Nrityangana Sudha Chandran Class 7 CBSE

SHARE:

Nrityangana Sudha Chandran Class 7 CBSE chapter 13 explanation नृत्यांगना सुधा चंद्रन hindi solutions ncert सारांश प्रश्न उत्तर शब्दार्थ hindi durva

नृत्यांगना सुधा चंद्रन - रामाज्ञा तिवारी 


Nrityangana Sudha Chandran class 7 hindi chapter 13 explanation नृत्यांगना सुधा चंद्रन hindi durva and ncert class 7 hindi durva solutions सुधा चंद्रन की कहानी success story of sudha chandran नृत्यांगना सुधा चंद्रन सारांश ncert hindi book for class 7 solutions ncert hindi book durva सुधा चंद्रन की जीवनी sudha chandran struggle story sudha chandran success story sudha chandran bio graphy in hindi 

नृत्यांगना सुधा चंद्रन पाठ का सारांश 

नृत्यांगना सुधा चंद्रन पाठ में लेखक रामाज्ञा तिवारी ने सुधा चंद्रन की जिजीविषा के बारे में चित्रण किया है।लेखक का मानना है कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में शिखर तक पहुँचने के लिए दृढ इच्छाशक्ति और कठिन परिश्रम की आवश्कता होती है। कुछ लोग ऐसे होते हैं कि जो शारीरिक अक्षमता के बावजूद संघर्ष करके सफलता प्राप्त करते हैं। सुधा चंद्रन इन्ही में से एक उदाहरण हैं। सुधा चंद्रन की माता का नाम श्रीमती थंगम और पिता का नाम के.वी.चंद्रन है। माता -पिता की इच्छा थी कि उनकी बेटी राष्ट्रीय ख्याति की नृत्यांगना बने। इसीलिए माता-पिता ने सुधा को ५ वर्ष की आयु में ही मुम्बई के कला सदन में प्रवेश करवा दिया। सुप्रसिद्ध नृत्य शिक्षक श्री के.एस.रामास्वामी भागवतार के निर्देशन में वह नियमित प्रशिक्षण प्राप्त करने लगी। नृत्य के साथ सुधा अध्ययन में भी अपनी प्रतिभा दिखाने लगी। 

कुछ समय बाद २ मई १९८१ को मद्रास जाते समय बस के दुर्घटनाग्रस्त होते ही उनकी बांये पाँव की हड्डी टूट गयी और दायीं टांग में गैंग्रीन हो जाने के कारण उनकी दायीं टांग को काटना पड़ा।एक टांग कट जाने से किसी व्यक्ति के नृत्य जीवन का अंत होता ,लेकिन सुधा चंद्रन किसी अन्य ही मिटटी की बनी हुई थी।
Nrityangana Sudha Chandran Class 7 CBSE
नृत्यांगना सुधा चंद्रन

सुधा चंद्रन नृत्य के लिए विशेष इच्छुक होने के कारण उन्होंने कृत्रिम अंग के विशेषज्ञ डॉ.पी.सी.सेठी से संपर्क किया। उन्होंने सुधा के लिए एक ऐसी टांग बनायीं जो ,आसानी से घुमाया जा सके। पहली बार टांग बनाये जाने पर नृत्य के समय कटी टांग से खून आने लगा। किन्तु जल्दी ही सुधा ने अपनी निराशा पर काबू पा लिया और अपने नृत्य प्रशिक्षक के साथ डॉ सेठी से पुनः मिली।

डॉ.सेठी ने नृत्य प्रशिक्षक से नृत्य की विभिन्न मुद्राओं को आधार बनाकर एक विशेष टांग बनवाई। नयी टांग से सुधा ने पुनः नृत्य का अभ्यास शुरू किया। २८ जनवरी १९८४ को सुधा ने मुम्बई में अपना नृत्य कार्यक्रम प्रस्तुत किया। सुधा का यह प्रदर्शन बेहद सफल रहा। उनके चहेतों ने उन्हें देखते ही देखते पलकों पर उठा लिया और वह रातों रात एक ऐतिहासिक महत्व की व्यक्तित्व बन गयी। 

सुधा के जीवन पर तेलगु भाषा में मयूरी नाम की फिल्म बनी। अपने पात्र को सुधा ने स्वयं परदे पर जीवंत कर दिया। अन्य भाषाओँ में भी उन पर फ़िल्में बनी। उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। अब वे एक व्यस्त नृत्यांगना व फिल्म कलाकार भी हैं। उन्हें उनके असामान्य साहस और श्रेष्ठ उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं। 

नृत्यांगना सुधा चंद्रन पाठ के प्रश्न उत्तर


१. पाठ से 
क.सुधा के स्वप्नों की इन्द्रधनुषी दुनिया में अँधेरा कैसे छा गया ?

क. सुधा के स्वपनों की इन्द्रधनुषी दुनिया में अँधेरा तब छा गया ,जब २ मई १९८१ को चिरुचिरापल्ली से मद्रास जाते समय उनकी बस दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। इसमें सुधा के बाएं पाँव की हड्डी टूट गयी और दायीं टांग को गैगरिन के कारण काटना पड़ा. 

ख.डॉ.सेठी ने सुधा के लिए क्या किया ?

ख. डॉ.पी.सी.सेठी ,मैगसे पुरस्कार से सम्मानित एक सुप्रसिद्ध कृत्रिम अंग विशेषज्ञ है। उन्होंने सुधा के लिए एक विशेष प्रकार की टांग बनायीं ,जो अलमूनियम की थी और इसमें ऐसी व्यवस्था थी कि वह टांग को आसानी से घुमाया जा सकता था। बाद में डॉ.सेठी ने सुधा के नृत्य प्रशिक्षक  के सहारे एक नयी टांग बनवाई ,जो नृत्य की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया था। 

ग. सुधा पूरे भारत में कैसे लोकप्रिय हो गयी ?

ग. सुधा ने डॉ.सेठी द्वारा निर्मित विशेष टांगों के सहारे १९८४ में साउथ इंडिया वेलफेयर सोचैटी के हाल में अपना अद्भुत नृत्य प्रस्तुत किया और उनका नृत्य प्रदर्शन बेहद सफल रहा। लोगों ने उन्हें अपनी पलकों पर उठा लिया। उनकी अद्भूत जीवन यात्रा पर तेलगू में मयूरी नाम की फिल्म भी बनी ,जिस पर उन्होंने स्वयं अपना अभिनय निभाया। हिंदी में भी उन पर फ़िल्में बनी। उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। 

२.क. विलोम शब्द लिखो 
उ. उत्तर निम्नलिखित है - 

आशा - निराशा 
कठिन - सरल 
आदर - अनादर 
अँधेरा - उजाला
आकार - निराकार 
इच्छा - अनिच्छा 

५. एक चुनौती 

शारीरिक शब्द में एक साथ की मात्राओं का प्रयोग होता है। तुम भी ऐसे ही अन्य शब्द खोजो और यहाँ लिखो - 
नमूना - विनती शारीरिक नीति

उ.उत्तर निम्नलिखित है - 
किसकी इसलिए  बिजली 
हिन्दुस्तानी  मिट्टी चिकनी 
सीमित सीपियों  विद्यार्थी 


Nrityangana Sudha Chandran पाठ के शब्दार्थ 


इच्छाशक्ति - मनोबल 
अक्षमता - अयोग्यता 
अल्पायु - कम उम्र 
गैंग्रीन - हड्डी का कैंसर 
मुरीद - शिष्य 
लक्ष्य - उद्देश्य 
आश्वस्त - विश्वास ,भरोसा 
संघर्ष - कठिन प्रयास 
बैसाखियाँ -अशक्त अथवा टूटी टांग को सहारा देने के लिए बांस आदि की बनी बगल तक लम्बी छड़ी 


COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका