वह जन्मभूमि मेरी Wah Janmbhumi Meri

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जन्म भूमि कविता वह जन्मभूमि मेरी का केंद्रीय भाव ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है जन्मभूमि का अर्थ स्वर्ग बना सकते हैं मातृभूमि पर छोटी कविता wah janmabhoomi meri meaning wah janmabhoomi meri summary wah janmabhoomi meri explanation wah janmabhoomi meri summary in hindi wah janmabhoomi meri summary vah janmabhoomi meri poem summary vah janmabhoomi meri bhavarth vah janmabhoomi meri poem explanation

वह जन्मभूमि मेरी Wah Janmbhumi Meri


सोहनलाल द्विवेदी की कविता 'वह जन्मभूमि मेरी' उनकी देशभक्ति और राष्ट्रीय भावना को दर्शाने वाली एक प्रेरक रचना है। इसमें कवि ने भारत माता के प्रति गहन प्रेम और समर्पण व्यक्त किया है, जो उनकी मातृभूमि के गौरव, बलिदान और सांस्कृतिक वैभव को उजागर करती है। कविता की भाषा सरल, ओजस्वी और भावपूर्ण है, जो पाठकों में देशप्रेम की भावना जागृत करती है। यह उनकी रचनाओं में राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता के प्रति उनके अटूट विश्वास को प्रकट करती है।

वह जन्मभूमि मेरी कविता का भावार्थ व्याख्या

वह जन्मभूमि मेरी,वह मातृभूमि मेरी .
ऊँचा खड़ा हिमालय ,आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक,नित सिंधु झूमता है..!!
गंगा यमुन त्रिवेणी,नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली,पग पग छहर रही है..!!
वह पुण्य भूमि मेरी,वह स्वर्ण भूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी,वह मातृभूमि मेरी ..!!

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने अपने मातृभूमि की प्रसंशा करते हुए ,भारत देश की महानता का गुणगान किया है . कवि कहता है कि भारत की उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत है .उसकी ऊँचाई आसमान को चूमता है .भारत के दक्षिण में हिन्द महासागर है ,उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे यह चरणों को निरंतर चुप रहा है . गंगा ,यमुना जैसी पवित्र नदियाँ भारतभूमि की शोभा बाधा रही है . इसके अतिरिक्त अन्य नदियों के जल से किसान अपने खेतों को सींचता है . यहाँ की मिटटी बहुत उपजाऊ है  जिसमें फसलें होती हैं .यही कारण है कि इसे स्वर्णभूमि हहते हैं . अतः इसीलिए कवि को भारत भूमि अपनी जन्मभूमि पर गर्व है . यह हमारी मातृभूमि है .

झरने अनेक झरते,जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़ियाँ चहक रही हैं,हो मस्त झाड़ियों में..!!
अमराइयाँ घनी हैं,कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है,तन मन सँवारती है..!!
वह धर्मभूमि मेरी,वह कर्मभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी,वह मातृभूमि मेरी ..!!

व्याख्या - कवि कहते है उसके देश में पहाड़ों के बीच अनेक झरने हैं अर्थात वे आगे चलकर नदियों में मिल जाते हैं .चिड़ियाँ जब चह्चाहती रहती है ,जब आमों के बागों में बौर आता है तब कोयल की सुरुली  आवाज सुनाई पड़ती है .मलय पर्वत से आने वाले शीतल वायु सबको मंत्रमुग्ध कर देती है और सभी लोगों का ह्रदय प्रसन्नता से भर जाता है . इस प्राकृतिक सौन्दर्य से कवि का मन झूम जाता है . इसीलिए कवि ने अपनी जन्मभूमि को धर्मभूमि और कर्मभूमि माना है . कवि को गर्व है कि उसका जन्म भारत की भूमि पर हुआ है . अतः हमें अपने देश की सेवा करना चाहिए और यही हमारा धर्म है .

जन्मे जहाँ थे रघुपति,जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई,वंशी पुनीत गीता ..!!
गौतम ने जन्म लेकर,जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई,जग को दिया दिखाया ..!!
वह युद्ध–भूमि मेरी,वह बुद्ध–भूमि मेरी,
वह मातृभूमि मेरी,वह जन्मभूमि मेरी ..!!

व्याख्या - कवि का कहना है कि भारतभूमि पर महापुरषों और वीरों ने जन्म लिया है . जहाँ पर सीता ,राम भगवान् विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया और वंशी बजाकर प्रेम का सन्देश दिया है एवं भगवतगीता की रचना की . यह वह पवित्र भूमि है जहाँ गौतम बुद्ध ने जन्म लेकर सारे संसार को दया व प्रेम का सन्देश दिया .गौतम ने हमारे जन्मभूमि पर जन्म लिया और संसार को मोहमाया का त्याग कर ज्ञान की खोज की ,जिसके परिणामस्वरूप भारत की प्रसिधी दूर -दूर तक फ़ैल गयी . अतः भारतभूमि बुद्धभूमि और युद्धभूमि है , जहाँ पर राम,कृष्ण और बुद्ध जैसे महापुरषों ने जन्म लिया है .अतः यह हमारे लिए गौरव की बात है .

वह जन्मभूमि मेरी केंद्रीय भाव / मूल भाव 

वह जन्मभूमि मेरी कविता सोहनलाल द्विवेदी जी द्वारा लिखी गयी है . प्रस्तुत कविता में कवि ने भारत के लिए भौगोलिक ,प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक रूपों का वर्णन करते हुए गौरवशाली अतीत का वर्णन करते हुए स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता है . वह देश के गौरव का गान करते हुए हिमालय , सागर ,झरने तथा अमराइयों की प्रशंसा करता है ., कवि स्वयं को धन्य मानता है कि उसका जन्म उस भूमि पर हुआ है ,जहाँ राम ,कृष्ण और बुद्ध जैसे महापुरषों का जन्म हुआ है . अतः हमें श्रीकृष्ण द्वारा दिखाएँ गए निष्काम कर्म के मार्ग पर चले .बुद्ध द्वारा दिया गया दया का सन्देश ग्रहण करें और अपने देश को गर्व करे .

कवि सोहनलाल द्विवेदी का जीवन परिचय

सोहनलाल द्विवेदी का जन्म 22 फरवरी 1906 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बिन्दकी में हुआ था। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.ए. और एल.एल.बी. की शिक्षा प्राप्त की। महात्मा गांधी से प्रभावित होकर वे स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हुए और राष्ट्रीयता से ओतप्रोत कविताएँ लिखीं। उनकी रचनाएँ देशभक्ति, अहिंसा, खादी प्रचार और ग्राम सुधार जैसे विषयों पर केंद्रित हैं। उन्होंने बाल साहित्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया और 'बालसखा' पत्रिका का संपादन किया। उनकी प्रमुख कृतियों में 'भैरवी', 'युगाधार', 'पूजा-गीत', 'दूध बताशा' और 'शिशु भारती' शामिल हैं। उनकी भाषा सरल, प्रवाहमयी और ओजपूर्ण है। 1969 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 1 मार्च 1988 को उनका निधन हो गया।

वह जन्मभूमि मेरी कविता का सारांश

सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित 'वह जन्म भूमि मेरी' शीर्षक देश प्रेम से परिपूर्ण है। इसमें कवि ने अपनी मातृभूमि भारत भूमि की भौगोलिक व प्राकृतिक सुन्दरता कर गुणगान करते हुए उसे अनेक विशेषणों से सम्बोधित किया है।कवि कहता है कि भारत भूमि के उत्तर दिशा में एक प्रहरी के रूप में ऊँचा खड़ा हिमालय ऐसा लग रहा है मानो आकाश को चूम रहा है तो दक्षिण दिशा में हिलोरें भरता समुद्र मेरी मातृभूमि के चरण चूमता है। गंगा, यमुना, त्रिवेणी आदि पावन नदियाँ यहाँ लहराती हुई बहती हैं और मेरी मातृभूमि को हरा भरा बनाती धीरे-धीरे बहती हुई इस धरती को उल्लसित कर रही हैं। इनकी छटा निराली है। यह भारत भूमि पुण्यभूमि और स्वर्ण भूमि है और यही मेरी मातृभूमि और जन्मभूमि है। 



कवि आगे कहता है कि भारत भूमि की पहाड़ियों से अनेक झरने बहते हैं तथा यहाँ की झाड़ियों में चिड़ियाँ चहचहाती हैं। आम के पेड़ों की शाखाओं पर कोयल मधुर स्वर में कूकती है साथ ही यहाँ पर बहती शीतल सुगन्धित पवन तन और मन को प्रसन्नता से भर देती है अर्थात् भारत भूमि के वातावरण को आनंदित कर इसकी सुन्दरता बढ़ा देती है। ऐसी भारत भूमि की सेवा करना ही हमारा धर्म और कर्म है। अतः यही मेरी धर्मभूमि है और कर्मभूमि भी ।
 
कवि भारतभूमि को महापुरुषों की जन्मभूमि बताते हुए कहता है कि यहाँ ही रघुकुल शिरोमणि राम और जगतमाता सीता ने जन्म लिया। श्री कृष्ण ने यहाँ अपनी मधुर वंशी की तान छेड़ी और अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया। गौतम बुद्ध ने भी इसी धरती पर जन्म लेकर इसका गौरव बढ़ाया। उन्होंने दुनिया को दया व प्रेम का उपदेश दिया और संसार को अज्ञान के अंधकार से निकाल ज्ञान का प्रकाश फैलाया।यह भारतभूमि मेरी युद्धभूमि और भगवान बुद्ध की भूमि ही मेरी मातृभूमि और जन्मभूमि है और मुझे इस पर गर्व है। 


वह जन्मभूमि मेरी कविता का प्रश्न उत्तर


प्र . कवि ने हिमालय और सिन्धु का उदहारण क्यों दिया है ?

उ . हिमालय पर्वत अपनी ऊँचाई के कारण के लिए आसमान का स्पर्श करती दिखाई देती है . उसके दक्षिण में हिन्द महासागर बह रहा है .उसे देखकर कवि को ऐसा लगता है मानों सिन्धु भारत के चरणों को प्रतिदिन धोता हो .

प्र .स्वर्णभूमि किसे कहा गया है और क्यों ?

उ . कवि भारत को स्वर्णभूमि कहा है . कवि का मानना है कि भारत गाँवों और किसों का देश माना जाता है .यहाँ की धरती अनाज के रूप में सोना उगलती है . हमारा देश सदैव समृद्ध रहा है .

प्र .कवि ने देश को युद्धभूमि क्यों कहा है ?

उ . कवि का कहना है कि जब - जब देश पर संकट आया , तब तब देश के वीरों ने अपना बलिदान देकर देश की रक्षा करें . अतः देश की रक्षा के लिए देशवासियों ने हर संकट को युद्धभूमि की तरह पार किया .

प्र .गीता का पवित्र ज्ञान किसने कहाँ दिया ?

उ . गीता का पवित्र ज्ञान भगवान् श्री कृष्ण ने दिया है . इस ग्रन्थ में कर्म को सबसे महत्वपूर्ण माना है . अतः हमें निष्काम भाव से कर्म करते रहना चाहिए .

प्र. कवि ने भारत को अन्य किन किन नामों से पुकारा है ?

उ . कवि ने भारत को ही अपनी मातृभूमि मानते हुए इसे पुण्यभूमि ,स्वर्ण भूमि ,धर्म भूमि ,युद्ध भूमि ,बुद्ध भूमि आदि नामों से पुकारा है .

प्र. कवि ने भारत को बुद्ध भूमि क्यों कहा है ?

उ.भारत वह , पवित्र भूमि है जहाँ गौतम बुद्ध ने जन्म लेकर सारे संसार को दया व प्रेम का सन्देश दिया .गौतम ने हमारे जन्मभूमि पर जन्म लिया और संसार को मोहमाया का त्याग कर ज्ञान की खोज की ,जिसके परिणामस्वरूप भारत की प्रसिधी दूर -दूर तक फ़ैल गयी . अतः भारतभूमि बुद्धभूमि है .

