भारतीय आम चुनाव 1991

SHARE:

भारतीय आम चुनाव 1991 1991 का वो चुनाव जो मंडल मंदिर पर लड़ा गया और सत्ता में आई कांग्रेस

1991 का वो चुनाव जो मंडल मंदिर पर लड़ा गया और सत्ता में आई कांग्रेस 

साल 1989 में हुए आम चुनाव के 16 महीने बाद ही नौवीं लोकसभा भंग कर दी गई । देश 10वें आम चुनाव के मुहाने पर था जो कि मध्यावधि चुनाव था । यह 1991 का वह दौर था जब देश में मंडल और मंदिर का माहौल गर्म था । राम जन्मभूमि, बाबरी मस्जिद और मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के विरोध में यह चुनाव लड़ा जा रहा था । देश में गठबंधन की अस्थिर राजनीति का आगाज हो चुका था । 1984 में राजीव गांधी की प्रचंड बहुमत वाली सरकार पांच साल बाद ही 1989 में विपक्ष में थी । 21 महीने में ही देश ने दो प्रधानमंत्रियों को देख लिया था । पहली सरकार भा.ज.पा. और लेफ्ट के संयुक्त पार्टी के बाहरी समर्थन से बनी थी । जिसने वी.पी. सिंह को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था । दूसरी सरकार जनता दल का विभाजन कर बनी थी । चंद्रशेखर ने 143 में से 61 सांसदों के साथ जनता दल का विभाजन किया और कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई । बाद में राजीव गांधी की जासूसी के आरोप में चंद्रशेखर को इस्तीफा देना पड़ा था । इस तरह 1991 का आम चुनाव विपरित परिस्थियों का 'मंडल-मंदिर' चुनाव था । 

वी.पी. सिंह सरकार के मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद देश में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी । सामान्य जातियों के छात्र देशभर में प्रदर्शन कर रहे थे । सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ी जातियों (ओ.बी.सी.) को 27 फीसदी आरक्षण का सड़कों पर विरोध हो रहा था और हिंसा की स्थिति थी । दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर के मुद्दे पर चुनाव मैदान में थी । यह पूरा दौर ही धार्मिक ध्रुवीकरण का दौर था । 1991 में तीन चरणों- 20 मई, 12 जून और 15 जून को चुनाव हुए । कांग्रेस, भाजपा और राष्ट्रीय मोर्चा- जनता दल (एस)- वामपंथियों मोर्चे के गठबंधन के बीच त्रिशंकु मुकाबला था ।

राजीव गांधी की हत्या और पी.वी. नरसिंहराव का पी.एम. बनना

21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की वोटिंग के पहले दौर के ठीक एक दिन बाद हत्या कर दी गई । एल.टी.टी.ई.  ने तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में चुनाव प्रचार के दौरान राजीव गांधी की हत्या कर दी | इसके बाद जून के मध्य तक चुनाव को स्थगित कर दिया गया । पंजाब में लोकसभा चुनाव बाद में कराए गए । जबकि जम्मू-कश्मीर में आम चुनाव हुए ही नहीं । उस वक्त मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन थे जो बेहद कड़क हुआ करते थे । 15 दिन चुनाव टालने के बाद 12 जून और 15 जून को दूसरे और तीसरे चरण का मतदान हुआ । 57 फीसदी वोट पड़े । कांग्रेस को सबसे ज्यादा 232 सीटें मिलीं । भारतीय जनता पार्टी 120 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही । जनता दल को सिर्फ 59 सीटें मिलीं । 21 जून 1991 को कांग्रेस के पी.वी. नरसिंहराव ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली । राम मंदिर मुद्दे की वजह से 1991 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सीटें बढ़ीं । भा.ज.पा. ने 120 सीटें जीतीं । यू.पी. में 51 सीटें जीतीं और गुजरात में पार्टी के खाते में 20 सीटें आई । इस चुनाव में 9 राष्ट्रीय और 136 क्षेत्रीय पार्टियों ने भाग लिया । कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र में काफी अच्छा प्रदर्शन किया ।

