स्नेह पगी पाती पाठ का सारांश प्रश्न उत्तर

SHARE:

स्नेह पगी पाती उषा वधवा स्नेह पगी पाती पाठ का सारांश स्नेह पगी पाती पाठ के प्रश्न उत्तर नूतन गुंजन Sneh Pagi Paati hindi gunjan ICSE Bhasha GyanSarlar

स्नेह पगी पाती उषा वधवा


स्नेह पगी पाती उषा वधवा स्नेह पगी पाती पाठ का सारांश स्नेह पगी पाती पाठ के प्रश्न उत्तर नूतन गुंजन Sneh Pagi Paati Explanation Usha Vadhwa Story Daakiya Postman Telephone PostOffice InvitationCard IndianCulture स्नेह पगी पाती class 7 chapter 6 hindi gunjan sneh pagi pati class 7 sneh pagi pati explanation sneh pagi pati summary sneh pagi pati hindi gunjan ICSE Bhasha GyanSarlarth sneh pagi paati explantion 


स्नेह पगी पाती पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ  स्नेह पगी पाती , लेखिका उषा वधवा जी के द्वारा लिखित है। यह एक निबंध है, जिसमें लेखिका अपने पुराने दिनों के बारे में ज़िक्र करते हुए निबंध को रोचक बनाती हैं। यह बात उस समय की है, जब मोबाइल, कंप्यूटर नहीं हुआ करते थे हमें अपनों तक सन्देश भेजने के लिए पत्र का सहारा लेना पड़ता था। लेखिका ने अपने उन्हीं जीवन रूपी यादों को इस पाठ में बताया है। चिट्ठी लिखने की परंपरा बहुत पुरानी है। जब संचार माध्यमों का इतना विकास नहीं हुआ था। तब केवल चिठ्ठी पत्री ही ऐसा माध्यम था जसके जरिए अपने स्नेही-जनों के हाल-चाल ले दे सकते थे। चिट्ठियों के आने के इंतजार का आनंद ई-मेल वाट्सअप के युग में कहीं खो सा गया है। यह सच है कि तमाम आधुनिक संचार माध्यमों से भेजे गए सन्देश को बाँचने में वह अपनापन महसूस नहीं होता, जो अपनों के हाथ से स्नेह के शब्दों में पगी पाती बाँचकर मिलता है। लेखिका के जन्मदिन की सुबह उनको विदेश में रहने वाली उनकी बेटी का शुभकामना सन्देश मिलता है। लेकिन लेखिका को वह आनंद नहीं मिलता है जो पहले मिलता था । क्योंकि उनकी बेटी उनके जन्मदिन पर कॉर्ड ढूँढने के लिए पूरा बाजार छान देती थी। उसमें लिखी इबारत में अपनी ओर से भी कुछ पक्तियाँ जोड़कर उसे पूरा भर देती थी। अब वह उन्हें जन्म दिन के कार्ड भेजती है लेकिन ई-मेल से, जिसमें उसके हस्ताक्षर भी नहीं होते हैं। लेखिका इन कार्डों में उनके हाथों का स्पर्श महसूस नहीं कर पाती है। वह कहती है कि मैं अपनी बिटिया का पत्र दूर से ही पहचान लेती हूँ, क्योंकि उनके बिटिया के पत्र पूरी तरह से भरे हुए होते थे और उन पर चॉकलेट, मक्खन के निशान भी होते थे जिन्हें देखकर लेखिका दूर से ही अपनी बिटिया का पत्र पहचान लेती थी | 

स्नेह पगी पाती पाठ का सारांश प्रश्न उत्तर
लेखिका कहती हैं की पुराने समय में डाकिए का आगमन दिन भर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था। वह दिन में तीन बार पत्र बाँटने के अलावा पत्र बाँचने का भी काम करता था। जरूरत पड़ने पर कभी-कभी वह उत्तर भी लिख देता। इससे यह स्प्ष्ट पता चलता है की डाकिया सब के लिए बहुत आवश्यक कड़ी था। उस वक्त ततकाल सूचना देने के लिए तार का उपयोग किया जाता था।  तार दुःखद अवसरों पर, विवाह या पुत्र-प्राप्ति आदि पर तत्काल सूचना देने के लिए भेजे जाते थे। क्योंकि तार के माध्यम से कम समय में सूचना पहुँच जाता था। आज कल तो तकनिकी अविष्कारों ने पहले का वह अनभुव छीन लिया है, पत्र की जगह टेलीफोन ने ले लिया और अब मोबाइल ने तो क्रांति ही ला दी है | ई मेल, वाट्सअप, फेसबूक जैसे चीज़ सूचना का केंद्र बन गए हैं। लेखिका बताती हैं की जो आनंद और सुख की अनुभुति लम्बे पत्र पढ़कर होती थी आज मोबाइल से घण्टों बात करने से नहीं मिलती, वो प्यार और स्नेह से भरा खत सुख-दुख का वाहक होता है। पत्र में ही लिखने वाले कि सूरत झलकती थी, उनका अश्क साफ नजर आता था आज इस क्रांति के युग में वो बात नहीं रही। लेखिका ने यह पाठ बहुत ही सरल, सहज और सन्देशप्रद भाव को उजागर किया है। 

एक समय ऐसा आएगा जब बच्चे माता-पिता से पूछेंगे की ये डाकिया क्या होता है। क्योंकि एक पीढ़ी के बाद तकनीकी संचार इतना बढ़ जाएगा कि पोस्ट और डाक विलुप्त हो चुके होंगे। स्नेह पगी पाती तब देखने को नहीं मिलेगी...|| 

---------------------------------------------------------


स्नेह पगी पाती पाठ के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 जन्मदिन की सुबह लेखिका को क्या मिला ? 

