अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya 2019 अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya 2019 अक्षय तृतीया वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं। हिन्दू ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है।
अक्षय तृतीया
Akshaya Tritiya 2019
अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya 2019 अक्षय तृतीया वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं। हिन्दू ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है।इस दिन होम ,जप ,तप, दान ,स्नान आदि के प्राप्त होने वाले पुण्य अक्षय रहते हैं .इसी कारण इस तिथि का नाम अक्षय तृतीया है .आज के दिन भगवान् परशुराम का जन्म हुआ था .अतः इसे परशुराम तीज भी कहते हैं .इस दिन गंगा स्नान का भारी महामात्य है .जो मनुष्य इस दिन गंगा में स्नान करता है ,वह निश्चय ही सारे पापों से मुक्त हो जाता है .इस दिन प्रातः काल घडी ,पंखा ,चावल, दाल ,नमक ,घी ,चीनी ,साग ,इमली ,फल ,वस्त्र और दक्षिणा ब्राह्मणों को देनी चाहिए .
अक्षय तृतीया की पूजन विधि -
इसी दिन श्री बद्रीनाथ के पट खुलते हैं .जिन लोगों ने अपने घरों में ठाकुरद्वारा बना रखा है ,वह ठाकुरद्वारे में और जिहोने पूजा स्थल नहीं बना रखा है ,वे श्री बद्रीनाथ जी का चित्र सिंहासन पर रखकर मिश्री और भीगी हुई चने की दाल का भोग लगाकर भगवान् बद्रीनाथ की पूजा करते हैं .अक्षय तृतीया के सम्बन्ध में नीचे लिखी कथा प्रचलित है .
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त 2019 -
अक्षय तृतीया इस वर्ष २०१९ में ७ मई को पड़ रही है .अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त 7 मई - सुबह 06:26 से रात 11:47 तक है .
अक्षय तृतीया की व्रत कथा -
एक बार महाराज युधिष्ठिर ने श्री श्रीकृष्ण से पूछा - हे भगवान् ! कृपा करके अक्षय तृतीया का महामात्य वर्णन करें .इसे सुनने की मेरी बड़ी इच्छा है .
भगवान् श्री कृष्ण बोले - हे राजन ! सुनों . यह परम पुण्यमयी तिथि है .इस दिन दोपहर से पहले स्नान ,जप ,तप ,होम ,स्वाध्याय ,पितृतर्पण और दानादि करने वाला अक्षय पुण्य फल का भागी होता है .इसी दिन से सत्ययुग का भी आरम्भ होता है .इसीलिए यह युगादि तृतीया के नाम से भी प्रसिद्ध है .
प्राचीनकाल में एक बहुत निर्धन ,सदाचारी और देवताओं तथा ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला वैश्य था .उसका परिवार बहुत बड़ा था ,जिसके कारण वह हमेशा व्याकुल रहता था .उसने किसी से वैशाख शुक्ल तृतीया के महामात्य के बारे में सुना कि इसी दिन किये हुए दान ,जप ,हवन आदि से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है .उसने अक्षय तृतीया के दिन प्रातः काल गंगा जी के पावन जल में स्नान करके विधिपूर्वक देवताओं और पितरों का पूजन किया .फिर उसने गोले के लड्डू ,पंखा ,जल से भरे घड़े ,जौ,गेहूँ,नमक सत्तू ,दही ,चावल ,गुड ,स्वर्ण ,वस्त्र ,आदि अनेक वस्तुओं का भक्तिपूर्वक दान दिया .स्त्री के बारम्बार रोकने तथा परिवार वालों से चिंतित और बुढ़ापे के कारण अनेक रोगों से पीड़ित होने पर भी वह अपने धर्म कर्म से कभी विमुख नहीं हुआ .इसी कारण समय पाकर उस वैश्य का जन्म कुशावती नगरी में एक क्षत्रिय के घर में हुआ .वह अक्षय तृतीया के प्रभाव से बहुत धनवान और प्रतापी हुआ .वैभव संपन्न होकर भी उसकी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं हुई .यह सब अक्षय तृतीया का ही पुण्य प्रभाव था .
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