आषाढ़ का पहला दिन कविता भवानी प्रसाद मिश्र | Class 8th Hindi Durva

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आषाढ़ का पहला दिन भवानी प्रसाद मिश्र



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आषाढ़ का पहला दिन कविता की व्याख्या भावार्थ


हवा का जोर वर्षा की झरी, झाड़ों का गिर पड़ना
कहीं गर्जन का जाकर दूर सिर के पास फिर पड़ना
उमड़ती नदी का खेती की छाती तक लहर उठना
ध्वजा की तरह बिजली का दिशाओं में फहर उठना

भावार्थ - 
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी के द्वारा रचित कविता आषाढ़ का पहला दिन से लिया गया है
आषाढ़ का पहला दिन कविता भवानी प्रसाद मिश्र | Class 8th Hindi Durva
आषाढ़ का पहला दिन कविता
| इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि आषाढ़ के महीने में मानसून आ जाता है और यह महीना किसानों का होता है | किसान खेती के लिए तैयार हो जाते हैं। इस महीने के आते ही किसान ख़ुशी से झूम उठते हैं। आषाढ़ के महीने में जब मानसून आता है तो हवा जोरों से चलती है, जिसके कारण झाड़-झंखार, छोटे पौधे गिर जाते हैं। बादल ऐसे गरजते हैं, जैसे आपके सिर के ऊपर ही गर्जना कर रहे हों। नदियाँ अपने उफान पर होती हैं | नदियों में तेज बहाव होता है। कभी-कभी तो वे खेत के कलेजे तक चढ़ जाती हैं। इस महीने में चारों दिशाओं में बिजली ऐसे चमकती है, जैसे ध्वजाएं लहरा रही हो | 


ये वर्षा के अनोखे दृश्य जिसको प्राण से प्यारे
जो चातक की तरह तकता है बादल घने कजरारे
जो भूखा रहकर, धरती चीरकर सबको खिलाता है
जो पानी वक्त पर आये नहीं तो तिलमिलाता है
अगर आषाढ़ के पहले दिवस के प्रथम इस क्षण में
वही हलधर अधिक आता है, कालिदास से मन में
तो मुझको क्षमा कर देना | 

भावार्थ - 
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी के द्वारा रचित कविता आषाढ़ का पहला दिन से लिया गया है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि वर्षा के ये अनूठे दृश्य, जिसे प्राणों से भी प्यार होता है वो किसान होते हैं । किसान  इस मौसम से पहले किसी पपीहे की तरह टकटकी लगाए बादलों का इंतजार करता रहता है। किसान खुद भूखा रहता है अपना पेट मारकर खेतों में खूब मेहनत करता है। और अनाज उगाकर सब को खिलाता है | पूरे संसार को किसान के मेहनत से ही भोजन मिलता है। किसान वे होते हैं, अगर समय में बारिश न हो तो तड़प उठता है, बेचैन हो जाता है। कवि कहते हैं कि अगर आषाढ़ के इस पहले दिन में आपके मन में बादल देखने के बाद कालिदास की बजाय किसान की तस्वीर आती है तो उस समय मन में ही कालिदास से माफी माँग लेना | 

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आषाढ़ का पहला दिन कविता का सारांश


प्रस्तुत पाठ आषाढ़ का पहला दिन कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी के द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने आषाढ़ के महीने का सुंदर वर्णन किया है और किसानों की खुशियों का सजीव चित्रण करते हुए बताया है कि आषाढ़ महीना लगते ही किसान बहुत खुश हो जाते हैं | मानसून के आगमन के साथ ही चारों दिशा में बादल छा जाते हैं, बिजली चमकती है और बारिश होने लगती है | खेत-खलिहान, नदियों में पानी उफान मारने लगता है। कवि बताते हैं कि किसान इस मौसम में प्यासे पपीहा की तरह बारिश का इंतजार करते रहते हैं, क्योंकि किसान फसल उगाने के लिए इस दिन का महिनों से इंतजार करते रहते हैं। किसान ही पूरे संसार में अनाज पँहुचाते है, भले ही ख़ुद भूखे रहकर दिन रात खेतों में जी-तोड़ मेहनत करते हैं । यह कविता आषाढ़ महीने की खुशी और अनूठे दृश्य को सामने व्यक्त करती मनमोहक दृश्य की छवि है...|| 



आषाढ़ का पहला दिन कविता के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 किसान को बादलों का इंतज़ार क्यों रहता है ? 

उत्तर- किसान खेती करने के लिए, अपने खेत में अनाज पैदा करने के लिए बादलों का इंतजार करते हैं |  ताकि बारिश हो और उनकी फसल हरि-भरी लहलहाने लगे | 

भवानी प्रसाद मिश्र
भवानी प्रसाद मिश्र

प्रश्न-2 
कवि को वर्षा होने पर किसान की याद क्यों आती है ? 

उत्तर- कवि को वर्षा होने पर किसान की याद इसलिए आती है, क्योंकि किसान के खेती करने से हम सबका पेट भरता है। वो खुद भूखे रहकर खेतों में कड़ी मेहनत करके अनाज उगाते हैं, जिसे सारे लोग खाते हैं | 

प्रश्न-3 कवि ने किसान की तुलना चातक पक्षी से क्यों की है ? 

उत्तर- 
कवि ने किसान की तुलना चातक (पपीहा) पक्षी से इसलिए की है, क्योंकि चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र की बूंद ही पीता है नहीं तो प्यासा रह जाता है, उसी प्रकार किसान अपने खेत, अपनी धरती की प्यास बुझाने के लिए वर्षा का इंतजार करता है और बारिश होने पर वह खुश हो जाता है | 

प्रश्न-4 नीचे शब्दों के बदलते रूप को दर्शाने वाला नमूना दिया गया है। उसे देखो और अपनी सुविधानुसार तुम भी दिए गए शब्दों को बदलो।

नमूना – गिरना –गिराना –गिरवाना

उ. निम्नलिखित हैं - 

• उठना                  उठाना                उठवाना
• पढ़ना                 पढ़ाना                 पढ़वाना
• करना                 कराना                  करवाना
• फहरना              फहराना              फहरवाना
• सुनना                 सुनाना                सुनवाना

प्रश्न-5 क्या होगा --- 

(क) अगर वर्षा बिलकुल ही न हो | 
(ख) अगर वर्षा बहुत अधिक हो | 
(ग) अगर वर्षा बहुत ही कम हो | 
(घ) वर्षा हो मगर आँधी-तूफ़ान के साथ हो | 
(ङ) वर्षा हो मगर तुम्हारे स्कूल में छुट्टियाँ हों | 

उत्तर- निम्नलिखित घटित होगा - 

(क) अगर वर्षा बिल्कुल ही न हो तो सूखे की स्थिति निर्मित हो जाएगी और जब खेती नहीं होगी तो भुखमरी जैसी स्थिति आ जाएगी | 
(ख) अगर वर्षा बहुत अधिक हो तो बाढ़ के खतरे आ जाएंगे | 
(ग) अगर वर्षा बहुत कम हो तो पर्यावरण संतुलित नहीं हो पाएगा, जिसके कारण भी फसल के खराब होने की सम्भावना बढ़ जाएगी | 
(घ) वर्षा अगर आँधी तूफान के साथ हो तो फसलों  को अत्यधिक नुकसान हो जाएगा और पेड़,मकान आदि टूट भी सकते हैं | 
(ङ) वर्षा में अगर हमारी छुट्टियाँ हो तो यह हमारे लिए अच्छा होगा, क्योंकि हम बारिश में बिना  मतलब के भीगने से बचेंगे और बीमार इस तरह बीमार नहीं होंगे | 

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आषाढ़ का पहला दिन पाठ से संबंधित शब्दार्थ


• जोर - तेजी
• झड़ी - हल्की किन्तु लगातार वर्षा
• झाड़ - कंटीले पौधों का समूह
• गरजन - बादलों की गड़गड़ाहट 
• ध्वजा - झंडा
• फहरना - हवा में लहराना
• ताकना - देखना
• कजरारे - काजल जैसे काले
• तिलमिलाना - बेचैन होना
• क्षण - पल
• चातक - पपीहा
• हलधर - किसान  | 


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