तोप कविता वीरेन डंगवाल Class 10 Hindi Sparsh

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तोप कविता वीरेन डंगवाल


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तोप कविता की व्याख्या


(1)- कंपनी बाग के मुहाने पर
धर रखी गई है यह 1857 की तोप
इसकी होती है बड़ी सम्हाल, विरासत में मिले 
कंपनी बाग की तरह
साल में चमकायी जाती है दो बार | 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि वीरेन डंगवाल जी के द्वारा रचित कविता तोप से उद्धृत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेज़ों द्वारा उपयोग की गई तोप का वर्णन करते हुए कहते हैं कि यह तोप आज कम्पनी बाग़ के मुहाने पर रखी गई है, जिसे बहुत सम्हाल कर रखा जाता है और खूब देखभाल किया जाता है | आगे कवि डंगवाल जी कहते हैं कि कम्पनी बाग की तरह इसे भी साल में दो बार चमकाया जाता है | 

तोप कविता
तोप कविता
(2)- सुबह-शाम कम्पनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी
उन्हें बताती है यह तोप
कि मैं बड़ी जबर
उड़ा दिये थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे
अपने ज़माने में 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि 'वीरेन डंगवाल' जी के द्वारा रचित कविता 'तोप' से उद्धृत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि बहुत सारे सैलानी सुबह-शाम कम्पनी बाग में घूमने आते हैं, तब यह तोप अपने बीते हुए दिन के बारे में बताते हुए कहती है कि मैं बहुत ताकतवर थी | मैंने बड़े-बड़े सूरमाओं अर्थात् वीरों की धज्जियाँ उड़ा दी थी | उन्हें मार गिराया था | 


(3)- अब तो बहरहाल
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फ़ारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप
कभी-कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं
खास कर गौरैयें
वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बन्द ! 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि वीरेन डंगवाल जी के द्वारा रचित कविता तोप से उद्धृत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि अब तोप की हालत बहुत खराब हो चुकी है | यह बेकाम हो चुकी है | अब छोटे बच्चे इसपर बैठकर घुड़सवारी का खेल खेलते नज़र आते हैं | कभी चिड़ियाँ इस तोप पर बैठकर गपशप करती हैं | कभी-कभार चिड़ियों में खास करके गौरैया मस्ती के उद्देश्य से तोप के भीतर घुस जाती हैं | आगे कवि कहते हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी तोप हो एक दिन तो उसका मुँह बन्द होना ही है अर्थात् कोई चाहे कितना भी क्रूर या अत्याचारी हो, उसका पतन एक दिन निश्चित है | 

वीरेन डंगवाल का जीवन परिचय

कवि वीरेन डंगवाल जी का जन्म 5 अगस्त 1947 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के कीर्तिनगर में हुआ था | इन्होंने अपनी आरम्भिक शिक्षा नैनीताल में और उच्च शिक्षा इलाहाबाद में पूरी की |ये पेशे से प्राध्यापक हैं, परन्तु पत्रकारिता से भी जुड़े हुए हैं | इनकी कविताओं की विशिष्टता की बात करें तो समाज के साधारण जन और हाशिए पर स्थित विलक्षण ब्योरे और दृश्य कवि की कविताओं की विशिष्टता मानी जाती है | 

कवि वीरेन डंगवाल जी का अब तक दो कविता संग्रह 'इसी दुनिया में' और 'दुष्चक्र में स्रष्टा'  प्रकाशित हो चुके हैं | इन्हें श्रीकांत वर्मा पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा और भी अनेक पुरस्कार से नवाजा गया है...|| 


तोप कविता का प्रतिपाद्य सारांश 

प्रस्तुत पाठ या कविता तोप, कवि वीरेन डंगवाल जी के द्वारा रचित है | इस पाठ में दो किस्म प्रतीक और धरोहर का चित्रण करते हुए कवि कहते हैं कि कभी ईस्ट इंडिया कम्पनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई और हमारा शासक बन बैठी | कवि कहते हैं कि धरोहर अच्छी और बुरी दोनों हो होती है | जैसे कम्पनी बाग अंग्रेजों द्वारा दी गई विरासतों में से एक अच्छी धरोहर है | लेकिन वहीं, उसके मुहाने पर रखी तोप एक ऐसी विरासत है, जिसके द्वारा हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को बेरहमी से मारा गया था...|| 


तोप कविता के प्रश्न उत्तर 


(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए  --- 
प्रश्न-1 विरासत में मिली चीज़ों की बड़ी सँभाल क्यों होती है ? स्पष्ट कीजिए | 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, विरासत में मिली चीज़ों की बड़ी सँभाल इसलिए होती है, क्योंकिये तमाम चीज़ें हमारे पूर्वजों की निशानी होती है तथा हमारे धरोहर होते हैं | इसके अलावा ये सारी चीजें इतिहास को स्मरण कराती हैं | 

प्रश्न-2 इस कविता से आपको तोप के विषय में क्या जानकारी मिलती है ? 

उत्तर- प्रस्तुत कविता से हमें तोप के विषय में यह जानकारी मिलती है कि यह भारत में अंग्रेज़ों के द्वारा उपयोग किया गया तोप है, जो 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक शक्तिशाली अस्त्र के रूप में उपयोग में लाया गया था | कवि कहते हैं कि इसी तोप से हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को मार गिराया गया था | आगे कवि कहते हैं कि आज यह तोप शांत और बेकार पड़ा है | यह तोप चिड़ियाँ और बच्चों के खेलने का साधन मात्र बनकर रह गया है | 

प्रश्न-3 कंपनी बाग में रखी तोप क्या सीख देती है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ या कविता के अनुसार, कवि कहते हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी तोप हो एक दिन तो उसका मुँह बन्द होना ही है अर्थात् कोई चाहे कितना भी क्रूर या अत्याचारी हो, उसका पतन एक दिन निश्चित है | अत: कंपनी बाग में रखी तोप हमें यह सीख देती है कि कोई कितना भी बलवान क्यों न हो, किन्तु एक दिन उसका भी ख़त्म होना तय है | 

प्रश्न-4 कविता में तोप को दो बार चमकाने की बात की गई है | ये दो अवसर कौन-से होंगे ? 

उत्तर- प्रस्तुत कविता में तोप को दो बार चमकाने की बात की गई है | ये दो अवसर देश के राष्ट्रीय त्योहार, जिसे 15 अगस्त और 26 जनवरी को, क्रमश: स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं | 


तोप कविता वीरेन डंगवाल का शब्दार्थ 

• धज्जे - नष्ट-भ्रष्ट करना
• जबर - शक्तिशाली
• सूरमाओं - वीरों
• फ़ारिग - मुक्त
• कंपनी बाग़ - ब्रिटिश जमाने में भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा जगह-जगह बनवाए गए बाग़-बगीचों मे                                  कानपुर में बनवाया गया एक बाग़,जिसे कंपनी बाग के नाम से जानते हैं 
• मुहाने पर - प्रवेश द्वार पर
• सम्हाल - देखभाल
• विरासत - पूर्वजों से प्राप्त सम्पत्ति
• सैलानी - यात्री  | 


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