दासी कहानी जयशंकर प्रसाद Dasi Jaishankar Prasad दासी कहानी जयशंकर प्रसाद का सार daasi by jaishankar prasad summary - दासी जयशंकर प्रसाद जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक कहानी है।दासी कहानी जयशंकर प्रसाद का उद्देश्य Dasi Jaishankar Prasad -
दासी कहानी जयशंकर प्रसाद
Dasi Jaishankar Prasad
दासी कहानी जयशंकर प्रसाद का सार daasi by jaishankar prasad summary - दासी जयशंकर प्रसाद जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक कहानी है। इरावती एक हिन्दू कन्या है ,जिसे मुल्तान की लड़ाई में पकड़ा गया और दासी बना दिया गया।बाद में काशी के एक महाजन ने उसे ५०० दिरहम देकर कड़ी शर्तों पर ख़रीदा।दूसरी दास फ़िरोज़ा है। वह एक राजा की दासी है।फ़िरोज़ा को छुड़ाने के लिए अहमद के एक हज़ार सोने के सिक्के आने वाले ,लेकिन पहुँचे नहीं। लेकिन फ़िरोज़ा को राजा साहब बिना सिक्के प्राप्त किये छोड़ देता है।
बलराज एक वीर जाट है ,जिसे तुर्क सुलतान महमूद की ओर से सिज्लुकों से युध्य किया था।युध्य में हार के कारण सुल्तान ने बलराज को निकाल दिया। इस प्रकार दुःखी होकर बलराज आत्महत्या करना चाहता है ,लेकिन फ़िरोज़ा उसे रोकती है , बलराज इरावती से प्रेम करता है ,लेकिन गरीब होने के कारण विवाह नहीं कर पाता है।कथा के अंत में बलराज जाटों की सेना का सेनापति बन जाता है।तुर्क सेना के साथ युध्य में बलराज विजयी हुआ ,लेकिन अहमद मारा जाता गया।इस प्रकार बलराज व इरावती का मिलन हुआ ,लेकिन अहमद की मृत्यु के कारण फ़िरोज़ा का मिलन नहीं हो पाता है। जहाँ अहमद मारा जाता है ,वहीँ अहमद की समाधि बनाकर फ़िरोज़ा वहीँ दासी बनकर रह जाती है। वह समाधी की सेवा करती है ,फूल चढ़ाती हुई ,जीवन यापन करती है।
दासी कहानी जयशंकर प्रसाद का उद्देश्य Dasi Jaishankar Prasad -
जयशंकर प्रसाद जी ने प्राचीन भारत की दास प्रथा पर प्रकाश डाला गया है।दास प्रथा के कारण महिलाओं का शोषण व उन्हें कुत्सित कार्य करवाया जाता था।लेकिन अनेक प्रकार के अत्याचारों व शोषण करने पर भी स्त्री में एकनिष्ठ ,निर्भीकता व पवित्र प्रेम तथा देशभक्ति की भावना विद्यमान रहती है।इस प्रकार लेखक प्राचीन भारत के गौरव गान करने के साथ - साथ तत्कालीन समाज की बुराइयों पर भी प्रकाश डाला है। इससे लेखक सफल रहा है।
दासी कहानी जयशंकर प्रसाद शीर्षक की सार्थकता Dasi Jaishankar Prasad -
दासी जयशंकर प्रसाद जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक कहानी है।कहानी का शीर्षक सार्थक व सरल है। प्राचीन काल में दास प्रथा विद्यमान थी।दासों का अपना स्वयं कोई अस्तित्व नहीं होता था।उन्हें पशुओं की भातिं कोई भी खरीद व बेंच सकता था।लेकिन दास प्रथा होने के वावजूद भी वे एक मनुष्य होते थे।मनुष्य के उच्च चरित्र उनमें भी विद्यमान थे।फ़िरोज़ा व इरावती दोनों ही स्त्री पात्रों में एकनिष्ठ ,निर्भीकता व पवित्र प्रेम तथा देशभक्ति की भावना विद्यमान रहती है।इस प्रकार दासी शीर्षक ,सार्थक व पाठकों तक अपनी बात पहुंचाने में सफल है।
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😊
जवाब देंहटाएंApko story ke bare me nahi pta 1000 pe firoja ko chorne ki baat thi
जवाब देंहटाएंHa toh 1000 ki hi baat kri gye h shi toh h sb.
हटाएंLike Shakespeare is in English, Jai Shankar Prasad is in Hindi... The rarest gem ♥️
जवाब देंहटाएं😕
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हटाएंKafi chota uddeshya hai
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