नाटक में नाटक मंगल सक्सेना | Ncert Class 8 Hindi Durva Solutions

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नाटक में नाटक मंगल सक्सेना 


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नाटक में नाटक का सारांश

प्रस्तुत पाठ  नाटक में नाटक लेखक मंगल सक्सेना जी के द्वारा लिखित है। इस नाटक में राकेश का बुद्धिमानी और नाटक के महत्व के बारे में बताया गया है। जब राकेश का हाथ टूट जाता है तब वह अभिनय करने में असमर्थ होता है, तो उसके दोस्त मोहन , सोहन और श्याम को नाटक में भागीदारी करना होता है | लेकिन वो तीनो डरपोक और दब्बू किस्म के होते हैं, इसलिए राकेश को उन तीनों पर विश्वास नहीं होता है | लेकिन अब नाटक का दिन नजदीक ही आ जाता है। मोहल्लों के बच्चे बेकार पड़ी जगह में मंच भी बना लेते हैं। राकेश ने उन तीनों को बहुत अच्छे से रिहर्सल कराया है। हर छोटी-से-छोटी बातों के बारे में बताया है। क्योंकि नए लोगों के लिए मंच में आना बहुत कठिन होता है वे डर जाते हैं। इसलिए राकेश ने उन्हें अच्छे से सब कुछ समझा दिया था | 

नाटक का दिन आ जाता है राकेश सारी व्यवस्था करता है सारे दर्शक भी मंच में उपस्थित हो जाते हैं। धीरे-धीरे पर्दा
नाटक में नाटक मंगल सक्सेना | Ncert Class 8 Hindi Durva Solutions
नाटक में नाटक
उठता है, एक कलाकार, दूसरा शायर और तीसरा संगीतकार बना होता है। राकेश पर्दे के पीछे से उन्हें निर्देश भी देता है। नाटक शुरू होता है | कलाकार और शायर के बीच बहस होती है कि मेरी कलाकारी अच्छी है ---  कलाकार बोलता है। शायर बोलता है मेरी शायरी अच्छी है | उसी बीच संगीतकार आकर बोलता है अरे मेरी संगीत अच्छी है | उन तीनों के बीच खूब बहस होती है, लेकिन आगे का नाटक श्याम भूल जाता है और चुप हो जाता है राकेश उन्हें बताने की कोशिश करता है, लेकिन वो समझ नहीं पाता |  राकेश जोर से बोल भी नहीं सकता क्योंकि दर्शक तक आवाज़ चली जाएगी | लेकिन श्याम अच्छे से सुने बिना ही कुछ का कुछ बोल देता है | दर्शक हँसने लगते हैं और तीनों बिना कुछ समझे मंच में लड़ पड़ते हैं | कोई किसी की बात नहीं समझता एक समझ कर संभालने की कोशिश करता तो दूसरा बिगाड़ देता | उधर राकेश गुस्से से आग-बबूला हो जाता है। जब हद हो जाती है तो राकेश पर्दा से बाहर आकर कुर्सी पर बैठ जाता है। तीनों अचंभित होकर राकेश को देखने लगते हैं | राकेश बोलता है, मैं एक दिन हॉस्पिटल क्या चला गया तुम लोग रिहर्सल करने के बजाय आपस में बहस कर रहे हो | अगर नाटक भूल गए थे तो फिर से शुरू कर लेते। अब बात राकेश ने संभाल ली थी। 

दर्शकों ने अब हँसना बंद कर दिया, उनको लगा कि इस नाटक में नाटक को दिखया गया है | नाटक के रिहर्सल में होने वाली कठिनाइयों को बताया गया है | सारे दर्शक नाटक की प्रशंसा करते हुए मंच से चले जाते हैं। उधर सब पर्दे के पीछे खड़े लोग राकेश की हिम्मत और बुद्धिमानी की प्रशंसा कर रहे थे कि राकेश ने इज्ज़त बचा ली। इस नाटक में सक्सेना जी ने नाटक के माध्यम से समय में काम आने वाली बुद्धिमानी को बताया है। खुद पर विश्वास और अडिग रहने की सीख दी है |  जैसे राकेश के हाथ में चोट लगने के बाद भी उसने विश्वास नहीं छोड़ी और नाटक को सफल बनाया...||


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नाटक में नाटक class 8 question and answer


प्रश्न-1 बच्चों ने मंच की व्यवस्था किस प्रकार की ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, मोहल्ले के बच्चों ने मिल-जुलकर फालतु पड़े एक छोटे से सार्वजनिक मैदान में दूब व फूल-पौधें लगाए थे। वहीं एक मंच भी बना लिया था | 

प्रश्न-2 पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन-ही-मन राकेश की तुरतबुद्धि की प्रशंसा क्यों कर रहे थे ? 

उत्तर- पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन ही मन राकेश की तुरतबुद्धि की प्रशंसा इसलिए कर रहे थे, क्योंकि राकेश ने अपनी बुद्धि से बिगड़े हुए नाटक को सम्भाल लिया था। सभी दर्शकों को लगा कि इस नाटक में नाटक की कठिनाइयाँ दिखाई गयी हैं। और अंत में सभी दर्शक प्रशंसा करते हुए मंच से चले गए | 

प्रश्न-3 नाटक के लिए रिहर्सल की जरूरत क्यों होती है ? 

उत्तर- नाटक बिना तैयारी के नहीं खेलना चाहिए क्योंकि नए कलाकार मंच पर आकर डर जाते हैं। और कुछ लोग तो बहुत बुद्धू होते हैं। इसलिए बिना रिहर्सल  के नाटक करना उचित नहीं होता है। रिहर्सल करने से आत्मविश्वास बढ़ता है | बोलने का तरीका पता चलता है | कहाँ, कैसे अभिनय करना है, क्या बोलना है ? सब रिहर्सल के दैरान ही सिखाया जाता है | इसलिए नाटक करने से पहले रिहर्सल करना बहुत जरूरी होता है | 

प्रश्न-4 नीचे लिखे वाक्य पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दो | 

"राकेश को गुस्सा भी आ रहा था और रोना भी।"

(क) - तुम्हारे विचार से राकेश को गुस्सा और रोना क्यों आ रहा होगा ? 

उत्तर- राकेश को गुस्सा इसलिए आ रहा था कि उसके इतने मेहनत के बाद भी वो लोग ठीक से अभिनय नहीं कर पा रहे थे और रोना इसलिए आ रहा था कि सारे लोग मजाक उड़ा रहे थे | बेज्जती हो रही थी |  उसकी मेहनत बेकार हो गई थी | 

प्रश्न-5 "राकेश मंच पर पहुँच गया। सब चुप हो गए, सकपका गए।"

(क) - तुम्हारे विचार से राकेश जब मंच पर पहुँचा,बाकी सब कलाकार क्यों चुप हो गए होंगे ? 

उत्तर- राकेश तो नाटक में था ही नहीं, इसलिए उसके अचानक मंच में आने से बाकी सब कलाकार चुप हो गए और दर्शकों को आश्चर्य हुआ होगा कि ये कौन अचानक आ गया | 

प्रश्न-6 "दर्शक सब शांत थे, भौंचक्के थे।"

(क) - दर्शक भौंचक्के क्यों हो गए थे ? 

उत्तर- 
दर्शक समझ रहे थे कि नाटक बिगड़ गया है, इसलिए वे जोर-जोर से हँस रहे थे। लेकिन जब राकेश मंच पर आया तो उन्हें पता चला कि नाटक बिगड़ा नहीं है। इस नाटक में रिहर्सल में होने वाली कठिनाई को बताया गया है । क्योंकि राकेश ने आकर नाटक को सम्भाल लिया था, तो उन्हें लगा कि नाटक में ही नाटक है। इसलिए सभी दर्शक शांत और भौंचक्के हो गए थे | 

प्रश्न-7 "मैंने कहा था न कि रिहर्सल में भी यह मानकर चलो कि दर्शक सामने ही बैठे हैं।"

(क) राकेश ने ऐसा क्यों कहा होगा ? 

उत्तर- 
राकेश ने नाटक को संभालने के लिए ऐसा इसलिए कहा क्योंकि नाटक बिगड़ चुका था। अपने दोस्तों को समझाना चाहता था, लेकिन ऐसा बोला कि दर्शकों को लगने लगा यह नाटक का भी हिस्सा है | 

प्रश्न-8 नीचे दिए गए वाक्यों के अंत में उचित विराम चिह्न लगाओ --- 

(क)- शायर साहब बोले उधर जाकर सुन ले न

उत्तर- शायर साहब बोले, "उधर जाकर सुन ले न" | 

(ख)- सभी लोग हँसने लगे

उत्तर- सभी लोग हँसने लगे | 

(ग)- तुम नाटक में कौन-सा पार्ट कर रहे हो

उत्तर- 
तुम नाटक में कौन-सा पार्ट कर रहे हो ? 

(घ)- मोहन बोला अरे क्या हुआ तुम तो अपना संवाद भूल गए 

उत्तर- मोहन बोला, "अरे ! क्या हुआ ? तुम तो अपना संवाद भूल गए |"

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नाटक में नाटक पाठ से संबंधित शब्दार्थ 


• निर्देशन - संवाद बोलने और अभिनय आदि का तरीका बताना
• प्रदर्शन - दिखलाना
• हिदायत - सावधनी बरतने हेतु निर्देश
• बजाय - अलावा 
• पार्ट - भूमिका
• आड़ - ओट
• सहसा - अचानक, यकायक 
• नाहक - बिना मतलब का
• फुसफुसाकर - धीरे से बोलना
• सूझ - समझ
• अक्लमंदी - होशियारी, बुद्धिमानी
• दाँत पीसना - गुस्सा करना
• पोतना - रंगना
• मुँह सम्भाल कर बोलना - सोच समझकर बोलना
• इज्जत मिट्टी में मिलना - इज्जत बर्बाद होना
• तरकीब - उपाय
• तूँ-तूँ, मैं-मैं होना - कहासूनी होना
• भूरि-भूरि - बेहद, बहुत ज्यादा   | 




- मनव्वर अशरफ़ी 


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