आईएएस और पीसीएस एवं ढलती उम्र

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आईएएस और पीसीएस एवं ढलती उम्र इण्टर करने के बाद बह प्रयाग चला गया और प्रयाग यूनिवर्सिटी से उसने मैथमैटिक्स में एम् एस सी की। ओवर ऐज होने

                          आईएएस और पीसीएस एवं ढलती उम्र                                   

ज उस का मन बहुत  खिन्न  ,उदास  और परेशान हैं। बह  चालीस  साल का होने जा रहा हैं। उसकी समझ में नहीं आ रहा हैं कि बह कब  शादी  करेगा , कब बच्चे  पैदा  करेगा  और कब उस की फॅमिली होगी।  वैसे इस बरैली शहर में  बह पैदा  हुआ था ,लेकिन यंहा  जयादा  रह नहीं पाया था।  इण्टर करने के बाद  बह प्रयाग  चला  गया  और प्रयाग  यूनिवर्सिटी से उसने  मैथमैटिक्स  में एम्  एस सी  की।   ओवर  ऐज होने तक  बह आई  ए एस पी सी  एस की तैयारी  करता रहा |किन्तु  उस को सफलता  नहीं मिली।  एक तो सरकार ने आई  ए एस पी सी  एस   में बेटने की उम्र पैंतीस  साल तक कर दी हैं। और दुसरे इनका   फाइनल रिजल्ट तीन चार साल में आता है।  अगर आप  इन  परीक्षा की तयारी  के अलाबा और किसी फील्ड में अपना कर्रिएर  बनाने की नहीं सोचते हैं ।  आपको सफलता नहीं मिलती हैं और आपकी उम्र  पैंतीस  साल से ऊपर हो गयी हैं  तब आप अपने आपको ठगा ठगा  सा महसूस करते हैं  और आप एक कोचिंग  सेंटर खोलने के अलाबा  ज्यादा  कुछ कर नहीं सकते। 
                     
उस के साथ भी  ऐसा  ही हुआ  और इस साल अप्रैल में आकर उसने  बरैली में कोचिंग  सेंटर खोला हैं। बड़ी मुश्किल  से कोचिंग चलाने  के लिए एक कमरा किराये  पर मिला हैं।  कमरा  भी ज्यादा अच्छा नहीं हैं।  दो पंखें  लगे हैं जो हवा कम फेंकते हैं और  अबाज ज्यादा करते हैं।  सोचा  था की जब बच्चे  कोचिंग में  आने लगेंगे  तो  ऐ  सी  लगबा  लेगा। 
                       
लेकिन तीन मास हो गए हैं और कोचिंग सेण्टर में एक भी बच्चा  नहीं आया  हैं । तीन महीने से कोचिंग सेण्टर का किराया और एक  नौकर की तनख्वा  उधार लेकर दे रहा हैं। 
                              
आईएएस और पीसीएस एवं ढलती उम्र
बह इसी उधेरबुन  में अर्ध निद्रा की अवस्ता में कुर्सी पर   बैठा था कि एक बहुत मीठी आबाज सुनाई  देती हैं और बह कह रही हैं " हेलो"।  बह हरबड़ाते हुए  खड़ा हो जाता हैं।  बह देखता हैं कि  सामने  लगभग पैंतीस साल की एक बहुत ही खूबसूरत महिला खड़ी हैं।  उस का मुस्कराता  चेहरा , घने बॉल , आगे सीने पर दो चुटिया  और उसके मोठे मोठे गाल  उसकी पर्सनालिटी  पर चार चाँद लगा रहे  हैं  ।  उसके साथ  दस बारह साल का एक लड़का  हैं । 
                  
उसको देख कर बह चौंक गया।  उसे  ऐसा  लगा जैसे की बह सपना देख रहा हैं।  जो लड़की  उसके सामने खड़ी थी  बह पहचानता  था । जब बह प्रयाग  यूनिवर्सिटी से   मैथमैटिक्स  में एम्  एस सी  कर रहा था   बह लड़की  प्रयाग  यूनिवर्सिटी से बी एस सी  कर रही थी  और  हम  आई  ए एस पी सी  एस  की कोचिंग सेण्टर में एक साथ जाते थे।  जब बह चौबीस  साल की हुई  उसने मुझसे कहा " में तीन चार साल से  कम्पटीशन की तयारी कर रही हूँ   ,किन्तु  मुझे सफलता नहीं मिली हैं ।  मेरी बैंक में क्लर्क की जॉब लग गयी हैं। मैं ज्यादा  इन्तजार  नहीं कर सकती हूँ  ।  तुम भी इन सबसे निकलो , कोई दूसरा जॉब देखो । आई  ए एस पी सी  एस  ना बनने से कोई जिंदगी ख़त्म थोड़ी  हो जाती हैं।  हम लोग शादी कर लेते हैं और एक साधरण  एबं  सुखी जीवन  बिताते  हैं।  
                
लेकिन उसने  इस प्रस्ताब को नहीं माना ।   उसने उस से कहा कि जब तक बह ओवर ऐज  नहीं होता तब  तक ना तो बह दुसरे जॉब के बारे   में सोचेगा  और  ना   ही बह शादी करेगा।   उस ने मंजू से कहा कि बह उस से प्यार करता हैं और उस से शादी  करना चाहता हैं।  लेकिन उस को इन्तजार करना होगा।  इसके बाद बह बिना कुछ बोले चली गयी ।  फिर किसी दोस्त ने बताया कि उसने शादी कर ली हैं ,उसका हस्बैंड बैंक में हैं और बरैली में रहती हैं। 
                             
बरैली आने पर बह सोच रहा था कि कभी ना कभी उसकी मुलाक़ात मंजू से होगी  और बह इश्वर  से प्राथना करता था कि उस से  जितना सम्भब हो  मुलाक़ात ना हो।  लेकिन इतनी जल्दी उस से मुलाक़ात हो जाएगी  यह उसने सोचा ही नहीं था। 
                            
"हेलो" के बाद उसने बोलना शरू किया " अरे  मिस्टर  आई  ए एस पी सी  एस   ,यह कोचिंग आपकी हैं ।  मुझे पता  होता तो में कदापि  नहीं आती।  आपने  दाड़ी इतनी किंयो  बड़ा रखी  हैं।  क्या आइंस्टीन  बनने  का इरादा  हैं ? और तुमने इस   शरीर  का क्या  बना रखा हैं?  कुछ  लेते  किंयो नहीं? " यह कहते हुए  बह  खिल खिला कर हसने लगती हैं।  बह समझ ही नहीं पाया कि बह बेसे ही हंस रही हैं या  ब्यंगातम  टिप्परी कर रही हैं।  जाते जाते उस का बेटा उस से कह रहा था " मां ,अंकल   इज  टू ओल्ड " और बह निढाल सा होकर पुनः कुर्सी पर बैट जाता हैं।  बहार कंही से गाने की आबाज आ रही हैं - 

“ आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा , चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा ……..”


                                                          
अशोक कुमार भटनागर
                                            रिटायर वरिष्ठ लेखा अधिकारी
                                        रक्षा लेखा विभाग , भारत सरकार 

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