कायाकल्प - शमोएल अहमद की कहानी

SHARE:

बीवी के बाल लंबे थे जो कमर तक आते थे | गुस्ल के बाद उन्हें खुला रखती | बिस्तर पर आती तो तकिये पर सर टिकाकर बालों को फर्श तक लटका देती | पानी बूंद बूंद

कायाकल्प


उसकी बीवी पहले गुस्ल करती थी .....
और ये बात उसको हमेशा ही अजीब लगी थी कि एक औरत इस नियत से गुस्ल करे.....
बीवी के बाल लंबे थे जो कमर तक आते थे | गुस्ल के बाद उन्हें खुला रखती | बिस्तर पर आती तो तकिये पर सर टिकाकर बालों को फर्श तक लटका देती | पानी बूंद बूंद कर टपकता और फर्श गीला हो जाता | गले और आस्तीन का हिस्सा भी पानी से तर रहता | एक बार वो हाथ पीछे ले जाकर बालों को आहिस्ता से झटकती और उसकी ओर चित्तचोर निगाहों से देखती… तब कामुकता से अलसाई उसकी आँखों की तहरीर वो साफ़ पढ़ लेता | 
शुरू शुरू में उसे लुत्फ़ आता था | बीवी जब गुस्ल-खाने का रुख करती तो वो बिस्तर पर लेटकर आँखें बंद करलेता और पानी गिरने की आवाजें सुनता रहता | उसे सिहरन सी महसूस होती कि गुस्ल इसी काम के लिए होरहा है |
लेकिन अब .....
अब उम्र की दहलीज पर पतझड आकर ठहर गया था और परिंदे सिर-नत थे |
कामवासना अगर रंगों से  रिश्ता रखती है तो कासनी रंग से रखती होगी | ये रंग उसकी जिंदगी में कभी गहरा नहीं था | बल्कि पचास की सरहदों से गुजरते ही फीका पड़ गया था | उसपर सारी जिंदगी एक गुमनाम सी सत्ता हावी रही थी | आज़ादी अगर शख्सियत का निर्माण करती है तो उसके साथ सारी उम्र आज़ादी आँख-मिचौली का खेल खेलती रही थी | बचपन से अपने अंतस में वो एक ही आवाज़ सुन रहा था ...ये मत करो..वो मत करो...और जब शादी हुई तो ये आवाज़ नए सुर में सुनाई देने लगी थी |
और  बीवी बातें इस तरह करती थी मानो कव्वे हंका रही हो | उसके होंट गोलाकार थे जों बात बात पर अंडाकार हो जाते  | आँखों में हरवक्त एक हैरत सी घुली रहती जिसका इज़हार होंटों की बदलती aakriआकृति से होता था | शब्दों की अदायगी में होंट फैलते और सिकुड़ते थे |
‘’ अच्छा...? ‘’
“ वाकई ...? ‘’
‘’ ओह ...! ‘’
उसकी हंसी भी जुदागाना थी | वो हु...हु,,,कर हंसती थी और मुंह पर हाथ रख लेती | पहली रात वो छिटक कर दूर हो गई थी और इसी तरह हंसने लगी थी | तब ये हंसी दिल-कश लगी थी कि वो शादी की रात थी जब बुझा हुआ चाँद भी खुशनुमा लगता है, लेकिन अब शादी को तीस साल हो गए थे | चाँद का मुंह अब टेढ़ा था और समंदर धमनियों में शोर  नही करते थे | वो कुफ्ती सी महसूस करता था ...बीवी के फैलते और सिकुड़ते हुए होंट ....बीवी की बातों में उसे बनावटीपन का एहसास होता , लेकिन उसका गुस्ल करना असली था और उम्र के इस हिस्से में जिंदगी अजीरन थी | खासकर उस दिन तो उसको बहुत ग्लानी हुई थी जब वो एक करीबी रिश्तेदार के घर शादी के समारोह में गया था | उस दिन उसके जी में आया था छत से नीचे कूद पड़े |

कायाकल्प

समारोह में आकर बीवी बहुत खुश थी | मुद्दत बाद घरसे बाहर निकलने का मोका मिला था | माहौल में अचानक बदलाव आया था | उन्हें एक होटल में ठहराया गया था | होटल का वातावरण मखमली था | आला कोटि का गद्देदार बिस्तर ...मार्बुल का साफ़ झल-झल  फर्श....दीवार से लगी टी.वी. ...और सुगंध से अटा कमरा...| कमरे की मोहिनी फिजा में बिस्तर पर आते ही उसे नींद आने लगी थी लेकिन बीवी की आँखों में कासनी रंग लहरा गया था | उसने गुस्ल-खाने का रुख किया | वो गुस्ल करके बिस्तर पर आई थी तो हस्बमामूल दो-तीन बार अपने बालों को झटका था और पाँव को इसतरह जुम्बिश दी थी कि पाँव की उंगलियां उसके तलवे से छु गयीं थीं | लेकिन वो एक करवट खामोश पड़ा रहा कि दहलीज पर पतझड़ था और परिंदे के  पंख झडे हुए थे |

बीवी कुछ और आगे की तरफ़ खिसक आई और उसकी पीठसे  लग गई | उसके भीगे बदन से आंच सी निकलती महसूस हो रही थी | बीवी ने एकबार फिर जुम्बिश की और उसका हाथ उसके पेट को छुने लगा | उसे कोफ़्त हुई ... खामखा बुझे हुए आतिशदान में राख कुरेद रही है | वो दम साधे पड़ा रहा और बीवी राख कुरेदती रही | आखिर उसकी तरफ़ मुडा...बाहों में कसने की कोशिश की ...होंटों पर होंट भी अंकित किए लेकिन कोई हरारत महसूस नहीं कर सका ...कहीं कोई चिंगारी नहीं थी | कुछ देर उसके सुलगते जिस्म को अपनी सर्द बाहों में लिए रहा फिर उठकर बैठ गया | बीवी ने आँखों में धुंध लिए उसकी तरफ़ देखा ....उसके होंट अंडा-नुमा हो गए | 

उसने ग्लानि सी महसूस की और बालकोनी में आकर खड़ा हो गया | बीवी ने भी टी.वी. आन किया और कोई सीरियल देखने लगी | वो बारबार चैनल बदल रही थी | रिमोट दबाते हुए होंटों को दांतों तले दबाती  और हाथ को झटके देती ....वो महसूस किए बिना नहीं रहा कि बीवी गुस्सा रिमोट पर उतार रही है |
वो देरतक बालकोनी में खड़ा रहा | सामने सड़क की दूसरी तरफ एक लुंड-मुंड पेड़ खड़ा था | उसकी निगाहें पेड़ पर जमी थीं | कुछ देर बाद बीवी भी बालकोनी में आकर खड़ी हो गई | उसकी नजर पेड़ पर गई तो मुंह पर हाथ रखकर हंसने लगी ‘’ हु...हु..हु...एकदम ठूठ हो रहा है ....! ‘’
उसको लगा वो उसपर हंस रही है ...मनो वो खुद एक ठूठ है |
वो क्लेश से भरा बिस्तर पर आकर लेट गया | उसके दिल में धुंआ सा उठ रहा था |उसने एकबार कनखियों से बीवी की तरफ देखा | उसके बाल अभी भी नम थे | वो हाथ बारबार पीछे लेजाकर इन्हें लहरा रही थी |उसको पहली बार एहसास हुआ कि बीवी उम्र में उससे दस साल छोटी है | 
वो टी.वि. आन किए बैठी रही ...फिर ऊंघती ऊंघती कुर्सी पर ही सो गई | वो भी रातभर मुर्दे की तरह एक करवट पड़ा रहा |
इंसान बहुत दिनों तक खालीपन की हालत में नहीं रह सकता | वो अपने लिए कहीं राहत का सबब ढूँढ रहा था | सोनपुर के मेले में उसने एक छोटा सा पामेरियन कुत्ता खरीदा | उसका नाम रखा गुलफाम | गुलफाम उससे जल्द ही मानूस हो गया | उसका ज्यादा  वक्त गुलफाम के साथ गुजरने लगा |सुबह की सैर को निकलता तो जंजीर हाथ में होती | सिटी बजाता तो गुलफाम दौडकर आता और दुम हिलाने लगता ...और वो खुश होता कि कोई तो है जो उसका हुक्म बजा लाता है | गुलफाम के साथ एक तरह की आज़ादी का एहसास होता था | वो उसका बिलकुल अपना था ....उसके साथ वो मनमानी कर सकता था....कोई जब्र नहीं था कि ये मत करो ....वो मत करो ...! लेकिन बीवी इसे शौक फ़िज़ूल समझती थी | कुत्ता उसकी नज़रों में नापाक था | जहां इसका रोआं पड़ जाए वहाँ फ़रिश्ते नहीं आते | वो गुलफाम की जंजीर छुता और बीवी चीखने लगती ....नापाक है ...नापाक है ...हाथ धोइए ...हाथ धोइए...
उसको कई बार हाथ धोना पड़ता | लेकिन सारी कोफ़्त उस वक्त राहत में बदल जाती जब गुलफाम उसकी टांगों से लिपटता और उछल उछल कर उसका मुंह चूमने की कोशिश करता | वो इधर उधर नज़रें दौडाता कि कहीं बीवी तो नहीं देख रही ...? एक बार नज़र पड़ गई | वो गुलफाम को गोद में लिए बैठा था और वो गर्दन उठाकर उसके गाल चूम रहा था | 
‘’ या अल्लाह ...या अल्लाह ...’’ बीवी जोर से चिल्लाई ...दो हत्थड् कलेजे पर मारा और बेहोश हो गई | वो घबरा गया और गुलफाम को हमेशा के लिए एक दोस्त के घर छोड़ आया | फिर कभी कोई कुत्ता नहीं रखा | तब बागबानी शुरू की | घर के हाते में फूल पत्तियां लगाने लगा | सुबह सुबह उठकर देखता कि कोई कली फूटी कि नहीं ...? फूल की पत्तियों को आहिस्ता से छुता और खुश होता | बीवी ने भी दिलचस्पी ली | उसने गोभी के फूल उगाए |
आदमी अगर बुढापे में मज़हबी जिंदगी जीने के लिए मजबूर है तो उसने भी मज़हब की चादर ओढ़ी और पंचगाना नमाज़ अदा करने लगा | लेकिन चादर धीरे धीरे कंधे से फिसलने लगी और नमाज़ छुटने लगी | फिर भी वो सुबह की नमाज़ पढता और कुरान का पाठ करता | असल में वो अपने ढंग से खुदा को याद करता था | कोई मुसीबत आन पड़ती तो सीधा खुदा से संपर्क साधता | एक ही बेटी थी | कहीं शादी नहीं हो रही थी तो घर का कोना पकड लिया ‘’ या अल्लाह ...तेरे हवाले किया ...अब तू ही समझ ..,| और देखते देखते रिश्ता तय हो गया | बेटी अब लाखों में खेल रही थी | रिटायर होने को आए तो दुआ मांगी ‘ या अल्लाह ...पेंशन के कागज़ात मुझसे दुरुस्त होने को रहे ...टेबुल टेबुल कहांतक दौड लगाऊं ...? और ये चमत्कार ही था कि तीस को रिटायर हुए और पहली को पेंशिन तय हो गई | लेकिन बीवी मजार मजार दौड़ती थी | हर जुमेरात को फातेहा पढ़ती | जब भी मजार पर जाती शलवार जम्पर पहन कर जाती |मजाविर ने समझाया था कि मज़ार पर बुज़ुर्ग लेटे रहते हैं | औरतों का सारी में जाना ऐब है | पिछली बार जुमेरात के रोज ही उसको माईके जाना पड गया तो फातेहा की जिम्मेवारी उसको सौंपी गई | वो उसको विदा करने स्टेशन गया तो गाडी में सवार होते ही बीवी ने ताकीद की |
‘’ ज्यादा देर घर से बाहर नहीं रहिएगा ...आज से आधा लीटर ही दूध लेना है और देखिए मज़ार पर फातेहा पढ़ना मत भूलिएगा | ‘’
बीवी कुछ दिनों के लिए माँइके जाती तो उसको लगता खुली फिजा में सांस लेरहा है | लेकिन चांदनी चार दिनों की होती | दो-तीन दिनों बाद वो फिर घेरे में होता | फिर भी दो दिन ही सही वो अपनी जिंदगी जी लेता था | उसकी दिनचर्या बदल जाती | सुबह देर से उठता और उठते ही दो-चार सिगरेट फूंकता | शक्कर वाली चाय बनाकर पीता | दिन भर मटरगश्ती करता और खाना कहीं बाहर रेस्तुरां में खाता | सिगरेट के टुकड़े घर से बाहर फेंकना नहीं भूलता था | उसको एहसास था कि बीवी नहीं है लेकिन उसका साया घर में मौजूद है | वो जब मायके से आती तो घर का कोना खुदरा सूंघती थी |बीवी को लगता कहीं कुछ है जिसकी पर्देदारी है | वो अक्सर बिस्तर के नीचे भी झाँक कर इत्मीनान कर लेती थी | एक बार सिगरेट के टुकड़े ऐशट्रे में रह गए थे | बीवी मायके से लौटी तो सबसे पहले ऐशट्रे पर नज़र गई |
‘’ अल्लाह रे अल्लाह ....कब्र में पाँव है लेकिन इल्लत छुट्टी नहीं है ‘’ |
वो खामोश रहता लेकिन बीवी मुसलसल कौवे ह्न्काती रहती | वो शक्कर की शीशी का भी मुआइना करती |
‘’ अल्लाह रे अल्लाह ....शीशी आधी हो गई ‘’|
‘’ शुगर बढ़ाकर क्यों मौत को दावत दे रहे हैं ‘’ ? 
एक बार वो जवाब दे बैठा था |
‘’ मौत शाश्वत है ‘’|
बीवी तुरंत बोली थी | ‘’ इसी लिए तो ठूठ हो गए हैं ‘’| 
उसको ठेस सी लगी.... लेकिन क्या कहता ‘’ ठूठ हूँ तो सटती क्यों है बेशर्म ...?’’
कुदरत बेनियाज़ है | सब की सुनती है |
इस बार बीवी दस दिनों के लिए मायके गई | वो विदा कर स्टेशन से बाहर आया तो सडक पर चलना मुश्किल था | दूरतक माले का लम्बा जुलूस था | किसी तरह भीड़ में अपने लिए रास्ता बना रहा था कि एक कार्यकर्ता ने आँखें दिखाएँ ‘’ लाइन में चलो ...लाइन में ...’’ वो कुछ देर कतार में चलता रहा | उसे भूक लग गई थी | फ्रेज़र रोड पर एक रेस्तुरां नज़र आया तो जल्दी से उसमें घुस गया | यहाँ मुकम्मल अन्धेरा था | किसी का चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था | सिर्फ आवाजें सुनाई दे रही थीं | उसकी समझ में नहीं आया किधर जाए ? वो अंधे की तरह कुर्सियां टटोलता हुआ आगे बढ़ा तो एक बैरे ने उसका हाथ थाम लिया और एक खाली मेज़ पर ले गया | 
शमोएल अहमद
शमोएल अहमद

रेस्तुरां की फिजा उसे रहस्यमयी लगी | हर मेज़ पर एक लैम्प टंगा था | लैम्प सिर्फ बिल भुगतान के वक्त ही रौशन होता था | इसकी रौशनी मद्विम थी | लैम्प ऐसे कोण पर टंगा था कि रौशनी चेहरे पर नहीं पडती थी , सिर्फ बिल अदा करते हुए हाथ नज़र आते थे | कोने वाली मेज़ से चूडियों के खनकने की आवाजें आ रही थीं जिस में दबी दबी सी हंसी भी शामिल थी | कभी कोई जोर से हंसता और कभी फुसफुसा कर कुछ कहता | 

उसने चावमिंग का आर्डर दिया | बैरे ने झुक कर पूछा था कि क्या वो राहत भी उठाना चाहता है ? 
राहत...? उसे बैरे की बात समझ में नहीं आई | उसने कोई जावाब नहीं दिया लेकिन यहाँ आकर वो एक तरह की राहत महसूस कर रहा था | ये बात अच्छी लगी थी कि चेहरे नजर नहीं आते थे | पता लगाना मुश्किल था कि किस मेज़ पर कौन क्या कर रहा है ? रेस्तुरा की रहस्यमयी आवाजों में पाप-संगीत का शोर भी शामिल था |
वो रेस्तुरां से बाहर आया तो गर्मी शबाब पर थी | वो मज़ार पर जाना नहीं भुला वर्ना बीवी निरंतर कव्वे ह्न्काती कि क्यों नहीं गए ...? मेरी तरफ से हाजरी देदेते तो क्या बिगड जाता ? 
दूसरे दिन वो फिर रेस्तुरां पहुँच गया | इस बार अँधेरा और गहरा था | बैरे ने बताया कि कोई मेज़ खाली नहीं है लेकिन वो कोने वाली मेज़ श्यर करसकता है लेकिन पार्टनर के पांच सौ रुपये लग जाएंगे | बैरे ने ये भी कहा कि यहाँ कोई रिस्क नहीं है ....वो जबतक चाहे राहत उठा सकता है | वो समझ नहीं सका कि पार्टनर के पांच सौ रूपये से बैरे की मुराद क्या है ? लेकिन वो कुछ देर सुकून से बैठना चाहता था | उसने हामी भर ली | बैरा उसे कोने वाली मेज़ पर ले गया | इस मेज़ पर कोई मौजूद था | ये एक तंग सी मेज़ थी | सोफे पर मुश्किल से दो आदमियों के बैठने की जगह थी | बैठने में घुटने मेज़ से टकराते थे | उसने पनीर-कटलेट का आर्डर दिया और एकबार अँधेरे में देखने की कोशिश की कि बगल में कौन बैठा है ? चेहरा तो नज़र नहीं आया लेकिन कानों में बुँदे से चमकते नज़र आए | वो चौंके बिना नहीं रह सका....कोई औरत तो नहीं ...? औरत ही थी और हंसकर बोली |
‘’ बहुत कम जगह है सर बैठने की ‘’|
उसका कंधा औरत के कंधे से छु रहा था |इस तरह बैठना उसे अजीब कगा | ये पहला इत्तिफाक था कि एक अँधेरे रेस्तुरां में वो किसी पराई स्त्री के साथ था | जी में आया उठकर चला जाए लेकिन शायद औरत उसे जाने का मौक़ा देना नहीं चाहती थी |
‘’सर मैं राजाबाजार में रहती हूँ . आप कहाँ रहते हैं ? ‘’ 
‘’ बोरिंग रोड ‘’| उसने मरे मरे से लहजे में जवाब दिया 
‘’ वाह सर ! आप मेरे घरसे नजदीक रहते हो ‘’ | 
वो अब अँधेरे में कुछ कुछ देखने लगा था | मेज़ पर प्लेट और गिलास नज़र आ रहे थे | उसने औरत का चेहरा भी देखने की कोशिश की लेकिन आकृति बहुत साफ़ नज़र नहीं आई , फिर भी उसने अंदाजा लगाया कि उम्र ज़्यादा नहीं थी | 
‘’ सर आप जबतक पकौड़े लीजिए ‘’| औरत ने उसकी तरफ अपनी प्लेट सरकाई 
‘’ गले पड़ रही है ...!’’ उसने सोचा लेकिन खामोश रहा |
लीजिए न सर...| वो उसकी तरफ झुकी और उसने कंधे के करीब उसकी छातियों का हल्का सा दबाव महसूस किया |
बैरा दो प्लेट कटलेट ले आया | 
‘’ वाह सर | आपने मेरे लिए भी मंगाया ‘’ | वो चहक कर बोली ! वो मुस्कराया | उसका चहकना उसको अच्छा लगा |
‘’ सर आप कौन सा सास लेंगे...? टोमैटो या चिल्ली सास ?’’
जवाब का इंतज़ार किए बिना वो उसकी प्लेट में सास परोसने लगी | फिर कटलेट का एक टुकड़ा सास में भिगोया और उसके मुंह के करीब लेजा कर बोली |
‘’ सर...पहला कौर मेरी तरफ से ...’’|
अरे...नहीं...’’| उसने मुंह हटा लिया |
‘’ हम अब दोस्त हैं सर....हमारी दोस्ती के नाम ‘’| वो और सट गई |
औरत की बेतकल्लुफी पर उसको हैरत हो रही थी | कोई छिनाल मालुम होती है ...वो सोचे बिना नहीं रहा |
‘’ लीजिए न सर...’’| और वो समझ नहीं सका कि किस तरह उसने कौर मुंह में में लेलिया | 
 सर...हम अब दोस्त हैं ...’’|
‘’ मै बूढा हूँ....तुम्हारा दोस्त कैसे हो सकता हूँ ?’’
‘’ मर्द कभी बूढा होता है सर...? आसाराम को देखिए...’’| औरत हंसने लगी...वो भी मुस्कुराए बिना नहीं  रहा | बैरे की बात अब उसकी समझ में आरही थी कि पांच सौ रूपये.....?
और उसको एहसास हुआ कि रेस्तुरां में कासिनी रंग का पहरा है |
‘’ सर....आप बहुत अच्छे हैं ‘’| वो उसपर लद गई |
वो घबराकर इधर उधर देखने लगा | औरत कानों में फूसफुसाईं |
घबराइए नहीं सर...ये अँधेरे की जन्नत है , यहाँ कोई किसी को नहीं देखता है | 
औरत की आकृति कुछ कुछ स्पष्ट हो गई थी और वो अब सहज महसूस कर रहा था |  
‘’ तुम मुझे क्या जानती हो ? हम पहले कभी मिले तो नहीं ? ‘’
‘’ आप जैसे भी हैं मुझे पसंद हैं ‘’| औरत कुछ और सट गई और उसके कंधे पर चेहरा टिका दिया | 
औरत की ये अदा उसको अच्छी लगी | उसके जी में आया उसके सिर पर बोसा अंकित करे लेकिन संकोच महसूस कररहा था | उसकी छातियों का नर्म स्पर्श उसको सुखद लग रहा था | रेस्तुरां का अन्धेरा अब लुभावना लग रहा था | यहाँ रात थी और रात गुनाहों को छुपा लेती है |
‘’ आप ड्रिंक नहीं करते ? ‘’ उसने पूछा |
‘’ नहीं !’’
‘’ मै भी नहीं करती ‘’|
‘’ सर ये जगह  बहुत महंगी है | हम फैमिली रेस्तुरां में मिलेंगे |’’
‘’ फैमिली रेस्तुरां....?’’ 
‘’ राजस्थान होटल के सामने वाली गली में है सर | मैं आपको वहाँ लेचलुंगी |’’
‘’ मैं घरसे कम निकलता हूँ |’’
‘’ मैं जानती हूँ सर आप और लोगों से अलग हैं |’’ 
‘’ मुझे देखोगी तो भाग जाओगी |’’
‘’ क्यों सर ? आप कोई भूत हैं ?’’
‘’ बुड्ढा खूसट ....|’’ वो मुस्कुराया |
‘’ मर्द भी कभी बूढा होता है सर |’’ औरत ने आहिस्ता से उसकी जांघ सहलाई | फिर उसकी गर्दन पर होंटों से ब्रश किया तो दूर कहीं पत्तों में हलकी सी सरसराहट हुई ...और दूसरे ही पल औरत ने उसके होंटों पर अपने होंट भी अंकित कर दिए | उसकी गर्म साँसों की आंच और जांघ पर हथेलियों का स्पर्श....उसने सिहरन सी महसूस की ...और रेस्तुरां में रात गहरी हो गई ...संगीत का शोर बढ़ गया...पत्तों में सरसराहट तेज हो गई ...साँसों मे समंदर का शोर घुलने कगा ...सुषुप्त परिंदे चौंक पड़े ....और वो अवाक था....गुलों का मौसम जैसे लौट रहा था ...उसपर गहरी धुंध सी छाने लगी थी....
उसे पता भी नहीं चला कि बैरा किस वक्त आ गया और वो उससे कब अलग हुई | 
‘’ सर आपको एक घंटा हो गया एक घंटे से ज्यादा बैठने से दो सौ रूपये एक्स्ट्रा लगेंगे ‘’| 
वो खामोश रहा | मौसमे गुल का तिलस्म अभी टुटा नहीं था | बैरे ने अपनी बात दुहराई तो तो वो मानो धुंध की गहरी तहों से बाहर आया |
वो कुछ देर और राहत उठाना चाहता था लेकिन जेब में ज्यादा पैसे नहीं थे | उसने बिल लाने के लिए कहा |
‘’ हम फैमिली रेस्तुरां में मिलेंगे सर....यहाँ फ़िज़ूल पैसे क्यों दीजियेगा ?’’
औरत ने उसका मोबाइल नम्बर नोट किया | 
‘’ कल दुपहर में फोन करूंगी | राजस्थान होटल के पास आ जाइयेगा |’’
‘’ एक बात और कहूँ सर...पांच सौ रूपये जो आप यहाँ बैरा को देंगे वो मुझे दे दीजियेगा |’’
बिल अदा करके वो बाहर आया तो पुलकित था | होंटों पर मुस्कुराहट थी और ढलती दुपहर की मरी मरी सी धुप भी सुहावनी लग रही थी | घर पहुँच कर उसका सुरूर बढ़ गया | उसे हैरत थी कि गुम-सुम परिंदे किस तरह......? 
उसके जी में आया उसको फोन लगाए | उसने नम्बर मिलाया | उधरसे आवाज़ आई |
हैलो सर ...आप घर पहुँच गए...? कल मिलते हैं सर ....|’’ 
वो मुस्कुराया ...’’.साली...पूरी छिनाल है...पांच सौ रूपये लेगी...क्या पता अभी कोई दूसरा पहलु में बैठा हो ?’’
दूसरे दिन ठीक दो बजे उसका फोन आया और....
और मुलाकातें होती रहीं....गुल खिलते रहे...परिंदे पर तौलते रहे ...|
वो अब ऊर्जा सी महसूस करता था | चेहरे की रंगत बदल गई थी | आँखों में चमक बढ़ गई थी | होंटों पर रहस्यमयी सी मुस्कुराहट रेंगती थी | लेकिन बीवी उसमें कोई बदलाव महसूस नहीं कर सकी | आते ही उसने हस्बमामूल घर का कोना खुदरा  सूंघा...ऐशट्रे की राख झाडी....शक्कर की शीशी का मुआइना किया और थक कर बैठ गया  तो वो मुस्कुराते हुए बोली |
‘’ जाओ...गुस्ल करलो....|’’ ये जुमला अप्रत्याशित था | वो शर्मा गई |
‘’ सठिया गए हैं क्या ...?’’ उसके होंट अंडानुमा हो गए | और उसको बीवी के अंडा-नुमा होंट खुश-नुमा लगे |
बीवी ने गुसलखाने का रुख किया तो वो बिस्तर पर लेट गया ....आँखें बंद कर लिया और पानी गिरने की आवाजें सुनने लगा ....!!!


---------------------------------






शमोएल अहमद 
३०१ ग्रैंड पाटलिपुत्र अपार्टमेंट 
नई पाटलिपुत्र कालोनी 
पटना ८०००१३
मो;  ९८३५२९९३०३ 


COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,6,कविता,1473,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,38,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,8,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,3,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,37,प्रेमचंद,46,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,13,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,33,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,266,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,428,हिंदी लेख,530,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,180,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,5,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,10,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,420,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,677,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,56,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,22,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,11,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,7,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,4,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,48,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: कायाकल्प - शमोएल अहमद की कहानी
कायाकल्प - शमोएल अहमद की कहानी
बीवी के बाल लंबे थे जो कमर तक आते थे | गुस्ल के बाद उन्हें खुला रखती | बिस्तर पर आती तो तकिये पर सर टिकाकर बालों को फर्श तक लटका देती | पानी बूंद बूंद
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg2GF2CkOC4xblIsEGgywcDmwtIc7WqPlg7m6KEJ7gnwkJtEMrCbGUEW5saJsq_QLAyGuorZvnCJ6PmmWtXml4TBkE4Onc7GIeErdX_A9_zek8OKS6kjlGAs16Oj99ZxSz_oPK6DMTxveAG/s16000/images+%25281%2529.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg2GF2CkOC4xblIsEGgywcDmwtIc7WqPlg7m6KEJ7gnwkJtEMrCbGUEW5saJsq_QLAyGuorZvnCJ6PmmWtXml4TBkE4Onc7GIeErdX_A9_zek8OKS6kjlGAs16Oj99ZxSz_oPK6DMTxveAG/s72-c/images+%25281%2529.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2020/11/kayakalp-kahani-shamoil-ahmad.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2020/11/kayakalp-kahani-shamoil-ahmad.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका