बहुत दिनों के बाद कविता की व्याख्या सारांश प्रश्न उत्तर

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बहुत दिनों के बाद कविता सारांश मूल भाव बहुत दिनों के बाद कविता का भावार्थ व्याख्या प्रश्न उत्तर Bahut Dino ke Baad Kavita nagarjun ki kavita शब्दार्थ

नागार्जुन की कविता बहुत दिनों के बाद

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बहुत दिनों के बाद कविता का सारांश मूल भाव 

प्रस्तुत कविता बहुत दिनों के बाद  कवि , नागार्जुन जी के द्वारा लिखित है। कवि नागार्जुन की यह कविता  युगधारा  नामक कविता-संग्रह से ली गई है | कवि एक लम्बे समय के बाद अपने चिर-परिचित गाँव में आता है और यहाँ अपूर्व आनन्द तथा परितोष का अनुभव करता है। इस उल्लास को कवि ने शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध के पाँच बिम्बों के माध्यम से व्यक्त किया है। कवि प्रस्तुत कविता में बताते हैं की बहुत दिनों के बाद मुझे ग्रामीण प्रकृति का रमणीय एवं मोहक रूप देखकर आनंद का अनुभव हुआ। मैंने वहाँ की सुनहरी फसलों को मुस्कुराते पाया, धान कूटती युवती किशोरियों को मस्त होकर कोमल कंठों से गीत गाते हुए देखा। बहुत दिनों के बाद मैंने गाँव में ताजे – ताजे मौलसरी के फूलों की सुगंधित दिव्य सुगंध का अनुभव किया। बहुत दिनों के बाद मैंने पगडंडी पर बिखरी चंदन वर्णी धूल को छूकर अनुभव किया, कवि गन्ने के रस चूसे। उपर्युक्त पूरे काव्य में कवि ग्रामीण वातावरण का वर्णन कर रहे हैं, जो शहर में दुर्लभ है...|| 

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बहुत दिनों के बाद कविता की व्याख्या भावार्थ


बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी भर देखी
पकी – सुनहली फसलों की मुस्कान
बहुत दिनों के बाद।
अब की मैं जी भर सुन पाया
धान कूटती किशोरियों की कोकिल कंठी तान
बहुत दिनों के बाद

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ  बहुत दिनों के बाद  कविता से लिया गया है, यह कविता कवि नागार्जुन जी के द्वारा रचित है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने गाँव के मनमोहक दृश्य का चित्रण किया है। जब कवि बहुत समय के बाद गाँव लौटते हैं तो गाँव में लहलहाती सुनहरी पकी हुई फसल का नजारा देखते हैं | कवि इस अद्भुत दृश्य को जी भर के निहारते हैं क्योंकि इस नजारा को कवि बहुत दिनों के बाद देखते हैं |  आगे कवि कहते हैं कि बहुत दिनों के बाद धान कुटती हुई बालिकाओं कि मधुर गले की आवाज़ सुनी है। यह सब कवि काफी समय के बाद महसूस कर रहें हैं | 
बहुत दिनों के बाद कविता की व्याख्या सारांश प्रश्न उत्तर

अब की मैंने जी  भर सूँघे
मौलसिरी के ढे र- ढेर से ताजे – टटके फूल
बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी  भर छू पाया
अपनी गँवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल
बहुत दिनों के बाद

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ  बहुत दिनों के बाद  कविता से लिया गया है, यह कविता कवि नागार्जुन जी के द्वारा रचित है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि सुगंध और छूने की अनुभूति करते हैं । बाबा नागार्जुन का गाँव ताल – तलैया और मौलसरी के फूलों आदि से आच्छादित है। इन फूलों के सुंगन्ध को कवि जी भर के महसूस करते हैं। कवि अपने गाँव के रास्ते का चन्दन के रंग के समान धूल को जी भर कर स्पर्श करते हैं | कवि को आनन्द की अनुभूति होती है। क्योंकि कवि बहुत दिनों के बाद गाँव आए हैं और गाँव की मिट्टी को छू पा रहें हैं | 

अब की मैंने जी भर तालमखाना खाया
गन्ने चूसे जी भर
बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी भर भोगे
गंध – रूप – रस – शब्द – स्पर्श
सब साथ साथ इस भू पर
बहुत दिनों के बाद !

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ  बहुत दिनों के बाद  कविता से लिया गया है, यह कविता कवि नागार्जुन जी के द्वारा रचित है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि मैंने गाँव में आकर जीवन को जी भर के जिया है। बहुत दिनों के बाद मैंने गाँव में तालमखाना खाया गन्ने के रस चूसे। कवि कहते हैं कि मैंने गाँव लौटकर बहुत दिनों के बाद मैंने जी भर के जीवन को जिया है, उसे भोगा है अपने रस , रूप , गंध , शब्द , स्पर्श आदि इन सभी को भरपूर महसूस किया है | 

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बहुत दिनों के बाद कविता के प्रश्न उत्तर 


बहुवैकल्पिक प्रश्न 
प्रत्येक प्रश्न के लिए चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प का चयन करके बॉक्स में लिखें- 

1.'बहुत दिनों के बाद' कविता किसकी है ? 

(क) युगधारा 
(ख) अपूर्व
(ग) आनंद
(घ) नागार्जून

उत्तर- (घ) नागार्जुन

2.'बहुत दिनों के बाद' कविता किस संग्रह से ली गई है ? 

(क) युगधारा
(ख) अपूर्व 
(ग) आनंद
(घ) युगवाणी

उत्तर- (क) युगधारा

नागार्जुन
नागार्जुन

3.अबकी बार कवि ने जीभर क्या देखा ? 

(क) धान कूटती किशोरियों
(ख) पकी-सुनहली फसलों
(ग) मौलसिरी के जाते फूल
(घ) पगडंडी की चन्दनवर्णी धूल

उत्तर- (ख) पकी-सुनहली फसलों 

4.कोकिल कंठी तान किसके गले से निकलती है ?

(क) नागार्जुन
(ख) धान
(ग) किशोरी
(घ) मौलसिरी

उत्तर- (ग) किशोरी

5.गँवई किसे कहा जाता है ? 
(क) पगडंडी को
(ख) गाँव को
(ग) चन्दनवर्णी धूल को 
(घ) धूल को

उत्तर- (ख) गाँव को

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लिखित
1.कविता 'बहुत दिनों के बाद' किसकी रचना है ? 

उत्तर - कविता 'बहुत दिनों के बाद' कवि नागार्जुन की रचना है | 

2.इस कविता का मूल प्रति पाद्य क्या है ? 

उत्तर - इस कविता का मूल प्रति पाद्य यह है कि कवि एक लम्बे समय के बाद अपने चिर-परिचित गाँव में आता है और यहाँ अपूर्व आनन्द तथा परितोष का अनुभव करता है। इस उल्लास को कवि ने शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध के पाँच बिम्बों के माध्यम से व्यक्त किया है | 

3.'पकी सुनहली फसलों की मुसकान' इस वाक्य में कवि क्या कहना चाहता है ? 

उत्तर- 'पकी सुनहली फसलों की मुसकान' इस वाक्य में कवि कहना चाहता है कि मैंने बहुत दिनों के बाद इस अद्भुत दॄश्य को देखा है, गाँव में खेतों में पकी हुई फसल मुसकुराती हुई दिखाई दे रही है | 

4.कवि क्या छूने की बात कह रहा है ? 

उत्तर- कवि गाँव के पगडंडियों के चन्दनवर्णी धूल को छूने की बात कह रहा है | 

5.'बहुत दिनों के बाद' कविता में कवि ने क्या आंनद लिया ? 

उत्तर-प्रस्तुत कविता में कवि ने बहुत दिनों के बाद जी भर के जीवन को जिया है, उसे भोगा है, अपने रस , रूप , गंध , शब्द , स्पर्श आदि इन सभी को भरपूर महसूस किया है एवं उसका आनंद लिया है | 

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भाषा संरचना
1. एक वचन से बहुवचन बनाओ --- 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं - 

 एकवचन     बहुवचन
• फसल -      फसलों
• दिन -          दिनों
• किशोरी -  किशोरियों
• गन्ना -          गन्नों 

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बहुत दिनों के बाद कविता के शब्दार्थ


जी भर देखना - अच्छी, भली-भाँति देखना
पकी - परिपक्व 
मुसकान - खुशी
किशोरियाँ - छोटी लड़कियाँ, बालिकाएँ
कंठी तान - गले की आवाज, सुर
• ताजा-टटके - एकदम ताजा 
• गँवई पगडंडी - ग्राम्य रास्ता
• चन्दनवर्णी - चन्दन के से रंग वाली

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