रामरतन ने लॉकडाउन में लोगों की भूख मिटाने का हर संभव किया प्रयास गया / 12 जून: (फ़ौजिया रहमान खान) वैश्विक महामारी कोरोना काल में संक्रमण को रोकने के लिए दुनिया भर में लॉकडाउन किया गया। देश एवं राज्य में भी लोगों ने लॉकडाउन का पालन किया। लेकिन लॉकडाउन के कारण लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा।
रामरतन ने लॉकडाउन में लोगों की भूख मिटाने का हर संभव किया प्रयास
गया / 12 जून: (फ़ौजिया रहमान खान) वैश्विक महामारी कोरोना काल में संक्रमण को रोकने के लिए दुनिया भर में लॉकडाउन किया गया। देश एवं राज्य में भी लोगों ने लॉकडाउन का पालन किया। लेकिन लॉकडाउन के कारण लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। इस दौरान लोगों ने सरकारी स्तर पर असहाय लोगों को मदद पहुंचायी तो, वहीं बहुत से लोगों ने अपनी निजी संपत्ति से जरूरमंद लोगों की मदद की। उस वक्त कुछ ऐसे लोग भी सामने आये जिन्होंने सरकारी और निजी स्तर पर भी लोगों की भूख मिटाने का हर संभव प्रयास किया। राज्य में ऐसे लोगों की एक लंबी फेहरिस्त है।
इस लिस्ट में जिला के गुरुआ प्रखंड के बरमा पंचायत में आने वाले बिरहमा गांव के राशन डीलर रामरतन यादव
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रामरतन यादव |
समय पर सरकार ने शत प्रतिशत लोगों तक पहुंचाया राशन: रामरतन यादव ने बताया कि 1990 से वह पीडीएस का काम कर रहे हैं। पहले पीडीएस डीलरों को प्रखंड पर जा कर राशन लाना पड़ता था तब बहुत परेशानी होती थी। मगर अब सरकार द्वारा राशन घर तक हर महीने की 20 तारीख तक पहुंचा दिया जाता है जिसे हम लोग 20 से ही अगले महीने की दस तारीख तक बांटते हैं। इसमें पॉस मशीन द्वारा पारदर्शिता के साथ सारा काम किया जाता है। यह मशीन 20 तारीख को ऑन हो कर अगले महीने की 10 तारीख तक काम करती है। इस बीच हम लोगों के घर-घर जाकर उनको राशन लेने के लिए आमंत्रित करते हैं। पंचायत के 3 गांव बिरहमा, जय बिघा और समसपुर हमारे पास हैं। इन में कुल 1667 यूनिट के तहत 1667 लोगों में राशन का वितरण होता है।
लॉकडाउन में लोगों की थी सहायता: बिरहमा गाँव की बबीता देवी ने बताया कि उसके पति लुधियाना में नौकरी करते हैं। लॉकडाउन के कारण वह घर नहीं आ पाये, उनका काम भी बंद हो गया। वे लोग बहुत परेशान थे कि पांच बच्चों को क्या खिलाएं। लेकिन डीलर की सहायता से उन्हें जरुरी अनाज मिलता रहा। इस महामारी में यदि डीलर का सहयोग नहीं होता तो भुखमरी की नौबत आ सकती थी।जयबिघा के 70 वर्षीय मंडल रिकयासन ने कि बताया बच्चों का राशन कार्ड में नाम है। लेकिन उनका नाम नहीं है। फिर भी डीलर उन्हें हर महीने अनाज देते हैं।
रामरतन यादव ने कहा कि क्षेत्र के कुछ लोग बड़ी उम्मीद से उनके पास आये और अपनी परेशानी बताई। यद्यपि वह उनको सरकारी राशन से कुछ नहीं दे सकते थे। क्योंकि उनके पास राशन कार्ड नहीं थे। मशीन उन्हें देने की इजाजत भी नहीं देती, क्योंकि एक-एक व्यक्ति की उसमें एंट्री होती है। उन्होंने बतया कि ऐसे में ज़रूरत मंद लोगों को उन्होंने अपने पास से अनाज देकर उनकी मदद की। यह दौर मुश्किलों भरा है। ऐसे में जरूरतमंदों की सहायता करना नैतिक जिम्मेदारी भी है एवं मानवता भी।
रामरतनजी को साधुवाद
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