फसलों के त्योहार faslo ka tyohar NCERT Solutions Class 5

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फसलों के त्योहार faslo ka tyohar NCERT Solutions Class 5


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फसलों के त्योहार पाठ का सारांश faslo ka tyohar class 5 summary    

फसलों के त्योहार लेख के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में मनाए जाने वाले ऐसे त्योहार, जो फ़सलों से सम्बन्धित है, उनके बारे में चर्चा की गई है | फसलों से संबंधित त्योहारों का अपना ही महत्व होता है | सबके मनाने का तरीका भी भिन्न होता है | देश की अलग-अलग संस्कृति व वेशभूषा से जुड़े लोगों की गीतों के स्वर भी इस त्योहार को मनाने में अहम भूमिका निभाते हैं | 

फसलों के त्योहार लेख के अनुसार, जाड़ा का मौसम है | दस दिनों से सूरज नहीं उगा है | लोग सूरज के इंतजार में हैं | रजाई से निकलने की हिम्मत नहीं हो रही |  लेकिन खिचड़ी (मकर संक्रांति) का त्योहार आ गया है | लेकिन फिर भी
फसलों के त्योहार
फसलों के त्योहार
जाड़ा के बावजूद सभी नहा-धोकर एक कमरे में इकट्ठा हो गए हैं |  दादा, चाचा और पापा ने सफेद चकाचक माँड़ लगी धोती और कुर्ता पहन लिए हैं | मचिया पर खादी की सफेद साड़ी पहने हुए दादी बैठी हैं | उनके बाल धुलने के बाद सफेद सेमल की रुई जैसे हो गए हैं | उनके सामने केले के कुछ पत्ते कतार में रखे हैं, जिसपर तिल, मिट्ठा (गुड़), चावल आदि रखे हुए हैं | दादी ने सबसे इन चीजों को बारी-बारी से छूने और प्रणाम करने के लिए कहा है | बाद में इन्हें दान दे दिया गया | खिचड़ी के दिन चूड़ा-दही और खिचड़ी खाने का रिवाज़ है | किन्तु अप्पी दिदिया को दोनों में से कोई चीज पसंद नहीं है | फिर भी उन्हें दोनों चीजें खानी होंगी क्योंकि आज खिचड़ी का त्योहार है | इस दिन तिल, गुड़ और चीनी के तिलकुट भी खाए जाते हैं जो बड़े स्वादिष्ट लगते हैं | 

लेख के अनुसार, जनवरी माह के मध्य में भारत के लगभग सभी प्रांतों में फसलों से जुड़ा कोई-न-कोई त्योहार मनाया जाता है | सभी प्रांतों का त्योहार मनाने का अपना-अपना ढंग नज़र आता है | इस दिन सब लोग फसल की अच्छी पैदावार की उम्मीद और फसलों के घर में आने की खुशी का इज़हार करते हैं |उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश राज्यों में फसलों के त्योहार को मकर संक्रांति या तिल संक्रांति के रूप में मनाया जाता है | 

असम में बीहू, केरल में ओणम, तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी, झारखंड में सरहुल, गुजरात में पतंग का पर्व के रूप में मनाया जाता है |आमतौर पर इन्हें जनवरी मध्य से अप्रैल मध्य तक अलग-अलग समय में मनाया जाता है | 

लेख के मुताबिक, झारखंड में 'सरहुल' काफी धूमधाम से मनाया जाता है | अलग-अलग जनजातियाँ इसे अलग-अलग समय में मनाती हैं | संथाल लोग फरवरी-मार्च में और ओरांव लोग इसे मार्च-अप्रैल में मनाते हैं | आदिवासी आमतौर पर प्रकृति की पूजा करते हैं | इस दिन ‘साल वृक्ष' की पूजा की जाती है | इसी समय से मौसम बहुत खुशनुमा हो जाता है और वसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है | स्त्री-पुरूष दोनों ही ढोल-मंजीरे लेकर रातभर नाचते-गाते हैं | धान की भी पूजा होती है | पूजा किया हुआ आशीर्वादी धान अगली फसल में बोया जाता है | 

लेख के अनुसार, तमिलनाडु में फसलों से जुड़ा त्योहार ‘पोंगल’ है | इसदिन खरीफ़ की फसलें चावल, अरहर, मसूर आदि कटकर घरों में पहुँचती हैं और लोग नए धान कूटकर चावल निकालते हैं |  हर घर में मिट्टी का नया मटका लाया जाता है |  इसमें नए चावल, दूध और गुड़ डालकर उसे पकने के लिए धूप में रख देते हैं | जैसे ही दूध में उफान आता है और दूध-चावल मटके से बाहर गिरने लगता है तो --- 

“पोंगला-पोंगल, पोंगला-पोंगल” (खिचड़ी में उफान आ गया) के स्वर सुनाई देने लगते हैं | 

लेख के अनुसार, गुजरात में पतंगों के बिना तो मकर-संक्रांति का जश्न अधुरा ही माना जाता है | इस दिन प्रत्येक गुजराती चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या आयु का हो, पतंग उड़ाता है | हजारों-लाखों पतंगों से सूर्य भी ढक सा जाता है | 

लेख के अनुसार, कुमाऊँ (उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख मंडल या भाग) में मकर संक्रांति को 'घुघुतिया' के नाम से भी जाना जाता है | इस दिन आटे और गुड़ को गूंथकर पकवान बनाया जाता है |इस दिन बहुत ठंड के कारण पक्षी भी पहाडों से चले आते हैं | बच्चे पक्षियों को पकवान खिलाते हुए निम्नलिखित गीत गाते हैं ---- 

" कौआ आओ 
  घुघूत आओ 
  ले कौआ बड़ौ 
  म कै दे जा सोने का घड़ौ 
  खा लै पूरी 
  म कै दे जा सोने की छुरी |"

इसके साथ ही जिस चीज़ की कामना हो, वह मांगते हैं...|| 

फसलों के त्योहार के शब्दार्थ


• बोरसी -           अँगीठी, (जिस पर रखी आग को तापने हेतु या शरीर की गरमाहट के लिए उपयोग करते हैं |)
• अंदाज़ा -          अनुमान 
• देह -                शरीर, बदन, काया 
• मचिया -           छोटी खटिया 
• फ़रमाइशी -     आर्डर या आज्ञा या आदेश किया हुआ 
• प्रांत -             राज्य या देश का एक भूखण्ड 
• इज़हार -         प्रकट करना 
• जोशो-खरोश - अत्यधिक उत्साह 
• करीने से -      तरतीब से, क्रम से, तरीके़ से 
• प्रथा -             रिवाज़, रीति 
• सैलाब -          बाढ़ 
• हैरानी -          परेशानी 



फसलों के त्योहार क्वेश्चन आंसर faslo ka tyohar class 5 questions and answers 

प्रश्न-1 “खिचड़ी में अइसन जाड़ा हम पहिले कब्बो न देखनी |” यहाँ तुम ‘खिचड़ी’ से क्या मतलब निकाल रही हो ?

उत्तर- “खिचड़ी में अइसन जाड़ा हम पहिले कब्बो न देखनी |” --- इस वाक्य में ‘खिचड़ी’ का मतलब 'मकर-संक्रांति' के त्योहार से है | 

प्रश्न-2 बाहर देखने से समय का अंदाज़ा क्यों नहीं हो पा रहा था ? जिनके पास घड़ी नहीं होती वे समय का अनुमान किस तरह से लगाते हैं ?

उत्तर-  प्रस्तुत पाठ या लेख के अनुसार सूर्य पिछले दस दिनों से नहीं निकला था | इसलिए समय का अंदाज़ा नहीं हो पा रहा था | जिनके पास घड़ी नहीं होती, वे समय का अनुमान सूर्य की स्थिति और दिशा को देखकर लगाते हैं | 

प्रश्न-3 फसल के त्योहार पर ‘तिल‘ का बहुत महत्व होता है | तिल का किन-किन रूपों में इस्तेमाल किया जाता है ? पता करो | 

उत्तर- फसल के त्योहार पर ‘तिल’ का बहुत महत्व होता है | ऐसा माना जाता है कि इसमें औषधीय गुण भी होते हैं | इससे तिलकुट भी बनाया जाता है, जो मकर संक्रांति के त्योहार का खास व्यंजन होता है | 
     
तिल एक तिलहन हैं | इससे तेल भी निकाला जाता है | इसका प्रयोग बीज तथा तेल दोनों रूपों में होता है | इसका दवाई के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है | 

प्रश्न-4 ‘गया’ शहर तिलकुट के लिए भी प्रसिद्ध है | हमारे देश में छोटी-बड़ी ऐसी कई जगह हैं जो अपने खास पकवान के लिए मशहूर हैं | अपने परिवार के लोगों से पता करके उनके बारे में बताओ | 

उत्तर- हमारे देश में ऐसे कई शहर हैं, जो अपने खास पकवान के लिए मशहूर हैं | उनमें कुछ प्रमुख हैं --- कलकत्ता का रसगुल्ला, मुम्बई का वड़ा पाव, आगरा का पेठा, राजस्थान का घेवर, हैदराबाद की बिरियानी, मथुरा के पेड़े इत्यादि प्रसिद्ध हैं | 


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