Dost Ki Poshak दोस्त की पोशाक

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Dost Ki Poshak दोस्त की पोशाक


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दोस्त की पोशाक कहानी का सारांश

दोस्त की पोशाक पाठ या कहानी में दो दोस्तों का रोचक चित्रण किया गया है | इस कहानी के अनुसार, एक बार नसीरुद्दीन अपने पुराने दोस्त जमाल साहब से मिलकर बहुत खुश हुए | कुछ देर गपशप करने के बाद उन्होंने कहा --- " चलो दोस्त, मोहल्ले में घूम आएँ |" 

जमाल साहब ने जाने से मना कर दिया और कहा --- " अपनी इस मामूली सी पोशाक में मैं लोगों से नहीं मिल सकता |" 

दोस्त की पोशाक
दोस्त की पोशाक
जमाल साहब की बात सुनकर नसीरुद्दीन उनके लिए एक भड़कीली अचकन निकाल कर लाए और कहा --- " इसे पहन लो | इसमें तुम खूब अच्छे लगोगे | सब देखते रह जाएँगे |" 

तैयार होकर दोनों घूमने निकले | दोस्त को लेकर नसीरुद्दीन पड़ोसी के घर गए | नसीरुद्दीन ने पड़ोसी से कहा --- " ये हैं मेरे खास दोस्त, जमाल साहब | आज कई सालों बाद इनसे मुलाकात हुई है | वैसे जो अचकन इन्होंने पहन रखी है, वह मेरी है |" यह सुनकर जमाल साहब लज्जित हो गए | बाहर निकलते ही उन्होंने नसीरुद्दीन से कहा --- " तुम्हारी कैसी अकल है ! क्या यह बताना जरूरी था कि यह अचकन तुम्हारी है ? तुम्हारा पड़ोसी सोच रहा होगा कि मेरे पास अपने कपड़े हैं ही नहीं |" तभी नसीरुद्दीन ने माफी मांगते हुए कहा --- " गलती हो गई | अब ऐसा नहीं कहूँगा |" 

अब नसीरुद्दीन अपने दोस्त को हुसैन साहब से मिलवाने ले गए | हुसैन साहब ने गर्मजोशी से उनका स्वागत-सत्कार किया | जमाल साहब के बारे में नसीरुद्दीन ने कहा --- " जमाल साहब मेरे पुराने दोस्त हैं और इन्होंने जो अचकन पहनी है, वह इनकी अपनी ही है |" इतने में जमाल साहब फिर नाराज हो गए | बाहर आकर बोले --- " झूठ बोलने को किसने कहा था तुमसे ?"  तत्पश्चात्, जमाल साहब ने नसीरुद्दीन को समझाते हुए पोशाक के बारे में कुछ नहीं कहने को कहा | 

नसीरुद्दीन जमाल साहब को लेकर आगे बढ़े और एक अन्य पड़ोसी से उनका परिचय करवाया --- " मैं आपका परिचय अपने पुराने दोस्त से करवा दूँ | ये हैं जमाल साहब और इन्होंने जो अचकन पहनी है, उसके बारे में मैं चुप ही रहूँ तो अच्छा है |" 


दोस्त की पोशाक कहानी का उद्देश्य 

दोस्त की पोशाक कहानी का उद्देश्य यह है कि जब आप किसी की सहायता करें तो उसके बारे में किसी को न बताएँ | फिर सहायता करने का क्या मतलब होगा | वो कहते हैं न कि --- " नेकी कर दरिया में डाल |" 


दोस्त की पोशाक के प्रश्न उत्तर 


प्रश्न-1 तीसरे मकान से बाहर निकलकर जमाल साहब ने नसीरुद्दीन से क्या कहा होगा ? 

उत्तर- तीसरे मकान से बाहर निकलकर जमाल साहब ने नसीरुद्दीन से कहा होगा कि अब मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना है | तत्पश्चात्, वापस आकर नसीरुद्दीन का अचकन लौटा दिया होगा | 

प्रश्न-2 जमाल साहब अपने मामूली से कपड़ों में घूमने क्यों नहीं जाना चाहते होंगे ? 

उत्तर- हो सकता है कि नसीरुद्दीन के पास बढ़िया और कीमती कपड़ा होगा | जबकि जमाल साहब के पास मामूली कपड़े थे | परिणाम स्वरूप, जमाल साहब नसीरुद्दीन के साथ घूमने जाने में शर्मिंदगी महसूस करते होंगे | 

प्रश्न-3 नसीरुद्दीन किससे मिलकर बहुत खुश हुए थे ? 

उत्तर- नसीरुद्दीन अपने बहुत पुराने दोस्त जमाल साहब से मिलकर बहुत खुश हुए थे | 

प्रश्न-4 नसीरुद्दीन अपने दोस्त जमाल साहब को लेकर कितने पड़ोसियों से मिले थे ? 

उत्तर- नसीरुद्दीन अपने दोस्त जमाल साहब को लेकर तीन पड़ोसियों से मिले थे | 

प्रश्न-5 नसीरुद्दीन और जमाल साहब का स्वागत-सत्कार किसने गर्मजोशी से किया था ? 

उत्तर- हुसैन साहब ने नसीरुद्दीन और जमाल साहब का स्वागत-सत्कार गर्मजोशी से किया था | 


प्रश्न-6 इन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करो | 

उत्तर- शब्दों का वाक्यों में प्रयोग निम्नलिखित है - 

• घड़ा - यह मिट्टी का घड़ा है | 
• गढ़ा - भारत ने हरित क्रांति लाकर स्वर्णिम इतिहास गढ़ा है | 
• घूम - मोहन दिल्ली भी घूम लिया है | 
• झूम - वे लोग मस्ती में झूम रहे थे | 
• राज - यहाँ बादशाह अकबर का राज चलता था | 
• राज़ - उसके घर का राज़ कोई नहीं जानता है | 
• फ़न - वह अनेक फ़न का मालिक है | 
• फन - जहरीले सांप का फन कुचल दिया गया | 
• सजा - पूरा घर सजा दिया गया है | 
• सज़ा - अपराधी को सज़ा अवश्य मिलना चाहिए | 
• खोल - उसने दरवाजा खोल दिया है | 
• खौल - पानी खौल गया है | 


दोस्त की पोशाक शब्दार्थ 

• पोशाक -       पहनने का कपड़ा, परिधान 
• गपशप -        बातचीत, वार्तालाप 
• बनठन कर -   सजधज कर
• मुलाकात -     भेंट करना 
• गर्मजोशी -     उत्साह, गहरे प्रेम का भाव 
• मामूली -        साधारण | 


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