नारी शक्ति के बारे में

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नारी शक्ति के बारे में भारत में तो नारी को देवी का दर्जा दिया गया है।मनु स्मृति में भी लिखा गया है कि -‘‘यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता’’।

नारी शक्ति


माननीय पाठक गण, मैं सुखवीन कंधारी आज आपके समक्ष नारी शक्ति के संदर्भ में अपनी सोच रखना चाहती हँू,वैसे हूँ तो मैं 13 साल की पर अपने आस पास अपनी दादी माँ, मेरी जननी,मेरी बहन,सहेलियाँ और अपनी
नारी शक्ति के बारे में

शिक्षिकाओं का सार्मथ्य देखकर मेरा मन हमेशा नारी के प्रति नमन करता है। स्वयं नारी होने का सौभाग्य पाकर भी मैं परमात्मा की शुक्रगुजार हूँ,क्योकि नारी ही सृश्टि को चलाने का सशक्त माध्यम है,जिसका सम्मान मैं ‘वाॅरियर राॅय’ की इन पंक्तियों से करना चाहती हूँ -

‘अपमान मत करना नारियों का,
इनके बल पर जग चलता है।
पुरूश जन्म लेकर तो,
इन्ही की गोद में पलता है।’

प्राचीन काल से ही नारी का एक सशक्त अस्तित्व रहा है। बिना नारी के समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। भारत में तो नारी को देवी का दर्जा दिया गया है।मनु स्मृति में भी लिखा गया है कि -‘‘यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता’’।अथार्त जहाँ नारी की पूजा होती है,वहाँ देवता निवास करते है। कहते है कि, मध्यकाल मंे जब भारत देश पर विदेशियो का आक्रमण हुआ,तब से भारत में नारियों की स्थिति चिंताजनक बनती चली गई। नारी की आबरू बचाने, परिवार के सम्मान के खातिर नारी को घर की चारदीवारी में ही बंद कर दिया गया और उस पर कई बंदिशे लगा दी गई। इतना ही नही,ं उनको मानसिक और शारीरिक पीड़ा देने का सिलसिला जारी हो गया। घरेलू अपराध बढ़ते चले गए। जो देश मातृसत्तामक और नारी को देवी समान मानकर सम्मान देता था, वही देश अब नारी को परतंत्र और अबला बनाता चला गया। बस एक ही सोच रह गई कि लड़की की उम्र 10 साल जैसे ही हो जाए उसके हाथो मे में मेंहदी लगा कर उसका विवाह कर दिया जाए।क्या यह उचित था????

सुखवीन कंधारी
सुखवीन कंधारी

कहते है ना, कि वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता। धीरे - धीरे वक्त ने भी करवट ली। हमेशा उपेक्षा,तिरस्कार,शोशण का शिकार होती नारी ने आवाज उठाना शुरू कर दिया। आज वह भी लैगिक असमानता का विरोध करने लगी है। धीरे - धीरे अपनी पहचान और अपने वजूद को समाज के सामने ला रही है। लड़को के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। आज लड़कियो ने चूल्हा -चैके के साथ - साथ आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर हो चुकी हैं। नारी अब एक माँ,बेटी,बहन, होने के साथ एक योग्य डाॅक्टर,इंजीनियर,वैज्ञानिक व हर क्षेत्र में सफलता पाकर अपना और अपने परिवार का नाम रोशन कर रही है। अपनी हर जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए रोज वह एक नई उड़ान मे शामिल हो रही हैं।            

इस तरह नारी एक बेटी के रूप में,एक बहन के रूप में,एक पत्नी के रूप में अपने परिवार की आन - बान - शान बनकर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तत्पर रहती हेै।अब मंै ंिहंदी के प्रसिद्ध कविवर श्री हरीश कुमार जी की कविता की इन पंक्तियों से समस्त नारियो का अभिनंदन करना चाहूँगी -

-सजग,सचेत,सबल,समर्थ,आधुनिक युग की नारी है।
मत मानो अब अबला उसको,सक्षम बलधारी है।
आज बनी युग की निर्माता,हर बाधा उससे हारी है।
चारदीवारी का हर बंधन तोड़ के बाहर आई है।
स्नेह,प्रेम व ममता का भंड़ार नारी हैं
हर जंग जीते शान से यह अभियान सतत जारी हैं....



- सुखवीन कंधारी 
वाशी,नवी मुंबई 

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