गुड़िया कविता कुँवर नारायण | CBSE NCERT Solutions for Class 8 Hindi Durva

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 गुड़िया कविता कुंवर नारायण


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गुड़िया कविता कुँवर नारायण की व्याख्या


मेले से लाया हूँ इसको
छोटी सी प्यारी गुड़िया,
बेच रही थी इसे भीड़ में 
बैठी नुक्कड़ पर बुढ़िया | 

मोल-भाव करके लाया हूँ
ठोक बजाकर देख लिया,
आँखें खोल मूँद सकती है
यह कहती है पिया-पिया | 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कुँवर नारायण जी के द्वारा रचित कविता गुड़िया से उद्धृत हैं | कवि के द्वारा इस कविता के माध्यम से एक नन्हें बच्चे का खिलौने के प्रति मासूमियत भरा स्नेहभाव और लगाव को दिखाने का प्रयास किया गया है | पहली चार पंक्तियों में बच्चा कह रहा है कि वह मेले से एक छोटी सी गुड़िया लेकर आया है, जो बहुत प्यारी है | उस गुड़िया को नुक्कड़ पर बैठकर एक बुढ़िया बेच रही थी | अंतिम चार पंक्तियों में बच्चा गुड़िया की विशेषता बताते हुए कह रहा है कि मैंने मोल-भाव कर लिया है और गुड़िया को ठोक-बजाकर देख लिया | अर्थात् बच्चे ने यह परख लिया कि गुड़िया बिल्कुल ठीक-ठाक है | वह आँखें खोल-मूँद सकती है और पिया-पिया की आवाज़ भी निकाल सकती है | 

गुड़िया कविता कुँवर नारायण | CBSE NCERT Solutions for Class 8 Hindi Durva
गुड़िया कविता कुँवर नारायण

जड़ी सितारों से है इसकी 

चुनरी लाल रंग वाली,
बड़ी भली हैं इसकी आँखें
मतवाली काली-काली | 

ऊपर से है बड़ी सलोनी
अंदर गुदड़ी है तो क्या ?
ओ गुड़िया तू इस पल मेरे
शिशुमन पर विजयी माया | 

भावार्थ - 
प्रस्तुत पंक्तियाँ कुँवर नारायण जी के द्वारा रचित कविता गुड़िया से उद्धृत हैं | कवि के द्वारा इस कविता के माध्यम से एक नन्हें बच्चे का खिलौने के प्रति मासूमियत भरा स्नेहभाव और लगाव को दिखाने का प्रयास किया गया है | उक्त पंक्तियों में बच्चा नुक्कड़ से खरीदी हुई अपनी गुड़िया की विशेषता बताते हुए कह रहा है कि इसकी लाल रंग की चुनरी सितारों से जड़ी है और इसकी काली-काली मतवाली आँखें बेहद खूबसूरत हैं | बच्चे को पता है कि गुड़िया के अंदर गुदड़ी या बेकार चीजें हैं | फिर भी वह गुड़िया के बाहरी ख़ूबसूरत रूप से बेहद प्रभावित है | मानो बच्चे के मन पर वह गुड़िया विजय पा ली हो | 

रखूँगा मैं तुझे खिलौनों की 
अपनी अलमारी में,
कागज़ के फूलों की नन्हीं
रंगारंग फुलवारी में | 

नए-नए कपड़े गहनों से
तुझको रोज़ सजाऊँगा,
खेल-खिलौनों की दुनिया में
तुझको परी बनाऊँगा | 

भावार्थ - 
प्रस्तुत पंक्तियाँ कुँवर नारायण जी के द्वारा रचित कविता गुड़िया से उद्धृत हैं | कवि के द्वारा इस कविता के माध्यम से एक नन्हें बच्चे का खिलौने के प्रति मासूमियत भरा स्नेहभाव और लगाव को दिखाने का प्रयास किया गया है | उक्त पंक्तियों में बच्चा गुड़िया के रख-रखाव की योजना बना रहा है | बच्चा गुड़िया को संबोधित करते हुए कह रहा कि मैं तुझे खिलौनों की अपनी अलमारी में रखूँगा | जहाँ पर कागज़ के फूलों की नन्हीं रंगारंग फुलवारी भी है | बच्चा गुड़िया के प्रति अपनी उत्सुकता को बढ़ाते हुए आगे कहता है कि नए-नए कपड़े गहनों से तुझको हर दिन सजाऊँगा और तुझको खेल-खिलौनों की दुनिया में परी बनाऊँगा | 

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गुड़िया कविता सारांश  


प्रस्तुत पाठ या कविता गुड़िया कवि कुँवर नारायण जी के द्वारा रचित है | प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि के द्वारा खिलौनों के प्रति एक बच्चे के स्नेह और उसकी भावना को चित्रित करने का प्रयास किया गया है | बच्चे के द्वारा मेले से गुड़िया ख़रीदकर लाया गया है, जिसे एक बुढ़िया बेच रही थी | बच्चा कहता है कि मैंने जो गुड़िया खरीदा है, वह अपनी आँखें झपका सकती है और पिया-पिया बोल पाने में सक्षम है | बच्चे के द्वारा गुड़िया की विशेषता बतायी जा रही है | वह कहता है कि चुनरी सितारों से जड़ी है | उसकी काली मतवाली आँखें बेहद सुंदर दिखाई दे रही है | वह इस बात को भलीभाँति जानता है कि गुड़िया कृत्रिम है | मगर फिर भी वह गुड़िया की ख़ूबसूरती से प्रभावित है | वह गुड़िया (खिलौना) बच्चे का मन जीतने में कामयाब हो गई है | बच्चा कहता है कि वह गुड़िया को अपनी खिलौनों की अलमारी में रखेगा | यहाँ तक कि उस नन्हें बच्चे ने अपनी अलमारी में कागज के रंगीन फूलों की फुलवारी भी बना रखी है | बालक उस गुड़िया को अपने खिलौनों की दुनिया की परी बनाने को उत्सुक है | वह रोज नए कपड़ों और गहनों से उस गुड़िया को सजाना चाहता है...|| 