प्र. भारत को युद्ध भूमि क्यों कहा गया है ?

उ. भारत की भूमि में बड़े बड़े वीर महापुरुष पैदा हुए हैं ,जिनमें राम ,महाराणा प्रताप ,शिवा जी आदि वीरों ने अपनी देश की रक्षा के लिए वीरता का परिचय दिया .साथ इन वीरों से संसार के सामने धर्म ,मर्यादा ,करुणा व दया के आदर्श रूप प्रस्तुत किया .अतः भारत भूमि, युद्धभूमि है .

प्र. कवि स्वयं को धन्य क्यों मानता हैं ?

उ. कवि स्वयं को धन्य मानता है कि उसका जन्म उस भूमि पर हुआ है ,जहाँ राम ,कृष्ण और बुद्ध जैसे महापुरषों का जन्म हुआ है . अतः हमें श्रीकृष्ण द्वारा दिखाएँ गए निष्काम कर्म के मार्ग पर चले .बुद्ध द्वारा दिया गया दया का सन्देश ग्रहण करें और अपने देश को गर्व करे .

प्रश्न . जन्मभूमि किसे कहते हैं? यह हमें क्या देती है?

उत्तर- जिस भूमि पर हम जन्म लेते हैं वह भूमि ही हमारी जन्मभूमि कहलाती है। जन्मभूमि हमें खाने हेतु अन्न, पीने हेतु पानी, रहने को भूमि देती है। अपनी जन्मभूमि की शुद्ध वायु से ही हम जीवित रहते हैं।
 
प्रश्न . कवि ने जन्मभूमि को अन्य किन-किन नामों को पुकारा है? 

उत्तर- कवि ने अपनी जन्मभूमि अर्थात् भारतभूमि को ही अपनी मातृभूमि बताते हुए उसे पुण्यभूमि, स्वर्णभूमि धर्मभूमि,मातृभूमि बताते कर्मभूमि, युद्धभूमि, बुद्ध भूमि आदि नामों से पुकारते हुए उसके गौरव का गुणगान किया है।

प्रश्न. कवि ने मातृभूमि की विशेषताएँ किस प्रकार प्रकट की हैं? 

उत्तर- कवि ने भारतभूमि जो उसकी मातृभूमि भी है, की पहाड़ियों में अनेक झरने बहते है। यहाँ की झाड़ियों में चिड़ियाँ चहचहाती हैं। आम के पेड़ों की शाखाओं पर कोयल कूकती हैं। मलय पर्वत से आती सुगन्धित पवन तन-मन को प्रसन्नता से विभोर कर देती है जिससे तन-मन झूम उठता है। 

प्रश्न. प्रस्तुत कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए । 

उत्तर- इस कविता में भारत भूमि का गुणगान करते हुए उसके भौगोलिक, प्राकृतिक, आध्यात्मिक आदि विशेषताओं का वर्णन किया है। हिमालय पर्वत व हिन्द महासागर को भारत माता के सिर पर मुकुट व सेवक की उपमा दी है तथा यहाँ के झरनों, पक्षियों, मनमोहक वातावरण आदि से इसके प्राकृतिक सौन्दर्य व राम, कृष्ण और गौतम बुद्ध जैसे महापुरुष के माध्यम से आध्यात्मिक महानता को सिद्ध किया है।
 
प्रश्न. कवि ने हिमालय को मातृभूमि का गौरव क्यों कहा है? 

उत्तर- भारत के उत्तर दिशा में स्थित हिमालय एक पहरेदार के रूप में सिर ऊँचा किए खड़ा है और उत्तर दिशा में दुश्मनों से हमारी रक्षा करता है। यहाँ से निकलने वाली जीवनदायिनी नदियों के पानी से भारत के लोगों की प्यास बुझती है। 

प्रश्न. 'नीचे चरण तले पड़' से कवि का क्या अभिप्राय है? 

