आरसी प्रसाद सिंह का जीवन परिचय

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आरसी प्रसाद सिंह का जीवन परिचय


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आरसी प्रसाद सिंह की भाषा शैली

आरसी प्रसाद सिंह जी की भाषा सरल और सुगम है। मैथिलि भाषा में भी लिखी इनकी रचनाएँ अत्यंत लिकप्रिय हैं। इनकी रचनाओं में तत्सम व तद्भव दोनों प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया गया है। शैली लयबद्ध व प्रवाहशाली छंदमय है। इनकी रचनाओं छायावादी कवियों की भाँती अलंकरण शैली में लिखी गयी है। 

आरसी प्रसाद सिंह की काव्यगत विशेषताएँ 

आरसी प्रसाद सिंह का जीवन परिचय
आरसी प्रसाद सिंह
आरसी प्रसाद सिंह ने जिस समय काव्य रचना शुरू की उस समय छायावाद अपने चरम पर था और हिंदी जगत में नवजागरण की चेतना तीव्र होती जा रही थी। इसी समय देश के राजनितिक परिवेश में भी क्रांति के स्वर उभर कर सामने आ रहे थे। इन सभी का प्रभाव इनकी रचनाओं में पड़ा. इनकी कविताओं में सामाजिक संवेदना का स्वर है। इनकी कविताओं में वे सभी विशेषताएँ हैं जो जन मानस को अपनी ओर आकृष्ट करती हैं। स्वाभाविकता तथा विचार प्रधानता ,सहज अनुभूतियों की निश्चल अभिव्यक्ति इनके काव्य के प्रमुख गुण हैं। 

आरसी प्रसाद सिंह की रचनाएँ

आरसी प्रसाद सिंह जी द्वारा लिखी रचनाएँ निम्नलिखित हैं - 

काव्य संग्रह - कलापी, संचयिता ,जीवन और योवन ,पांचजन्य ,शतदल। 

आलोचना - कविवर सुमति : युग और साहित्य

विशेष - शतदल नामक काव्य संग्रह में स्वर्ण विहान व गुंजित  निर्झरिणी नामक कविताओं ने विशेष प्रसिद्धि पायी है। 


COMMENTS

Leave a Reply: 1
  1. कवि आरसी बाबू के बारे में बहुत कम जानकारी दी गई है ।इसे विस्तारित किया जाये।
    *** बी के तिवारी, रोसेरा

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