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गुड़िया कविता कुँवर नारायण के प्रश्न उत्तर  


प्रश्न-1 गुड़िया को कौन, कहाँ से और क्यों लाया है ? 

उत्तर- 
प्रस्तुत पाठ के अनुसार, गुड़िया को कवि लाया था | जब वह मेले में गया तो वहाँ एक बुढ़िया नुक्कड़ पर बैठकर उसे बेच रही थी | कवि को गुड़िया बहुत पसंद आई, इसलिए कवि ने तुरन्त उसे खरीदकर घर ले आया | 

प्रश्न-2 कविता में जिस गुड़िया की चर्चा है वह कैसी है ? 

कुँवर नारायण
कुँवर नारायण

उत्तर- 
प्रस्तुत कविता में जिस गुड़िया की चर्चा हुई है, वह बहुत ख़ूबसूरत और मनमोहक है | वह गुड़िया आँखें खोल व मूँद सकती है | पिया-पिया की आवाज़ निकाल सकती है | उसकी आँखें काली-काली और मतवाली हैं | उसने सितारों से जड़ी लाल रंग की चुनरी पहन रखी है | वह बड़ी सलोनी गुड़िया है | 

प्रश्न-3 कवि ने अपनी गुड़िया के बारे में अनेक बातें बताई हैं | उनमें से कोई दो बातें लिखो | 

उत्तर- 
कवि ने अपनी गुड़िया के बारे में अनेक बातें बताई हैं | जिनमें से कोई दो बातें निम्नलिखित हैं --- 

• कवि अपनी गुड़िया को खिलौनों की अपनी अलमारी में सजा कर रखने की बात करते हैं | 
• कवि अपनी गुड़िया को रोज़ नए-नए कपड़े-गहनों से सजाने की बात करते हैं तथा उसे खेल-खिलौनों की दुनिया में परी बनाने की बात करते हैं | 

प्रश्न-4 तुम पुस्तक-मेला, फ़िल्म-मेला और व्यापार-मेला आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करो और बताओ कि अगर तुम्हें इनमें से किसी मेले में जाने का अवसर मिले तो तुम किस मेले में जाना चाहोगे और क्यों ? 

उत्तर- वास्तव में देखा जाए तो मैं पुस्तक मेले में जाना पसंद करूंगा क्योंकि पुस्तक मेला में अनेक प्रकार की पुस्तकों का संग्रह होता है | या फिर कह सकते हैं कि पुस्तकें हमारे ज्ञानार्जन का माध्यम भी होते हैं | 

प्रश्न-5 मैं मेले से लाया हूँ इसको 
हम मेले से लाए हैं इसको

ऊपर हमने देखा कि यदि ‘मैं’ के स्थान पर ‘हम’ रख दें तो हमें वाक्य में कुछ और शब्द भी बदलने पड़ जाते हैं | इसी बात को ध्यान में रखते हुए दिए गए वाक्यों को बदलकर लिखो | 

(क) मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती हूँ | 

हम आठवीं कक्षा …………………… | 

(ख) मैं जब मेले में जा रहा था तब बारिश होने लगी  | 
……………………………………………

(ग) मैं तुम्हें कुछ नहीं बताऊँगी | 

………………………………………………

उत्तर- 
वाक्यों को बदलकर लिखो - 

(क) मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती हूँ | 
हम आठवीं कक्षा में पढ़ते हैं | 

(ख) मैं जब मेले में जा रहा था तब बारिश होने लगी | 
हम जब मेले में जा रहे थे तब बारिश होने लगी।

(ग) मैं तुम्हें कुछ नहीं बताँऊगी | 
हम तुम्हें कुछ नहीं बताएँगे | 


प्रश्न-6  दिए गए शब्दों के अंतिम वर्ण से नए शब्द का निर्माण करो -

उ. नए शब्द का निर्माण

मेला-   लाल   लगन   नया   याद
पिया-   यार   रात   तलाक   कमल 
खोल-   लकीर   रसीद   दवा   वाष्प 
शिशुमन-   नन्हा   हाजिर   रकम महान 

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गुड़िया कविता कुँवर नारायण पाठ से संबंधित शब्दार्थ 


• नुक्कड़ - मोड़, छोर 
• रोज़ - हर दिन 
• मूँद / मूँदना - बंद / बंद करना 
• रंगारंग - रंग-बिरंगी 
• चुनरी - ओढ़नी, दुपट्टा, चुन्नी 
• शिशुमन - बालमन, भोला मन 
• भली - अच्छी, सुंदर 
• सलोनी - सुंदर 
• गुदड़ी - फटे-पुराने कपड़ों से बनाई गई, बिछावन  | 



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