एक बादशाह की कहानी Ek badshah ki kahani एक बादशाह को अपने बादशाह होने का बड़ा घमंड था .इस बात से उसके राज्य के सभी कर्मचारी परेशान थे .प्रजा भी बहुत दुखी थी .वह बिना बात लोगों को कड़े से कड़ा दंड देता था .एक बार राज्य में कहीं से एक संत पधारे .बादशाह को जब इस बात का पता चला ,तो उसने तरह तरह से संत को परेशान किया .उनका अपमान किया .
एक बादशाह की कहानी
Ek badshah ki kahani
एक बादशाह की कहानी Ek badshah ki kahani - एक बादशाह को अपने बादशाह होने का बड़ा घमंड था .इस बात से उसके राज्य के सभी कर्मचारी परेशान थे .प्रजा भी बहुत दुखी थी .वह बिना बात लोगों को कड़े से कड़ा दंड देता था .
एक बार राज्य में कहीं से एक संत पधारे .बादशाह को जब इस बात का पता चला ,तो उसने तरह तरह से संत को परेशान किया .उनका अपमान किया .मगर संत ने सब कुछ सह लिया और बादशाह से कुछ नहीं कहा .जब
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बादशाह |
संत पर इस बात का भी कोई असर नहीं हुआ .वह और उत्साह से प्रवचन करने लगे .बादशाह को यह बात बड़ी बुरी लगी .उसने संत को कैद कर अपने सामने पेश करने का हुक्म जारी कर दिया .सैनिक गए और संत को गिरफ्तार कर ले गए .
बादशाह ने संत से कहा -"मैंने तुम्हे पहले ही चेतावनी दी थी ,मगर हे ढोंगी ! तुमने मेरा राज्य नहीं छोड़ा .अब तुम्हारे शरीर पर अनगिनत कोड़े भी लगेंगे और पुरे राज्य में घुमाया जाएगा . "
बादशाह की बात सुनकर संत बिलकुल भी बिचलित नहीं हुए और उलटे मुस्कराने लगे . इस पर बादशाह और अधिक क्रोधित हो उठा . चीखकर बोला - "हे मूर्ख ! इतना कठोर दंड सुनकर भी तू मुस्करा रहा है . "
संत ने मुस्कराते हुए कहा -"हे बादशाह ! बात ही कुछ ऐसी है कि मुझे तुम पर तरस आ रहा और हँसी भी ."
वाह क्यों ?" - बादशाह ने फिर चीखते हुआ कहा .
तब संत ने बादशाह से पूछा - "हे बादशाह ! कल्पना करो ,तुम कहीं ऐसे स्थान में भटक गए हो ,जहाँ पानी न मिले . तुम प्यास से इतने व्याकुल हो कि जान निकली जा रही हो .उसी समय कोई आधा प्याला गन्दा पानी देते हुए तुमसे आधा राज्य बदले में माँगे ,तो तुम क्या करोगे ?"
"यह भी कोई पूछने कि बात है .मैं बिना सोचे -समझे उसे आधा राज्य दे दूँगा.कम से कम जान तो बचेगी." बादशाह ने उत्तर दिया .
संत में पुनः पूछा - लेकिन यदि उस गंदे पानी के कारण तुम बीमार पड़ जाओगे और मरणासन्न हो जाओ .ठीक उसी समय तुम्हारा इलाज करने वाला हकीम तुमसे ठीक करने के बदले में बाकी बचे हुए आधे राज्य की माँग करने लगे ,तो तुम क्या करोगे ?"
बादशाह ने झट से कहा - " मैं तुरंत उसे बाकी आधा राज्य भी दे दूँगा .जब जीवन ही नहीं रहेगा ,तो राज्य का मैं क्या करूँगा ?"
इस पर संत से मुस्कराते हुए कहा - " तब तो हे बादशाह , तुम्हारा घमंड बिलकुल व्यर्थ है .इसे त्याग देना ही अच्छा है .जो राज्य मात्र आधा प्याले गंदे पानी के कारण ही समाप्त हो जाए ,उस पर घमंड कैसा . "
बादशाह की समझ में सब कुछ आ गया था .उसने तुरंत संत के पैर पकड़ लिए और जीवन में कभी घमंड न करने की प्रतिज्ञा की.
कहानी से शिक्षा -
- आदमी को कभी घमंड नहीं करना चाहिए .
- सभी के प्रति दया भाव रखना चाहिए .
Ek bar ek baat sab bimar pad Gaya baithana bimar pad Gaya ki bye kuchh kafi bhi nahin Sakta tha ki kahani
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