अकड़

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खिचड़ी हो चुके बाल और चेहरे पर उभर आये उम्र के निशान भी अंजनी फूफाजी की अकड़ को कम नहीं कर फूफाजी पाये थे।

अकड़

खिचड़ी हो चुके बाल और चेहरे पर उभर आये उम्र के निशान भी अंजनी फूफाजी की अकड़ को कम नहीं कर
फूफाजी
पाये थे। अंजनी फूफाजी अपने दोस्तों के बीच एक बेहद सुलझे हुए इंसान की तरह पेश आते थे। सबकी सहायता को हरदम तत्पर। बाहरी दुनिया में वो नायक थे नायक। लेकिन घर की चैखट के भीतर उनका यह रूप खलनायक में परिवर्तित हो जाता था। बुआ और उनके दोनों बच्चे उनके आते ही सहमकर चुप हो जाते थे। घर में शांति छा जाती थी जैसे सभी गूंगे हों।
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उस दिन चाय में चीनी थोड़ी ज्यादा क्या हुई फूफाजी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। आव देखा न ताव, चाय का कप जमीन पर पटक बुआ पर हाथ उठा दिया। बुआ ने डर के मारे आंखें बंद कर लीं और सहमकर दो कदम पीछे हट गईं, हर बार की तरह। तभी अचानक उनके बेटे ने उनका हाथ बीच में पकड़ लिया और नीचे झटकते हुए जोर से चिल्लाया - 
श्श्बस पापा अब और नहीं। अब अगर आपने कभी भी मम्मी पर हाथ उठाया या उसे अपमानित किया तो मेरा हाथ आप पर उठ जाएगा।श्श् 
ऐसा पहली बार हुआ था जब घर के किसी सदस्य ने अंजनी फूफाजी का यूं विरोध किया था। जवान बेटे के जोर से हाथ झटकने या उसके गुस्से के कारण, चाहे जो भी हो, फूफाजी झटका खाकर नीचे गिर पड़े थे। और देर तक नीचे ही पड़े रहे थे। कोई उन्हें उठाने नहीं आया था। बेटा-बेटी उन्हें अकेला छोड़ बुआ को दूसरे कमरे में लेकर चले गये थे।
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बेटे के विरोध ने उन्हें रात भर सोने नहीं दिया था। सो सुबह देर तक सोते रहे थे। सुबह चाय के साथ बेटी ने जब उन्हें जगाया तो उठते ही चाय एक ओर रख उसके गले लग फूट-फूटकर रो पड़े थे। ऐसा लगा जैसे सारी अकड़ आंखों के रास्ते बह रही हो। फिर बुआ तथा बेटे को बुलाया और रात के अपने बर्ताव के लिए क्षमा मांगी। शायद उन्हें बुआ की ताकत का अहसास हो गया था।
सच है, जवान हो रहे बच्चों के सामनेे सबकी अकड़ हवा हो जाती है। ठीक उसी तरह जिस तरह अंजनी फूफाजी की अकड़ हवा हो गई थी।

- तरु श्रीवास्तव


यह रचना तरु श्रीवास्तव जी द्वारा लिखी गयी है . आप कविता, कहानी, व्यंग्य आदि साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन कार्य करती हैं . आप पत्रकारिता के क्षेत्र में वर्ष 2000 से कार्यरत हैं। हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला, हरिभूमि, कादिम्बिनी आदि पत्र-पत्रिकाओं में बतौर स्वतंत्र पत्रकार विभिन्न विषयों पर कई आलेख प्रकाशित। हरिभूमि में एक कविता प्रकाशित। दैनिक भास्कर की पत्रिका भास्कर लक्ष्य में 5 वर्षों से अधिक समय तक बतौर एडिटोरियल एसोसिएट कार्य किया। तत्पश्चात हरिभूमि में दो से अधिक वर्षों तक उपसंपादक के पद पर कार्य किया। वर्तमान में आप ,प्रभात खबर समाचारपत्र में कार्यरत हैं.आकाशवाणी के विज्ञान प्रभाग के लिए कई बार विज्ञान समाचार का वाचन यानी साइंस न्यूज रीडिंग किया।

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