सुनीता की पहिया कुर्सी

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सुनीता की पहिया कुर्सी


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सुनीता की पहिया पाठ का सारांश 

सुनीता की पहिया पाठ या कहानी में एक विकलांग लड़की का चित्रण किया गया है, जिसका नाम सुनीता होता है | वह भी दूसरे बच्चों की तरह जीना चाहती है | इस कहानी के अनुसार, सुनीता सुबह सात बजे सोकर उठी तो उसे याद आया कि आज बाजार जाना है | बाजार का नाम सोचते ही उसकी आँखों में चमक आ गई | सुनीता आज पहली बार अकेले बाजार जाने वाली थी | उसने अपनी टांगों को हाथों से पकड़कर पलंग से नीचे लटकाया और चलने-फिरने वाली पहिया कुर्सी की मदद ली | आज वह अपना काम फुर्ती से निपटाना चाहती थी | हालाँकि कपड़े बदलना, जूते पहनना आदि उसके लिए कठिन काम हैं | पर अपना काम करने के लिए उसने स्वयं ही कई तरीके ढूँढ़ निकाले हैं | 

सुनीता की पहिया कुर्सी
सुनीता की पहिया कुर्सी
आठ बजे तक सुनीता नहा-धोकर तैयार हो गई | नाश्ता करने के बाद सुनीता ने माँ से झोला और रुपए लिए | अपनी पहिया कुर्सी पर बैठकर वह बाजार की ओर चल दी | चूँकि आज छुट्टी का दिन है, इसलिए हर जगह बच्चे खेलते हुए दिखाई दे रहे थे | सुनीता थोड़ी देर रुककर उन्हें रस्सी कूदते और गेंद खेलते देखती रही | वह उदास हो गई | वह भी उन बच्चों के साथ खेलना चाहती थी | खेल के मैदान उसे एक लड़की दिखी, जिसकी माँ उसे वापिस लेने के लिए आई थी | दोनों एक-दूसरे को टुकुर-टुकुर देखने लगे | फिर सुनीता को एक लड़का दिखा | उसे बहुत सारे बच्चे मिलकर "छोटू-छोटू" कहके चिढ़ा रहे थे | छोटू का कद दूसरे बच्चों की तुलना में कम था | सुनीता को यह सब बिल्कुल अच्छा नहीं लगा | 

रास्ते में कई लोग सुनीता को देखकर मुस्कुराए, जबकि वह उनको जानती तक नहीं थी | सुनीता हैरान थी यह सोचकर कि लोग उसको इस तरह क्यों देख रहे हैं ? एक छोटी लड़की ने आखिर सुनीता से पूछ ही लिया कि तुम्हारे पास यह अजीब सी चीज क्या है ? सुनीता उत्तर दे ही रही थी कि उस लड़की की माँ ने गुस्से में आकर लड़की को सुनीता से दूर हटा लिया | माँ ने उसे समझाया कि तुम्हें इस तरह का प्रश्न नहीं पूछना चाहिए | सुनीता दुखी हो गई | उसने लड़की की माँ से कहा कि मैं दूसरे बच्चों से अलग नहीं हूँ | 

तत्पश्चात्, सुनीता बाजार पहुँच गई | दुकान में घुसने के लिए उसे सीढ़ियों पर चढ़ना था | यह काम सुनीता के लिए बहुत मुश्किल था | आसपास के सब लोग जल्दी में थे | किसी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया | अचानक जिस लड़के को "छोटू" कहकर चिढ़ाया जा रहा था, वह उसके सामने आकर खड़ा हो गया | छोटू अपना परिचय देते हुए कहता है --- " मैं अमित हूँ, क्या मैं तुम्हारी कुछ मदद करूँ ?" तत्पश्चात्, अमित की सहायता से वह सीढ़ियाँ चढ़ गई | उसने अमित को धन्यवाद दिया और कहा कि अब मैं दुकान तक खुद पहुँच सकती हूँ | दूकान में पहुँचकर सुनीता ने एक किलो चीनी माँगी | दुकानदार जल्दी में था | उसने चीनी की थैली सुनीता की गोद में डाल दी | सुनीता गुस्सा हो गई | दूसरों की तरह वह भी अपना सामान ले सकती थी | उसे दुकानदार का व्यवहार अच्छा नहीं लगा |  

चीनी लेकर सुनीता और अमित बाहर निकले |सुनीता अमीत से कहती है कि लोग मेरे साथ ऐसा व्यवहार करते हैं, जैसे कि मैं कोई अजीबोगरीब लड़की हूँ | तभी अमित कहता है, शायद तुम्हारी पहिया कुर्सी के कारण ही वे ऐसा व्यवहार करते हैं | 

अमीत ने सुनीता से पूछा --- " पर तुम इसपर क्यों बैठती हो ?" अमीत के प्रश्न का उत्तर देते हुए सुनीता कहती है --- " मैं पैरों से चल ही नहीं सकती | इस पहिया कुर्सी के पहियों को घुमाकर ही मैं चल-फिर पाती हूँ, लेकिन फिर भी मैं दूसरे बच्चों से अलग नहीं हूँ | मैं वे सारे काम कर सकती हूँ, जो दूसरे बच्चे कर सकते हैं |" अमित ने उसकी इस बात को स्वीकार नहीं किया और कहा कि मैं भी वे सारे काम कर सकता हूँ, जो दूसरे बच्चे कर सकते हैं | पर मैं भी दूसरे बच्चों से अलग हूँ | इसी तरह तुम भी अलग हो | सुनीता अमीत की बात मानने से इनकार कर दी | अमित ने उसे दुबारा समझाया कि हम दोनों ही बाकी लोगों से कुछ अलग हैं | तुम पहिया कुर्सी पर बैठकर चलती हो और मेरा कद छोटा है | 

सुनीता कुछ सोचने लगी | उसने अपनी पहिया कुर्सी आगे की ओर खिसकाई | अमीत भी उसके साथ-साथ चलने लगा | इस बार भी लोगों ने उन्हें घूरा, परन्तु अब सुनीता को उनकी कोई परवाह नहीं थी...|| 


सुनीता की पहिया कहानी का उद्देश्य 

सुनीता की पहिया कहानी ने अनुसार कभी किसी की अपंगता का उपहास नहीं करना चाहिए | हर व्यक्ति अपने आप में हर काम करने के लिए सक्षम है |हमें सुनीता और अमीत जैसे बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए | 

सुनीता की पहिया कुर्सी के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 सुनीता को सब लोग गौर से क्यों देख रहे थे ? 

उत्तर- सुनीता एक विकलांग लड़की थी | अपने पैरों के बल पर चल पाने में सक्षम नहीं थी | जिसके कारण वह पहिया-कुर्सी पर बैठकर अकेले सड़क पर जा रही थी | इसलिए सुनीता को सबलोग गौर से देख रहे थे | 

प्रश्न-2 सुनीता को दुकानदार का व्यवहार क्यों बुरा लगा ? 

उत्तर- सुनीता को पहिया-कुर्सी में बैठा देखकर, दुकानदार चीनी की थैली सुनीता की गोद में जाकर रख दिया था | उसे लगा कि सुनीता शारीरिक रूप से कोई काम करने में सक्षम नहीं है | इसलिए सुनीता को दुकानदार का व्यवहार बुरा लगा | 

प्रश्न-3 तुम्हारे विचार से सुनीता को सड़क देखना अच्छा क्यों लगता होगा ? 

उत्तर- सुनीता अपने पैरों के बल पर चलने में सक्षम नहीं थी | फलस्वरूप, वह घर से बाहर भी जल्दी नहीं निकल पाती थी | उसे भी दूसरे बच्चों की तरह जीना पसंद था | बाहरी वातावरण का हिस्सा बनना उसे बहुत भाता था | इसलिए सुनीता को सड़क देखना अच्छा लगता होगा | 

प्रश्न-4 फ़रीदा की माँ ने कहा, “इस तरह के सवाल नहीं पूछने चाहिए |” फ़रीदा पहिया कुर्सी के बारे में जानना चाहती थी पर उसकी माँ ने उसे रोक दिया | 
• माँ ने फ़रीदा को क्यों रोक दिया होगा ?
• क्या फ़रीदा को पहिया कुर्सी के बारे में नहीं पूछना चाहिए था ? तुम्हें क्या लगता है ? 

उत्तर- • सुनीता एक अपंग लड़की थी | फ़रीदा की माँ  सोची होगी कि किसी अपंग व्यक्ति से ऐसा सवाल नहीं करना चाहिए | हो सकता है कि उसके दिल को ठेस पहुँचे | इसलिए माँ ने फ़रीदा को रोक दिया होगा | 

• जिज्ञासा किसी के अंदर भी हो सकती है | फ़रीदा तो फिर भी एक छोटी सी बच्ची थी|उसे क्या पता था कि ऐसे सवाल पूछना चाहिए या नहीं | वह तो बस पहिया-कुर्सी के बारे में जानना चाहती थी|अत: उसका पूछना सही था | 

प्रश्न-5 यदि सुनीता तुम्हारी पाठशाला में आए तो उसे किन-किन कामों में परेशानी आएगी ? 

उत्तर- सुनीता को पाठशाला में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है | जैसे सीढ़ियों से उतरने-चढ़ने में, दूसरे बच्चों के साथ खेलने-कूदने में, कक्षा में सबके साथ बैठकर पढ़ने में आदि | 

प्रश्न-6 कहानी के अनुसार अमित को सब क्या बोलकर चिढ़ाते थे ? 

उत्तर- कहानी के अनुसार अमित को सब "छोटू" बोलकर चिढ़ाते थे | 


सुनीता की पहिया का शब्दार्थ 


• चीज़ -            वस्तु, सामान 
• मुश्किल -        कठिन 
• परवाह -         ख्याल, ध्यान 
• सहारा -          मदद, सहायता 
• फुर्ती -            तेजी 
• रोज़ाना -         रोज, प्रतिदिन, हरदिन 
• टुकुर-टुकुर -     एकटक 
• अजीबोगरीब -  विचित्र | 

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