विदाई संभाषण बालमुकुंद गुप्त

SHARE:

विदाई संभाषण बालमुकुंद गुप्त विदाई संभाषण class 11 विदाई संभाषण के प्रश्न उत्तर विदाई संभाषण पाठ विदाई संभाषण का सारांश विदाई संभाषण सारांश विदाई संभाषण बालमुकुंद गुप्त विदाई संभाषण question answer विदाई संभाषण ncert solutions विदाई संभाषण का प्रश्न उत्तर vidai sambhashan 90% Important question answer class 11 cbse vidai sambhashan summary class 11 cbse balmukund gupt Vidayi sambhashan Clas 9 hindi Class 11 hindi विदाई संभाषण विदाई संभाषण क्वेश्चन आंसर vidai sambhashan summary class 11 cbse विदाई संभाषण NCERT CBSE Aaroh vidai sambhashan ke prashn uttar vidai sambhashan class 11 hindi vidai sambhashan path ke prashn uttar vidai sambhashan kaksha 11 Summary of vidai sambhashan Balmukund Gupt Hindi aroh class 11 chapter 4 vidai sambhashan summary class 11 cbse

विदाई संभाषण बालमुकुंद गुप्त


विदाई संभाषण class 11 विदाई संभाषण के प्रश्न उत्तर विदाई संभाषण पाठ विदाई संभाषण का सारांश विदाई संभाषण सारांश विदाई संभाषण बालमुकुंद गुप्त विदाई संभाषण question answer विदाई संभाषण ncert solutions विदाई संभाषण का प्रश्न उत्तर vidai sambhashan 90% Important question answer class 11 cbse vidai sambhashan summary class 11 cbse balmukund gupt Vidayi sambhashan Clas 9 hindi Class 11 hindi विदाई संभाषण विदाई संभाषण क्वेश्चन आंसर vidai sambhashan summary class 11 cbse विदाई संभाषण NCERT CBSE Aaroh vidai sambhashan ke prashn uttar vidai sambhashan class 11 hindi vidai sambhashan path ke prashn uttar vidai sambhashan kaksha 11 Summary of vidai sambhashan  Balmukund Gupt  Hindi aroh class 11 chapter 4 vidai sambhashan summary class 11 cbse 


विदाई संभाषण पाठ का सारांश 

प्रस्तुत पाठ विदाई संभाषण लेखक बालमुकुंद गुप्त की सर्वाधिक चर्चित व्यंग्य कृति शिवशंभु के चिट्ठे का एक अंश है। यह पाठ भारत के वायसराय लॉर्ड कर्ज़न के समय भारतीयों की स्थिति का खुलासा करता है। देखा जाए तो लॉर्ड कर्जन के शासनकाल में विकास के बहुत से कार्य हुए, लेकिन इन सबका उद्देश्य शासन में गोरों का वर्चस्व स्थापित करना और देश के संसाधनों का अंग्रेज़ों के हित में उपयोग करना था। हर स्तर पर कर्ज़न ने अंग्रेज़ों का वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश की। उसने प्रेस तक की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया था। बंगाल विभाजन भी, उसी की जिद का परिणाम था।

पाठ में लेखक, लॉर्ड कर्ज़न के शासनकाल के अंत होने पर अत्यंत खेद प्रकट करते हैं। किसी ने नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी कर्ज़न के शासनकाल का अंत हो जाएगा। लेखक के अनुसार किसी से बिछड़ने का समय बहुत ही करुणोत्पादक होता है। लॉर्ड कर्ज़न के दूसरी बार इस देश में आने से भारतवासी किसी प्रकार से प्रसन्न ना थे। वे चाहते थे कि कर्ज़न वापस ना आयें। परंतु ऐसा ना हुआ, कर्ज़न दूसरी बार वायसराय बनकर वापस आए और भारत की सुख समृद्धि वापस लाने का वादा किया तो सबको उसका नाटक समझ आ गया। उससे देशवासी दुखी हो गए, देशवासी चाहते थे कि कर्ज़न जल्द से जल्द यहां चले गए। पर आज कर्ज़न के जाने से सभी दुखी हैं, इससे पता चलता है कि किसी से भी बिछड़ने का समय कितना दुखदाई होता है, कितना पवित्र, कितना निर्मल और कितना कोमल होता है। जिस देश में पशु - पछियां एक दूसरे से बिछड़ कर दुखी होती है उस देश में यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं मनुष्यों की क्या दशा हो सकती है।

बालमुकुंद गुप्त
बालमुकुंद गुप्त
आगे लेखक बताते हैं कि, इस देश में जितने भी शासक आए एक ना एक दिन उनको जाना ही पड़ा। इससे कर्ज़न का देश से जाना भी परंपरा ही थी। कर्ज़न ने बंबई में उतरकर कहा था कि यहां से जाते समय भारत को ऐसा कर जाऊंगा, की मेरे बाद आने वाले शासकों को कई वर्षों तक कुछ करना नहीं पड़ेगा। वे कई वर्षों तक चैन की नींद सोते रहेंगे। मगर बात उल्टी साबित हुई और कर्ज़न जाते - जाते इतनी अशांति फैला चुके थे कि आने वाले शासक कई वर्षों तक सो नहीं पाएंगे। कर्ज़न ने अपने आराम के लिए भारतवासियों को इतना परेशान किया है कि यहां के लोग कभी खुश ना हो सके, इसका लोगों के मन में अत्यंत दुख व्याप्त है।

आगे लेखक कहते है कि, इस  देश में कर्ज़न की जितनी शान थी जाते वक्त सब समाप्त हो गई। कर्ज़न की इस देश में इतनी शान थी कि, उनकी और उनकी पत्नी की कुर्सी सोने की बनी थी तथा उनके भाई और भाभी की कुर्सी चांदी की बनी थी। हर चीज में कर्ज़न को पहला और उनके भाई को दूसरा स्थान दिया गया। देश के रईसों ने सबसे पहले उन्हीं को सलाम किया उसके बाद बादशाह को। 

कर्ज़न धीर - गंभीर प्रसिद्ध थे। उन सभी धीरता गंभीरता का कर्ज़न ने बेकानुनी - कानून पास करा कर दिवाला निकाल दिया। इस देश में सभी राजा महाराजा उनके कहने पर एक बार में ही हाथ जोड़कर खड़े हो जाया करते थे। कर्ज़न के लिए राजाओं को हराना कोई बड़ी बात नहीं थी ना ही किसी छोटे इंसान को बड़ा पदाधिकारी बना देना। कर्ज़न के ही इशारे पर पूरे देश की शिक्षा- स्वाधीनता सभी समाप्त हो गई। आगे लेखक लॉर्ड कर्ज़न के बारे में कहते हैं कि, वे क्या करने आए थे और क्या कर के चले गए। क्या मनमाने तरीके से शासन चलाना और किसी प्रजा की ना सुनना ही अच्छा शासन है? ऐसा एक भी काम ना होगा जिसमें कर्ज़न ने अपनी जिद छोड़ कर किसी की सुनी होगी। ऐसा एक भी मौका ना होगा, जिसमें कर्जन ने प्रजा के अनुरोध, प्रार्थना सुनने के लिए उन्हें आसपास भी भटकने दिया हो। कर्ज़न के जिद ने प्रजा को तो पीड़ित किया ही उससे स्वयं कर्जन भी अछूते ना रहे। वे खुद उसी जिद के शिकार हुए। भारत की प्रजा दुख और कष्ट की अपेक्षा परिणाम पर अधिक ध्यान देती है। क्योंकि भारतवासी जानते हैं कि संसार में सभी चीजों का अंत है। दुख का समय भी एक न एक दिन तो निकल ही जाएगा इसी कारण वे सारे दुख सह कर जीते रहते हैं  

आगे लेखक कहते हैं कि, कर्ज़न यहां के शिक्षित लोगों को भरे आंख देख नहीं पाते थे। अनपढ़ - गूंगी प्रजा का नाम उनके मुंह से कभी कभी निकल भी जाया करता थी। लेखक कहते हैं कि, कर्जन से यह उम्मीद तक नहीं की जा सकती कि वे जाते-जाते अपनी गलतियों के लिए शर्मिंदा हों और देशवासियों के लिए यह आशा करें कि उनके जाने के बाद यहां की सुख समृद्धि वापस आ जाए। देश अपने प्राचीन गौरव को वापस प्राप्त कर सके। उनका कहना है कि इतनी उदारता लॉर्ड कर्ज़न मैं कभी नहीं आ सकती...|| 


विदाई संभाषण के प्रश्न उत्तर 


प्रश्न-1 शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक यह कहना चाहते हैं कि जिस देश के पशुओं के बिछड़ते समय ऐसी मनोदशा होती है, वहाँ मनुष्यों की कैसी दशा हो सकती है, इसका अंदाजा लगाना बहुत कठिन है। 

उक्त कहानी में दो गायें होती हैं, जिनमें से एक बलवान और दूसरी कमजोर। बलवान गाय कभी-कभी अपने सींगों की टक्कर से दूसरी कमजोर गाय को गिरा देती थी। एक दिन बलवान गाय पुरोहित को दे दी गई परंतु उसके जाने से कमजोर गाय खुश ना हुई और उसके जाने के बाद कमजोर गाय दिन भर भूखी रही और चारा छुआ तक नहीं। ठीक उसी प्रकार लॉर्ड कर्ज़न ने अपने शासन-काल में भले ही भारतवासियों का शोषण किया हो, लेकिन उनके जाने का दुःख सबको है।

प्रश्न-2 आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने जरा भी ध्यान नहीं दिया- यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लॉर्ड कर्जन ने बंगाल-विभाजन का निर्णय लेकर भारत की एकता को खंडित करने की योजना बनाई थी। आठ करोड़ भारतवासियों ने लॉर्ड कर्ज़न की इस जिद के आगे बहुत विनती की, ताकि वे इस विभाजन को रोक दें। लेकिन कर्जन ने इसे अनसुना कर दिया और आखिरकार बंगाल-विभाजन होकर रहा। इसी ऐतिहासिक घटना की ओर लेखक ने संकेत किया है।

प्रश्न-3 कर्जन को इस्तीफ़ा क्यों देना पड़ गया ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लॉर्ड कर्जन एक फौजी अफसर को अपने मनचाहे पद पर नियुक्त करना चाहता था, किन्तु ब्रिटिश सरकार ने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया। इसी गुस्से के कारण उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया और उस इस्तीफे को स्वीकार भी कर लिया गया। 

प्रश्न-4  बिचारिये तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई! कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे!- आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लॉर्ड कर्जन भारत के तत्कालीन वायसराय थे। उन्होंने अपने शासन-काल में हर तरह की सुविधाओं का लुत्फ उठाया था। देश के रईस तथा संपन्न कहे जाने वाले वर्ग उनके कहे अनुसार ही चलते थे। अर्थात् उनका अनुसरण करते थे | उन्हें अपनी जिद के आगे प्रजा का दर्द दिखाई नहीं देता था। वायसराय के पद पर रहते हुए भी उन्होंने जनता की हितों पर कभी ध्यान नहीं दिया और अंतत: यही उनके पतन का कारण बना। ब्रिटिश सरकार ने उनके इस्तीफे को मंजूरी दे दी और आख़िरकार उन्हें भारत से जाना पड़ा।

प्रश्न-5 आपके और यहाँ के निवासियों के बीच में तीसरी शक्ति और भी है --- यहाँ तीसरी शक्ति किसे कहा गया है ? 

उत्तर- आपके और यहाँ के निवासियों के बीच में तीसरी शक्ति और भी है --- यहाँ तीसरी शक्ति ईश्वर को कहा गया है। उसकी शक्ति के आगे न लॉर्ड कर्ज़न का जोर चल सकता है और न ही भारतवासियों का। उन्हीं के इच्छानुसार दुनिया का संचालन होता है।


प्रश्न-6 नादिर से बढ़कर आपकी जिद्द है --- कर्जन के सन्दर्भ में क्या आपको यह बात सही लगती है? पक्ष या विपक्ष में तर्क दीजिए | 

उत्तर- नादिर से बढ़कर आपकी जिद्द है --- कर्जन के सन्दर्भ में मुझे यह बात सही लगती है | प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक ने लॉर्ड कर्जन की तुलना नादिर से की है | नादिर ने जब दिल्ली पर आक्रमण किया था, तब उसने वहाँ की पीड़ित जनता की विनती पर कत्लेआम को रोक दिया था | परन्तु, लॉर्ड कर्जन ने तो भारतवासियों के बंगाल-विभाजन न करने की विनती को स्वीकारना तो दूर उसे सुनना तक आवश्यक या उचित नहीं समझा |  


प्रश्न-7 पाठ में से कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं, जिनमें भाषा का विशिष्ट प्रयोग (भारतेंदु युगीन हिंदी) हुआ है |  उन्हें सामान्य हिंदी में लिखिए --- 

(क) आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अंत में उनको जाना पड़ा | 
(ख) आप किस को आए थे और क्या कर चले | 
(ग) उनका रखाया एक आदमी नौकर न रखा | 
(घ) पर अशीर्वाद करता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर लाभ करे | 

उत्तर- सामान्य हिंदी - 

• पहले भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, उन्हें अंत में जाना पड़ा | 
• आप किसलिए आए थे और क्या कर के जा रहे  हैं ? 
• उनके रखवाने से एक आदमी नौकर भी न रखा  गया | 
• परन्तु मैं आशीर्वाद देता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से प्राप्त  करे | 


विदाई संभाषण पाठ के कठिन शब्द शब्दार्थ  


• चिरस्थाई - टिकाऊ
• विच्छेद - टूटना
• अदना - छोटा सा
• आरह - आरा
• पायमाल - नष्ट
• तिलांजलि - त्याग देना
• पटखनी - चित्त कर देना
• लीलामय - नाटकीय
• सुखांत - जिसका अंत सुखद हो
• सूत्रधार - जिसके हाथ में संचालन की बागडोर हो | 

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका