का विश्वास है। वे प्रकृति को खिलवाड़ की मनस्थिति में भी चित्रित कर सकते हैं और गहनतम अनुभूतियों के रंग में रंगकर भी। जीवन में हर कहीं रम लेने की और कहीं से कविता बोलने की इस व्यक्ति में अजीब सी ताकत है। इनके काव्य में एक सफल नए कवि की प्रायः सभी विशेषताएँ मिलती हैं। कवि ह्रदय ने प्रकृति व नारी की रागात्मकता में डूब कर कविताओं की रचना की है ,किन्तु इनमें भावप्रवणता के स्थान पर बौद्धिक संयम अधिक है। इसी प्रकार कवि द्वारा चित्रित नारी आस्थाप्रद है। 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की भाषा शैली

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना जी ,अपनी चित्रमयी शैली के लिए विख्यात हैं। उनके साहित्य के आधार पर दुर्लभ चित्र बनाये जा सकते हैं। वे बोलचाल के लिए आम शब्दों का व्यवहार करते हैं। उनके द्वारा अनूठी भावाभिव्यक्ति करते हैं। सर्वेश्वर जी के विषय में अज्ञेय जी ने बहुत सही कथन कहा है - समकालीन सत्य और यथार्थ को जो नए कवि सफल और सबल हाथों से पकड सके - जो सच्चे अर्थों में समकालीन जीवन से संपृक्त हैं - उनमें सर्वेश्वर जी का विशेष स्थान है .

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की रचनाएं 

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना जी ,बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने कविता ,उपन्यास ,कहानी ,निबंध ,नाटक आदि सभी विधाओं में लिखा है। उनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार है - 

निबंध संग्रह - चर्चे और चरखे। 
उपन्यास - पागल कुत्तों का मसीहा ,सोया हुआ जल। 
कहानी संग्रह - लडाई। 
नाटक - बकरी ,कल फिर भात आएगा ,अब गरीबी हटाओ ,राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती। 
बाल साहित्य - लाख की नाक ,भौं - भौं ,खों -खों ,बतूता का जूता। 
कविता - काठ की घंटिया ,बाँस का पुल ,एक सूनी नाव ,गर्म हवाएं ,कुआनों नदी ,जंगल का दर्द ,खूंटियों पर टंगे लोग आदि। 

खूंटियों पर टंगे लोग  पर उन्हें सर्वेश्वरदयाल सक्सेना जी को साहित्य अकादमी ने पुरस्कृत किया है। 


विडियो के रूप में देखें - 





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