स्पीति में बारिश कृष्ण नाथ spiti me barish class 11 ncert solutions

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स्पीति में बारिश कृष्ण नाथ

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स्पीति में बारिश का सारांश 

प्रस्तुत पाठ या यात्रा-वृतांत स्पीति में बारिश लेखक कृष्णनाथ जी के द्वारा लिखित है | स्पीति हिमांचल प्रदेश की एक तहसील है। यह स्थान अपनी भेाैगोलिक एवं प्राकृतिक विशेषताओं के कारण अन्य पर्वतीय स्थलों से भिन्न है। यहां की ऊंचे दर्रों और कठिन रास्तों के कारण इस जगह का संबंध इतिहास से कम ही रहा है। यहां संचार तथा परिवहन के आधुनिक सुविधाओं का अभी तक विकास नहीं हुआ है। यहां के लोग शेष दुनिया से कटे हुए हैं। वसंत ऋतु में यहां आना - जाना कठिन होता है। शीत ऋतु में तो यहां आना लगभग असंभव होता है। 

आगे लेखक बताते हैं कि, स्पीति की भेाैगोलिक स्थिति प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल में ब्रिटिश शासन तक यह स्वतंत्र रही है। स्पीति की जनसंख्या लाहुल की जनसंख्या से कम है। अंग्रेज़ो के समय में स्पीति का शासनकाल एक नोनो द्वारा चलाया जाता था। ब्रिटिश भारत में यह नोनो कुल्लू के असिस्टेंट कमिश्नर के समर्थन में कार्य करता था। इसका अधिकार क्षेत्र केवल द्वितीय दर्जे के मजिस्ट्रेट के बराबर था। लेकिन स्पीति के लोग इसे ही अपना राजा मानते थे। अगर राजा नहीं है, तो दमयंती जी को रानी मानते हैं।

आगे लेखक बताते हैं कि 1873 में स्पीति रेगुलेशन पास हुआ, जिसके तहत लाहुल और स्पीति को विशेष दर्जा
स्पीति में बारिश
स्पीति में बारिश
दिया गया। ब्रिटिश भारत के अन्य कानून यहां लागू नहीं होते थे। प्रशासन का अधिकार नोनो को दिया गया, जिसमें छोटे - छोटे फौजदारी के मुकदमों का फैसला भी करता था। उसके उपर के मामले वह कमिश्न को भेज देता था। स्पीति 31.42 और 32.59 अक्षांश उत्तर और 77.26 और 78.42 पूर्व देशांतर के बीच स्थित है। यह चारों और ऊंचे- ऊंचे पहाड़ों से घिरा है। इन पहाड़ों की औसत ऊंचाई 18000 फीट है। यह पहाड़ उसे पूरब में तिब्बत, पश्चिम में लाहुल, दक्षिण में किन्नौर और उत्तर में लद्दाख से अलग करते हैं। इसके मुख्य घाटी इसी नाम की स्पीति नदी की घाटी है, जो किन्नौर जिले में बहती हुई सतलज में मिलती है। लेखक कहते हैं कि वह स्पीति में इसी नदी को पहचानते हैं। यहां स्पीति के अलावा पिन घाटी भी प्रसिद्ध है, जो कि बहुत वीरान हैं। यहां प्रति वर्ग मील 4 से भी कम लोग रहते हैं।

लेखक कहते हैं कि, अचरज यह नहीं है कि इतने कम लोग क्यों हैं? अचरज तो यह है कि इतने कम लोग भी कैसे बसे हुए हैं? आठ - नौ महीने पूरी दुनिया से कटे हुए, ठंड में ठिठुरते, एक ही फसल उगाते, बिना लकड़ी के शीत ऋतु बिताने क्यों रहते हैं? लेखक कहते हैं कि तर्क से हम चाहे किसी भी चीज को सिद्ध कर सकें परंतु स्पीति में रहने को सिद्ध नहीं कर सकते, वह बिल्कुल तर्क के परे है। लेखक आगे बताते हैं कि स्पीति नदी के साथ-साथ उनका थोड़ा परिचय पहाड़ों से भी है। स्पीति के पहाड़ लाहुल से भी ज्यादा ऊंचे, नंगे और भव्य हैं। जो सुंदरता को पहचानते हैं! वे पहाड़ों की सुंदरता को कैसे छोड़ सकते हैं। वे यह जान लें की यह मध्य हिमालय की घाटी है, जिसे वह हिमालय जानते हैं। स्पीति की लगभग औसत ऊंचाई 13000 फीट है। लेखक चाहते हैं कि देश दुनिया के मैदानों से और पहाड़ों से लोग यहां आएं और पहले तो स्वयं अपने अहंकार को गलाएं और उसके बाद चोटियों के अहंकार को चूर करें। और उस आनंद को प्राप्त करें जो साहस युवा अवस्था में प्राप्त होता है। लेखक कहते है कि वह इस युवा एहसाह की गर्मी से कुछ तो पिघले। वे युवाओं को वहां आने का निमंत्रण देते हैं।

लेखक बताते हैं कि लाहुल की तरह स्पीति में भी दो ऋतुएं होती है- यहां वसंत ऋतु अल्पकालिक समय के लिए और शेष साल- भर शीत ऋतु रहती है। स्पीति में वसंत लाहुल से भी कम दिनों का होता है। वसंत में भी यहां फूल नहीं खिलते, हरियाली भी नहीं होती, दिसंबर से घाटी में बर्फ पड़ने लगती है और अप्रैल-मई तक रहती है। यहां ठंड लाहुल से ज्यादा पड़ती है। नदी नाले सभी भर जाते हैं। ऊंचे पहाड़ों से घिरे होने के कारण यहां बारिश, शायद ही कभी होती हो। स्पीति में साल भर में एक फसल होती है। जिसमें मुख्य है- जौ, गेहूं, मटर और सरसों। इनमें से जौ मुख्य है। यहां सिंचाई का मुख्य साधन पहाड़ों से आ रहे नाले हैं।

लेखक बताते हैं कि यहां वर्षा की घटना एक सुखद संयोग है और ऐसी ही घटना उनके साथ घटी। तेज हवा से खिड़की खड़कने की आवाज आई और जब वे उसे देखने गए कि कौन खड़खड़ा रहा है, तो देखते हैं कि तेज हवा के साथ बारिश हो रही है। सुबह चाय पीते हुए उन्हें पता चलता है कि स्पीति के लोग कह रहे हैं कि उनकी यात्रा शुभ है क्योंकि स्पीति में बहुत दिनों के बाद बारिश हुई है...|| 



स्पीति में बारिश का प्रश्न उत्तर  


प्रश्न-1 इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता | क्यों ? 

उत्तर- इतिहास में स्पीति का वर्णन इसलिए नहीं मिलता,  क्योंकि स्पीति की भौगोलिक तथा प्राकृतिक स्थितियाँ जीवन-यापन करने के बिल्कुल विपरीत है | वहाँ वर्षा बहुत कम अर्थात नाम मात्र के लिए ही होती है तथा लगभग आठ-नौ महीने तो बर्फ ही पड़ती रहती है। परिवहन तथा संचार के साधनों का अभाव है। इतिहास में आने के लिए ऐसी उल्लेखनीय घटनाओं तथा परिस्थितियों का होना जरूरी है, जिसकी यहाँ कमी है। 

प्रश्न-2 स्पीति के लोग जीवन-यापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, स्पीति के लोगों को जीवन-यापन के लिए अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। संचार तथा परिवहन के आधुनिक साधनों के अभाव के कारण यहाँ के लोग अभी तक कई जगहों से कटे हुए हैं। मानसून के न पहुँचने के कारण यहाँ वर्षा बहुत ही कम होती है। यहाँ केवल साल में एक ही फसल उगाई जाती है। पर्याप्त मात्रा में लकड़ी भी नहीं मिलती है कि घर को गर्म रखा जा सके। वर्षा के अभाव के कारण यहाँ फल भी नहीं उगाए जाते हैं। इस प्रकार यहाँ रहने के अनुकुल परिस्थितियाँ नहीं पायी जाती हैं | 

प्रश्न-3  लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने तंत्र के नाम पर करने के पक्ष में क्यों हैं ? 

उत्तर- इस पाठ के अनुसार, लेखक को पूरा यकीन है कि माने श्रेणी का नामकरण बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर ही हुआ है। बौद्धों के माने मंत्र का महात्म्य है। “ओं मणि पद्मे हूं” मंत्र का जाप बहुत अधिक हुआ है। इसलिए लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने तंत्र के नाम पर करने के पक्ष में हैं।

प्रश्न-4  ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं --- इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से क्या आग्रह किया है ? 

उत्तर-  ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं --- इस पंक्ति के माध्यम से लेखक युवा वर्ग से आग्रह करते हुए कहना चाहते हैं कि माने की चोटियों पर बड़ी उम्र के बौद्ध लामा निवास करते हैं जो माने मंत्रों का जाप करते हैं। लेखक का कहना है कि, इनके तप करने से चोटियों में गंभीर उदासी का वातावरण बन गया है। यहाँ चहल-पहल तथा ख़ुशी का माहौल नहीं दिखाई देता। इसलिए लेखक ने युवाओं से आग्रह किया है कि वे आगे आएँ तथा खेल और गतिविधियों को बढ़ावा दें। जिससे यहाँ प्रसन्नता और हर्ष का संचार हो सके।

प्रश्न-5  वर्षा यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग है ---  लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ? 

उत्तर- वर्षा यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग है ---  लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि लेखक के यात्रा के दौरान महसूस करता है कि स्पीति में वर्षा नाममात्र की ही होती है। मानसून के न पहुँच पाने के कारण वर्षा यहां बहुत कम ही होती है। कभी-कभार वर्षा होने के कारण लोग इसे शुभ मानते हैं और सुखद संयोग समझते हैं।

प्रश्न-6  स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से किस प्रकार भिन्न है ? 

उत्तर-  प्रस्तुत पाठ के अनुसार, स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों जैसे- कुल्लू-मनाली तथा कश्मीर से अनेक प्रकार से भिन्न है। यहाँ के पहाड़ों की ऊँचाई अन्य पर्वतों की अपेक्षा बहुत अधिक और दुर्गम है। यहाँ के पर्वतों पर अधिकतर बर्फ जमी रहती है तथा नाम की वर्षा होती है। जबकि अन्य पर्वतीय स्थलों में हरियाली के साथ वर्षा भी अधिक होती है। अन्य पर्वतीय स्थलों में विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियाँ उगाई जाती है, जबकि स्पीति में केवल मटर और सरसों की सब्जी उगाई जाती है। यहाँ कोई फल नहीं उगाई जाती है। यहाँ के लोग शेष दुनिया से कटे हुए हैं। यहाँ संचार तथा परिवहन के आधुनिक साधनों का अभाव है जबकि अन्य पर्वतीय क्षेत्र विकसित हैं।


प्रश्न-7 पाठ में से दिए गए अनुच्छेद में क्योंकि, और, बल्कि, जैसे ही, वैसे ही, मानो, ऐसे, शब्दों का प्रयोग करते हुए उसे दोबारा लिखिए --- 

लैंप की लौ तेज़ की | खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज़ हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा | मैंने पल्ला भिड़ा दिया | उसकी आड़ से देखने लगा | देखा कि बारिश हो रही थी | मैं उसे देख नहीं रहा था | सुन रहा था | अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका आ रहा था | जैसे बरफ़ का अंश लिए तुषार जैसी बूँदें पड़ रही थीं | 

उत्तर-  क्योंकि लैंप की लौ तेज़ की | जैसे ही खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा | वैसे ही मैंने पल्ला भिड़ा दिया और उसकी आड़ से देखने लगा | देखा कि बारिश हो रही थी | मैं उसे देख नहीं रहा था बल्कि सुन रहा था | अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका ऐसे आ रहा था मानो बरफ़ का अंश लिए तुषार जैसी बूँदें पड़ रही थीं | 


स्पीति में बारिश पाठ के कठिन शब्द  शब्दार्थ 


• स्वायत्त - स्वतंत्र
• आर्तनाद - दर्द भरी ऊंची आवाज 
• पीरपंजाल - एक पर्वत श्रृंखला
• महात्म्य - महिमा
• तुषार - हिम, बर्फ
• अलंघ्य - जिसे लांघा या पार ना किया जा सके
• कूवत - बल, शक्ति 
• अतर्क्य - तर्क न करने योग्य 
• दुंगछेन - एक तरह का वाद्ययंत्र | 




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