उत्तर- भारतभूमि के दक्षिण में हिन्द महासागर स्थित है। वह ऐसा लगता है मानो वह भारतभूमि के पैरों में पड़कर उन्हें धोना चाहता है। 

प्रश्न . हिमालय से निकलने वाली कौन-सी नदियों का वर्णन इस कविता में हुआ है ? 

उत्तर- हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का वर्णन इस कविता में हुआ हैं। ये नदियाँ पवित्र मानी जाती हैं इन नदियों का प्रयाग में संगम होता है। वर्तमान में सरस्वती नदी लुप्त हो गयी है। इन नदियों के कारण ही भारत भूमि शस्य श्यामल कहलाती है।

प्रश्न. कवि ने भारतभूमि को पुण्यभूमि और स्वर्णभूमि क्यों कहा है?

उत्तर- भारतीय संस्कृति में पेड़ (पीपल, केला आदि) पर्वत (गोवर्धन, कैलाश आदि) नदियों (गंगा, यमुना, आदि) को पवित्र मानकर पूजा जाता है तथा भारतभूमि उपजाऊ होने के कारण इस पर सुनहरी फसलें लहराती हैं इसलिए कवि ने भारत भूमि को पुण्य भूमि और स्वर्णभूमि नामों से सम्बोधित किया है। 

प्रश्न. रघुपति कौन थे? उनकी महिमा का वर्णन कीजिए।

उत्तर- रघुपति के नाम राजा राम प्रसिद्ध हुए। वे महाराज दशरथ के पुत्र थे। उन्हे मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने रावण जैसे राक्षस का वध किया तथा प्रेम और भाइचारे की मिसाल कायम की।
 
प्रश्न. श्री कृष्ण को कवि ने क्यों याद किया है?

उत्तर- श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इन्होंने कंस का वध कर लोगों को उसके अत्याचार से मुक्त कराया। कृष्ण की वंशी की मधुर तान से गोप-गोपियाँ ही नहीं पशु भी मोहित हो जाते थे। इन्होंने दुनिया को भगवतगीता के माध्यम से ज्ञान का संदेश दिया तथा मोक्ष का उपाय बताया। 

प्रश्न. जग को दया दिखाई जग को दिया दिखाया से कवि का क्या आशय है? 

उत्तर- कवि का आशय है कि गौतम बुद्ध ने जीवों पर दया का उपदेश दिया तथा ज्ञान प्राप्त कर दूसरों में उस ज्ञान के दीए का प्रकाश भर उन्हें अज्ञान के अन्धकार से बाहर निकलने का मार्ग दिखाया। 

प्रश्न. उपर्युक्त काव्यांश में कवि ने किन महापुरुषों का वर्णन किया है और क्यों ? 

उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश में कवि ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, माता सीता, श्रीकृष्ण, गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों का वर्णन किया है। इसके माध्यम से कवि भारतभूमि के गौरवगान कर दुनिया में उसकी महानता को प्रमाणित करना चाहता है। जिन्होंने संसार के सामने धर्म, मर्यादा, करुणा व दया के आदर्श प्रस्तुत किए । 



MCQ Questions with Answers Wah Janmabhoomi Meri


बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर 

प्र.१. वह जन्मभूमि मेरी कविता के कवि कौन है ?
a. सुभद्राकुमारी चौहान 
b. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना 
c. दिनकर 
d. सोहनलाल द्विवेदी 

उ. d. सोहनलाल द्विवेदी 

२. सोहनलाल द्विवेदी का जन्म कहाँ हुआ था ?
a. भोपाल 
b. फतेहपुर 
c. अयोध्या 
d. रांची 

उ. b. फतेहपुर 

३. कवि का प्रमुख प्रबंध काव्य है ?
a. प्रिय प्रवास 
b. विनयपत्रिका 
c. कुरुक्षेत्र 
d. कुणाल 

उ. d. कुणाल 

४. द्विवेदी जी किस विचारधारा से प्रभावित हैं ?
a. गांधीवादी 
b. मार्क्सवादी
c. लेनिनवादी 
d. क्रांतिकारी 

उ. a. गांधीवादी 

५. हिमालय पर्वत कहाँ स्थित है ?
a. भारत के पूर्व में 
b. दक्षिन में 
c. भारत के उत्तर में 
d. भारत के पच्छिम में 

उ. c. भारत के उत्तर में 

६. कवि ने कविता में किसकी महानता का गुणगान गाया है ?
a. भगवन की 
b. राजा की 
c. भारत देश की महानता 
d. माता-पिता व गुरुजनों की 

उ. c. भारत देश की महानता 

७. हिन्द महासागर को देखकर क्या लगता है ?
a. यह बहुत गहरा है . 
b. बहुत बड़ा समुन्द्र है . 
c. भारतमाता के चरणों को धो रहा है . 
d. उपरोक्त में से कोई नहीं 

उ. c. भारतमाता के चरणों को धो रहा है . 

8. 'त्रिवेणी' में कौन सी नदियाँ सम्मिलित की जाती है ?
a. गंगा 
b. जमुना 
c. सरस्वती 
d. उपरोक्त में से सभी  

उ .d. उपरोक्त में से सभी 

९. महात्मा बुद्ध से कौन धर्म चलाया ?
a. हिन्दू धर्म 
b. मानव धर्म 
c. इस्लाम 
d. बौद्ध धर्म 

उ. d. बौद्ध धर्म 

१०. 'सिन्धु' शब्द का क्या अर्थ है ?
a. नदी 
b. तालाब 
c. देश का नाम 
d. समुन्द्र 

उ. d. समुन्द्र 

11. 'मलय' शब्द का क्या अर्थ है ?
a. व्यक्ति का नाम 
b. हवा 
c. समुन्द्र 
d. महिना 

उ. c. समुन्द्र 

१२. कुरुक्षेत्र के रणभूमि में अर्जुन को गीताज्ञान कौन दिया था ?
a. राम 
b. परशुराम 
c. श्रीकृष्ण 
d. संजय 

उ. c. श्रीकृष्ण 

१३. भारत भूमि में किस किस महापुरुषों ने जन्म लिया ?
a. राम 
b. कृष्णा 
c. गौतम बुद्ध 
d. उपरोक्त सभी 

उ. d. उपरोक्त सभी 

१४. कवि ने भारतभूमि को किन - किन शब्दों से विभूषित किया है ?
a. जन्मभूमि व मातृभूमि  
b. धर्मभूमि 
c. कर्मभूमि 
d. उपरोक्त में से सभी 

उ. d. उपरोत में से सभी 

१५. कविता में कवि ने कौन सी प्राकृतिक विशेषताओं का वर्णन किया है ?
a. हिमालय की ऊँचाई 
b. हिन्द महासागर की विशालता 
c. गंगा ,जमुना व सरस्वती की पवित्रता 
d. उपरोक्त सभी 

उ. d. उपरोक्त सभी 


विडियो के रूप में देखें - 




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COMMENTS

Leave a Reply: 21
  1. बेनामीमई 02, 2018 7:29 pm

    धर्म भूमि और कर्म भूमि मे क्या अन्तर है?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. this page doesn't let me copy anything why i don't know please inporve this

      हटाएं
    2. Dhram bhumi means religion and karm bhumi is the work (kaam) we have Done.

      हटाएं
    3. improve ki spelling seekh le pehle

      हटाएं
    4. Because they do not won't us to copyright this but they should delete that so that students can copy it for educational purposes

      हटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. कवि ने इसे युद्ध भूमि कयो कही
    :-t

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कवि ने इस भूमि को युद्धभूमि इसीलिए कहा है क्योंकि इस भूमि पर अनेक युद्ध लड़े गए है। हमे हर परिस्थिति में अपने देश के लिए लड़ने को तैयार रहना चाहिए।

      हटाएं
  4. Kavi Ne Bharat ko Dharam Bhumi aur aur Karam Bhumi kekar kyu sambodhit kiya

    जवाब देंहटाएं
  5. कवि अपनी जन्मभूमि को वह क्यों कह रहे हैं

    जवाब देंहटाएं
  6. जय श्री राम

    जवाब देंहटाएं
  7. जय श्री राम

    जवाब देंहटाएं
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