कोविड काल में प्रकाशक और किताबें

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कोविड काल में प्रकाशक और किताबें - दिल्ली के कई कोविड केयर सेंटरों में सुप्रसिद्ध और पाठकप्रिय लेखकों की किताबें भी निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। - सुरक्षा एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूरी है। इस महत्वपूर्ण बिन्दु पर विचार करते हुए प्रकाशन ने अपने दफ्तर में सेंसरयुक्त हैंड सैनिटाइजर डिस्पेंसर ‘निलजर्म’ लगाया है। - राजकमल प्रकाशन समूह ने सूती कपड़े का घर में सिला मास्क तैयार कराया है। जिसे किताब लेने आने वाले प्रत्येक पाठक को दिया जा रहा है। यह मास्क बार-बार धोकर उपयोग में लाया जा सकता है। - राजकमल प्रकाशन समूह ने लॉकडाउन 4.0 में मिली थोड़ी छूट के बाद 6 मई को किताबों की होम डिलिवरी शुरू कर दी थी

कोविड काल में प्रकाशक और किताबें 


-   दिल्ली के कई कोविड केयर सेंटरों में सुप्रसिद्ध और पाठकप्रिय लेखकों की किताबें भी निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है।

- सुरक्षा एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूरी है। इस महत्वपूर्ण बिन्दु पर विचार करते हुए प्रकाशन ने अपने दफ्तर में सेंसरयुक्त हैंड सैनिटाइजर डिस्पेंसर ‘निलजर्म’ लगाया है। 

-  राजकमल प्रकाशन समूह ने सूती कपड़े का घर में सिला मास्क तैयार कराया है। जिसे किताब लेने आने वाले प्रत्येक पाठक को दिया जा रहा है। यह मास्क बार-बार धोकर उपयोग में लाया जा सकता है।

-  राजकमल प्रकाशन समूह ने लॉकडाउन 4.0 में मिली थोड़ी छूट के बाद 6 मई को किताबों की होम डिलिवरी शुरू कर दी थी  


2020 की शुरूआत में किसी को नहीं पता था कि आगे आने वाला समय अपने साथ क्या लेकर आएगा। किसी ने भी यह अनुमान नहीं लगाया होगा कि कोविड 19 बीमारी एक ही समय में पूरी मानव जाति के वर्तमान को उलट-पुलट कर रख देगी। ऐसे में हम जो भी कर रहे हैं वो हमारे समय के इतिहास में हमारे प्रयासों के रूप में दर्ज़ हो रहा है।

कोविड काल में प्रकाशक और किताबें
कोविड काल में प्रकाशक और किताबें
भारत में बीमारी अपने डैने तेजी से फैला रही है। लेकिन उतनी ही सफलता से लोगों के बीच इसके प्रति जागरूकता फैल रही है और हमारे ‘न्यू नॉर्मल’ में अपनी सुरक्षा के उपायों को लेकर सावधानियां बढ़ रही हैं। लॉकडाउन में किताबों ने सबसे अहम भूमिका अदा की है। पाठकों, लेखकों और साहित्य प्रेमियों के लिए अपने इस सदाबहार दोस्त के पास लौटने का समय लौटा, तो वहीं किताबें फैलते अंधेरे और टूटती हिम्मत को थामे रखने का जरिया भी बन रही हैं।  

किताबें लोगों तक पहुंच सकें इसके लिए प्रकाशकों की मेहनत को कम नहीं आंका जा सकता। राजकमल प्रकाशन समूह ने लॉकडाउन 4.0 में मिली थोड़ी छूट के बाद 6 मई को किताबों की होम डिलिवरी शुरू कर दी थी। साथ ही समूह के दरियागंज दफ्तर से भी किताबों की बिक्री आरंभ कर दी गई थी।

किताबों तक पहुंचना सुलभ होने के साथ ही सुरक्षा एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी बहुत जरूरी है। इस महत्वपूर्ण बिन्दु पर विचार करते हुए प्रकाशन ने अपने दफ्तर में हैंड सैनिटाइजर डिस्पेंसर ‘निलजर्म’ लगाया है। यह डिस्पेंसर राजस्थान सरकार द्वारा प्रमाणित ओटेमेटिक सेंसरयुक्त है। इससे बिना छुए हाथों को सैनिटाइज किया जा सकता है। यह पाठकों एवं दफ्तर के कर्मचारियों के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक है।

इस समय सभी के लिए मास्क जीवन की अहम जरूरतों में शामिल है। इसे ध्यान में रखते हुए राजकमल प्रकाशन समूह ने सूती कपड़े का घर में सिला मास्क तैयार कराया है। जिसे किताब लेने आने वाले प्रत्येक पाठक को दिया जा रहा है। यह मास्क बार-बार धोकर उपयोग में लाया जा सकता है। यह सुविधा दिल्ली के साथ-साथ समूह के अन्य शाखा कार्यालयों में उपलब्ध है। ऑनलाइन किताबें मंगवाने वाले सभी पाठकों को भी यह मास्क प्रत्येक पार्सल के साथ भेजा जाना शुरू कर दिया गया है।

इसी सार्थक पहल के अंतर्गत राजकमल प्रकाशन द्वारा दिल्ली के कई कोविड केयर सेंटरों में सुप्रसिद्ध और पाठकप्रिय लेखकों की किताबें भी निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। कविता, कहानी, उपन्यास के अलावा प्रेरक एवं जीवनोपयोगी किताबें घर से दूर क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों के लिए मानसिक खुराक का काम करती हैं। हमारी कोशिश है कि वे शरीर के साथ-साथ मन से भी स्वस्थ रहें। उन्हें अकेलापन महसूस न हो। नए विचारों के साथ वे अच्छा महसूस करें।

तालाबंदी के पूरे समय में वाट्सएप्प बुक पाठ-पुन: पाठ पुस्तिका, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम लाइव, किताबों की ई बुक में उपलब्धता एवं उनकी जानकारी तथा किताबों से अंश साझा करते रहने के  प्रयास राजकमल प्रकाशन समूह की ओर से जारी हैं। यह समय साथ मिलकर रहने का है। सोशल डिस्टेंसिंग जितनी जरूरी है उतना ही इस विश्वास को जगाना कि हम सभी साथ हैं। राजकमल प्रकाशन समूह की पूरी टीम इस काम में निरंतर सक्रिय भूमिका निभा रही है।  


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