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सूर के पद Surdas ke Pad
सूरदास के पद हिंदी साहित्य की सबसे मूल्यवान रचनाओं में से एक हैं। ये पद मुख्य रूप से ‘सूरसागर’ ग्रंथ में संकलित हैं, और इनमें भगवान श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं और राधा-गोपियों के प्रेम का अत्यंत सुंदर और भावुक चित्रण मिलता है। सूरदास को पुष्टिमार्ग का जहाज कहा जाता है, और उनके पदों का केंद्रबिंदु सगुण भक्ति है।
सूर के पदों में सबसे महत्वपूर्ण विशेषता वात्सल्य रस का अद्भुत चित्रण है। वे बाल मनोविज्ञान के सम्राट कहे जाते हैं। उन्होंने कृष्ण के बचपन की नटखट शरारतों, जैसे माखन खाना, घुटनों के बल चलना और चोटी के लिए शिकायत करना, का इतना जीवंत वर्णन किया है कि पाठक स्वयं को उस दृश्य में पाता है। माता यशोदा का अपने पुत्र के प्रति सहज और निश्छल प्रेम इन पदों की आत्मा है।
Sur Ke Pad Vyakhya Explanation
जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोइ-जोइ कछु गावै॥
मेरे लाल कौं आउ निंदरिया, काहैं न आनि सुवावै।
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै॥
कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै॥
इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरैं गावै।
जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नँद-भामिनि पावै॥
व्याख्या - प्रस्तुतपद में महाकवि सूरदास जी ने कृष्ण की बाल लीला का वर्णन किया है। श्री कृष्ण को पालने में रख कर वे कभी पालने को हिलाती हैं , कभी पालने में पड़ें श्रीकृष्ण को प्यार करती हैं तो कभी उन्हें लोरियाँ सुनाती हैं,ताकि बालक को नींद आ जाए। माँ यशोदा नींद को उलाहना देते हुए कहती हैं कि, हे निंदिया , मेरे लाल को आकर क्यों नहीं सुलाती हो ? तुम क्यों नहीं जल्दी आती हो , मेरा कान्हा तुम्हें कब से बुला रहा है। कभी कान्हा अपनी पलकें बंद कर लेते हैं, कभी कुछ बुदबुदाते हैं। यशोदा मैया उन्हें सोता जानकर , वहाँ उपस्थित सभी को इशारे से चुप रहने को कहती है। इसी बीच कॄष्ण बेचैन होकर उठ जाते हैं और यशोदा मैया पुनः उन्हें मधुर गीत गाकर सुलाती हैं। सूरदास जी कहते हैं कि कृष्ण की इस बाल लीला का सुख, जो देवताओं और सिद्ध मुनियों को भी दुर्लभ होता है, नंद की पत्नी को यह सुख अनायास ही प्राप्त हो रहा था।
खीझत जात माखन खात।
अरुन लोचन भौंह टेढ़ी बार बार जंभात॥
कबहुं रुनझुन चलत घुटुरुनि धूरि धूसर गात।
कबहुं झुकि कै अलक खैंच नैन जल भरि जात॥
कबहुं तोतर बोल बोलत कबहुं बोलत तात।
सूर हरि की निरखि सोभा निमिस तजत न मात॥
मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं ।
जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं ॥
सुरभी कौ पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं ।
ह्वै हौं पूत नंद बाबा को , तेरौ सुत न कहैहौं ॥
आगैं आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं ।
हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दैहौं ॥
तेरी सौ, मेरी सुनि मैया, अबहिं बियाहन जैहौं ॥
सूरदास ह्वै सखा बराती, गीत सुमंगल गैहौं॥
सूर के पद का केन्द्रीय भाव / मूल भाव
सूर के पद नामक कविता में महाकवि सूरदास जी ने पहले पद में श्रीकृष्ण के बाल रूप एवं माता यशोदा के पुत्र प्रेम का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है . माता कभी श्रीकृष्ण को सुलाने का काम करती हैं . श्रीकृष्ण को पालने में रखकर कभी हिलाती हैं तो कभी उन्हें लोरियाँ सुनाती हैं ताकि कृष्ण को नींद आ जाए . कृष्ण कभी अपनी आँखें को बंद कर लेते हैं तो कभी वे अपने होंठ हिलाते हैं . दूसरे पद में श्रीकृष्ण के बाल रूप का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है . कभी वे घुटनों के बल चलते है तो उनके पैरों से पायलों की रुन-झुन की आवाज निकलती है जो अत्यंत मनमोहक है . घुटनों के बल चलने के कारण श्रीकृष्ण धूल से भर जाते हैं .
तीसरे पद में भगवान् श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं का मनोहारी वर्णन किया गया है . श्रीकृष्ण चंद्रमा को खिलौना समझ कर उसे पाने की जिद करते हैं . खिलौना नहीं मिलने की हालत में वे अपनी माता से कहते है जब तक उन्हें खिलौना मिल नहीं जाता है तब तक वे न तो कुछ खाए पियेंगे न ही अपना बाल बंधवाएँगे न ही माला पहनेंगे और न ही कोई आभूषण धारण करेंगे . माता उन्हें बहलाने का प्रयास करती हैं कि वे उनका ब्याह चाँद से भी सुन्दर नयी दुल्हन से करवा देंगी . तो कृष्ण कहते है कि माता अभी तुरंत ही ब्याह करने जाऊँगा .
सूर के पद पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ में सूरदास जी ने कृष्ण की बाल क्रीड़ाओं का मनोहारी व सजीव वर्णन किया है। पहले पद में माता यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को पालना में झुलाकर उन्हें सुलाने का प्रयास करती हुई कभी पालना हिलाती हैं कभी कृष्ण को लाड़ करती हैं और कोई लोरी गा रही है। वे नींद को उलाहना देती हुई कहती हैं कि नींद तू आकर मेरे लाल को क्यों नहीं सुलाती। कान्हा तुझे बुला रहा है इसलिए तू जल्दी से आ जा। कृष्ण कभी अपनी आँखें बन्द कर लेते हैं, कभी अपने होंठ हिलाते हैं। कृष्ण को सोया जानकर माता यशोदा शांत हो जाती हैं तथा दूसरों को भी इशारों के माध्यम से चुप रहने को कहती हैं। इसी बीच कृष्ण अकुलाकर जाग जाते हैं तो यशोदा फिर से मधुर आवाज में लोरी गाने लगती है। सूरदास जी कहते है कि जो सुख देवताओं और मुनियों के लिए भी दुर्लभ है, वह नंद की पत्नी यशोदा को बड़ी सहजता से प्राप्त हो रहा है।
दूसरे पद में बालक कृष्ण माखन खा रहे हैं। उनके नेत्र सुन्दर और लाल हैं, भौहे तिरछी हैं और वे बार-बार जम्हाई ले रहे हैं मानो उन्हें नींद आ रही है। घुटनों के बल चलते हुए उनकी पैजनियों से रुनझुन की माधुर आवाज निकल रही है तथा उनके शरीर पर धूल भी लग गयी है। कभी स्वयं के ही बाल खींच लेते हैं जिसके दर्द से उनकी आँखों से आँसू आ जाते हैं और कभी अपनी तोतली आवाज में तात (पिता) कहते हैं। सूरदास जी कहते हैं कि कृष्ण की ऐसी क्रीड़ाओं और रूप सौन्दर्य को माता यशोदा एक पल के लिए भी देखना छोड़ना नहीं चाहती हैं।
तीसरे पद में कृष्ण माता यशोदा से चन्द्र रूपी खिलौना दिलाने की जिद करते हैं। वे कहते हैं कि उन्हें यह खिलौना नहीं मिला तो वे न तो धौरी गाय का दूध पियेंगे और न ही अपनी चोटी गूथेंगे। मोतियों की माला भी गले में नहीं पहनेंगे और कुर्ता गले में नहीं डालेंगे। धरती पर लेट जायेंगे लेकिन माता की गोद में नहीं आयेंगे। इसके साथ ही वे नन्द बाबा का पुत्र कहलायेंगे पर माता का नहीं। कृष्ण को ज्यादा जिद करते देख उन्हें शान्त कराने के लिए माता यशोदा उनके कान में कहती है कि बलराम को मत बताना। मैं चन्दा से भी सुन्दर दुल्हन से तेरी शादी कराऊँगी। इतना सुनते ही बालक कृष्ण प्रसन्न हो जाते है और माता से तुरन्त शादी करने जाने की कहते हैं। वे कहते है कि मेरे सभी सखा बाराती बनकर मंगल गीत गायेंगे।
Sur Ke Pad Question Answer Class 10
प्र. यशोदा माता नींद से क्या शिकायत करती हैं ?
उ - माता यशोदा नींद से शिकायत कर रही हैं कि नींद तू जल्दी से आ कर मेरे लाल को क्यों नहीं सुलाती हो ? तुम जल्दी से आओ . तुम्हे कृष्ण बुला रहे हैं .
प्र. पालने में सोते हुए श्रीकृष्ण क्या क्या क्रियाएँ कर रहे हैं ?
उ. पालने में सोते हुए श्रीकृष्ण कभी आँख मूँद लेते हैं तो कभी आँख खोल लेते हैं ,कभी अपने होंठो को हिलाते हैं तो कभी चौंक कर जाग जाते हैं .
प्र. कवि से किस सुख को दुर्लभ बताया हैं ?
उ . कवि सूरदास जी कहते हैं कि माता यशोदा को बाल कृष्ण की विविध क्रिया कलापों को देखकर जो वात्सल्य सुख प्राप्त हो रहा उसे देवताओं ,मुनियों को भी प्राप्त करना दुर्लभ है .
प्र. बालक श्रीकृष्ण किस बात की जिद कर रहे हैं ?
उ - बालक श्रीकृष्ण चाँद को खिलौना समझ कर उसे पाने या लेने की जिद कर रहे हैं .
प्र. माता यशोदा बालक श्रीकृष्ण को क्या कहकर मनाती हैं ?
उ - माता , कृष्ण के कान में यह कहती हैं कि उसका विवाह वे चाँद से भी सुंदर दुल्हन से कराएँगी और वह यह बात बलराम को न बताए। इस तरह कृष्ण मान जाते हैं।
प्रश्न. सूरदास जी ने यशोदा के किस प्रयास वर्णन किया है?
उत्तर - यहाँ सूरदास जी ने माता यशोदा के अपने पुत्र कृष्ण को सुलाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का वर्णन किया है। माता यशोदा कृष्ण को सुलाने के लिए कभी उन्हें पालना झुलाती हैं तो कभी उन्हें लाड़ करती हैं और लोरी गाकर सुलाने की कोशिश करती हैं।
प्रश्न . कवि ने श्रीकृष्ण की किन-किन क्रियाओं का रोचक चित्र प्रस्तुत किया है?
उत्तर - यहाँ कवि सूरदास जी ने श्रीकृष्ण की कई बाल क्रियाओं का रोचक चित्र प्रस्तुत किया है। कृष्ण माता यशोदा द्वारा सुलाने पर कभी अपने नेत्र बन्द कर लेते हैं तो कभी अपने होंठ हिलाते है और जब ऐसे लगता है कि वे सो गए हैं तभी अकुला कर जाग जाते हैं।
प्रश्न. कवि सूरदास जी ने किस सुख की चर्चा की है तथा उस अनुभव की किसे प्राप्ति हो रही है?
उत्तर- प्रस्तुत पद में कवि सूरदास जी ने माता यशोदा द्वारा पाए जा रहे वात्सल्य सुख की चर्चा की है। माता यशोदा कृष्ण को सुलाते समय उनकी बाल लीलाओं को देख कर आनंदित हो रही हैं। भगवान कृष्ण के साथ रहते हुए उनकी लीलाओं का आनन्द पाना देवताओं और मुनियों के लिए भी दुर्लभ है उसे यशोदा जी सहज ही पा रही हैं।
प्रश्न. कवि सूरदास जी के जीवन के विषय में बताते हुए उनका साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर- हिन्दी के सगुण भक्ति शाखा के कवियों में सूरदास जी का नाम प्रसिद्ध है। एक मान्यता के अनुसार इनका जन्म मथुरा के निकट रुनकता या रेणुका क्षेत्र में हुआ जबकि दूसरी मान्यता के अनुसार उनका जन्म स्थान दिल्ली के पास सीही माना जाता है। इनका जन्म सन् 1478 ई. में हुआ माना जाता है। महाप्रभु बल्लभाचार्य के शिष्य सूरदास अष्टछाप के कवियों में सर्वाधिक प्रसिद्ध थे, वे कृष्ण के उपासक थे। मथुरा और वृंदावन के बीच गऊघाट पर रहते थे और श्री नाथ जी के मन्दिर में भजन कीर्तन करते थे। सन् 1583 में पारसोली में उनका निधन हुआ।
साहित्यक परिचय - सूददास जी ने लगभग सवा लाख पदों की रचना की जिनमें से केवल आठ से दस हजार पद ही प्राप्त हुए हैं। इनकी तीन रचनाएँ ही उपलब्ध हैं- सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी। सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना सूरसागर श्रीमतद्भागवत् पर आधारित है। वात्सल्य और श्रृंगार रस के श्रेष्ठ कवि हैं। सूरदास जी ने ब्रजभाषा में कृष्ण की बाललीलाओं और कृष्ण, राधा गोपियों की प्रेमलीलाओं का मनोरम चित्रण किया। इनका काव्य मुक्तक शैली पर आधारित है।
प्रश्न. बालक कृष्ण के रूप सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर- बालक कृष्ण के नेत्र सुन्दर, मनोहारी और लाल हैं। उनकी भौहें तिरछी हैं। वे बार-बार जम्हाई ले रहे हैं तथा धूल में सना उनका शरीर शोभायमान हो रहा है। उनके पैरों की पैजनियाँ रुनझुन की आवाज करते हुए बज रही हैं।
प्रश्न . किसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं? और क्यों?
उत्तर- श्रीकृष्ण की आँखों में आँसू आ जाते हैं क्योंकि श्रीकृष्ण अपने बाल रूप में घुटनों के बल चलते हुए स्वयं ही कभी अपने बाल खींच लेते हैं। बालों के खिंचने से उन्हें दर्द होने लगता है जिससे उनकी आँखों में आँसू आ जाते हैं।
प्रश्न. श्रीकृष्ण की शोभा देखकर माता यशोदा क्या करती हैं?
उत्तर- श्रीकृष्ण के रूप सौन्दर्य और उनकी बाल क्रियाओं को माता यशोदा देख रही हैं। श्रीकृष्ण के द्वारा तोतली आवाज में पिता को पुकारता देख माता यशोदा आनंदित हो रही हैं। ऐसे मनोरम दृश्य को वह बिना पलक झपकाए निहार रही हैं। वे क्षणभर भी इस दृश्य को ओझल नहीं होने देना चाहती।
प्रश्न. अपनी हठ पूरी न होने पर बाल कृष्ण क्या-क्या करने की कहते हैं?
उत्तर- चन्द्रमा रूपी खिलौना न मिलने की स्थिति में वे माता से कहते हैं कि मैं न तो गाय का दूध पीऊँगा, न अपने बाल गुथवाऊँगा और न मोतियों की माला पहनूँगा, कुर्ता नहीं पहनेंगे। धरती पर लेट जायेंगे पर माता की गोद न आयेंगे और न ही उनका पुत्र बनेंगे।
प्रश्न. यशोदा ने रूठे कृष्ण को कैसे मनाया ?
उत्तर- रूठे कृष्ण की बात सुन यशोदा ने उनके कान में कहा कि यह बात दाऊ को मत बताना। मैं तुम्हारे लिए चन्दा से भी सुन्दर दुल्हन लाऊँगी और उससे तुम्हारी शादी करवाऊँगी।
प्रश्न. यशोदा की बात पर कृष्ण ने क्या प्रतिक्रिया की ?
उत्तर- चन्द्रमा से सुन्दर दुल्हन दिलाने की बात सुन कृष्ण खिलौने वाली बात भूल जाते हैं और प्रसन्न हो जाते हैं और कहते हैं कि माँ, मै शादी करने जाऊँगा। मेरे सारे सखा बाराती होंगे और वे मिलकर नये-नये मंगल गीत गायेंगे।
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surdas के दोहे with meaning सूरसागर के पद मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो सूरदास सूरदास का दोहा बाल लीला कविता मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो का अर्थ सूरदास के भजन सूरसागर सार

आईसीएसई के प्रारूप में भी प्रश्न उत्तर दें।
जवाब देंहटाएंप्र. ४. बालक श्रीकृष्ण किस बात की जिद कर रहे हैं ?
जवाब देंहटाएंGaye charane jane ke liye
हटाएंSri krishna chand ko pane ke liye zid kar raha tha
हटाएंkrishna ji chandra-rupi khilone ko paane ke liye malach jaate hain aur uski maang karte hain
हटाएंShree krishan Chand ko khilaune samjhakar use pane ki jid kar rahe the
हटाएंकृपया इस प्रश्न का उत्तर बता दीजिए
जवाब देंहटाएं"मां को अपना रूठना दिखने के लिए श्री कृष्ण क्या करते है?"
Abigat gati kachu kah
जवाब देंहटाएंat n aave
Bohot acha h
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