चमरासुर उपन्यास (5) / शमोएल अहमद

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चमरासुर ने आखिर में एक सर्वे पेश किया कि मनुस्मृति की ही देन है कि देश में हर अट्ठारह मिनट पर एक दलित अपमानित किया जाता है | हर रोज़ तीन दलित औरतें बला

चमरासुर उपन्यास (5) / शमोएल अहमद


धुआँ गाढा था और घोटाले जिंदगियाँ भी लेते हैं | सी.बी आई. को जांच का आदेश मिला था | लक्ष्मीकांत ने जांच से बचने के लिए अपने सहायक शुक्ला और त्रिवेदी पर मुक़दमा दर्ज कर दिया | लेकिन सी.बी.आई. ने जो चार्ज-शीट दाखिल किया उसमे लक्ष्मीकांत और उसके चेलों के नाम भी शामिल थे | चौगान को क्लीन चिट मिल गयी थी | असल में चौगान अजगर मंडली की भट्टी से निकला था और अजगर अपने लोगों को अंत तक बचाता है | ये बात सर्वविदित हो गयी कि राज्य जहाँ इमारत की हुकूमत है करप्शन में डूबे हुए हैं | किसी भी मंत्री के यहाँ छापा मारो करेंसी  गिनने के लिए मशीन की ज़रूरत पड़ेगी | लेकिन मुखिया के होंठ सिले थे | बस यही कहता था कि न खाऊँगा न...... | 

चमरासुर इनका आगे साथ देना नहीं चाहता था | लक्ष्मीकांत से जुड़ाव एक खतरे की तरफ इशारा कर रहा था | वो उनका राजदार था | उसकी जान को ख़तरा था | चमरासुर चुपचाप अपने गाँव लौट गया | उसने फिर फ़ार्म का रुख नहीं किया |

चमरासुर अपने गाँव चला आया | गाँव की मिलीजुली आबादी थी | दलित टोले में सत्तर घर एक दूसरे से सटे हुए थे फिर भी असुरक्षा का भाव इन्हें परेशान रखता था | गाँव में राजपूत टोला और ब्राह्मण टोला भी था | ये लोग दलितों पर भारी पड़ते थे |  एक कोने में मुसलमान भी आबाद थे | चमरासुर का घराना थोड़ा बहुत खुश-हाल था | इनका मछली का कारोबार था | गाँव में एक बड़ा सा तालाब था जिसपर राजपूतों का कब्ज़ा था | लेकिन इस बार तालाब की नीलामी हुई तो मछलियों का ठीका चमरासुर के चाचा मोहनदास को मिला और ये बात सवर्णों को खल गयी | राजपूत कैसे सहन करते कि चमार घराना तरक्की करे | मोहनदास को धमकियाँ मिलने लगीं | वो जाल डालने तालाब पर गया तो उमेश सिंह हथियारों से लैस अपने आदमियों के साथ पहुँच गया | मोहनदास को तमाचा मारा | धमकी दी कि तालाब की तरफ देखा भी तो आँखें निकाल लूँगा | चमरासुर को मालूम हुआ तो मोहनदास को लेकर थाने गया | थाना प्रभारी लाला था |  उसने सानेहा दर्ज करने से इनकार कर दिया | उसके शब्द थे कि वो किसी झमेले में पड़ना नहीं चाहता | वो दबंग लोग थे, खुद उसका हश्र बुरा हो सकता था | चमरासुर गुस्से से आग-बबूला हो गया | उसने अर्जी लिखी और बी.डी.ओ. के दफ्तर आया कि उससे थाना प्रभारी पर दबाव डलवाने की कोशिश करेगा | 

बी.डी.ओ. का सामना हुआ तो हल्की हल्की फुहार पड़ने लगी | उसका गुस्सा एक सुखद आश्चर्य में बदल गया | सामने कुर्सी पर भाँजी बिराजमान थी | चमरासुर ने ख़ुशी का इज़हार किया कि वो उसके प्रखंड में मैजिस्ट्रेट की हैसियत से आई | उसने अर्जी पेश करते हुए अपने आने का सबब बताया | भाँजी के माथे पर बल पड़ गये |पहला जुमला उसके मुंह से अदा हुआ कि अब समझी तुम दलित हो | चमरासुर का जवाब था कि उसे पता होना चाहिए कि शूद्र भी राजपूत के वंशज हैं | 

चमरासुर उपन्यास (5) / शमोएल अहमद
‘’ रबिश....’’ भाँजी के होंठ अंडाकार हो गये |

‘’ इसका मतलब है कि तुम राजपूत ज़ात की श्रेष्ठता को कुबूल करते हो तब ही तो अपनी पहचान राजपूतों से कर रहे हो |’’


चमरासुर मुस्कराया और इतिहास बताने लगा जो उसने दोस्तों से सुन रखा था | वो ये कि जो दलित मैला ढोते हैं वो कभी ऊँची ज़ात के राजपूत हुआ करते थे | मुसलिम राजाओं ने जब हिंदुस्तान पर विजय पाई तो हिन्दुस्तानी मैदान में टटी करते थे | लेकिन मुस्लिम शासकों का ये चलन नहीं था | टट्टी की व्यवस्था घर के अंदर ही थी | मैला साफ़ करने के लिए उन राजपूतों को लगाया जो जंग में कैदी बनाए गये थे | इनको मौक़ा दिया गया था कि या तो मैला साफ़ करें या इस्लाम कुबूल करें | ये इतने बहादुर थे कि इन्होंने इस्लाम कुबूल करना पसंद नहीं किया और मैला ढोने में लग गये | अपने धर्म और ज़ात का अपमान नहीं हो इसलिए अपने लोगों से दूर भी रहने लगे | बाद में हिन्दुओं ने इन्हें समाज से बाहर कर दिया और मैला ढोने पर मजबूर कर दिया | भाँजी ने प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए कहा कि ऐसी बात कह कर एक दलित ने अपनी औकात दिखा दी है | जवाब में चमरासुर ने आईने की तरह अपना फोन उसके चेहरे के सामने कर दिया और तीखे स्वर में बोला |

‘’ तुम्हारी औकात तो इस फोन में बन्द है | ‘’

भाँजी ने उसे सवालिया नजरों से देखा |

‘’ देख लो ये एडमिट कार्ड है जिस पर तुम्हारा नाम और मेरा चित्र है | और ये देखो आन्सर-शीट का चित्र जिस पर मेरे अक्षर हैं | अगर मैं इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दूँ और एक प्रेस कांफ्रेंस में राज़ उगल दूँ कि तुम किस तरह मैजिस्ट्रेट बनी हो तो मामा की कुर्सी जाएगी और तुम भी कहीं की नहीं रहोगी‘’

भाँजी का चेहरा जर्द पड़ गया | वह गुस्से से होंठ चबाने लगी |

चमरासुर ऊँगली नचाते हुए कड़े स्वर में बोला |

‘’ जो कहता हूँ सुनो ! तुम उमेश सिंह को गिरफ्तार करोगी | तुम यहाँ मैजिस्ट्रेट की हैसियत से आई हो | तुम्हारा काम है विधि व्यवस्था बनाए रखना | हम कल सुबह तालाब में जाल डालेगे | तुम थाना प्रभारी को लेकर फ़ोर्स के साथ मौजूद रहोगी | उमेश सिंह अपने गुंडों के साथ आया तो तुम उसको गिरफ्तार करोगी | हमारे आदमी भी हथियार से लैस होंगे | तुम उन्हें कुछ नहीं कहोगी | अगर खून-खराबा हुआ तो जिम्मेवारी तुम्हारी होगी | अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो दुनिया देखेगी कि तुम्हे मैजिस्ट्रेट किसने बनाया |’’

चमरासुर ज़हरीली मुस्कराहट के साथ भाँजी के चैम्बर से बाहर निकला | गोया एक जंग शुरू हो गयी है .... उसने सोचा | उसे यकीन था कि उमेश सिंह दल-बल के साथ तालाब पर आएगा | भिड़ंत यकीनी है | पुलिस नहीं भी आ सकती है | उसे भी हथियारों के साथ तैयार  रहना होगा | ये  जंग हर हाल में जीतनी है | उसे पहली जनवरी 1818 ई. की उस जंग की याद आयी जो फिरंगियों और पेशवा बाजी राव के साथ कोरे गाँव भीमा में हुई थी | अंग्रेजों की फ़ौज में दलित बड़ी संख्या में थे | अंग्रेजों की जीत हुई थी | ये जंग दरअसल दलितों और सवर्णों के बीच हुई थी और ये जीत दलितों की जीत थी |

चमरासुर ने मोहनदास के घर दलित टोलों के युवकों को जमा किया | इस बैठक में कुछ बुज़ुर्ग भी शामिल हुए | चमरासुर ने आत्मसम्मान जगाने की बात की | अपने असुर होने पर गर्व का इज़हार किया और किसी मँजे हुए लीडर की तरह भाषण दिया जो ऐसे मौके पर दिया जाता है |

‘’ कोरेगाँव में हम हर साल जीत का जश्न मनाते हैं |आज समय आ गया है कि हम इतिहास दुहराएँ| गाँव के स्तर पर ही सही कल एक जंग सवर्णों से होगी |तालाब हमारा है और ऊँची ज़ात वाले हमें अपने अधिकारों से वंचित रखना चाहते हैं | कुत्ते और बिल्ली की मौत मरने से अच्छा है कि हम वीर असुर गति को प्राप्त हों | हम असुर हैं | हम कायर नहीं हो सकते | बस हमें इकट्ठे होकर रहना है | ‘’

चमरासुर ने आखिर में एक सर्वे पेश किया कि मनुस्मृति की ही देन है कि देश में हर अट्ठारह मिनट पर एक दलित अपमानित किया जाता है | हर रोज़ तीन दलित औरतें बलात्कार का शिकार होती हैं | दो दलित मारे जाते हैं | दो द्लितों के घर में आग लगा दी जाती है | चालीस प्रतिशत दलित गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं | 54 प्रतिशत भुखमरी से जूझते हैं | हर हजार दलित घर में 83 बच्चे जन्म लेने के बाद एक साल के अंदर मर जाते हैं | 45 प्रतिशत बच्चे अनपढ़ रह जाते हैं | 40 प्रतिशत बच्चों को स्कूल में अलग पंक्ति में बैठकर खाना पड़ता है | 48 प्रतिशत गाँव में दलितों को पानी पीने के लिए अलग जगह जाना पड़ता है |

चमरासुर की बातों से युवकों में उत्साह भर गया | जय भीम के शंखनाद से मीटिंग ख़त्म हुई 


- शेष अगले अंक में 



- शमोएल अहमद 
३०१ ग्रैंड पाटलिपुत्र अपार्टमेंट 
नई पाटलिपुत्र कालोनी 
पटना ८०००१३
मो;  ९८३५२९९३०३ 

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