उत्तर- जन्मदिन की सुबह लेखिका को विदेश में रहने वाली अपनी बेटी का शुभकामनाओं वाला कार्ड मिला | 

प्रश्न-2 लेखिका ने 'अनमोल धरोहर' किसे कहा है ? 

उत्तर- लेखिका अपने जन्म दिन पर बिटिया द्वारा भेजे गए कार्डों को अलमारी में सहेजकर रखती थी। उन्हें ही लेखिका ने 'अनमोल धरोहर' कहके संबोधित किया है | 

प्रश्न-3 तार किन-किन अवसरों पर भेजे जाते थे और क्यों ? 

उत्तर- तार दुःखद अवसरों पर, विवाह या पुत्र-प्राप्ति आदि पर तत्काल सूचना देने के लिए भेजे जाते थे। क्योंकि तार के माध्यम से कम समय में सूचना पहुँच जाता था | 

प्रश्न-4 'मैं तो दूर से ही उसका पत्र पहचान सकती हूँ' - लेखिका ऐसा क्यों कहती हैं ? 

उत्तर- क्योंकि उसकी बिटिया के पत्र पूरी तरह से भरे हुए होते थे और उन पर चॉकलेट, मक्खन के निशान भी होते थे जिन्हें देखकर लेखिका दूर से ही अपनी बिटिया का पत्र पहचान लेती थी | 

प्रश्न-5  बिटिया द्वारा भेजे गए जन्मदिन कार्डों में पहले और अब लेखिका क्या अंतर महसूस करती हैं ? 

उत्तर - पहले लेखिका की बिटिया उनके जन्मदिन का कॉर्ड ढूँढने के लिए पूरा बाजार छान देती थी। उसमें लिखी इबारत में अपनी ओर से भी कुछ पक्तियाँ जोड़कर उसे पूरा भर देती थी। अब वह उन्हें जन्म दिन के कार्ड भेजती है लेकिन ई-मेल से, जिसमें उसके हस्ताक्षर भी नहीं होते हैं। लेखिका इन कार्डों में उनके हाथों का स्पर्श महसूस नहीं कर पाती है। 

प्रश्न-6 पुराने समय में लोगों के जीवन में डाकिए की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी - यह कैसे पता चलता है ?

उत्तर- पुराने समय में डाकिए का आगमन दिन भर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था। वह दिन में तीन बार पत्र बाँटने के अलावा पत्र बाँचने का भी काम करता था। जरूरत पड़ने पर कभी-कभी वह उत्तर भी लिख देता। इससे यह स्प्ष्ट पता चलता है की डाकिया सब के लिए बहुत आवश्यक कड़ी था | 

---------------------------------------------------------

भाषा से
प्रश्न-7 इस पाठ में संस्कृत के कुछ उपसर्गों का प्रयोग किया गया है आप भी इनसे दो-दो नए शब्द बनाइए --- 

उत्तर -  निम्नलिखित उत्तर हैं - 

• उप + युक्त = उपयुक्त , उपयोग , उपकार
• वि + देश = विदेश, विशेष, वियोग
• प्र + भाव = प्रभाव, प्रयोग, प्रदेश
• स्व + जन = स्वजन, स्वदेश, स्वागत

प्रश्न -8 दिए गए शब्दों में से तत्सम, विदेशी और देशज शब्द छाँटकर लिखिए --- 

क्षुधा, डाक, प्रिंट, मुस्तैदी, मुंडेर, स्क्रीन, पत्र, साँकल, प्रिय

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं - 

• तत्सम - क्षुधा, प्रिय, पत्र
• विदेशी - प्रिंट, मुस्तैदी, स्क्रीन
• देशज - साँकल , डाक मुंडेर

प्रश्न-9 'पत्र' शब्द के प्रयोग से बनने वाले दस शब्द लिखिए --- 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं - 

• समाचार पत्र
• ताम्र-पत्र
• पत्रकार
• पत्रचार
• कार्य-पत्र
• निमंत्रण-पत्र
• अभ्यास-पत्र
• प्रश्न-पत्र
• आवेदन-पत्र
• सूचना-पत्र

प्रश्न-10 दिए गए शब्द युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए --- 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं - 

• कभी-कभी -- मैं कभी-कभी मूवी देखता हूँ।
• लंबे-लंबे -- मुझे लम्बे-लम्बे वृक्ष पसन्द हैं।
• धीरे-धीरे -- धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
• कैसा-कैसा -- कैसा-कैसा दिन देखना पड़ता है। 

---------------------------------------------------------


स्नेह पगी पाती पाठ से संबंधित शब्दार्थ 

• सेक्रेटरी - सहायक
• खंगाल डालती - खूब ढूँढना
• इबारत - लिखी हुई सामग्री
• सहेजकर - सँभालकर
• धरोहर - पूँजी
• हिज्जों - वर्तनी
• हाशिए - पन्ने के चारो ओर का किनारा
• चूक जाने पर - समाप्त हो जाने पर
• बाँच - पढ़
• हाईटैक - उच्च तकनीक वाले
• अहम - मुख्य
• क्षुधा - इच्छा
• मजमून - विषय
• तार - वह व्यवस्था जिसके द्वारा बिजली की शक्ति से समाचार भेजे जाते हैं
• साँकल - दरवाजे पर लगी कुंडी
• मुबारकी - बधाई संदेश वाले
• महकमा - विभाग
• अकारण - बिना किसी कारण
• पगी - लिपटी, डूबी | 


COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका