सुख दुःख सदा न जानिए ,जीवन के हैं अंग। सुख में मन हर्षित रहे ,दुःख में सब बदरंग।।
सुख दुःख
छंद -दोहा
सुख दुःख सदा न जानिए ,जीवन के हैं अंग।
सुख में मन हर्षित रहे ,दुःख में सब बदरंग।।
सुख वैभव क्षण मात्र हैं ,रहें न सब के पास।
सपने जैसा छूटता ,खुली आँख की आस।।
सुख दुःख मन के फेर हैं ,इंद्रधनुष से रंग।
एक पल सुख के साथ है ,एक पल दुख के संग।।
आग तपे कुंदन बने ,दुःख जीवन की आन।
दुख से मन निर्भय बने ,कर शत्रु मित्र पहचान।।
सुख सपना सा जानिए ,दुःख का नहीं जबाब।
जब दोनों मन में रहें ,जीवन बने गुलाब।।
मिलन -बिछोह
छंद -चौपाई ,सोरठा
जीवन मिलन बिछोह किनारे। उर आनंद मगन मन सारे।
चिरगतिमय जीवन संसारा। प्रणय अटल तन मन सब वारा।।
तन विछोह मन विसरत नाहीं। पिया दरस बिन अब सुख नाहीं।
विरह अनल धधकत मन ऐसे। वन सुलगत दावानल जैसे।
आतुर नयन अश्रु ढलकाई। पिय विछोह अब सहा न जाई।
जल बिन मीन तड़फती कैसी। मन की गति पिय बिन है ऐसी।
तन मन मिलन ह्रदय सुखदायी। तप्त धरा जिमी बरसा पायी।
आतुर मन पिया संग झूमे। जैसे भ्रमर पुष्प को चूमें।
मिलन विछोह जगत की माया। जीवन में रहते हमसाया।
विरह वेदना दर्द जगाता। मिलन मधुरतम सुख बरसाता।
सोरठा -
प्रेम मिलन की आस ,ईश्वर बिन मिले न चैन।
आशा संग विश्वास ,दीनन ओर विलोक मन।।
आना जाना
छंद -दोहा
जीवन आना जगत में ,मौत विदा की रात।
आना जाना नित्य है ,ज्यों संध्या परभात।
जीव मृत्यु बंधन अटल ,ज्यों पतंग की डोर।
एक सिरा जीवन बंधा ,मृत्यु दूसरी छोर।
काल चक्र की गति अगम ,जानत नहीं सब कोय।
निर्विकार घूमत सदा ,जनम मरण संजोय।
जनम मरण आभास हैं ,सतत रहें गतिमान।
एक समय संग दौड़ना ,एक शान्ति प्रतिमान।
जीवन अविरल चेतना ,गतिधारण आवेग।
मौत गहन निद्रा सरिस ,प्राण रहित संवेग।
सद्गुरु मील का चिन्ह है,आगे पंथ अनेक।
आवागमन मिटाय के ,जो दे ज्ञान विवेक।
यह रचना सुशील कुमार शर्मा जी द्वारा लिखी गयी है . आप व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाधि भी प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय, गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं। आप एक उत्कृष्ट शिक्षा शास्त्री के आलावा सामाजिक एवं वैज्ञानिक मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते हैं| अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में शिक्षा से सम्बंधित आलेख प्रकाशित होते रहे हैं | अापकी रचनाएं समय-समय पर देशबंधु पत्र ,साईंटिफिक वर्ल्ड ,हिंदी वर्ल्ड, साहित्य शिल्पी ,रचना कार ,काव्यसागर, स्वर्गविभा एवं अन्य वेबसाइटो पर एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।आपको विभिन्न सम्मानों से पुरुष्कृत किया जा चुका है जिनमे प्रमुख हैं :-
1.विपिन जोशी रास्ट्रीय शिक्षक सम्मान "द्रोणाचार्य "सम्मान 2012
2.उर्स कमेटी गाडरवारा द्वारा सद्भावना सम्मान 2007
3.कुष्ट रोग उन्मूलन के लिए नरसिंहपुर जिला द्वारा सम्मान 2002
4.नशामुक्ति अभियान के लिए सम्मानित 2009
इसके आलावा आप पर्यावरण ,विज्ञान, शिक्षा एवं समाज के सरोकारों पर नियमित लेखन कर रहे हैं |
बहुत सुन्दर रचनाएँ
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