कांग्रेस पर से हटा नेहरू गांधी परिवार का साया 

चंद्रशेखर सरकार के 6 मार्च, 1991 को इस्तीफे के साथ ही लोकसभा भंग हो गई और महज डेढ वर्ष के भीतर ही देश को मध्यावधि चुनाव का सामना करना पडा । चंद्रशेखर मात्र 7 महीने तक प्रधानमंत्री के पद पर रहे । देश के इतिहास में यह दूसरा अवसर था जब मध्यावधि चुनाव हो रहे थे । 1991 के मई-जून में दसवीं लोकसभा के लिए आम चुनाव हुआ । एक तरफ मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ भा.ज.पा. और कांग्रेस द्वारा संयुक्त रूप से प्रोत्साहित जातीय उन्माद था तो दूसरी तरफ संघ और भा.ज.पा. की अगुवाई में राम मंदिर आंदोलन का धार्मिक उन्माद । समूचा देश जातीय और सांप्रदायिक नफरत की आग में झुलस रहा था । महज डेढ़ साल पहले केंद्र समेत कई राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ सत्ता परिवर्तन का वाहक बना जनता दल विभाजित हो चुका था । चंद्रशेखर, देवीलाल और मुलायमसिंह यादव जैसे महारथी समाजवादी जनता दल के नाम से अपनी अलग पार्टी बना चुके थे । हालांकि थोड़े ही समय बाद मुलायम भी चंद्रशेखर से अलग हो गए और उन्होंने समाजवादी पार्टी बना ली । जॉर्ज फर्नांडीस, रवि राय, मधु दंडवते, बीजू पटनायक, सुरेंद्र मोहन, एस.आर. बोम्मई, शरद यादव, एच.डी. देवगौडा, अजीत सिंह, जयपाल रेड्डी, लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान आदि दिग्गज वी.पी. सिंह के साथ जनता दल में ही बने हुए थे । वामपंथी और क्षेत्रीय दल भी वी.पी. सिंह के साथ थे । कांग्रेस पूरी तरह राजीव गांधी के नेतृत्व में एकजूट थी । भा.ज.पा. और संघ का अलग कुनबा था ही ।

भारतीय आम चुनाव 1991
इस चुनाव के दौरान जो हुआ वह भारत के चुनावी इतिहास का एक दर्दनाक अध्याय है । कई तरह की संभावनाओं से भरे राजीव गांधी की तमिल उग्रवादियों ने 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुंबदूर में चुनाव प्रचार के दौरान ही मानव बम के जरिए हत्या कर दी । इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी की हत्या । कांग्रेस तो एक तरह से अनाथ हो गई । सक्रिय राजनीति से संन्यास की राह पकड़ चुके पी.वी. नरसिंहराव को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया । इस दौरान मतदान का एक चरण पूरा हो चुका था, जिसमें करीब दो सौ सीटों के लिए वोट डाले जा चुके थे । करीब साढ़े तीन सौ सीटों के लिए मतदान राजीव गांधी की हत्या के बाद हुआ था । एक बार फिर अस्पष्ट जनादेश आया और त्रिशंकु लोकसभा बनी । कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी । उसे 232 सीटें हासिल हुई । बाद में पंजाब का चुनाव हुआ तो वहां की बारह सीटें जीतकर कांग्रेस ने लोकसभा में अपनी सदस्य संख्या 244 कर ली थी । जनता दल की सीटें घटकर 69 हो गई थीं और भा.ज.पा. की सीटें बढकर 120 हो चुकी थीं । चुनावी आंकडे गवाही देते हैं कि यदि राजीव गांधी की हत्या न हुई होती तो कांग्रेस को शायद 200 सीटें भी हासिल नहीं हो पातीं । राजीव की हत्या के बाद सहानुभूति का एक झोंका आया और कांग्रेस को करीब 40 सीटों का फायदा हुआ । कांग्रेस की सरकार बनी और पी.वी. नरसिंहराव प्रधानमंत्री बने ।

नरसिंहराव का प्रधानमंत्री बन जाना भी किसी चमत्कार से कम नहीं था । पार्टी नेतृत्व ने उन्हें उस चुनाव में अपना उम्मीदवार भी नहीं बनाया था और वे भी सक्रिय राजनीति को अलविदा कहने का मन बना चुके थे । वे दिल्ली में अपना सामान समेट कर अपने गृह राज्य आंध्र प्रदेश लौटने की तैयारी कर ही रहे थे कि अचानक राजीव गांधी की हत्या के बाद नरसिंहराव के भाग्य ने पलटा खाया । नियति ने उनके लिए एक नई और बेहद अहम भूमिका निर्धारित कर दी । उन्हें कांग्रेस संसदीय दल का नेता भी चुन लिया गया । कहा जाता है कि अगर उस चुनाव में नारायणदत्त नैनीताल से नहीं हारे होते तो संभवत: उन्हें ही संसदीय दल का नेता चुना जाता । हालांकि नरसिंहराव का चुनाव सर्वसम्मति से नहीं हुआ था । शरद पवार और अर्जुन सिंह भी इस पद के दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी में गणित उनके पक्ष में नहीं जा रहा था ।  

