सीमा रेखा एकांकी seema rekha ekanki सीमा रेखा विष्णु प्रभाकर सीमा रेखा एकांकी की कथावस्तु सारांश summary in hindi सीमा रेखा एकांकी के पात्र सीमा रेखा एकांकी का सन्देश/seemarekha ekanki ka saransh उद्देश्य जनतंत्र में जनता और सरकार के बीच कोई विभाजक रेखा नहीं होती विष्णु प्रभाकर के द्वारा यही प्रस्तुत किया गया है .
सीमा रेखा एकांकी
Seema Rekha Ekanki
सीमा रेखा एकांकी seema rekha ekanki सीमा रेखा विष्णु प्रभाकर का एक राष्ट्रीय चेतना प्रधान एकांकी है .आज भारत में जनतंत्र के वास्तविक स्वरुप में जो विसंगतियां उभर आई हैं ,उनसे राष्ट्रीय हित की निरंतर हत्या हो रही है .राष्ट्रीय चेतना के भाव में दिन प्रतिदिन के आन्दोलनों में राष्ट्रीय संपत्ति की हानि चिंता का विषय बन गयी हैं .एकांकीकार ने इस एकांकी में इस समस्या को उठाया है .इसे चार भाइयों के रूप में स्वतंत्र भारत के चार वर्ग प्रतिनिधियों और उनके द्वन्द संघर्ष को प्रस्तुत किया गया है और घटनाओं के घात प्रतिघात से इस सत्य को प्रस्तुत किया गया है कि जनतंत्र में सरकार और जनता के बीच कोई विभाजक रेखा नहीं होती .
सीमा रेखा एकांकी की कथावस्तु सारांश summary in hindi-
एकांकी की कथावस्तु का संगठन एक ही परिवार के चार भाइयों के स्वार्थ संघर्षों के ताने बाने से किया गया .ये चारों भाई भिन्न भिन्न व्यवसाय में लगे हुए हैं .लक्ष्मीचंद व्यापारी है ,शरतचंद्र उपमंत्री है ,सुभाष चन्द्र जननेता हैं और विजय पुलिस कप्तान है .अरविन्द दश वर्ष का बच्चा है जो बड़े भाई व्यापारी लक्ष्मीचंद का पुत्र है . एक दिन बैंक के पास उग्र आन्दोलनकारियों की भीड़ बेकाबू हो जाती है और पुलिस को गोली चलानी पड़ती है .लक्ष्मीचंद का पुत्र अरविन्द उसमें मारा जाता है .लक्ष्मीचंद और उनकी पत्नी अन्नपूर्णा इसे विजय की क्रूरता कहते हैं .पुनः भीड़ अनियंत्रित होकर आगे बढ़ती है .विजय और सुभाष भीड़ के सामने खड़े होकर उन्हें रोकने का प्रयास करते हैं .सहसा भीड़ अनियंत्रित होकर आगे बढती है .विजय गोली चलाने से इनकार करते हैं .असामाजिक तत्वों की भीड़ हमला करती है जिसमें विजय और सुभाष कुचल कर मर जाते हैं .
सीमा रेखा एकांकी के पात्र -
इस एकांकी में चारों भाइयों के भिन्न भिन्न स्वार्थ और उन स्वार्थों के कारण उत्पन्न भिन्न दृष्टिकोण का बड़ा सुन्दर चित्र प्रस्तुत किया गया है .उन चारों के कर्तव्य भी भिन्न और एक दुसरे के स्वार्थ के प्रतिकूल लगते हैं .फलत : एक व्यापक और विराट संघर्ष उत्पन्न होता है जिसमें अरविन्द ,विजय और सुभाष की मृत्यु हो जाती है .इस प्रकार एक ही घर के तीन व्यक्तियों की मृत्यु परिवार की बड़ी भारी क्षति करती है .सविता इसे घर की नहीं सारे देश की क्षति बताकर स्पष्ट कर देती है कि जनतंत्र में जनता और सरकार के बीच कोई विभाजन रेखा नहीं होती है .
इस एकांकी की कथावस्तु बड़ी सजीव ,विचारोत्तेजक ,गतिशील ,घटनामायी और मर्मस्पर्शी है .सम्पूर्ण कथानक उपमंत्री शरतचंद्र के कमरे में कुछ मिनटों में घटित हुआ है .शिल्प की दृष्टि से यह रेडिओ रूपक है किन्तु इसका अभिनय भी सफलतापूर्वक हो सकता है .इस एकांकी के सभी पात्र अपने अपने वर्ग के प्रतिनिधि हैं .अतः सबके स्वार्थ ,दृष्टिकोण और कर्त्तव्य भी अलग अलग हैं .उनमें समन्वय न होना ही जनतंत्र की विडम्बना है और इसी से विराट संघर्ष उत्पन्न होता है जिसमें तीन व्यक्तियों की हत्या हो जाती है .
सीमा रेखा एकांकी का सन्देश/उद्देश्य -
वस्तुतः राष्ट्र चेतना के चिंतन पक्ष का उद्घाटन एक नयी सवेंदना के साथ एक एकांकी में हुआ है .इसमें सविता का चरित्र स्वस्थ जनतंत्र का स्वरुप प्रस्तुत करता है .इस एकांकी का प्रतिपाद्य विषय है ,जनतंत्र में जनता और सरकार के बीच कोई विभाजक रेखा नहीं होती .सविता के द्वारा यही प्रस्तुत किया गया है .आज देश में बढ़ते हुए ऐसे स्वार्थपूर्ण आन्दोलनों को इससे स्वस्थ सम दृष्टि मिल सकती है .
विडियो के रूप में देखें -
Seema Rekha
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