महिला शक्ति स्व सहायता समूह

SHARE:

महिला शक्ति स्व सहायता समूह महिलाओं के स्वास्थ्य को देखते हुए राज्य और केन्द्र सरकार को खुटगांव की महिला शक्ति स्व-सहायता समूह जैसे विभिन्न समूहों के

बीहड़ में स्त्री स्वाभिमान की जागरूकता


भारतीय समाज में आज भी बड़ी संख्या में महिलाएं पीरियड्स को लेकर कई मिथकों और संकोचों में अपना जीवन गुजार रही हैं। ’पीरियड्स’ महिलाओं की जिंदगी से जुड़ा एक अहम विषय है, जिस पर खुलकर बात नहीं होती है। देश के बड़े शहरों में हालात जरूर थोड़े बदले हैं, लेकिन गांव और कस्बों में अभी भी ये चुप्पी का मुद्दा है, जिसे शर्म और संकोच की नजर से देखा जाता है। गांव की महिलाएं इस पर चर्चा न घर में कर पाती हैं और न ही अपनी किशोर बेटियों को इस बारे विस्तार से बता पाती हैं, जिस कारण साफ-सफाई के अभाव में गंभीर बीमारियों से संक्रमित होने का खतरा उनमें लगातार बना रहता है। स्वास्थ्य विभाग के तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति जस की तस है। टीवी-अखबारों में सैनिटरी पैड्स के विज्ञापनों की गूंज गांवों तक तो है, परंतु उपयोग नही के बराबर है। आज भी ग्रामीण महिलाएं और किशोरियां के लिए घर के फटे-पुराने कपडे़ ही पीरियड्स के लिए एकमात्र उपाय हैं, नतीजा उन्हें संक्रमण के रूप में झेलना पड़ता है। हालांकि अब इसमें धीरे धीरे बदलाव आ रहा है और ग्रामीण महिलाएं भी न केवल पैड्स का इस्तेमाल करने लगी हैं बल्कि ग्रामीण स्तर पर इसे तैयार भी किया जा रहा है। 


ऐसी ही जागरूकता छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला स्थित दुर्गूकोंदल ब्लाॅक मुख्यालय के करीब ग्राम खुटगांव में देखने को मिली है। जहां कुछ शिक्षित गृहिणी व नौकरीपेशा महिलाएं अपने क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं को पीरियड्स के दौरान कपड़े का उपयोग और उससे होने वाली समस्याओं को विगत कई सालों से देखती आ रही थीं, जिसके बाद उन्होंने स्वयं क्षेत्र में जागरूकता लाने की पहल की। इसके लिए उन्होंने शक्ति स्व-सहायता समूह का गठन कर सेनेट्री नैपकिन बनाने का काम शुरू किया। इस समूह में दस महिलाएं संगठित होकर गांव में ही स्त्री स्वाभिमान नाम से सैनिटरी पैड का निर्माण कर रही हैं, ताकि अपने क्षेत्र की लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड्स उपयोग करने के लिए जागरूक कर सकें। केन्द्र सरकार के स्त्री स्वाभिमान योजना के तहत सीएससी (काॅमन सर्विस सेंटर) के माध्यम से समूह ने स्वयं से पैसे एकत्रित कर मशीन और राॅ-मटेरियल खरीदा है। समूह की महिलाएं कामकाजी होने के कारण उन्होंने गांव व आस-पास की अन्य महिलाओं को रोजगार दिया है, जो रोजाना पैड बनाने का कार्य करती हैं। तैयार सैनिटरी पैड्स को समूह के सदस्य गांव व आस-पास की महिलाओं को सस्ते दामों पर उपलब्ध करवा रही हैं ताकि उन्हें महंगे दामों पर बाजार में मिलने वाले सैनिटरी पैड्स नहीं खरीदना पडे़।

पेशे से स्कूल शिक्षिका और समूह की सदस्या उतरा वस्त्रकार ने बताया कि शुरूआत में पैड बनाने के लिए हमें प्रशिक्षण दिया गया। एक सैनिटरी पैड को पूरी तरह तैयार करने में तकरीबन चार घंटे का समय लगता है, जिसमें सबसे पहले उसके राॅ-मटेरियल को मशीन की सहायता से काटकर, जेल पेपर व अलग-अलग शीट को गोंद की सहायता से चिपकाया जाता है, फिर हम उसे सूखने के लिए छोड़ देते हैं। पूरी तरह सूखने के बाद उसे मशीन के माध्यम से डिसइंफेक्शन किया जाता है, फिर अंत में रैपर में पैकिंग होती है। अपने पैड की गुणवत्ता पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि बनाने के बाद सबसे पहले हमने स्वयं इसे उपयोग करके देखा है उसके बाद अब हम इसे दूसरी महिलाओं को उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं।