नरसिंहराव भी कम मंझे हुए राजनेता नहीं थे । पार्टी का अध्यक्ष पद तो पहले ही उनके पास आ चुका था । उसी पद के प्रभाव के चलते वे दक्षिण भारत ही नहीं बल्कि उत्तर भारत तथा पवार और अर्जुन सिंह के गृह राज्य महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं को अपने पीछे खडा करने में सफल रहे । संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद उन्होंने अन्य छोटी-छोटी पार्टियों का समर्थन जुटाकर कांग्रेस की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश किया, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया । उनकी अगुवाई में अल्पमत की सरकार पूरे पांच वर्ष चली । पहली बार कांग्रेस और उसकी सरकार नेहरू-गांधी परिवार की छाया से मुक्त रही और पहली बार इस खानदान से इतर किसी कांग्रेसी नेता ने प्रधानमंत्री के तौर पर पांच वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा किया ।

जो कांग्रेसी दिग्गज लोकसभा में पहुंचे  

1991 के चुनाव में कांग्रेस की ओर से जो प्रमुख नेता लोकसभा में पहुंचे उनमें मध्य प्रदेश के सतना से अर्जुन सिंह, रायपुर (अब छत्तीसगढ में) से विद्याचरण शुक्ल, छिंदवाडा से कमल नाथ, ग्वालियर से माधवराव सिंधिया, राजगढ़ से दिग्विजय सिंह, असम के कालियाबोर से तरुण गोगोई, उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद, आंध्र प्रदेश के कुरनूल से विजय भास्कर रेड्डी, केरल के ओट्टापलम से के.आर. नारायणन, बंगलुरू उत्तर से सी.के. जाफर शरीफ, महाराष्ट्र के कोलाबा से ए.आर. अंतुले, मुंबई उत्तर से मुरली देवड़ा, मुंबई उत्तर-पश्चिम से सुनील दत्त, अमरावती से प्रतिभा पाटील, लातूर से शिवराज पाटील, मेघालय की तुरा सीट से पी.ए. संगमा, तमिलनाडु की शिवगंगा से पी. चिदंबरम, राजस्थान के जोधपुर से अशोक गहलोत, उदयपुर से गिरिजा व्यास, नागौर से नाथूराम मिर्धा, भीलवाड़ा से शिवचरण माथुर, दौसा से राजेश पायलट, सीकर से बलराम जाखड़, आंध्र प्रदेश में कडप्पा से वाई.एस. राजशेखर रेड्डी, कोलकाता से अजीत कुमार पांजा और ममता बनर्जी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । राजीव गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में मतदान उनकी हत्या से पहले ही हो चुका था । वहां राजीव गांधी मरणोपरांत विजयी रहे । बाद में वहां हुए उपचुनाव में कैप्टन सतीश शर्मा जीतकर लोकसभा में पहुंचे । प्रधानमंत्री बन चुके नरसिंहराव ने भी बाद में आंध्रप्रदेश की नांदयाल सीट से उपचुनाव लड़ा और जीतकर लोकसभा में पहुंचे । इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा में पहुंचे दो सदस्य बाद में देश के राष्ट्रपती बने। पहले के.आर. नारायणन और बाद में प्रतिभा पाटील ।

वे विपक्षी दिग्गज जो लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे

लोकसभा पहुंचने वाले विपक्षी दिग्गजों में भा.ज.पा. से अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, विजया राजे सिंधिया, जसवंत सिंह, शंकर सिंह वाघेला, जनता दल से जॉर्ज फर्नांडीस, रवि राय, एच.डी. देवगौड़ा, शरद यादव, अजीत सिंह, मोहन सिंह, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, समाजवादी जनता पार्टी से चंद्रशेखर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से सोमनाथ चटर्जी, बासुदेव आचार्य, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से इंद्रजीत गुप्त, गीता मुखर्जी, सैफुद्दीन चौधरी, फॉरवर्ड ब्लॉक से चित्त बसु, ब.स.पा. कांशीराम आदि प्रमुख थे । हालांकि शरद यादव उत्तर प्रदेश के बदायूं संसदीय क्षेत्र से हार गए थे, लेकिन जल्दी ही बिहार के मधेपुरा से उपचुनाव के जरिए लोकसभा में पहुंच गए थे ।

चुनाव मैदान में हारे  दिग्गज 

कांग्रेस से नारायण दत्त तिवारी, जगन्नाथ मिश्र, बलिराम भगत, आरिफ मोहम्मद खान, प्रियरंजन दासमुंशी, मेनका गांधी, तारिक अनवर जनार्दन पुजारी आदि वरिष्ठ नेता चुनाव हारने वालों में प्रमुख थे । विपक्ष नेताओं में चौधरी देवीलाल और रामकृष्ण हेगड़े जैसे दिग्गज भी लोकसभा तक पहुंचने में नाकाम रहे । समाजवादी जनता पार्टी के टिकट पर लड़ीं मेनका गांधी भी चुनाव हार गईं ।

मंडल कमिशन और राम मंदिर मामला

1991 के चुनाव ऐसे माहौल में हुए जब मंडल कमिशन और राम मंदिर के मुद्दे देश की राजनीति की दिशा तय कर रहे थे । इस समय ध्रुवीकरण की राजनीति शुरू हो गई थी । वी.पी. सिंह की सरकार में मंडल कमिशन की सिफारिशें लागू की गईं और ओ.बी.सी. को 27 फीसदी आरक्षण दिया गया । इसके बाद देशभर में सवर्णों का आंदोलन शुरू हो गया । वहीं अयोध्या में बाबरी मस्जिद भी विवाद का विषय बन गई । बड़ी संख्या में सवर्ण भी इस आंदोलन से जुड़ गए । मंदिर मुद्दे को लेकर देश के कई हिस्सों में हिंसा भी हुई । भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव में मंदिर मुद्दे को प्रमुखता दी । राज्यों में बी.जे.पी. को सफलता मिलनी शुरू हो गई । राम मंदिर मुद्दे पर सवार बी.जे.पी. की सरकार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में बन गई । इस माहौल में नॅशनल फ्रंट को किनारे करते हुए कांग्रेस ने लेफ्ट पार्टियों के साथ सरकार बनाने का फैसला किया ।

राजीव गांधी की हत्या 

20 मई को पहले चरण के मतदान हुए ही थे कि तमिलनाडु में एक रैली के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई । इसके बाद बाकी बचे दो चरणों के मतदान 12 और 15 जून के लिए पोस्टपोन कर दिए गए । इस बार अब तक के सभी लोकसभा चुनावों में सबसे कम वोटिंग हुई । राजीव गांधी की हत्या के पहले हुए मतदान में कांग्रेस की हालत खराब थी, लेकिन बाद के चरणों में इसे जबरदस्त कामयाबी मिली । इसके बाद नरसिम्हा राव की अगुवाई में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी ।

राम मंदिर मामला और बीजेपी की बढ़त

1991 में मुरली मनोहर जोशी बी.जे.पी के. राष्ट्रीय अध्यक्ष बने । फिर 30 नवंबर को आडवाणी और जोशी ने अयोध्या जाने का ऐलान कर दिया । राम मंदिर को लेकर कारसेवकों का गुस्सा बढ़ रहा था और 6 दिसंबर को अयोध्या में बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए । आखिरकार बेकाबू भीड़ बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चढ़ गई और इसे ध्वस्त कर दिया । इसके कुछ घंटे बाद ही यू.पी. के तत्कालीन सी.एम. कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया । यहां से राजनीति में एक बड़ा मोड़ आ गया । कहा जाता है कि इस घटना को रोका जा सकता था लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा नहीं किया गया ।

ऐसे हुई थी शुरुआत

21 दिसंबर, 1949 में विवादित मस्जिद में रामलला की मूर्ति प्रकट होने का दावा किया गया था । इसके बाद फैजाबाद थाने में 23 दिसंबर को एफ.आई.आर. दर्ज की गई थी । 1950 में यह मामला जिला कोर्ट में चला गया । बाद में रामलला विराजमान को इस मामले में वादी बना दिया गया । फिर मुस्लिम पैरोकार भी कोर्ट गए और उन्होंने मूर्ति प्रकट होने की बात को खारिज किया । कोर्ट में चार मामले दायर किए गए । मामला कोर्ट में था तभी फैजाबाद जिला जज के आदेश पर मंदिर में लगा ताला खुलवा दिया गया । केंद्र की राजीव सरकार ने इस काम का प्रसारण दूरदर्शन पर भी करवाया था । उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए विवादित ढांचे और पास की 2.77 एकड़ जमीन को अधिग्रहित करने का फैसला किया । इसके बाद अधिग्रहित जमीन पर पक्का निर्माण करने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रोक लगा दी । नरसिम्हा राव और उनकी सरकार मंदिर मामले की वजह से पसोपेश में ही पड़ी रही । इलाहाबाद कोर्ट लगातार फैसले की तारीख को आगे बढ़ाता रहा । इसको लेकर ही लखनऊ में 5 दिसंबर 1992 को अटल बिहारी बाजपेयी और आडवाणी ने बड़ी रैली की थी और यहीं उन्होंने जमीन को समतल करने की बात कही थी । फिर अगले ही दिन कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया गया । मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और बिगड़ गई जिसके बाद वहां राष्ट्रपती शासन लगाया गया । विवादित ढांचा टूटने के बाद 2 महीने तक देश में दंगे होते रहे और करीब 2000 लोग मारे गए । सबसे ज्यादा हिंसा मुंबई में हुई । इसमें 1993 में हुए मुंबई सीरियल ब्लास्ट की घटना भी शामिल है ।

•चुनाव की मुख्य बातें :-

*दसवीं लोकसभा के लिए जब चुनाव हुए तब साल था १९९१ का ।  ये चुनाव ०४  दिन तक चले। २० मई से ०५  जून तक मतदान हुए। दसवीं लोकसभा के लिए उस समय २३ राज्यों और ०७ केंद्रशासित प्रदेशों में ५३७ सीटों के लिए चुनाव हुए ।

*देश की दसवीं लोकसभा २० जून १९९१ को अस्तित्व में आई ।

*दसवीं लोकसभा के चुनाव हेतु ५,९१,०२० चुनाव केंद्र स्थापित किए गए थे । 

*उस समय मतदाताओं की कुल संख्या ५१.१५ करोड़ थी । 

*उस समय ५५.८८ % मतदान हुए थे । 

*दसवीं लोकसभा के लिए ५३७ सीटों के लिए हुए चुनाव में कुल ८७४९ उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे जिन में से ७५३९ उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी। 

*इस चुनाव में कुल ३३० महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही थी जिन में से ३९ महिला उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुई । 

*५३७ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में ७९ सीटे अनुसूचित जाती के लिए और ४१ सीटे अनुसूचित जनजाती के लिए आरक्षित रखी गई थी । 

*दसवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में १४५ राजनीतिक दलों ने भाग लिया था जिन में से राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की संख्या ०९ और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों की संख्या २७ थी जबकि १०९ पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दल भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आज़मा रहे थे     । 

*राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने कुल १८५५ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे, जिन में से ८४० उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के ४७८ उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुए थे । इस चुनाव में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को कुल वोटों में से ८०.६५ % वोट मिले थे ।

*इस चुनाव में राजयस्तरीय राजनीतिक दलों ने कुल ५०५ उम्मीदवार खड़े किए थे।  रिकॉर्ड के अनुसार इन ५०५ प्रत्याशीयों में से ३४८   प्रत्याशीयों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी और ५१ प्रत्याशी लोकसभा में पहुंचे थे।  इस चुनाव में राजयस्तरीय राजनीतिक दलों को कुल वोटो में से १२.९८ % वोट मिले थे। 

*इस चुनाव में पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों ने ८४३ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे। इन ८४३ उम्मीदवारों में से ८२२ उम्मीदवार अपनी ज़मानत बचाने में भी विफल रहे जबकि केवल ०४  उम्मीदवार लोकसभा तक पहुँचने में सफल हुए । इस चुनाव में पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों को कुल वोटो में से २.२१ % वोट मिले थे। 

*इस चुनाव में कुल ५५४६ निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।  इन ५५४६ निर्दलीय उम्मीदवारों में से केवल ०१ उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुआ था ।  कुल वोटो में से ४.१६ % वोट निर्दलीय उम्मीदवारों ने प्राप्त किए थे जबकि ५५२९ निर्दलीय उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त होने का रिकॉर्ड मौजूद है।

*इस चुनाव में कांग्रेस सब से बड़े दल के रूप में सामने आया। ५३७ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में कांग्रेस के ५०० उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।  इन में से २४४ उम्मीदवार जीत दर्ज करा कर लोकसभा पहुँचने में सफल हुए तो वही ६० उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त होने का उल्लेख भी रिकॉर्ड में मौजूद है। इस चुनाव में कांग्रेस को कुल वोटो में से ३६.२६ % वोट मिले थे।

*भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दूसरा सब से बड़ा दल बन कर उभरा था।  भारतीय जनता पार्टी ने कुल ४७७ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे।  इन ४७७ उम्मीदवारों में से १८९ उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हुई थी जबकि १२० उम्मीदवार लोकसभा पहुँचने में सफल हुए थे। भारतीय जनता पार्टी को कुल वोटों में से २०.११ % वोट मिले थे।  

*सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि दसवीं लोकसभा के लिए हुए इस चुनाव में ३,५९,१०,२४,६७९ (३ अरब, ५९ करोड़, १० लाख, २४ हज़ार, ६७९ रुपये) रुपये की राशि खर्च हुई थी ।  

*उस समय श्री टी. एन. शेषन भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त हुआ करते थे, जिन्होंने ये चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।  

*दसवीं लोकसभा १० मई १९९६ को विसर्जित की गई। 

*इस चुनाव के बाद दसवीं लोकसभा के लिए ०९ और १० जुलाई १९९१ को शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया था।  

*दसवीं लोकसभा के सभापती पद हेतु १० जुलाई १९९१ को चुनाव हुए और श्री शिवराज पाटील को सभापती और मल्लिकार्जुनीय को उपसभापती के रूप में चुना गया।  

*दसवीं लोकसभा के कुल १६ अधिवेशन और ४२३ बैठके हुई।  इस लोकसभा में कुल २८४ बिल पास किए गए थे जिस का रिकॉर्ड मौजूद है। 

*दसवीं लोकसभा की पहली बैठक ०९ जुलाई १९९१  को हुई थी।

*दसवीं लोकसभा की ५३७ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में ४७८ सीटों पर राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने, ५१ सीटों पर राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों ने, ०४ सीटों पर पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों ने जबकि ०१ सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।





प्रा. शेख मोईन शेख नईम ,
डॉ. उल्हास पाटील लॉ कॉलेज, जलगाव 
7776878784

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,34,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",6,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,17,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,15,कमलेश्वर,6,कविता,1406,कहानी लेखन हिंदी,12,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,5,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,4,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,3,केशवदास,4,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",14,गीतांजलि,1,गोदान,6,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,2,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,29,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,68,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,4,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,25,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,3,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,23,नाटक,1,निराला,35,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,38,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,173,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,133,प्रयोजनमूलक हिंदी,21,प्रेमचंद,39,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,3,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,5,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,6,भक्ति साहित्य,138,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,4,महादेवी वर्मा,18,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,10,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,11,यशपाल,13,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,5,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,2,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,8,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,1,रीतिकाल,3,रैदास,2,लघु कथा,117,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,33,विद्यापति,6,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,5,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,5,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,50,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,27,सआदत हसन मंटो,9,सतरंगी बातें,33,सन्देश,38,समसामयिक हिंदी लेख,220,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,17,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,68,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",9,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,20,सूरदास,14,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,2,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,339,हिंदी लेख,503,हिंदी व्यंग्य लेख,2,हिंदी समाचार,164,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,85,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,18,hindi essay,331,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,94,hindi stories,656,hindi-kavita-ki-vyakhya,15,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,12,kavyagat-visheshta,22,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,3,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,32,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: भारतीय आम चुनाव 1991
भारतीय आम चुनाव 1991
भारतीय आम चुनाव 1991 1991 का वो चुनाव जो मंडल मंदिर पर लड़ा गया और सत्ता में आई कांग्रेस
https://1.bp.blogspot.com/-UyqO6p0E0_Q/YNLK7SdfLtI/AAAAAAAAQPc/zlsBIGQXdAYaTs0Qp6NGM_yTKMfwqZ8KACNcBGAsYHQ/s16000/download%2B%25283%2529.jpg
https://1.bp.blogspot.com/-UyqO6p0E0_Q/YNLK7SdfLtI/AAAAAAAAQPc/zlsBIGQXdAYaTs0Qp6NGM_yTKMfwqZ8KACNcBGAsYHQ/s72-c/download%2B%25283%2529.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2021/06/1991-indian-general-election.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2021/06/1991-indian-general-election.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका