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सूरज जल्दी आना जी कविता
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सूरज जल्दी आना जी कविता का अर्थ व्याख्या
एक कटोरी, भर कर गोरी
धूप हमें भी लाना जी।
सूरज जल्दी आना जी।
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सूरज जल्दी आना जी कविता |
जमकर बैठा यहाँ कुहासा
आर-पार न दिखता है।
ऐसे भी क्या कभी किसी के
घर में कोई टिकता है?
सच-सच जरा बताना जी।
सूरज जल्दी आना जी।
व्याख्या - प्रस्तुत कविता में कवि कहता है कि बच्चे सूरज से जल्दी निकलने के लिए कह रहे हैं। धूप जो बहुत दिनों से निकली नहीं है ,अब उसे कटोरी भर कर गोरा -गोरा धूप लेकर आना चाहिए। बच्चे कहते है कि यहाँ हमारे तरफ बहुत ज्यादा कुहासा छाया हुआ है ,जिसे अब ज्यादा दूर नहीं देखा जा सकता है। सूरज तुम पता नहीं कहाँ जाकर बैठ गए हो कि आने का नाम ही नहीं ले रहे हो। अतः साफ़ -साफ़ बताओ कि तुम कहाँ छुप के बैठे हो। अब तुम जल्दी आ जाओ।
कल की बारिश में जो भीगे।
कपड़े अब तक गीले हैं।
क्या दीवारें, क्या दरवाजे
सब-के-सब ही सीले हैं।
छोड़ो आज बहाना जी।
ना-ना ना-ना ना-ना जी।
सूरज जल्दी आना जी।।
व्याख्या - कल जो बारिश हुई थी तो कपड़े बहुत ज्यादा गीले हो गए हैं। बारिश की वजह से दरवाजे ,दीवारे सभी शीलन से गीले हुए है। अतः सूरज अब आप बहाना छोड़ दो। अब आप निकल आओ ,हम सब आपका इंतज़ार कर रहे हैं।
सूरज जल्दी आना जी प्रश्न उत्तर
रंगों की बात
प्र. कविता में धूप का रंग गोरा बताया गया है। तुम्हें धूप का रंग कैसा लगता है?
उ. मुझे धूप का रंग पीला या सुनहरा लगता है।
धूप कब नहीं सुहाती है
प्र. कौन-से मौसम में धूप बिल्कुल नहीं सुहाती?
उ. गर्मी के मौसम में धूप अच्छी नहीं लगती है।
प्र. तब तुम धूप से बचने के लिए क्या-क्या करते हो?
उ. छाता लेकर जाते है।
सर पर टोपी या गमछा बांधे रखते है।
खादी या सूती कपड़े पहनते है।
पानी की बोतल साथ में रखते है।
सुबह -शाम ही घर से बाहर निकलते है ,दोपहर में घर पर रहते है।
शब्दों का मेल
प्र. नीचे दिए गए शब्दों के आगे चार-चार शब्द लिखे हैं। इन चारों में से एक-एक शब्द अलग है। बताओ कि अलग शब्द कौन-सा है? वह शब्द बाकी सबसे अलग क्यों है?
उ. बारिश - पटना क्योंकि यह शहर का नाम है।
घर - साबुन क्योंकि यह नहाने के काम आता है।
सूरज - धरती क्योंकि यह रहने की जगह है।
कटोरी - चूल्हा क्योंकि इस पर खाना पकाया जाता है ,अन्य बर्तनों के नाम है।
अगर ऐसा हो
प्र. अगर धूप न हो तो क्या होता?
उ. अगर धूप न हो तो सभी प्राणियों व पौधों को उर्जा नहीं मिगेली। इससे वे अपने लिए भोजन नहीं बना पायेंगे। हम मनुष्य भी पौधों के ऊपर ही निर्भर रहते है।
प्र. अगर हवा न हो तो क्या होगा?
उ. हवा न हो ,तो हम साँस नहीं ले पायेंगे। इससे सभी प्राणी मर जायेंगे।
प्र. अगर पानी न हो तो क्या होगा?
उ. पानी हम सभी के जीवन के लिए अति आवश्यक है। इससे हमें जरुरी मिनरल व विटामिन मिलती है। इसके बिना हम जिन्दा नहीं रह पायेंगे।
प्र. अगर पेड़-पौधे न हों तो क्या होगा?
उ. पेड़ पौधों पर ही शाकाहारी प्राणी निर्भर करते है। मनुष्य भी अपनी दवाओं व भोजन के लिए बहुत हद तक इन पर निर्भर करता है। इनसे हमें ओक्सीजन मिलती है। इनके बिना मनुष्यता की कल्पना नहीं की जा सकती है।
कौन सा बहाना
प्र. सूरज का अभी आने का मन नहीं है। वह बच्चों को क्या बहाने बनाकर मना करेगा?
उ. आज मेरी तबियत ठीक नहीं है। कल रात बहुत ठण्ड थी ,जिससे मुझे सर्दी लग रही है और मुझे बुखार भी लग रहा है। आज मेरा मन सोने का है। आज मेरा मन बाहर निकलने का नहीं कह रहा है। इसीलिए बच्चो ,आज मैं बाहर नहीं आऊंगा।
कुहासा
प्र. कुहासे का मतलब है कोहरा या धुंध। कोहरा किस मौसम में छा जाता है?
उ. कोहरा ,सबसे ज्यादा ठण्ड में निकलता है। कभी कभी ज्यादा बारिश होने पर भी कोहरा छा जाता है।
सूख जा भई सूख जा
प्र. मान लो कल स्कूल से घर आते हुए तुम तेज़ बारिश में भीग गईं। तुम इन्हें कहाँ सुखाओगी? तुम्हारी ये चीजें कितने समय में सूखेंगी?
उ. कमीज - कमीज को मैं आँगन में सुखाऊँगी और यह तीन - चार घंटों में सूख जायेगी।
बस्ता - बस्ता को छत पर तेज़ धूप में सुखाना पड़ेगा। यह एक दो दिन का समय लेगा।
जूते - जूते को छत या आँगन में सुखाना पड़ेगा और यह ज्यादा समय तीन चार दिन सूखने का लेगा।
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