Essay on DR APJ Abdul Kalam in Hindi। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पर हिंदी में निबंध

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डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पर हिंदी में निबंध     


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“ अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले 
  सूरज की तरह जलना सीखो “ |  (अब्दुल कलाम)

वैज्ञानिक जीवन

1962 में कलाम साहब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का हिस्सा बने, जहाँ पर उन्होंने सफलतापूर्वक अनेक
Essay on DR APJ Abdul Kalam in Hindi। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पर हिंदी में निबंध
अब्दुल कलाम
उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है । कलाम साहब के नेतृत्व में ही भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 के निर्माण संभव हुआ, जिससे जुलाई 1982 में रोहिणी नामक उपग्रह का सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया । अग्नि, आकाश, त्रिशूल, पृथ्वी आदि मिसाइलें इसी परियोजना का हिस्सा थीं । इन्होंने लगभग चार दशकों तक डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) तथा इसरो (भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन) में मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के तौर पर अपनी अमूल्य सेवाएं दीं । उल्लेखनीय है कि कलाम साहब को बैलिस्टिक मिसाइल और प्रेक्षपण यान प्रोद्योगिकी के विकास कार्यों के लिए ‘मिसाइल मैन’ के उपनाम से भी जाना जाता है । अंततः 2002 में कलाम साहब को देशहित में अपने अद्वित्य सेवा और महत्वपूर्ण योगदानों के लिए इनाम स्वरूप सर्वसम्मति से भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में स्वीकार गया । सभी राजनीतिक पार्टियों ने इनका इस्तकबाल किया | कलाम साहब पूरी ज़िंदगी बेदाग रहे और देश सेवा के लिए ख़ुद को समर्पित कर दिए | 

मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति

बचपन से ही प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी रहे अब्दुल कलाम विभिन्न पदों पर रहते हुए अनेक उच्च स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित हुए हैं । इन्हें देश-विदेश के अनेक अवार्ड से नवाज़ा गया है | जिनमें कुछ हैं --- वर्ष 2008 में नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर से उन्हें डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग की उपाधि से नवाजा गया | 2009 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए से उन्हें इंटरनेशनल वॉन कॉरमैन विंग्स अवार्ड मिला मिला | 2010 में वाटरलू विश्वविद्यालय ने कलाम साहब को डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की | वर्ष 2011 में IEEE Honorary सदस्यता से भी सम्मानित किया गया | इन सबके अलावा कलाम साहब को भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी अलंकृत किया गया है । इससे पूर्व वे पदम् विभूषण, पदम् भूषण से भी अलंकृत हो चुके थे | 

युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत 

अब्दुल कलाम का छात्रों के जीवन में विशेष योगदान रहा है । वे सदा देश के युवाओं को देशहित या विकास के लिए काम करने की प्रेरणा देते रहे । अपने सम्पूर्ण जीवनकाल के दौरान वे देश के कई शिक्षण संस्थान का दौरा करके छात्रों के बीच अपना बहुमूल्य समय खर्च करते रहे । आखिरकार, 27 जुलाई 2015 को अपने अंतिम क्षणों में कलाम साहब एक कार्यक्रम के दौरान भाषण देते हुए अचानक से गिर गए | तत्पश्चात् उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ पर उनकी ह्रदय घात के कारण मौत हो गई | 

आदर्शवादी वैज्ञानिक, शिक्षाविद और राजनेता

अंतत: इस आधुनिक युग का एक महान विभूति, उच्च कोटि का वैज्ञानिक, आदर्शवादी पुरुष, उत्तम वक्ता, निष्ठावान राजनेता, देशप्रेमी इत्यादि जैसे गुणों के मालिक हमेशा के लिए हमारे बीच से चले गए | मानो उनके रूप में एक युग का अंत हो गया | एक जगमगाता हुआ सूरज अमरत्व को प्राप्त करके अपने उस ठिकाने की ओर चला गया, जहाँ से लौटना मुमकिन ही नहीं | 

अतः हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि भारत रत्न अब्दुल कलाम साहब का कहीं न कहीं भारत को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाने में बेहद महत्वपूर्ण योगदान है । 




- मनव्वर अशरफ़ी

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