हिंदी एकांकी उद्भव और विकास

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हिंदी एकांकी उद्भव और विकास हिंदी एकांकी उद्भव और विकास hindi ekanki ka udbhav aur vikas hindi ekanki ka vikas - हिंदी में एकांकी कला का विकास नाटकों के साथ साथ हुआ .सामान्य रूप से देखने पर नाटक और एकांकी एक जैसे दिखाई देते हैं .

हिंदी एकांकी उद्भव और विकास 


हिंदी एकांकी उद्भव और विकास  hindi ekanki ka udbhav aur vikas hindi ekanki ka vikas - हिंदी में एकांकी कला का विकास नाटकों के साथ साथ हुआ .सामान्य रूप से देखने पर नाटक और एकांकी एक जैसे दिखाई देते हैं .एकांकी के लघु आकार - प्रकार में नाटक के सभी तत्व विद्यमान रहते हैं ,किन्तु यह एक स्वतंत्र नाट्य विधा है .किसी बड़े नाटक के एक अंक को एकांकी नहीं कहते .नाटक में जीवन का समग्र चित्र प्रस्तुत किया जाता है ,जबकि एकांकी में जीवन की किसी महत्वपूर्ण घटना ,परिस्थिति या समस्या को एक ही अंक में प्रस्तुत किया जाता है .एकांकी के विकास का विवरण इस प्रकार है - 

भारतेंदु युग में एकांकी का उद्भव - 

हिंदी में एकांकी का प्रचलन नाटक के साथ भारतेंदु युग में ही हुआ .स्वयं भारतेंदु ने संस्कृत परंपरा पर मौलिक एकांकियों की रचना की है .अंधेर नगरी, प्रेमयोगिनी,वैदिकी हिंसा हिंसा का भवति उनके मौलिक प्रहसन है .भारतेंदु जी के एकांकियों का नाट्य रूप तो पश्चिम शैली का है ,किन्तु उनमें प्रस्तुत की गई समस्याएं सर्वथा नवीन है .भारतेंदु जी के अतिरिक्त इस युग में राधाचरण गोस्वामी ,बालकृष्ण भट्ट ,बद्रीनारायण ,किशोरीलाल गोस्वामी ,अम्बिकादत्त व्यास ,राधाकृष्ण दास आदि के विविध प्रहसनों तथा एकांकियों की रचना की .इन सब में सामाजिक बुराइयों पर व्यंग किया गया है .भारतेंदु युग प्रहसन और एकांकी कला की दृष्टि से परंपरावादी होते हुए भी विषय की दृष्टि से आधुनिक एकांकी के निकट है . 

द्विवेदी युग में एकांकी का विकास - 

शिल्प की दृष्टि से द्विवेदी युग भारतेंदु युग से एक कदम आगे बढ़ा. इस युग में प्रहसन और व्यंग की कोटि में आने वाले अनेक एकांकियों की रचना हुई .इस प्रकार के एकांकियों में चुंगी की उम्मीदवारी (बद्रीनारायण भट्ट ),रेशमी रुमाल ,किसमिस (रामसिंह वर्मा ) ,मुर्ख मंडली (रूपनारायण पाण्डेय ),शेर सिंह (मंगला प्रसाद विश्व कर्मा ),कृष्णा (सियारामशरण गुप्त ) नीला ,दुर्गावती ,पन्ना (ब्रजलाल शास्त्री ),चार बेचारे (उग्र ) आदि एकांकी उल्लेखनीय है . 

आधुनिक युग और एकांकी - 

आधुनिक शैली का प्रथम एकांकी श्री जयशंकर प्रसाद का एक घूँट माना जाता है .यदपि इस एकांकी में भी संस्कृत नाट्यकला की ओर झुकाव है फिर भी इसमें आधुनिक एकांकी कला का पूर्ण निर्वाह हुआ है .प्रसाद जी के बाद तो डॉ .रामकुमार वर्मा ,भुनेश्वर प्रसाद मिश्र ,लक्ष्मी नारायण मिश्र ,उपेन्द्रनाथ अश्क ,उदय शंकर भट्ट ,सेठ गोविन्द दास आदि एकांकीकारों ने अपने एकांकियों से हिंदी साहित्य का भण्डार भरना आरम्भ कर दिया .

