आषाढ़ का एक दिन नाटक में अम्बिका आषाढ़ का एक दिन नाटक में अम्बिका अम्बिका का चरित्र चित्रण ashadh ka ek din ambika - आषाढ़ का एक दिन नाटक मोहन राकेश जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध नाटक है . अम्बिका ग्राम की एक वृद्धा और मल्लिका की माँ है .
आषाढ़ का एक दिन नाटक में अम्बिका
आषाढ़ का एक दिन नाटक में अम्बिका अम्बिका का चरित्र चित्रण ashadh ka ek din ambika - आषाढ़ का एक दिन नाटक मोहन राकेश जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध नाटक है . अम्बिका ग्राम की एक वृद्धा और मल्लिका की माँ है .नाटककार ने उसका चरित्र यथार्थ की पृष्ठभूमि में चित्रित किया है .उसका ह्रदय वात्सल्य से इतना अधिक भरा हुआ है कि मल्लिका के लिए हमेशा चिंतित दिखाई पड़ती है .अम्बिका के चरित्र का विश्लेषण निम्न प्रकार से किया जा सकता है -
अम्बिका पूरे नाटक में एक वात्सल्यमयी जननी के रूप में सामने आती हैं .आषाढ़ के प्रथम दिवस में मल्लिका बाहर से भीगी हुई आती है .उससे सूखे वस्त्र बदलने के लिए कहती है .अम्बिका हमेशा काम में लगी दिखाई पड़ती है और मल्लिका के विवाह के लिए चिंतित है .अम्बिका की समझ में मल्लिका के भावनात्मक प्रेम की बात नहीं आती .वह उससे कहती हैं -
"तुम जिसे भावना कहती हो वह केवल छलना और आत्म प्रवंचना भर है .मैं पूछती हूँ भावना में भावना का वरण क्या होता है ? उससे जीवन की आवश्यकतायें किस प्रकार पूरी होती हैं ."
अम्बिका भावना और कल्पना के स्थान पर यथार्थ और जीवन की अवाशाक्यता को महत्व देती है .अम्बिका जीवन में कम को प्रधानता देती है .अम्बिका मल्लिका को समझती हुई कहती हैं की केवल भावना में रहने से जीवन की यथार्थ आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो सकती है.मनुष्य को यथार्थ और वास्तविक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वास्तविकता को स्वीकार ही करना पड़ता है .अम्बिका लोक निति को महत्व देती है .वह स्पष्ट कहती हैं कि कालिदास का उज्जयनी जाने से सम्मान बढ़ेगा .वह निक्षेप से कालिदास के लिए कहती हैं
"राज्य कवि का सम्मान करना चाहता है .कवि सम्मान के प्रति उदासीन जगदम्बा के मंदिर में साधना निरत है .राज्य के प्रतिनिधि मंदिर में जाकर कवि की अभ्यर्थना करते हैं .कवि धीरे - धीरे आँखे खोलते हैं .
अम्बिका कालिदास को विदा किये जाने के अवसर पर मल्लिका को यहाँ जाने से रोकती हैं .इसी समय विलोम आकर कालिदास और मल्लिका के विरुद्ध कुछ कहता है .अम्बिका उसे डांटती हुई कहती है
"तुम यह सब कहकर मेरा दुःख कम नहीं कर रहे हो ,विलोम .मैं अनुरोध करती हूँ कि तुम इस समय मुझे अकेला रहने दो .
कालिदास के चले जाने पर मल्लिका रोती रहती है .अम्बिका का वात्सल्य लाग उठता है .अम्बिका अपनी बेटी मल्लिका के कारण बहुत दुखी है .वह पूर्ण रूप से टूट चुकी है .अंततः वह मल्लिका को सांत्वना ही देती है .
"अब भी रोती हो ? उसके लिए ? उस व्यक्ति के लिए जिसने ....?
अतः हम कह सकते हैं कि अम्बिका एक ममतामयी माँ है .कथानक के अधिकांश भाग में उसकी वात्सल्यमयी स्थिति रही है .वह अपनी पुत्री मल्लिका के ही दुःख में दुखी और सुख में सुखी होती है .वह एक आदर्श माँ है .संक्षेप में अम्बिका के चरित्र को निम्नलिखित बिन्दुओं में समझ सकते हैं -
- अम्बिका ग्राम की वृद्धा और मल्लिका की माँ है .
- उसका ह्रदय वात्सल्य से ओतप्रोत है .
- अम्बिका अपनी बेटी मल्लिका को सुखी देखना चाहती है .
- मल्लिका का भावनामय प्रेम उसकी समझ से परे की वस्तु है .
- मल्लिका के विवाह न करने से वह दुखी है .
- अम्बिका एक आदर्श माँ है
विडियो के रूप में देखें -
यह केवल अंक १ के सन्दर्भ मैं हैं।
जवाब देंहटाएंAmbika newar Talash Ne ke liye Kaise bheja tha ank Ek mein
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