स्त्री स्वाभिमान
स्त्री स्वाभिमान

शक्ति स्व-सहायता समूह की अध्यक्षा एवं गांव की सरंपच सगनी तुलावी कहती हैं कि इस कार्य के पीछे हमारा उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सैनिटरी पैड उपयोग करने के लिए जागरूक करना है, ताकि उन्हें विभिन्न बिमारियों से सुरक्षित रखा जा सके। उन्होंने बताया कि उनके गांव में 70 परिवार हैं, आज सभी परिवारों की लड़कियां और महिलाएं सैनिटरी पैड्स का ही उपयोग करती हैं। इसके लिए वह समय-समय पर महिलाओं से मिलकर बातचीत भी करती रहती हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और समूह की सदस्या रीता वस्त्रकार बताती हैं कि जब वह इस क्षेत्र में रहने आई थी तो यहां की महिलाएं साफ-सफाई का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखती थीं। माहवारी के दौरान गंदा कपड़ा ही उनके द्वारा उपयोग किया जाता था। ज्यादातर महिलाओं को पीरियड्स और इस दौरान रखने वाली साफ़ सफाई के बारे में उचित जानकारी भी नहीं थी। लेकिन समय के साथ अब इनमें थोड़ा बदलाव आ रहा है। यह सब देखकर ही हमारे मन में हमेशा से यह ख्याल रहा कि इन महिलाओं के लिए कुछ करना चाहिए।

इस संबंध में दुर्गूकोंदल क्षेत्र के ब्लाॅक मेडिकल ऑफ़िसर मनोज किशोर ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर छह महीने में स्कूलों व अन्य जगहों पर जागरूकता शिविर लगाया जाता है, जहां महिलाओं को माहवारी और उनके स्वास्थ्य से संबंधित जानकारियां दी जाती हैं। दुर्गूकोंदल सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की महिला डाॅक्टर पूजा पाॅल कहती हैं कि ग्रामीण महिलाओं में सैनिटरी पैड्स को लेकर जागरूकता बहुत कम है, वह आज भी काॅटन का कपड़ा ही उपयोग करती हैं। खुटगांव की महिला शक्ति स्व-सहायता समूह की शुरूआत चार महीने पहले अक्टूबर 2020 में हुई है, अब तक इनके द्वारा लगभग दो हजार सैनिटरी नैपकिन पैकेट का निर्माण किया जा चुका हैं। इनके एक पैकेट में आठ पीस नैपकिन होता है जिसे वो केवल 30 रूपए में महिलाओं को उपलब्ध करवा रही हैं। इसके साथ ही समूह की महिलाओं ने जल्द ही अपने आस-पास के दो गांवों को गोद लेने की योजना बनाई है। जहां वह प्रत्येक माह किशोरी बालिकाओं को निःशुल्क सैनिटरी पैड्स उपलब्ध करवाएंगी, ताकि उनके साथ-साथ पूरे गांव व क्षेत्र की महिलाओं में पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड्स की उपयोगिता से संबंधित जागरूकता आ सके और बिमारियों से बच सकें।

ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षा और अज्ञानता के कारण महिलाएं गंभीर बिमारियों की चपेट में आ जाती हैं, साथ ही इन इलाकों के स्कूलों में पानी और शौचालय की सही व्यवस्था न होने की वजह से ड्रॉपआउट्स की सबसे ज्यादा संख्या छात्राओं की होती है। नेशनल फैमिली हेल्थ का एक सर्वे बताता है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 48.5 फीसदी और शहरों में 77.5 फीसदी महिलाएं तथा औसतन कुल 57 फीसदी महिलाएं सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं तथा सिर्फ साफ-सफाई के अभाव में ही एक चौथाई महिलाओं को यूरिन और फंगल इंफेक्शन जैसी गंभीर बिमारियों का सामना करना पड़ता है। 

छत्तीसगढ़ के बीहड़ क्षेत्रों में ग्रामीण महिलाओं में पीरियड्स के दौरान सैनिटरी नैपकिन को लेकर जागरूकता बहुत ही कम है, कमोबेश यह स्थिति देश में अन्य राज्यों के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की भी है। इसकी मुख्य वजह अशिक्षा तथा नैपकिन की कमी के साथ साथ इसके उपयोग संबंधी जागरूकता की कमी भी है। ऐसे में महिलाओं के स्वास्थ्य को देखते हुए राज्य और केन्द्र सरकार को खुटगांव की महिला शक्ति स्व-सहायता समूह जैसे विभिन्न समूहों के माध्यम से बडे़ स्तर पर जागरूकता के लिए पहल की आवश्यकता है। (चरखा फीचर)



- सूर्यकांत देवांगन

भानुप्रतापपुर, छत्तीसगढ़

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका