गोबर से बदलेगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सूरत

SHARE:

गोबर से बदलेगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सूरत अब तक सड़क पर पडे़ जिस गोबर के पांव में लगने भर से हम आक्रोशित हो जाते हैं, वही गोबर अब छत्तीसगढ़ के लाखों किसानों और पशुपालकों के लिए आय का माध्यम बन रहा है। राज्य सरकार ने गोधन न्याय योजना के तहत प्रदेश भर में किसानों और पशुपालकों से गोबर खरीदने की नई योजना शुरू की है।

गोबर से बदलेगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सूरत


अब तक सड़क पर पडे़ जिस गोबर के पांव में लगने भर से हम आक्रोशित हो जाते हैं, वही गोबर अब छत्तीसगढ़ के लाखों किसानों और पशुपालकों के लिए आय का माध्यम बन रहा है। राज्य सरकार ने गोधन न्याय योजना के तहत प्रदेश भर में किसानों और पशुपालकों से गोबर खरीदने की नई योजना शुरू की है। जिससे कम लागत पर वर्मी कंपोस्ट (जैविक खाद) बना कर पुनः किसानों को जैविक खाद के रूप में सस्ते दामों पर बेचीं जाएगी। ताकि किसान रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित हो सकें। योजना का क्रियान्वयन राज्य के कृषि एवं पंचायत विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ में इस वर्ष 20 जुलाई (हरेली पर्व) से शुरू हुई गोधन न्याय योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा ग्रामीणों से दो रूपए प्रति किलो की दर से गोबर खरीदी जा रही है। यह कार्य प्रत्येक गांवों में स्थित गौठान (पशुओं को एक साथ रखने का स्थान) समिति और स्वसहायता समूह के सहयोग से किया जा रहा है। खरीदी केन्द्र में गोबर बेचने के लिए सभी हितग्राहियों को पंजीकृत करके गोबर क्रय पत्रक दिया गया है। क्रय पत्रक में रोजाना गोबर खरीदी की मात्रा, राशि दर्ज की जा रही है। जिसका भुगतान प्रत्येक 15 दिनों में हितग्राही के बैंक खाते में सीधे हो रहा है। योजना की शुरूआत यानि 20 जुलाई से 1 अगस्त तक राज्य में कुल 4140 गौठानों में 46 हजार 964 हितग्राहियों द्वारा 82 हजार 711 क्विंटल गोबर का विक्रय किया गया है। जिसकी कुल राशि 2 रूपए प्रति किलो की दर से 1 करोड़ 65 लाख रूपए पशुपालकों को भुगतान किया जा चुका है।

गोबर से वर्मी कंपोस्ट
गोबर से वर्मी कंपोस्ट
खरीदे हुए गोबर से वर्मी कंपोस्ट (जैविक खाद) बनाने का कार्य स्व-सहायता समूहों द्वारा ही किया जा रहा है। जिसके लिए कृषि विभाग से उन्हें प्रशिक्षण भी मिला है। खाद बनाने के सभी गौठानों में 1000 किलो की क्षमता वाले बडे़-बडे़ वर्मी टांके बनाए जा रहे हैं। जहां 1000 किलो गोबर से 700 किलो वर्मी कंपोस्ट का निर्माण किया जा रहा है। खाद तैयार होने में 45 दिनों का समय लगेगा। इस तरह 45-45 दिनों के चक्र में गोबर की खरीदी और खाद बनाने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। जिसके बाद तैयार खाद का विशेषज्ञों द्वारा गुणवत्ता परीक्षण करके दो, पांच और तीस किलो के बैग में पैकिंग की जाएगी। इसे पुनः प्रदेश के किसानों और बागवानी में दिलचस्पी रखने वालों को 8 रूपए प्रति किलो की दर से बेचा जाएगा। इससे प्रदेश के किसान जो वर्तमान में रासायनिक खाद को महंगे दामों में खरीदकर खेतों में उपयोग कर रहे हैं, वह गौठानों में तैयार इन जैविक खादों का उपयोग कर सकेंगे। इससे न केवल उनके ज़मीन की उर्वरक क्षमता बढ़ेगी बल्कि लोगों को भी सेहतमंद और पौष्टिक अनाज उपलब्ध हो सकेगा।

