रजनी मन्नू भंडारी

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रजनी मन्नू भंडारी 


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रजनी पाठ का सारांश 

प्रस्तुत पाठ या धारावाहिक रजनी लेखिका मन्नू भंडारी जी के द्वारा लिखित है | रजनी मन्नू भंडारी द्वारा लिखित एक पटकथा है, जो पिछली सदी के नवे दशक का एक बहुचर्चित टी. वी. धारावाहिक रहा है। बासु चटर्जी के निर्देशन में बनी इस धारावाहिक की हर कड़ी अपने में स्वतंत्र और मुकम्मल होती थी और इन्हें आपस में जोड़ने वाली सूत्र रजनी थी। हर कड़ी में यह जुझारू और इंसाफ प्रिय स्त्री पात्र किसी ना किसी सामाजिक - राजनीतिक समस्या से जूझती नजर आती थी। प्रस्तुत अंश भी व्यवसाय बनती शिक्षा की समस्या की ओर हमारा ध्यान खिंचता है।

लेखिका पटकथा की शुरुआत लीला के घर से करते हुए बताती हैं, रजनी जो कि लीला की पड़ोसन है लीला को साथ में बाजार चलने को कहती है। लेकिन लीला उसे कहती है कि उसके बेटे का आज रिजल्ट आने वाला है यह सुनकर रजनी बहुत खुश होती है और रुक जाती है। क्योंकि उसे पूरा विश्वास है कि अमित के अच्छे अंक आएंगे। रजनी, लीला को कहती है कि तुम्हें अच्छी मिठाई खिलानी पड़ेगी। तब लीला बताती है कि उसने मिठाई मंगा भी
मन्नू भंडारी
मन्नू भंडारी  
ली है वो भी - केसरिया रसमलाई। क्योंकि वह अमित को बहुत पसंद है। लीला रजनी को बोलती है कि अमित जब तक तुम्हे भोग  ना लगा दे हम खा सकते हैं क्या? आखिर रजनी आंटी हीरो है उसकी। रजनी कहती है कि अमित बहुत ही मेधावी छात्र है देखना अमित आगे जाकर बहुत बड़ा इंसान बनेगा। अमित घर आता है और लीला रजनी उसे बधाई देने लगते हैं। अमित की आंखों में आंसू थे और एक हाथ में रिपोर्ट लिए घर आया। अमित कहता है यह लो मेरा रिपोर्ट कार्ड - मैंने पहले ही कहा था मेरा मैथ्स का ट्यूशन लगवा दो! वरना रिजल्ट बिगड़ जाएगा अब देखो वही हुआ। लीला पूछती है- पर तूने तो सारे सवाल सही करके आए थे। यहां आकर भी पापा के सामने सारे सवाल सही बनाएं थे। रजनी रिपोर्ट देखती है, सारे में अच्छे मार्क्स थे केवल मैथ्स में 72 ही आए थे। अमित गुस्से और दुख के साथ कहता है- ट्यूशन ना करने से कभी मिले हैं किसी को अच्छे नंबर! सर तो बार बार कहते थे ट्यूशन कर लो वरना बाद में मत पछताना। लीला ने अमित को अंग्रेजी विषय की ट्यूशन लगा रखी थी, क्योंकि वह उसमें कमजोर था और वह दो विषयों का ट्यूशन लगाने में असमर्थ थी। रजनी अमित को रोने से रोकती है और पूछती है - क्या तुम्हे याद है! तुमने सारे पेपर अच्छे से बनाये थे? अमित बताता है कि वह सारा पेपर बहुत अच्छे से बनाया था पर सर के पास टयूशन नहीं करने के वजह से उसे कम अंक दिया गया था। रजनी अगले दिन अमित को लेकर स्कूल जाने की बात कहती है और पेपर देखना चाहती है। जिससे पता चले की किस बात के नंबर काटे हैं।

अगले दिन रजनी हेडमास्टर के कमरे में पहुंचती है और अमित की मैथ्स कॉपी दिखाने का अनुरोध करती है, तो हेडमास्टर जी कहते हैं सॉरी मैडम हम ईयरली एग्जाम की कॉपी तो नहीं दिखाते। रजनी कहती है- जानती हूं पर अमित ने मैथ्स का पूरा पेपर ठीक किया है और फिर भी उसके नंबर सिर्फ 72 ही आए हैं। इसलिए देखना चाहती हूं कि गलती अमित की है या एग्जामिनर की। हेडमास्टर जी कहते हैं कि क्या मैडम! आपको बच्चे ने कहा और आप ने मान लिया। हर बच्चा तो यही कहता है कि उसने सब सही बनाया है। उसे अच्छे नंबर ही मिलेंगे! अगर हम इस तरह पेपर दिखाने लग जाएं तो यहां पैरेंट्स की भीड़ लगी रहेगी। रजनी कहती है कि आप चाहे तो अमित का पूरा रिजल्ट देख लें, उसने सभी में अच्छे नंबर प्राप्त किए हैं। फिर भी हेडमास्टर कॉपी दिखाने को तैयार नहीं हुए। रजनी कहती है- यह कौन सा नियम है! जहां बच्चे को ट्यूशन पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है। हेडमास्टर जी कहते हैं कि यह टीचर और स्टूडेंट का आपसी मामला है, इसमें हम क्या कर सकते हैं । रजनी कहती है कि अगर आप कुछ कर नहीं सकते तो यह कुर्सी छोड़ दीजिए क्योंकि इस कुर्सी पर कुछ करने वाला आदमी चाहिए, जो टयूशन के नाम पर चलने वाले धांधलियों को रोक सके। जो उनके पास ट्यूशन ना जाने पर उनके नंबर काट लेते हैं और आप कॉपियां ना दिखाने के नियम से उनके सारे गुनाह ढक लेते हैं। हेडमास्टर जी चिल्लाकर चपरासी से उन्हें निकालने को कहते हैं। रजनी कहती हैं - मुझे बाहर करने की जरूरत नहीं! बाहर उन टीचर्स को कीजिए, जिन्होंने आपके नाक के नीचे ट्यूशन का घिनौना रैकेट चला रखा है। रजनी घर आकर अपने पति को बताती है कि आज मास्टर साहब की बोलती बंद कर दी और कुछ जवाब तो उनके पास था नहीं तो वे चिल्लाने लगे। रजनी का पति कहता है कि मास्टर लोग ट्यूशन चलाएं या धंधा! तुम्हें उससे क्या परेशानी होने लगी। तुमने सारी दुनिया का ठेका थोड़ी लिया है। रजनी अपने पति पर गुस्सा होकर बोलती है-  गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर जो उसे सहता है वह भी उतना ही गुनहगार है।

रजनी, डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन के ऑफिस उनसे मुलाकात करने पहुंचती है व उनके ऑफिस के बाहर बैठकर अंदर बुलाने का इंतजार करती है। साहब अंदर बैठकर समय व्यतीत कर रहे होते हैं कि कब टाइम खत्म हो और वह घर जाएं। एक व्यक्ति के स्लिप के साथ ₹5 देने पर चपरासी उसे अंदर कमरे में भेज देता है, इससे रजनी गुस्सा जाती है और उस व्यक्ति के निकलने के बाद वह दनदनाती हुई अंदर चली जाती हैं। निदेशक कहते हैं आपको स्लिप देकर अंदर आना चाहिए ना! रजनी कहती है- आपके चपरासी के जेब में पड़ी है और दो-तीन दिन तक शायद वह वहीं पड़ी रहे। रजनी कहती है - इसे छोड़िए! मैं आपके पास दूसरे काम से आयी हूं। रजनी कहती है कि जिन प्राइवेट स्कूलों को आप मान्यता दे देते हैं, उस पर आपका कोई कंट्रोल भी रहता है या नहीं? सभी टीचर स्कूलों में ट्यूशन का धंधा चला रहे हैं इसके बारे में आपका बोर्ड क्या करता  है। निदेशक सहज भाव से कहते हैं कि इसमें धंधे की क्या बात है - अगर कोई बच्चा कमजोर होता है तो उसके मां-बाप ही उसे ट्यूशन लगाते हैं, यह किसी की मजबूरी तो है नहीं। रजनी कहती है- अगर बच्चा होशियार हो और उसे बार-बार ट्यूशन करने को कहा जाए, नहीं तो उसके नंबर काट दिए जाएंगे तब। निदेशक कहते हैं कि तब तो हेडमास्टर को एक्शन लेना चाहिए उस टीचर के खिलाफ । निदेशक बताते हैं कि हमारे पास आज तक इसे लेकर किसी पैरेंट्स की शिकायत नहीं आई है। आप पहली महिला हैं और हो सकता है कि आखिरी भी। रजनी कहती है कि ठीक है फिर आपके पास शिकायत का ढेर लगाकर ही रहूंगी। 

अगले दृश्य में रजनी अखबार के संपादक के दफ्तर जा पहुंचती है। संपादक कहते हैं कि आपने तो इसे एक आंदोलन के रूप दे दिया। बहुत अच्छा किया, इसके बिना यहां चीजें बदलती भी तो नहीं है। रजनी इसी तरह संपादक का साथ चाहती है ताकि इसी मुद्दे को वे लगातार उठाते रहें। संपादक उन्हें सांत्वना देते हैं और कहते हैं - अखबार वाले आपके साथ हैं। रजनी एक पेरेंट्स मीटिंग रखती है जिसमें वह मांग करती है कि कोई भी टीचर अपने ही स्कूल के छात्र को ट्यूशन ना दें जिससे कि किसी के मार्क्स कटने की समस्या उत्पन्न ना हो। अगले दिन रजनी का पति अखबार पढ़ते हुए देखता है कि इनकी समस्याएं सुन ली गई हैं और उन लोगों का प्रस्ताव ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया गया है। वे रजनी को चिल्लाते हुए बुलाते हैं रजनी आकर पेपर में पढ़ती है और अत्यधिक प्रसन्न होती है और कहती है कि अगर डटकर मुकाबला किया जाए तो कौन सा ऐसा अन्याय है, जिसकी धज्जियां ना उड़ाई जा सके...|| 


रजनी पाठ का उद्देश्य  शिक्षा 

रजनी पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कैसे हम अपने साथ हो रहे अन्याय को सहते रहते हैं इस डर से कि अगर हम आवाज उठाएंगे तो हमें और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। पर हम यह भूल जाते हैं कि अन्याय करने वाला जितना गुनाहगार होता है उतना ही गुनहगार, अन्याय सहने वाला भी होता है। इस पाठ में यह दिखाया गया है कि कैसे रजनी के आवाज़ उठाने से ट्यूशन के नाम पर चल रही धांधलियों के विरूद्ध एक आंदोलन छिड़ गया और अंत में वह इस आंदोलन को जीतने में सफल भी हुई। इससे शिक्षा मिलती है कि हमारे साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ हमें कदम उठाने चाहिए | 


रजनी का चरित्र चित्रण Rajni ka charitra chitran 

प्रस्तुत पाठ या धारावाहिक के अनुसार रजनी का चरित्र-भाव विशेषकर अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाने वाली महिला के रूप में प्रस्फुटित हुआ है | आम स्त्रियों की तुलना में रजनी का चरित्र बिल्कुल विपरीत है | रजनी एक कर्मठ, साहसी, निष्ठावान, संघर्षशील एवं न्याय प्रिय स्त्री है | एक ऐसी स्त्री, जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सामर्थ्य रखती है | उसमें प्रत्येक सामाजिक व राजनीतिक समस्याओं का सामना करने का साहस मौजूद है | वह भ्रष्ट तंत्र के विरुद्ध सदैव न्याय का शंखनाद करने के लिए तत्पर रहती है |

आम तौर पर घरेलू स्त्रियाँ अन्याय को चुपचाप सहन करती रहती हैं | लेकिन रजनी अन्याय के विरूद्ध अकेले लड़ने का हौसला रखती है | वह आखिरकार अध्यापकों द्वारा जबरदस्ती ट्यूशन लेने जैसी सामाजिक समस्या को भी सबके सामने लाकर उसका समाधान तलाशने में सफल हुई |

अंततः रजनी ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से यह साबित करके दिखा दिया कि अगर डटकर मुकाबला किया जाए, तो अपराध चाहे जितना भी ताकतवर क्यूँ न हो, उसे एकदिन बेनकाब होना पड़ता है…||





रजनी पाठ का प्रश्न उत्तर 


प्रश्न-1 रजनी ने अमित के मुद्दे को गंभीरता से लिया, क्योंकि --- 

क. वह अमित से बहुत स्नेह करती थी।
ख. अमित उसकी मित्र लीला का बेटा था।
ग. वह अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाने की सामर्थ्य रखती है।
घ. उसे अख़बार की सुर्ख़ियों में आने का शौक था।

उत्तर- ग. वह अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाने की  सामर्थ्य रखती है | 

प्रश्न-2 जब किसी का बच्चा कमजोर होता है, तभी उसके माँ-बाप ट्यूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि कोई टीचर लूट रहा है, तो उस टीचर से न ले ट्यूशन, किसी और के पास चले जाएँ.....यह कोई मजबूरी तो है नहीं --- प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताएँ कि यह संवाद आपको किस सीमा तक सही या गलत लगता है, तर्क दीजिए | 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, जब रजनी अपनी शिकायत लेकर शिक्षा निदेशक के पास जाती है और अपनी शिकायत दर्ज करती हैं कि कैसे कुछ शिक्षक ट्यूशन के नाम पर बच्चों को परेशान कर रहे हैं और टयूशन ना जाने पर उनका नंबर कम कर दिया जा रहा है। शिक्षा निदेशक कहते हैं - जब किसी का बच्चा कमजोर होता है, तभी उसके माँ-बाप ट्यूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि कोई टीचर लूट रहा है, तो उस टीचर से न ले ट्यूशन, किसी और के पास चले जाएँ.....यह कोई मजबूरी तो है नहीं.

यहाँ मेरे विचार से शिक्षा निदेशक का यह संवाद अतार्किक और गलत है | ये उनकी ओछी मानसिकता का उदाहरण है | उन्होंने अध्यापकों के द्वारा टयूशन के नाम पर चल रहे धांधलियों को गंभीरता से नहीं लिया। उनके द्वारा कही गई इस तरह की बातें उनकी गलत सोच को प्रदर्शित करता है और बताता है कि कैसे ऊंचे पद में रहने के बाद भी इतनी गंभीर समस्या पर वे ध्यान नहीं देते हैं और आज लोग हताहत व परेशान होते रहते हैं | 

प्रश्न-3 तो एक और आंदोलन का मसला मिल गया - फुसफुसाकर कही गई यह बात --- 

क. किसने किस प्रसंग में कही ? 
ख. इससे कहने वाले की किस मानसिकता का पता चलता है ? 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 

क. यह बात रजनी के पति ने उस वक्त कही, जब रजनी ने अध्यापकों द्वारा ट्यूशन न करने पर बच्चों के नंबर काटने के विरूद्ध मीटिंग के दौरान अपने भाषण में बताईं थी कि कैसे कुछ अध्यापकों को कम वेतन दिया जाता है और अधिक वेतन पर हस्ताक्षर करवाया जाता है। ऐसे अध्यापकों से रजनी ने अनुरोध किया कि वे संगठित होकर आंदोलन करें और इस अन्याय को सबके सामने लाएं।

ख. इससे कहने वाले की संकीर्ण सोच का पता चलता है। ये वे लोग हैं, जो सामाजिक समस्या से स्वयं को अलग-थलग रखना चाहते हैं। सिर्फ अपने काम से मतलब रखते हैं। ऐसे लोग दूसरों की समस्या में उलझना नहीं चाहते और अपना समय व्यर्थ नहीं करना चाहते।

प्रश्न-4 रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या क्या है ? क्या होता अगर --- 

क. अमित का पर्चा सचमुच खराब होता | 
ख. संपादक रजनी का साथ न देता | 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या यह है कि अध्यापक, बच्चों को जबरदस्ती ट्यूशन करने के लिए मजबूत करते हैं तथा ट्यूशन न करने पर कम अंक देते हैं | 

क. यदि अमित का पर्चा सचमुच खराब होता, तो रजनी इस समस्या को लेकर इतना चिंतित ना होती और यह समस्या एक आंदोलन का रूप नहीं ले पाता | 

ख. यदि संपादक रजनी का साथ न देता, तो रजनी इस समस्या को इतने बड़े आंदोलन का रूप नहीं दे पाती और न ही वह अध्यापकों द्वारा ट्यूशन के नाम पर हो रही धांधली को रोकने में सफल हो पाती | 


प्रश्न-5 गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता ---  इस संवाद के सन्दर्भ में आप सबसे ज्यादा किसे और क्यों गुनहगार मानते हैं ? 

उत्तर- देखा जाए तो इस संवाद के सन्दर्भ में मेरे विचार से गलती करने वाला तथा उसे बर्दाश्त करने वाला दोनों ही गुनहगार की श्रेणी में आते हैं | क्योंकि गलती करने वाला वह अध्यापक, जो जबरदस्ती ट्यूशन के लिए बच्चों को विवश करते हैं और जब बच्चे उनके पास ट्यूशन के लिए नहीं जाते तो उन्हें स्कूल में कम नंबर दिया जाता है | ऐसे अध्यापक दोषी हैं | 

इसके साथ ही वह अभिभावक, जो इस अन्याय को बर्दाश्त करते हैं, संयुक्त रूप से दोषी हैं | उन्हें इस अन्याय के खिलाफ़ आवाज उठानी चाहिए | अन्याय बर्दाश्त करने से दोषियों को और अधिक बढ़ावा मिल जाता है तथा वे निरन्तर गलती करते रहते हैं | 

प्रश्न-6 स्त्री के चरित्र की बनी-बनाई धारणा से रजनी का चेहरा किन मायनों में अलग है ? 

उत्तर- स्वाभाविक रूप से देखा जाए तो एक स्त्री का चरित्र कोमल, सहनशील, अबला तथा शांत स्वरूप का माना जाता है | जबकि इसके विपरीत रजनी का चरित्र एक कर्मठ, साहसी, शक्तिशाली तथा अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाने वाली महिला के रूप में है | आम तौर पर घरेलू स्त्रियाँ अन्याय को चुपचाप सहन करती रहती हैं | लेकिन रजनी अन्याय के विरूद्ध अकेले लड़ने का हौसला रखती है | वह आखिरकार अध्यापकों द्वारा जबरदस्ती ट्यूशन लेने जैसी सामाजिक समस्या को भी सबके सामने लाकर उसका समाधान तलाशने में सफल हुई | 



रजनी पाठ के कठिन शब्द शब्दार्थ 


• बेगुनाह - जिसका कोई गुनाह ना हो
• हाफ ईयरली - छमाही
• कंडक्ट - संचालन
• अप्रूर्व्ड - स्वीकृत
• फोकस करना - ध्यान में लाना
• इश्यू - मुद्दा
• बाकायदा - कायदे के अनुसार
• पैरेंट्स - अभिभावक
• दखलअंदाजी- हस्तक्षेप
• रिसर्च प्रोजेक्ट - शोध परियोजना | 




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रजनी मन्नू भंडारी
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