आधुनिक युग के प्रमुख एकांकीकारों का परिचय निम्नलिखित है - 

डॉ. राम कुमार वर्मा - 

डॉ. राम कुमार वर्मा जी ने एकांकी रचना को अपनी साहित्य साधना का लक्ष्य बनाया और हिंदी में एकांकी के अभाव की पूर्ति की .उनका पहला एकांकी बादल की मृत्यु सन १९३० में प्रकाशित हुआ था .वर्मा जी ने शताधिक एकांकियों की रचना की है .इन एकांकियों के विषय सामाजिक और इअतिहसिक दोनों ही प्रकार के हैं . डॉ .राम कुमार वर्मा जी को हिंदी एकांकी का जनक माना जाता है .वे आधुनिक हिंदी एकांकी के जनक कहे जाते हैं जो निर्विवाद सत्य है ।

उदय शंकर भट्ट -

भट्ट जी का पहला एकांकी संग्रह अभिनव एकांकी के नाम से सन १९४० में प्रकाशित हुआ था .इसके पश्चात उन्होंने सामाजिक ,ऐतिहासिक ,पौराणिक ,मनोवैज्ञानिक आदि अनेक विषयों पर सैकड़ों एकांकियों की रचना की . वर निर्वाचन ,नए मेहमान ,गिरती दीवारें आदि अनेक प्रसिद्ध एकांकी है . 

लक्ष्मी नारायण मिश्र -

 हिंदी एकंकिकारों में मिश्र जी का महत्वपूर्ण स्थान है .उनके एकांकियो में अशोक वन ,प्रलय के पंख पर ,बलहीन ,स्वर्ग में विप्लव आदि एकांकी उल्लेखनीय .इनमें पौराणिक ,ऐतिहासिक ,राजनितिक ,सामाजिक आदि सभी प्रकार की समस्याओं को चित्रित किया गया है .

उपेन्द्रनाथ अश्क - 

अश्क जी अपनी एकांकीयों में समाज की विविध समस्याओं का सफलतापूर्वक चित्रित किया है .अश्क जी ने दो दर्जन से अधिक एकांकी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं .लक्ष्मी का स्वागत ,स्वर्ग की झलक ,पर्दा उठाओं पर्दा गिराओ ,अधिकार का रक्षक आदि उनके उल्लेखनीय एकांकी है . 

सेठ गोविन्ददास - 

सेठ जी ऐतिहासिक ,पौराणिक ,राजनितिक आदि विभिन्न विषयों पर एकांकियों की रचना की है .सेठ जी के एकांकियों में ईद और होली ,स्पर्धा ,मैत्री आदि अच्छे समस्यामूलक एकांकी है .इनकी भाषा शैली शिल्प ,विचार प्रतिपादन आदि सभी में सरलता है . 


जगदीशचन्द्र माथुर -

माथुर जी का पहला एकांकी मेरी बांसुरी सन १९३६ ई. सरस्वती में प्रकाशित हुआ था .इसके पश्चात उनके अनेक एकांकी प्रकाशित हुए ,जिनमें भोर का तारा ,कलिंग विजय ,खंडहर ,घोंसले ,शारदीया आदि मुख्य है . 


विष्णु प्रभाकर - 

आधुनिक एकांकीकारों में विष्णु प्रभाकर जी का महत्वपूर्ण स्थान है .प्रभाकर जी ने सामाजिक ,राजनितिक ,हास्य व्यंग प्रधान तथा मनोवैज्ञानिक एकांकी लिखे हैं . 

अन्य प्रतिभाओं का आगमन - 

स्वतंत्रता के पश्चात अनेक नयी प्रतिभावों ने एकांकी क्षेत्र में प्रवेश किया .इनमें विनोद रस्तोगी ,जय नाथ नलिन ,मोहन सिंह सेंगर ,लक्ष्मी नारायण लाल ,रामवृक्ष बेनीपुरी ,धर्मवीर भारती आदि के नाम आदर के साथ लिए जा सकते हैं .हिंदी साहित्य को इस विधा के रचनाकारों में बहुत आशायें हैं . 


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