पशुओं का गोबर आय का जरिया बन जाने से प्रदेश के किसान और पशुपालक खुश हैं। वह पशुपालन को लेकर उत्साहित हैं तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण गोबर खरीदी केन्द्र में गोबर बेचने जा रहे हैं। कांकेर जिले के भी 2 हजार 221 पशुपालकों ने योजना की शुरूआत के पहले 15 दिनों में 2,500 क्विंटल से ज्यादा गोबर बेचा है। दुर्गकोंदल ब्लाॅक के ग्राम हाटकोंदल की महिला किसान यशोदा भुआर्य, शमिता उयके, नंदनी, प्रमीला और सुमति पटेल सहित अन्य महिलाओं ने बताया कि वह पहले अधिकतर गोबर को फेंक दिया करती थीं, लेकिन अब वही गोबर के दो रूपए प्रति किलो पैसा मिलने से उसे इकठ्ठा करके रोज बेच रही हैं। इसी तरह भानुप्रतापपुर विकासखण्ड के ग्राम मुंगवाल के रति राम कुमेटी के पास एक भी पालतू मवेशी नहीं है, उसके बाद भी वह 70 से 80 किलो गोबर का विक्रय प्रतिदिन गौठान में कर रहे हैं। पूछने पर बताया कि खेती किसानी से फुर्सत के क्षणों में सुबह-शाम घूम-घूमकर गोबर इकट्ठा करते हैं और उसे गौठान समिति को बेच देते हैं। इस अतिरिक्त आय से उनके घर की आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है।

दूर्गूकोंदल ब्लाक स्थित ग्राम पंचायत सिवनी के आश्रित ग्राम गोवंदा के गौठान समिति के अध्यक्ष महेश मंडावी इस पूरी योजना के बारे में कहते कि इसने गांव की क़िस्मत बदल दी है। इससे पहले तक पशुपालक केवल गाय का दूध बेचकर ही आय प्राप्त करते थे, लेकिन गोधन न्याय योजना से अब गोबर बेचकर भी उन्हें अतिरिक्त आय की प्राप्ति होगी। गांव के किसान रूपसिंह कोमरे, जागेश्वर और राजेश उसेंडी कहते हैं कि कुछ गोबर को खाद के रूप में खेतों में प्रयोग किया करते थे परंतु अधिकांश को बेकार समझ कर फेंक दिया करते थे वही गोबर अब अतिरिक्त आय का माध्यम बन गया है। इस संबंध में कांकेर जिला के कृषि उप-संचालक नरेन्द्र कुमार नागेश बताते हैं कि वर्तमान में हमारे जिले में 197 गांवों के गौठानों में किसानों से गोबर खरीदी का कार्य किया जा रहा है। इसे खरीदने और खाद बनाने के पीछे सबसे बढ़ा उद्देश्य राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देना है। जिसका एक लाभ पशुपालकों को आर्थिक रूप में भी होगा और जो मवेशी खुले में इधर-उधर घुमते पाए जाते हैं उन्हें पशुपालक व्यवस्थित रखेंगे।

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों गोधन न्याय योजना की काफी चर्चा है। एक तरफ जहां किसान व पशुपालकों की हर महीने 1500 से 2000 रूपए की अतिरिक्त कमाई सुनिश्चित हो गई है तो वहीं दूसरी ओर किसानों को पहले गोबर से खाद बनाने में तीन महीने लग जाते थे, जिससे उसका उपयोग बेहतर तरीके से नहीं हो पाता था। अब गौठानों में गोबर बेचने से प्रशिक्षित स्व-सहायता समूहों के द्वारा 45 दिनो में ही वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जाएगा और किसान अपनी सुविधाजनक समय में इसका उपयोग कर सकेंगे। साथ ही गोधन न्याय योजना से स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी आर्थिक लाभ होगा। शहरी क्षेत्रों में तो एकत्रित गोबर से धूपबत्ती, गमले, दीया, मूर्ति आदि उत्पाद बनाने की भी तैयारी की जा रही है।

बहरहाल, पशुगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में डेढ़ करोड़ मवेशी हैं, इनमें से 98 लाख गौवंश हैं, जिनमें 48 लाख नर और 50 लाख मादा हैं। प्रदेश में इतने बडे़ गौवंश से गोबर खरीदने की यह देश में अपने तरह की पहली गोधन न्याय योजना है जिसके दूरगामी परिणाम पशुपालन को बढ़ावा देने के साथ-साथ कृषि लागत में कमी और जैविक कृषि से जमीन की उर्वरा शक्ति में वृद्धि के रूप में होगी। इस योजना से न केवल पर्यावरण में सुधार होगा बल्कि गोबर बेचने से होने वाली अतिरिक्त आय से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक बडे़ बदलाव का संकेत है। (चरखा फीचर)



- सूर्यकांत देवांगन
कांकेर, छत्तीसगढ़

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका